मुख्य परीक्षा
आर्कटिक जीवों पर समुद्री हीट वेव का प्रभाव
- 24 Feb 2025
- 7 min read
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
एक अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि आर्कटिक समुद्री हीट वेव (MHWs) से समुद्री स्तनधारियों की मृत्यु दर में वृद्धि होने के साथ उनकी प्रजनन दर में कमी का जोखिम उत्पन्न हो रहा है।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- मृत्यु दर में वृद्धि और प्रजनन क्षमता में कमी: आर्कटिक और उप-आर्कटिक समुद्री स्तनधारियों (जैसे व्हेल, सील और वालरस) में MHW के कारण उच्च मृत्यु दर की स्थिति बनी हुई है।
- बढ़ते तापमान के कारण विषाक्त शैवाल प्रस्फुटन (जलाशय में शैवाल की तीव्र वृद्धि) एवं बीमारियों के प्रसार (जैसे, ध्रुवीय भालुओं में एवियन इन्फ्लूएंजा) के साथ शिकार की संभावना में कमी आने से भोजन की उपलब्धता प्रभावित होती है।
- वितरण एवं मानव-वन्यजीव संघर्ष: शिकार के वितरण में बदलाव के कारण प्रजातियों को पलायन करना पड़ता है या इनके बीच भुखमरी की समस्या उत्पन्न होती है जिससे यह मछली पकड़ने के उपकरणों में फँसने के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं।
समुद्री हीट वेव (MHW) के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय: MHW का आशय ऐसी चरम समुद्री मौसमी घटनाओं से है जिनमें समुद्र की सतह के तापमान में अचानक वृद्धि (औसत से 3-4 डिग्री सेल्सियस अधिक) हो जाती है जिसकी अवधि कम से कम पाँच दिनों की होने के साथ संभवतः कई सप्ताह या उससे अधिक समय की हो सकती है।
- ये घटनाएँ छोटे तटीय क्षेत्रों को कवर कर सकती हैं या संपूर्ण महासागरीय बेसिन तक फैल सकती हैं।
- MHW के प्रमुख कारण: मानवजनित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन से प्रेरित जलवायु परिवर्तन ने पिछली शताब्दी में वैश्विक महासागर के तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि की है।
- अल नीनो जैसे महासागरीय धाराओं में व्यवधान से ऊष्मा प्रतिधारण बढ़ जाता है, जबकि आर्कटिक क्षेत्र में बर्फ पिघलने से महासागर की सतह सौर विकिरण के संपर्क में अधिक आती है, जिससे तापमान में वृद्धि होती है।
- असामान्य मौसम पैटर्न, वायुमंडलीय परिसंचरण में बदलाव और चक्रवातीय गतिविधियाँ MHW को और अधिक सक्रिय कर देती हैं।
- प्रभाव:
- महासागरीय जीवन: MHW व्यापक पैमाने पर मछलियों की मृत्यु और आवास विनाश का कारण बनते हैं। उच्च महासागरीय तापमान से व्यापक प्रवाल विरंजन होता है (उदाहरण के लिये, वर्ष 2005 की कैरिबियन विरंजन घटना)।
- बढ़ते तापमान के कारण केल्प वन नष्ट हो रहे है, आक्रामक प्रजातियों को बढ़ावा मिल रहा है, तथा वन्यजीवों के प्रवास में बदलाव आ रहा है।
- चरम मौसमी घटनाएँ: MHW तूफानों को तीव्र कर देते हैं, जिससे अधिक शक्तिशाली चक्रवात और गंभीर बाढ़ आती है।
- मनुष्य: वे मत्स्य पालन और वैश्विक समुद्री खाद्य आपूर्ति को बाधित करते हैं, तथा प्रवाल भित्तियों पर निर्भर तटीय समुदायों की आजीविका को खतरे में डालते हैं।
- MHW द्वारा प्रजातियों के प्रवास को मज़बूर करने से आर्थिक क्षति बढ़ रही है, जिससे पर्यटन और मत्स्यन उद्योग प्रभावित हो रहे हैं।
- महासागरीय जीवन: MHW व्यापक पैमाने पर मछलियों की मृत्यु और आवास विनाश का कारण बनते हैं। उच्च महासागरीय तापमान से व्यापक प्रवाल विरंजन होता है (उदाहरण के लिये, वर्ष 2005 की कैरिबियन विरंजन घटना)।
- अनुमानित दृष्टिकोण: पूर्व-औद्योगिक काल की तुलना में 2100 तक MHW की संख्या 50 गुना अधिक होने की संभावना है।
- आर्कटिक और उष्णकटिबंधीय क्षेत्र अपने मौजूदा तापमान चरम सीमा के कारण सबसे अधिक संवेदनशील हैं।
- महासागरीय हीट वेव का शमन और अनुकूलन: महासागरीय तापमान में वृद्धि को सीमित करने हेतु पेरिस समझौते की नीतियों के सख्त कार्यान्वन की आवश्यकता है।
- पूर्व चेतावनी प्रणालियों से मत्स्यपालन और तटीय समुदायों को भीषण वर्षा वाले तूफानों के प्रति तत्पर रहने में मदद मिल सकती है।
- समुद्री संरक्षित क्षेत्रों (MPA) का विस्तार करने तथा केल्प वनों, समुद्री घास के मैदानों और प्रवाल भित्तियों जैसे प्रमुख पर्यावासों की सुरक्षा करने से समुद्री जीवन सुरक्षित रहेगा।
आर्कटिक क्षेत्र से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?
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