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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-इज़रायल संबंध

  • 06 May 2023
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत-इज़रायल संबंध, CSIR, AI, सतत् ऊर्जा, FTA, I4F, AWACS, ISA, अब्राहम समझौते

मेन्स के लिये:

भारत-इज़रायल संबंध

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) तथा इज़रायल के रक्षा अनुसंधान और विकास (DDR&D) ने औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास सहयोग पर एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये हैं।

समझौता ज्ञापन की मुख्य विशेषताएँ:

  • इसका उद्देश्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), क्वांटम और सेमीकंडक्टर, सिंथेटिक बायोलॉजी, सतत् ऊर्जा, स्वास्थ्य तथा कृषि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं पर एक साथ कार्य करना है। वे पारस्परिक रूप से सहमत क्षेत्रों में विशिष्ट परियोजनाओं को कार्यान्वित करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
  • सहयोग में एयरोस्पेस, रसायन और बुनियादी ढाँचे जैसे महत्त्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र शामिल होंगे।
  • पारस्परिक रूप से लाभकारी औद्योगिक और प्रौद्योगिकी सहयोग को आगे बढ़ाने के लिये CSIR एवं DDR&D के प्रमुखों के नेतृत्व वाली एक संयुक्त संचालन समिति द्वारा समझौता ज्ञापन की निगरानी की जाएगी।

भारत-इज़रायल संबंध:

  • कूटनीतिक:
    • हालाँकि भारत ने वर्ष 1950 में इज़रायल को आधिकारिक रूप से मान्यता दी थी, लेकिन दोनों देशों के बीच पूर्ण राजनयिक संबंध 29 जनवरी, 1992 को स्थापित हुए।
    • दिसंबर 2020 तक भारत संयुक्त राष्ट्र (UN) के 164 सदस्य देशों में से एक था, उसके इज़रायल के साथ राजनयिक संबंध थे।
  • आर्थिक और वाणिज्यिक:
    • भारत और इज़राइल के बीच व्यापार कोविड-19 महामारी से पहले के 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2023 जनवरी तक लगभग 7.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
      • हीरे का व्यापार द्विपक्षीय व्यापार का लगभग 50% है।
    • भारत एशिया में इज़रायल का तीसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है और विश्व स्तर पर सातवाँ सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है।
      • इज़रायली कंपनियों ने भारत में ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा, दूरसंचार, रियल एस्टेट, जल प्रौद्योगिकियों में निवेश किया है और भारत में अनुसंधान एवं विकास केंद्र या उत्पादन इकाइयाँ स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
    • भारत मुक्त व्यापार समझौता (FTA) करने के लिये इज़राइल के साथ भी बातचीत कर रहा है।
  • रक्षा:
    • भारत, इज़राइल से हथियारों के सबसे बड़े आयातकों में से एक है, जो इसके वार्षिक हथियारों के निर्यात में लगभग 40 प्रतिशत का योगदान देता है।
    • भारतीय सशस्त्र बलों ने पिछले कुछ वर्षों में इज़रायली हथियार प्रणालियों की एक विस्तृत शृंखला को शामिल किया है, जिसमें फाल्कन AWACS (एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम्स), हेरॉन, सर्चर- II, हारोप ड्रोन से लेकर बराक मिसाइल रोधी रक्षा प्रणाली और स्पाइडर क्विक-रिएक्शन विमान भेदी मिसाइल प्रणाली शामिल हैं।
      • द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर 15वें संयुक्त कार्य समूह (JWG 2021) की बैठक में देशों ने सहयोग के नए क्षेत्रों की पहचान करने हेतु एक व्यापक दस-वर्षीय रोडमैप तैयार करने के लिये टास्क फोर्स बनाने पर सहमति व्यक्त की।
  • कृषि:
    • मई 2021 में कृषि सहयोग में विकास के लिये "तीन वर्ष के कार्य कार्यक्रम समझौते" पर हस्ताक्षर किये गए।
    • कार्यक्रम का उद्देश्य सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (CoE) को विकसित करना, नए केंद्र स्थापित करना, CoE की मूल्य शृंखला में वृद्धि करना, उत्कृष्टता केंद्रों को आत्मनिर्भर बनाना और निजी क्षेत्र की कंपनियों तथा उनके सहयोग को प्रोत्साहित करना है।
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
    • हाल के वर्षों में इज़रायल के स्टार्ट-अप नेशनल सेंट्रल तथा iCreate और TiE (टेक्नोलॉजी बिज़नेस इन्क्यूबेटर्स) जैसे भारतीय उद्यमिता केंद्रों के बीच कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
    • वर्ष 2022 में दोनों देशों ने भारत-इज़रायल औद्योगिक R&D और नवाचार निवेश (I4F) के दायरे को बढ़ाया, जिसमें अक्षय ऊर्जा तथा ICT (सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी) जैसे क्षेत्रों के शिक्षा तथा व्यावसायिक संस्थाओं की भागीदारी में वृद्धि शामिल है।
      • I4F नामित "लक्षित क्षेत्र (Focus Sectors)" में समस्याओं का समाधान करने के लिये इज़रायल एवं भारतीय उद्यमों के बीच संयुक्त औद्योगिक अनुसंधान और विकास पहल को प्रोत्साहित करने, सुविधा प्रदान करने व समर्थन करने हेतु दोनों देशों के बीच साझेदारी है।
  • अन्य:
    • इज़रायल भी भारत के नेतृत्त्व वाले अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance- ISA) में शामिल हो रहा है, जो नवीकरणीय ऊर्जा में अपने सहयोग को बढ़ाने एवं स्वच्छ ऊर्जा में भागीदार बनाने के दोनों देशों के उद्देश्यों के साथ बहुत अच्छी तरह से मेल खाता है।

