अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारतीय विदेश मंत्री का श्रीलंका दौरा
- 31 Mar 2022
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प्रिलिम्स के लिये:भारत-श्रीलंका संबंध, एशिया डेवलपमेंट बैंक, पाक बे। मेन्स के लिये:भारत-श्रीलंका संबंध, नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी, श्रीलंका का लंबे समय से लंबित तमिल विवाद। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के विदेश मंत्री ने श्रीलंका का दौरा किया। इस यात्रा के दौरान एक समझौता ज्ञापन को भी अंतिम रूप दिया गया, जिसके तहत भारत को जाफना के तीन द्वीपों (नैनातिवु, डेल्फ्ट या नेदुन्थीवु और एनालाइटिवू) में हाइब्रिड बिजली परियोजनाएँ स्थापित करने का प्रावधान किया गया है।
- इस परियोजना के माध्यम से भारत द्वारा चीन के उद्यमों को प्रभावी ढंग से प्रतिस्थापित किया जाएगा।
- यह श्रीलंका के उत्तर एवं पूर्व में शुरू होने वाली तीसरी भारतीय ऊर्जा परियोजना है।
- इससे पहले भारत ने श्रीलंका को गंभीर आर्थिक संकट से निपटने में मदद करने हेतु 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अल्पकालिक रियायती ऋण दिया था।
यात्रा संबंधी प्रमुख बिंदु
- चीन के खतरे से बचाव: जनवरी 2021 में श्रीलंका के मंत्रिमंडल ने एशियाई विकास बैंक द्वारा समर्थित प्रतिस्पर्द्धी बोली के बाद चीन की कंपनी सिनोसोअर-एटेकविन को नैनातिवु, डेल्फ्ट या नेदुन्थीवु और एनालाइटिवू द्वीपों में अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को शुरू करने की मंज़ूरी देने का निर्णय लिया था।
- इसके पश्चात् भारत ने तमिलनाडु से बमुश्किल 50 किलोमीटर दूर पाक खाड़ी में चीन की परियोजना को लेकर श्रीलंकाई पक्ष के समक्ष चिंता व्यक्त की थी।
- इस प्रकार भारत ने उसी परियोजना को ऋण के बजाय अनुदान के साथ निष्पादित करने की पेशकश की।
- समुद्री बचाव समन्वय केंद्र (MRCC): इसके अलावा भारत और श्रीलंका ने एक ‘समुद्री बचाव समन्वय केंद्र’ (MRCC) स्थापित करने पर भी सहमति व्यक्त की है, जो दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में सहयोग का संकेत देता है।
- MRCCs संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन के तहत एक अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क का हिस्सा हैं, जो आपात स्थिति में तीव्रता के साथ प्रतिक्रिया देने के उद्देश्य से समुद्री मार्गों की निगरानी करते हैं, इन कार्यों में संकट के दौरान जहाज़ों और लोगों की निकासी तथा तेल रिसाव जैसी पर्यावरणीय आपदाओं की रोकथाम आदि शामिल हैं।
- यह समझौता हिंद महासागर में भारत की ‘सागर’ (क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास) पहल का हिस्सा प्रतीत होता है, जिसने भारत, श्रीलंका और मालदीव को अपने वर्ष 2011 के कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन को एक नया रूप देने हेतु प्रेरित किया है, इसमें अब मॉरीशस भी शामिल है।
- मात्स्यिकी बंदरगाह: भारत प्वाइंट पेड्रो, पेसलाई, उत्तरी प्रांत में गुरुनगर तथा राजधानी कोलंबो के दक्षिण में स्थित बालापिटिया में मात्स्यिकी बंदरगाह विकसित करने में भी मदद करेगा।
- क्षमता निर्माण: भारत ने शिक्षा क्षेत्र में सहयोग, श्रीलंका की विशिष्ट डिजिटल पहचान परियोजना हेतु अनुदान देने तथा राजनयिक प्रशिक्षण में सहयोग करने का भी आश्वासन दिया है।
- तमिलों के मुद्दों का समाधान: लंबे समय से लंबित श्रीलंका और तमिलों के मुद्दे के संबंध में भारत ने उत्तरी और पूर्वी श्रीलंका में युद्ध से प्रभावित तमिलों का प्रतिनिधित्व करने वाले राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे तथा तमिल नेशनल एलायंस (TNA) के बीच हालिया वार्ता का स्वागत किया।
भारत-श्रीलंका संबंधों में हाल के मुद्दे:
- मछुआरों की हत्या: श्रीलंकाई नौसेना द्वारा भारतीय मछुआरों की हत्या दोनों देशों के बीच एक पुराना मुद्दा है।
- वर्ष 2019 और वर्ष 2020 में 284 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया गया तथा 53 भारतीय नौकाओं को श्रीलंकाई अधिकारियों ने ज़ब्त कर लिया।
- चीन का प्रभाव: श्रीलंका में चीन के तेज़ी से बढ़ते आर्थिक पदचिह्न और प्रभाव के रूप में राजनीतिक दबदबा भारत-श्रीलंका संबंधों को तनावपूर्ण बना रहा है।
- चीन पहले से ही श्रीलंका में सबसे बड़ा निवेशक है, यह निवेश वर्ष 2010-2019 के दौरान कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का लगभग 23.6% था, जबकि भारत का हिस्सा केवल 10.4 फीसदी है।
- चीन, श्रीलंकाई सामानों के लिये सबसे बड़े निर्यात स्थलों में से एक है और श्रीलंका के विदेशी ऋण के 10% हेतु उत्तरदायी है।
- श्रीलंका का 13वाँ संविधान संशोधन:
- यह एक संयुक्त श्रीलंका के भीतर समानता, न्याय, शांति और सम्मान के लिये तमिल लोगों की उचित मांग को पूरा करने हेतु प्रांतीय परिषदों को आवश्यक शक्तियों के हस्तांतरण की परिकल्पना करता है।
आगे की राह
- भारत और श्रीलंका के बीच ज़मीनी स्तर पर विश्वास की कमी है फिर भी दोनों देश आपसी संबंधों को खराब करने के पक्ष में नहीं है।
- हालाँकि एक बड़े देश के रूप में भारत पर श्रीलंका को साथ लेकर चलने की ज़िम्मेदारी है। भारत को धैर्य रखने की ज़रूरत है और उसे किसी भी तनाव पर प्रतिक्रिया करने से बचना होगा।
- कोलंबो के घरेलू मामलों में किसी भी तरह के हस्तक्षेप से दूर रहते हुए भारत को अपनी जन-केंद्रित विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।
- भारत के लिये हिंद महासागर क्षेत्र में अपने रणनीतिक हितों को संरक्षित करने हेतु श्रीलंका के साथ ‘नेबरहुड फर्स्ट नीति’ (Neighbourhood First Policy) का पोषण करना महत्त्वपूर्ण है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) व्याख्या:
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