नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली न्यूज़


भूगोल

मौसम की भविष्यवाणी

  • 16 Nov 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD),लमखागा दर्रा,हिमालय,राष्ट्रीय मानसून मिशन (NMM) 

मेन्स के लिये:

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD),राष्ट्रीय मानसून मिशन (NMM), मौसम पूर्वानुमान से संबंधित मुद्दे,मौसम पूर्वानुमान के तरीके

चर्चा में क्यों?

हाल ही में चार पर्वतारोहण और ट्रेकिंग अभियानों में लमखागा दर्रा ट्रेक में 21 ट्रेकर्स की मृत्यु हो गई, जो एक बार फिर सही मौसम पूर्वानुमान के महत्त्व पर प्रकाश डालता है।

  • लमखागा दर्रा गढ़वाल हिमालय (उत्तराखंड) में एक अत्यधिक ऊँचाई पर स्थित दर्रा है जो हिमाचल प्रदेश में सांगला से जुड़ता है। इसकी ऊँचाई और दूरदर्शिता के कारण इसे हिमालय (उत्तराखंड) के सबसे कठिन ट्रेक में से एक माना जाता है।

Weather-Forecasting

प्रमुख बिंदु

  • मौसम की भविष्यवाणी:
    • यह विभिन्न प्रकार की सांख्यिकीय और अनुभवजन्य तकनीकों द्वारा पूरक भौतिकी के सिद्धांतों के अनुप्रयोग के माध्यम से मौसम पूर्वानुमान  है।
    • वायुमंडलीय घटनाओं की भविष्यवाणियों के अलावा, मौसम की भविष्यवाणी में वायुमंडलीय परिस्थितियों के कारण पृथ्वी की सतह पर होने वाले परिवर्तनों जैसे- बर्फ का आवरण, तूफान,  ज्वार और बाढ़ की भविष्यवाणी की जा सकती है।
  • आवश्यकता:
    • सेना के लिये: युद्ध के दौरान सेना युद्ध जीतने की संभावना को अधिकतम करने के लिये अपेक्षित मौसम की स्थिति में अपनी लड़ाई की योजना बना सकती है।
    • नुकसान को कम करने के लिये: यह लोगों को विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़ और आँधी के खिलाफ योजना बनाने तथा सावधानी बरतने में सक्षम बनाता है ताकि उनके प्रभाव को कम किया जा सके।
    • किसानों के लिये: किसानों को अपेक्षित मौसम की स्थिति के अनुरूप अपनी कृषि गतिविधियों को समायोजित करने में सक्षम बनाता है।
    • परिवहन के लिये: मौसम की भविष्यवाणी परिवहन को, खासकर हवा और पानी में बहुत प्रभावित करती है। विमान टेक-ऑफ और लैंडिंग मौसम से प्रभावित हो सकती है जबकि तूफान और तेज हवाएँ यात्रा को बहुत प्रभावित करती हैं।
    • पर्यटकों के लिये: यह पर्यटकों को कुछ क्षेत्रों में जाने के लिये मार्गदर्शन और प्रोत्साहित करने में मदद कर सकता है।
  • मौसम पूर्वानुमान के तरीके:
    • मौसम पूर्वानुमानकर्ता कंप्यूटर मॉडल और सिमुलेशन डिज़ाइन करने के लिये ‘बिग डेटा’ पर भरोसा करते हैं जो मौसम में आने वाले बदलाव की भविष्यवाणी करने में मदद करता है।
    • भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) उत्पादों और सूचना प्रसार के वास्तविक समय के विश्लेषण (RAPID) के साथ-साथ भू-समकालिक कक्षा वाले उपग्रहों की INSAT श्रृंखला का उपयोग करता है, जो एक मौसम डेटा एक्सप्लोरर एप्लिकेशन है तथा एक गेटवे के रूप में कार्य करती है और चर्तु-आयामी विश्लेषण क्षमताओं  के साथ में त्वरित इंटरैक्टिव विज़ुअलाइज़ेशन प्रदान करती है। ।
