विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
सिंथेटिक बायोलॉजी
- 21 Jul 2022
- 5 min read
प्रिलिम्स के लिये:सिंथेटिक बायोलॉजी, सिंथेटिक बायोलॉजी के अनुप्रयोग मेन्स के लिये:जैव प्रौद्योगिकी, वैज्ञानिक नवाचार और खोजें |
चर्चा में क्यों?
संयुक्त राज्य अमेरिका के अध्ययन के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण ग्रह पर सभी जानवरों और पौधों की प्रजातियों में से एक-तिहाई वर्ष 2070 तक विलुप्त हो सकते हैं।
- पर्यावरणविद जैव विविधता को संरक्षित करने और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने के लिये सिंथेटिक बायोलॉजी या 'सिनबियो' को संभावित उपकरण मानते हैं।
सिंथेटिक बायोलॉजी:
- 'सिंथेटिक बायोलॉजी' शब्द का इस्तेमाल पहली बार ‘बारबरा होबोमिन’ ने वर्ष 1980 में बैक्टीरिया का वर्णन करने के लिये किया था, जिन्हें पुनः संयोजक डीएनए तकनीक का उपयोग करके आनुवंशिक रूप से निर्मित किया गया था।
- सिंथेटिक बायोलॉजी, अप्राकृतिक जीवों या कार्बनिक अणुओं के निर्माण के लिये आनुवंशिक अनुक्रमण, संपादन और संशोधन प्रक्रिया का उपयोग करने संबंधी विज्ञान को संदर्भित करता है जो जीवित प्रणालियों में कार्य कर सकते हैं।
- सिंथेटिक बायोलॉजी वैज्ञानिकों को स्क्रैच से डीएनए के नए अनुक्रमों को डिज़ाइन और संश्लेषित करने में सक्षम बनाती है।
- इस शब्द का प्रयोग अप्राकृतिक कार्बनिक अणुओं के संश्लेषण का वर्णन करने के लिये किया गया था जो जीवित प्रणालियों में कार्य करते हैं।
- इस अर्थ में इस शब्द का प्रयोग अधिक व्यापक रूप से 'जीवन को नया स्वरूप देने' के प्रयासों के संदर्भ में किया गया है।
सिंथेटिक बायोलॉजी के अनुप्रयोग:
- यह तकनीक जैव उर्जा, दवाओं और भोजन के सतत् उत्पादन के लिये उपयोग में सहायक हो सकती है।
- सिंथेटिक बायोलॉजी का बेहतर अनुप्रयोग औद्योगिक उत्सर्जन से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने के लिये किया जा सकता है।
- इसके अलावा कैप्चर की गई गैस को फिर से सूक्ष्मजीवों का उपयोग करके ईंधन में पुनर्नवीनीकरण किया जाता है। संभावित रूप से इस तरह के परिवर्तनों में लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा करने से लेकर वन्यजीव उत्पादों के सिंथेटिक विकल्प प्रदान करने तक के लाभ शामिल हैं।
- यह तकनीक हमें संक्रामक बीमारी से बचाव, दवाओं के विकास और साथ ही साथ समाज में स्थिरता स्थापित करने में सहायता करेगी।
- यह वैज्ञानिकों को खोज में मदद कर सकता है और तीव्र एवं कुशल तरीके से उन्हें नवाचार की ओर ले जाता है।
सिंथेटिक जीवविज्ञान से संबंधित चिंताएँ:
- आर्थिक चिंताएँ:
- यह अर्थव्यवस्था में अस्थिरता पैदा कर सकता है, जिससे जैव प्रौद्योगिकी आधारित अर्थव्यवस्थाओं में अवांछित बदलाव हो सकता है।
- यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था एवं कम आय वाले उष्णकटिबंधीय देशों को प्रभावित करेगा।
- प्राकृतिक उत्पाद आमतौर पर कम आय वाले देशों में उगाए जाते हैं, सिंथेटिक जीव विज्ञान की प्रगति के क्रम में इसके विस्थापित होने की आशंका विद्यमान है।
- पर्यावरणीय चिंताएँ:
- जब एक नई प्रजाति का निर्माण किया जाता है या जब एक प्रजाति को तीव्रता से संशोधित किया जाता है, तो प्रजातियों की गतिविधि और अन्य जीवों के साथ उनका सह-अस्तित्व अप्रत्याशित होता है।
आगे की राह
- संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों तक पहुँचने में सक्षम होने के लिये उत्सर्जन को कम करने के परे अतिरिक्त रास्ता तय करने की आवश्यकता है।
- पारिस्थितिक संतुलन को बहाल करना और हमारी औद्योगिक प्रक्रियाओं तथा दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों से प्रदूषण एवं प्लास्टिक अपशिष्ट को कम करना समय की मांग है।
- यह पर्यावरण के लिये सबसे गंभीर खतरों के समाधान का एक हिस्सा है, जिसमें रासायनिक और प्लास्टिक प्रदूषण को कम करना तथा पर्यावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को रोकना शामिल है, लेकिन हमें एक नागरिक के रूप में भी पर्यावरण के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को पूरा करने की आवश्यकता है।