आगे की राह

  • भारतीय इज़रायल के प्रति सहानुभूति रखते हैं, साथ ही सरकार अपने स्वयं के राष्ट्रीय हित के आधार पर अपनी पश्चिम एशिया नीति को संतुलित एवं पुनर्गठित कर रही है।
  • भारत और इज़रायल को अपने धार्मिक चरमपंथी पड़ोसियों की भेद्यता को दूर करने एवं जलवायु परिवर्तन, जल संकट, जनसंख्या विस्फोट तथा खाद्य सुरक्षा जैसे वैश्विक मुद्दों पर उत्पादक रूप से काम करने की आवश्यकता है।
  • भारत को अब्राहम समझौते द्वारा किये गए भू-राजनीतिक पुनर्गठन के लाभ उठाने हेतु अधिक मुखर और सक्रिय मध्य पूर्वी नीति की आवश्यकता है।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में उल्लिखित पद ‘टू स्टेट सॉल्यूशन’ किसकी गतिविधियों के संदर्भ में आता है? (2018)

(a) चीन
(b) इज़रायल
(c) इराक
(d) यमन

उत्तर: (b)

  • "टू स्टेट सॉल्यूशन" इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष से संबंधित है। इसका उद्देश्य दो स्वतंत्र राज्यों - इज़रायल और फिलिस्तीन के निर्माण के माध्यम से इस संघर्ष का समाधान करना है।
  • ओस्लो समझौते 1993 के बाद इसने लोकप्रियता हासिल की और कई लोगों द्वारा इसे इस आसन्न संकट के एकमात्र व्यवहार्य समाधान के रूप में देखा जाता है।
  • समाधान की रूपरेखा 1974 में "फिलिस्तीन के प्रश्न के शांतिपूर्ण समाधान" पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव में निर्धारित की गई है।
  • अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।

प्रश्न. “भारत के इज़रायल के साथ संबंधों ने हाल ही में एक ऐसी गहराई और विविधता हासिल की है, जिसकी पुनर्वापसी नहीं की जा सकती है।” विवेचना कीजिये। (मुख्य परीक्षा- 2018)

स्रोत: पी.आई.बी.

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