    • पूर्वानुमानकर्ता उपग्रहों द्वारा ‘क्लाउड मोशन’, क्लाउड टॉप तापमान, जल वाष्प सामग्री के आसपास उत्पन्न डेटा का उपयोग किया जाता है जो वर्षा अनुमान, मौसम पूर्वानुमान में मदद करते हैं और चक्रवातों की उत्पत्ति के संबंध में उनको दिशा प्रदान करते हैं।
    • उपग्रह डेटा पर नज़र रखने के अलावा, IMD स्वचालित मौसम स्टेशनों (AWS), वैश्विक दूरसंचार प्रणाली (GTS) से जमीन आधारित अवलोकन के लिये इसरो के साथ सहयोग करता है जो तापमान, धूप, हवा की दिशा, गति और आर्द्रता को मापता है।
      • इस बीच, एग्रो-मौसम विज्ञान टॉवर (AGROMET) और डॉप्लर वेदर रडार (DWR) इस तंत्र के अवलोकनों में मदद करते हैं।
    • वर्ष 2021 में IMD ने मौजूदा दो-चरण की पूर्वानुमान रणनीति को संशोधित करके दक्षिण-पश्चिम मानसून वर्षा हेतु मासिक और मौसमी परिचालन पूर्वानुमान जारी करने के लिये एक नई रणनीति अपनाई।
      • नई रणनीति मौजूदा सांख्यिकीय पूर्वानुमान प्रणाली और नव विकसित ‘मल्टी-मॉडल एन्सेम्बल’ (MME) आधारित पूर्वानुमान प्रणाली पर आधारित है।
      • MME दृष्टिकोण आईएमडी के ‘मॉनसून मिशन क्लाइमेट फोरकास्टिंग सिस्टम’ (MMCFS) मॉडल सहित विभिन्न वैश्विक जलवायु पूर्वानुमान और अनुसंधान केंद्रों से युग्मित वैश्विक जलवायु मॉडल (CGCM) का उपयोग करता है।
    • ये सभी तकनीकी प्रगति तब से संभव हुई है, जब वर्ष 2012 में 551 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन के साथ राष्ट्रीय मानसून मिशन (NMM) शुरू किया गया था और इसका व्यापक उद्देश्य देश में मौसमी पूर्वानुमान के लिये एक गतिशील भविष्यवाणी प्रणाली स्थापित करना और मानसून पूर्वानुमान कौशल में सुधार करना था। 
  • मौसम पूर्वानुमान से संबंधित मुद्दे:
    • वैश्विक मौसम प्रणालियों को प्रभावित करने के लिये ज़िम्मेदार समुद्री धाराओं में परिवर्तन की अप्रत्याशितता के कारण कई बार सही मौसम का पूर्वानुमान नहीं हो पाता है।
      • भारत के लिये बंगाल की खाड़ी देश भर में मौसम को प्रभावित करने वाले बफर के रूप में कार्य करती है।
    • मौसम पूर्वानुमान के गतिशील मॉडल कुछ मान्यताओं पर आधारित होते हैं और प्रकृति के सभी घटकों को गतिशील मॉडल में सटीक रूप से शामिल करना संभव नहीं है और यही पहला कारण है कि कभी-कभी पूर्वानुमान गलत हो सकते हैं। 
      • एक गतिशील मौसम पूर्वानुमान मॉडल में कंप्यूटर पर वातावरण का 3डी गणितीय अनुकरण शामिल होता है।
    • मॉडलों को दिये गए प्रारंभिक इनपुट में त्रुटियों के कारण मौसम पूर्वानुमान में त्रुटियांँ भी सामने आ सकती हैं।

आगे की राह 

  • जबकि भारत उपग्रह डेटा और कंप्यूटर मॉडल पर निर्भर करता है, ब्रिटेन सुपर कंप्यूटर को पूर्वानुमान में एकीकृत करने के साथ आगे बढ़ गया है, जो उपग्रहों से डेटा एकत्र करता है। 
  • ये सुपरकंप्यूटर कुछ सेकंड में पेटाफ्लॉप डेटा को प्रोसेस कर सकते हैं, प्रभावी रूप से प्रक्रिया को तेज़ कर सकते हैं और सटीकता को बढ़ा सकते हैं।
  • समय के साथ यह तंत्र और अधिक वृद्धि की ओर अग्रसर है एवं विशेषज्ञों को उम्मीद है कि मौसम पूर्वानुमानों में लगातार सुधार होगा।

स्रोत इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow