जैव विविधता और पर्यावरण
ग्रेट निकोबार आइलैंड प्रोजेक्ट की समस्या
- 21 Jun 2024
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:ग्रेट निकोबार द्वीप, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT), शोम्पेन, विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG), निकोबार मेगापोड पक्षी, लेदरबैक कछुए मेन्स के लिये:ग्रेट निकोबार आइलैंड प्रोजेक्ट का महत्त्व और संबंधित चिंताएँ |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विपक्षी पार्टी ने ग्रेट निकोबार आइलैंड पर प्रस्तावित 72,000 करोड़ रुपए के बुनियादी ढाँचे के उन्नयन को आइलैंड के मूल निवासियों और नाज़ुक पारिस्थितिकी तंत्र के लिये "गंभीर खतरा" बताया है, जिसमें समग्र स्वीकृतियों को तत्काल निलंबित करने और संबंधित संसदीय समितियों सहित प्रस्तावित परियोजना की गहन, निष्पक्ष समीक्षा की मांग की है।
ग्रेट निकोबार आइलैंड
- ग्रेट निकोबार, निकोबार द्वीपसमूह का सबसे दक्षिणी और सबसे बड़ा द्वीप है, जो बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्वी भाग में, मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय वर्षावन का 910 वर्ग किलोमीटर का एक विरल आबादी वाला क्षेत्र है।
- इस द्वीप पर इंदिरा प्वाइंट, भारत का सबसे दक्षिणी बिंदु, इंडोनेशियाई द्वीपसमूह के सबसे बड़े द्वीप सुमात्रा के उत्तरी सिरे पर सबांग से 90 समुद्री मील (<170 किमी) की दूरी पर स्थित है।
- अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में 836 द्वीप हैं, जिन्हें दो समूहों में विभाजित किया गया है, जिन्हें उत्तर में स्थित अंडमान द्वीप और दक्षिण में स्थित निकोबार द्वीप के रूप में जाना जाता है, यह 10 डिग्री चैनल द्वारा अलग होते हैं जो 150 किलोमीटर चौड़ा है।
- ग्रेट निकोबार में दो राष्ट्रीय उद्यान, एक बायोस्फीयर रिज़र्व, शोम्पेन, ओंग, अंडमानी और निकोबारी आदिवासी लोगों की लघु आबादी और कुछ हज़ार गैर-आदिवासी निवास करते हैं।
ग्रेट निकोबार आइलैंड प्रोजेक्ट/परियोजना क्या है?
- परिचय:
- वर्ष 2021 में प्रारंभ हुआ ग्रेट निकोबार आइलैंड (GNI) प्रोजेक्ट, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के दक्षिणी छोर पर लागू किया जाने वाला एक मेगा प्रोजेक्ट है।
- इसमें द्वीप पर एक ट्रांस-शिपमेंट पोर्ट, एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, टाउनशिप विकास और 450 MVA गैस और सौर-आधारित विद्युत संयंत्र विकसित करना शामिल है।
- इस प्रोजेक्ट को नीति आयोग की रिपोर्ट के बाद लागू किया गया था, जिसमें द्वीप की लाभप्रद स्थिति का उपयोग करने की क्षमता की पहचान की गई थी, जो दक्षिण-पश्चिम में श्रीलंका के कोलंबो और दक्षिण-पूर्व में पोर्ट क्लैंग (मलेशिया) और सिंगापुर से लगभग समान दूरी पर स्थित है।
- वर्ष 2021 में प्रारंभ हुआ ग्रेट निकोबार आइलैंड (GNI) प्रोजेक्ट, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के दक्षिणी छोर पर लागू किया जाने वाला एक मेगा प्रोजेक्ट है।
- विशेषताएँ:
- इस मेगा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह एकीकृत विकास निगम (ANIIDCO) द्वारा किया जा रहा है, इसमें एक अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर ट्राँस-शिपमेंट टर्मिनल (ICTT) और एक ग्रीनफील्ड अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा शामिल करने का प्रस्ताव है।
- यह मलक्का जलडमरूमध्य के करीब स्थित है, जो हिंद महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ने वाला मुख्य जलमार्ग है और ICTT से ग्रेट निकोबार को कार्गो ट्रांसशिपमेंट में एक प्रमुख अभिकर्त्ता बनकर क्षेत्रीय और वैश्विक समुद्री अर्थव्यवस्था में भाग लेने की अनुमति मिलने की उम्मीद है।
- प्रस्तावित ICTT और विद्युत संयंत्र के लिये ग्रेट निकोबार द्वीप के दक्षिण-पूर्वी कोने पर गैलाथिया खाड़ी एक स्थल है, जहाँ कोई मानव निवास नहीं है।
- रणनीतिक महत्त्व:
- इस उन्नयन का उद्देश्य अतिरिक्त सैन्य बलों, अधिक बड़े युद्धपोतों, विमानों, मिसाइल बैटरियों तथा सैनिकों की तैनाती को सुविधाजनक बनाना है।
- द्वीपसमूह के आसपास के संपूर्ण क्षेत्र की कड़ी निगरानी एवं ग्रेट निकोबार में एक सुव्यवस्थित सैन्य निरोधक क्षमता का निर्माण, भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
- यह द्वीप मलक्का जलडमरूमध्य के निकट है, जो हिंद महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ने वाला मुख्य जलमार्ग है और साथ ही ICTT से यह आशा की जाती है कि यह ग्रेट निकोबार को कार्गो ट्रांसशिपमेंट में एक प्रमुख अभिकर्त्ता बनाकर क्षेत्रीय एवं वैश्विक समुद्री अर्थव्यवस्था में भाग लेने की अनुमति देगा।
- बंगाल की खाड़ी, हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के सामरिक और सुरक्षा हितों के लिये अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। ऐसा इसलिये है क्योंकि चीन की सेना (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी) इस संपूर्ण क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश कर रही है।
- भारत विशेष रूप से इस बात से चिंतित है कि चीन, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मलक्का, सुंडा तथा लोम्बोक जलडमरूमध्य जैसे महत्त्वपूर्ण अवरोधक बिंदुओं पर अपनी नौसेना का विकास कर रहा है।
- इसके अतिरिक्त चीन, कोको द्वीप समूह पर एक सैन्य केंद्र का निर्माण करके इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने का प्रयास कर रहा है, जो भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से केवल 55 किलोमीटर उत्तर में स्थित है।
- इससे भारत के लिये चिंता उत्पन्न होती है, क्योंकि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह इस क्षेत्र में भारत की समुद्री सुरक्षा के लिये रणनीतिक रूप से अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं।
- इस उन्नयन का उद्देश्य अतिरिक्त सैन्य बलों, अधिक बड़े युद्धपोतों, विमानों, मिसाइल बैटरियों तथा सैनिकों की तैनाती को सुविधाजनक बनाना है।
ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?
