अंतर्राष्ट्रीय संबंध
ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट : मालदीव
- 27 Aug 2021
- 8 min read
प्रिलिम्स के लियेलाइन ऑफ क्रेडिट, ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट मेन्स के लियेभारत-मालदीव संबंध एवं हालिया विकास |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में एक भारतीय कंपनी, Afcons ने मालदीव में अब तक की सबसे बड़ी बुनियादी ढाँचा परियोजना हेतु अनुबंध पर हस्ताक्षर किये हैं जो कि ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP) है।
- यह परियोजना भारत और मालदीव के बीच द्विपक्षीय परामर्श का परिणाम है तथा सितंबर 2019 में भारत के विदेश मंत्री की माले यात्रा के बाद से चर्चा में रही है।
प्रमुख बिंदु
- ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट:
- इसमें 6.74 किमी. लंबा पुल एवं माले और आसपास के द्वीपों विलिंगिली (Villingili), गुल्हीफाहू (Gulhifalhu) तथा थिलाफूसी (Thilafushi) के बीच सेतु लिंक शामिल होगा। यह अक्षय ऊर्जा का उपयोग करेगा।
- इस परियोजना को भारत से 100 मिलियन अमेरिकी डाॅलर के अनुदान और 400 मिलियन अमेरिकी डाॅलर की लाइन ऑफ क्रेडिट (LOC) द्वारा वित्तपोषित किया गया है।
- यह न केवल मालदीव में भारत की सबसे बड़ी परियोजना है, बल्कि समग्र रूप से मालदीव में सबसे बड़ी बुनियादी ढाँचा परियोजना है।
- इसमें 6.74 किमी. लंबा पुल एवं माले और आसपास के द्वीपों विलिंगिली (Villingili), गुल्हीफाहू (Gulhifalhu) तथा थिलाफूसी (Thilafushi) के बीच सेतु लिंक शामिल होगा। यह अक्षय ऊर्जा का उपयोग करेगा।
- महत्त्व :
- इसे मालदीव के लिये आर्थिक जीवन रेखा के रूप में माना जाता है तथा मालदीव की आधी आबादी चार द्वीपों के बीच कनेक्टिविटी को एक व्यापक वृद्धि प्रदान करेगा।
- यह मालदीव के परिवहन और आर्थिक क्षेत्र की गतिविधियों को गति प्रदान करेगा।
- भारत-मालदीव-चीन:
- GMCP परियोजना, चीनी सहायता से निर्मित सिनामाले पुल से बड़ी होगी जो माले को हुलहुमले और हुलहुले से जोड़ता है तथा यह 2018 में पूरा हुआ था।
- साथ ही अगस्त 2020 में मालदीव को भारतीय सहायता की सराहना की गई और चीन द्वारा मालदीव को दिये गए पिछले महँगे वाणिज्यिक ऋणों के साथ तुलना की गई, जिसे चीन की "कर्ज़-जाल कूटनीति" कहा जा रहा है।
- चीन द्वारा कर्ज़दार देश से आर्थिक या राजनीतिक रियायतें पाने के इरादे से जान-बूझकर किसी दूसरे देश को अत्यधिक कर्ज़ दिया जाता है।
- भारत-मालदीव संबंधों को तब झटका लगा जब मालदीव ने वर्ष 2017 में चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौता (FTA) किया।
- हालाँकि मालदीव में भारत समर्थक नई सरकार के चुनाव से रिश्तों में सुधार आया है और मालदीव भी चीन के साथ FTA से बाहर निकलने पर विचार कर रहा है।
- वर्तमान में इस क्षेत्र में भारतीय सहायता प्राप्त परियोजनाओं के तहत 34 द्वीपों पर पानी एवं सीवरेज परियोजनाएँ, अतिरिक्त द्वीप के लिये सुधार परियोजनाएँ, गुल्हीफाहू (Gulhifalhu) पर एक बंदरगाह, हनीमाधू (Hanimaadhoo) में हवाई अड्डे का पुनर्विकास और हुलहुमले (Hulhumale) में एक अस्पताल तथा क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण शामिल है।
- भारत ने दिसंबर 2018 में मालदीव के लिये 800 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट की भी घोषणा की थी।
- हालिया विकास:
- सुरक्षा सहयोग: इससे पहले अगस्त 2021 में श्रीलंका, भारत द्वारा आयोजित एक उप-राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तरीय बैठक में श्रीलंका और मालदीव सुरक्षा सहयोग के "चार स्तंभों" पर काम करने के लिये सहमत हुए हैं।
- UNGA अध्यक्ष: जून 2021 में भारत ने 2021-22 के लिये संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र के अध्यक्ष के रूप में मालदीव के विदेश मंत्री के चुनाव का स्वागत किया।
- समझौता ज्ञापन: नवंबर 2020 में भारत और मालदीव ने उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं एवं खेल और युवा मामलों में सहयोग से संबंधित चार समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किये।
- राहत पैकेज: अगस्त 2020 में भारत ने मालदीव को कोविड-19 महामारी के आर्थिक प्रभाव से निपटने में मदद करने हेतु हवाई, समुद्र, अंतर-द्वीप और दूरसंचार सहित पांँच-आयामी पैकेज के लिये स्वयं को प्रतिबद्ध किया था।
- द्विपक्षीय एयर बबल: मालदीव पहला दक्षिण एशियाई देश है जिसके साथ भारत ने कोविड-19 महामारी के दौरान द्विपक्षीय एयर बबल व्यवस्था को शुरू किया है।
- द्विपक्षीय यात्राएंँ: सितंबर 2018 से भारत और मालदीव के मध्य कई द्विपक्षीय यात्राएंँ हुई हैं।
- भारतीय प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति सोलिह के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिये मालदीव गए।
- दिसंबर 2018 में मालदीव के राष्ट्रपति द्वारा भारत का दौरा किया गया।
- मालदीव के गृह मंत्री ने फरवरी 2020 में भारतीय गृह मंत्री से मुलाकात की।
- मालदीव और भारत, दोनों ही ‘दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ’ (SAARC) एवं ‘दक्षिण एशिया उप-क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग’ (SASEC) के सदस्य हैं।
आगे की राह
- समझौते की शर्तों के मुताबिक, वर्ष 2023 तक इस पुल के निर्णय का कार्य पूरा हो जाएगा। हालाँकि यह समझौता केवल इस लिहाज़ से महत्त्वपूर्ण नहीं है कि इसमें भारत और मालदीव दोनों एक साझेदार के रूप में शामिल हैं, बल्कि यह दोनों देशों के संबंधों की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है।
- भारत के लिये मालदीव सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्त्वपूर्ण है और इस समझौते के माध्यम से दोनों देशों के मध्य मौजूद तनावों को कम करने में मदद मिल सकती है।
- भारत सरकार की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ पॉलिसी के अनुसार, भारत स्थिर, समृद्ध और शांतिपूर्ण मालदीव के लिये एक प्रतिबद्ध विकास भागीदार है।
- कोविड-19 महामारी और पिछले ऋणों के कारण मालदीव के समक्ष मौजूद आर्थिक कठिनाइयों को देखते हुए यह परियोजना और पिछले कुछ पैकेज निश्चित रूप से दोनों देशों के बीच संबंधों को मज़बूत करेंगे।
- यह मालदीव के संबंध में चीन पर भारत को रणनीतिक बढ़त भी प्रदान करेगा।