अंतर्राष्ट्रीय संबंध
मुक्त व्यापार समझौता: भारत और ब्रिटेन
- 27 Jul 2020
- 7 min read
प्रीलिम्स के लियेसंयुक्त आर्थिक एवं व्यापार समिति, मुक्त व्यापार समझौते मेन्स के लियेभारत-ब्रिटेन व्यापार संबंध, व्यापार समझौतों को लेकर भारत की नीति |
चर्चा में क्यों?
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित संयुक्त आर्थिक एवं व्यापार समिति (Joint Economic and Trade Committee-JETCO) की 14वीं बैठक के दौरान भारत और ब्रिटेन ने आर्थिक संबंधों को मज़बूत करने के उद्देश्य से मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreeme-FTA) के प्रति साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की है।
प्रमुख बिंदु
- गौरतलब है कि भारत और ब्रिटेन दोनों देशों के बीच हाल ही में आयोजित 14वीं संयुक्त आर्थिक एवं व्यापार समिति (Joint Economic and Trade Committee-JETCO) की बैठक के दौरान इस विषय पर चर्चा की गई।
- वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और ब्रिटेन की अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मंत्री एलिज़ाबेथ ट्रस (Elizabeth Truss) ने संयुक्त तौर पर इस बैठक की अध्यक्षता की।
- 14वीं संयुक्त आर्थिक एवं व्यापार समिति- मुख्य निर्णय
- संयुक्त आर्थिक एवं व्यापार समिति (JETCO) की 14वीं बैठक के दौरान भारत और ब्रिटेन दोनों ही देशों के प्रतिनिधियों ने मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए दोनों देशों के बीच मौजूद व्यापार बाधाओं को समाप्त करने पर सहमति व्यक्त की।
- बैठक के दौरान निर्णय लिया गया कि मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की दिशा में प्रारंभिक उपायों के तौर पर दोनों पक्ष चरणबद्ध तरीके से सीमित व्यापार समझौते करेंगे।
- बैठक में यह भी तय किया गया है कि मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के संबंध में बातचीत को आगे बढ़ाने के लिये पीयूष गोयल और एलिज़ाबेथ ट्रस के नेतृत्त्व में आगामी दिनों में एक बैठक का आयोजन किया जाएगा।
- वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक सूचना के अनुसार, वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी और ब्रिटेन में उनके समकक्ष रानिल जयवर्धने (Ranil Jayawardena) इस संबंध में वार्ता को आगे बढाने के लिये मासिक बैठकों का आयोजन भी करेंगे।
संयुक्त आर्थिक एवं व्यापार समिति
- संयुक्त आर्थिक एवं व्यापार समिति (JETCO) ब्रिटेन की कंपनियों को अपनी पहुँच बढ़ाने और भारतीय व्यवसायों तथा नीति निर्माताओं के साथ नई साझेदारी विकसित करने के लिये एक मंच प्रदान करता है।
- JETCO के माध्यम से सरकार-से-सरकार के स्तर की वार्ता का आयोजन किया जाता है और इन वार्ताओं में बाज़ार उदारीकरण तथा बाज़ार पहुँच के मुद्दों को संबोधित किया जाता है।
मुक्त व्यापार समझौता और भारत
- सामन्यतः मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) का प्रयोग दो या दो से अधिक देशों के बीच व्यापार को सरल बनाने के उद्देश्य से किया जाता है।
- मुक्त व्यापार समझौते के तहत दो अथवा दो से अधिक देशों के बीच वस्तुओं एवं सेवाओं के आयात-निर्यात पर सीमा शुल्क, नियामक कानून, सब्सिडी और कोटा (Quotas) आदि को सरल बनाया जाता है।
- गौरतलब है कि मुक्त व्यापार समझौते के अंतर्गत बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR), निवेश, सार्वजनिक खरीद तथा प्रतिस्पर्द्धा संबंधी नीतियों को भी कवर किया जाता है।
- बीते कुछ दिनों में भारत की मुक्त व्यापार संबंधी नीति में परिवर्तन दिखाई दे रहा है और भारत अमेरिका, यूरोपीय संघ (EU) तथा ब्रिटेन जैसे देशों के साथ व्यापार समझौतों पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित कर रहा है, जो कि भारतीय निर्यातकों के लिये एक प्रमुख बाज़ार हैं।
- बीते दिनों विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने एक बयान में कहा था कि ‘मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) ने भारत के क्षमता निर्माण में कुछ खास मदद नहीं की है।’
- हालाँकि उन्होंने स्पष्ट किया था कि सभी FTAs एक समान नहीं है।
भारत और ब्रिटेन- आर्थिक संबंध
- भारत विश्व की सबसे तेज़ी से विकसित होती अर्थव्यवस्था है और भारत में एक बड़ी संख्या में मौजूद मध्य वर्ग ब्रिटिश निर्यातकों के लिये एक मुख्य आकर्षण है।
- आँकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष भारत और ब्रिटेन के बीच कुल 24 बिलियन पाउंड (Pound) का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था।
- बीते दिनों ब्रिटेन सरकार के तहत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विभाग (DIT) द्वारा जारी आँकड़ों में सामने आया था कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में भारत, ब्रिटेन में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत बन गया था।
- ध्यातव्य है कि भारत और ब्रिटेन एक मज़बूत और ऐतिहासिक संबंध साझा करते हैं।
- ब्रिटेन, भारत के प्रमुख व्यापारिक भागीदारों में से एक है और वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान ब्रिटेन, भारत के शीर्ष 25 व्यापारिक भागीदारों की सूची में 15वें स्थान पर था।