- स्थानीय जनजातियों पर प्रभाव: शोम्पेन एवं निकोबारी शिकारी-संग्राहकों का एक विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG) है, जिनकी अनुमानित आबादी केवल कुछ सौ व्यक्तियों की है। वे द्वीप पर एक आदिवासी समूह के रूप में रहते हैं।
- ऐसी गंभीर चिंताएँ हैं कि प्रस्तावित बुनियादी ढाँचे के उन्नयन से शोम्पेन जनजाति और उनके जीवन के तरीके पर संभावित विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है, जो द्वीप के प्राकृतिक वातावरण से निकटता से जुड़ा हुआ है।
- इसके अतिरिक्त यह परियोजना वन अधिकार अधिनियम (2006) का भी उल्लंघन करती है, जो शोम्पेन को जनजातीय समूह की सुरक्षा, संरक्षण, विनियमन एवं प्रबंधन के लिये एकमात्र कानूनी रूप से सशक्त प्राधिकारी मानता है।
- द्वीप के पारिस्थितिकी तंत्र के लिये खतरा: इस परियोजना से द्वीप की पारिस्थितिकी पर प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि इसमें करीब दस लाख वृक्ष काटे जाएंगे। आशंका है कि बंदरगाह परियोजना से प्रवाल भित्तियाँ नष्ट हो जाएंगी, जिसका प्रभाव स्थानीय समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ेगा और साथ ही गैलेथिया खाड़ी क्षेत्र में घोंसला बनाने वाले स्थलीय निकोबार मेगापोड पक्षी एवं लेदरबैक कछुओं के लिये भी खतरा उत्पन्न हो जाएगा।
- द्वीप की पारिस्थितिकी के लिये खतरा: यह परियोजना लगभग दस लाख पेड़ों की कटाई के साथ द्वीप की पारिस्थितिकी को प्रभावित करेगी। यह आशंका है कि बंदरगाह परियोजना स्थानीय समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव डालते हुए प्रवाल भित्तियों को नष्ट कर देगी और गैलेथिया खाड़ी क्षेत्र में घोंसला बनाने वाले स्थलीय निकोबार मेगापोड पक्षी तथा लेदरबैक कछुओं के लिये खतरा पैदा करेगी।
- यह क्षेत्र GNI के भू-भाग का लगभग 15% है और यह राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर अद्वितीय वर्षावन पारिस्थितिकी तंत्र में देश के सबसे बड़े वन क्षेत्रों में से एक है।
- भूकंपीय भेद्यता: प्रस्तावित बंदरगाह भूकंपीय रूप से अस्थिर क्षेत्र में स्थित है, जिसने वर्ष 2004 की सुनामी के दौरान लगभग 15 फीट की स्थायी गिरावट का अनुभव किया था। यह उच्च जोखिम वाले, आपदा-प्रवण क्षेत्र में इस तरह के बड़े पैमाने पर बुनियादी ढाँचा परियोजना के निर्माण की सुरक्षा और व्यवहार्यता के बारे में चिंताएँ पैदा करता है।
- पर्याप्त परामर्श का अभाव: स्थानीय प्रशासन पर कानूनी आवश्यकताओं के अनुसार, ग्रेट और लिटिल निकोबार द्वीप समूह की जनजातीय परिषद से पर्याप्त परामर्श नहीं करने का आरोप है।
- अप्रैल 2023 में, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal - NGT) ने परियोजना को दी गई पर्यावरण और वन मंज़ूरी में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। हालाँकि, ट्रिब्यूनल ने आदेश दिया कि मंज़ूरी पर विचार करने के लिये एक उच्च-शक्ति समिति का गठन किया जाना चाहिये।
आगे की राह
- जनजातीय परिषदों का समावेश: यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ग्रेट और लिटिल निकोबार द्वीप समूह की जनजातीय परिषदें सभी निर्णय लेने की प्रक्रियाओं का अभिन्न अंग हों, तथा वन अधिकार अधिनियम (2006) के तहत उनके पारंपरिक ज्ञान एवं कानूनी अधिकारों का सम्मान किया जाए।
- उच्च-शक्ति समिति: NGT के आदेश के बाद, पर्यावरण और वन मंज़ूरी की निगरानी के लिये एक उच्च-शक्ति समिति की स्थापना की जाए, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाए कि इसमें पर्यावरण समूहों, जनजातीय परिषदों और स्वतंत्र विशेषज्ञों के प्रतिनिधि शामिल हों।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न. निम्नलिखित में से किनमें प्रवाल भित्तियाँ हैं? (2014)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित द्वीपो के युग्मों में से कौन-सा एक ‘दस डिग्री जलमार्ग’ द्वारा आपस में पृथक किया जाता है? (2014) (a) अंडमान एवं निकोबार उत्तर: (a) प्रश्न. निम्नलिखित में से शोम्पेन जनजाति किस स्थान पर पाई जाती है? (2009) (a) नीलगिरि पहाड़ियाँ उत्तर: (b) |