जैव विविधता और पर्यावरण
ग्रेट निकोबार आइलैंड प्रोजेक्ट
- 10 Apr 2023
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT), ग्रेट निकोबार द्वीप, तटीय विनियमन क्षेत्र, कछुए, डॉल्फिन, विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG), मैंग्रोव, ग्रेट निकोबार बायोस्फीयर रिज़र्व। मेन्स के लिये:ग्रेट निकोबार आइलैंड प्रोजेक्ट का महत्त्व और इससे संबंधित मुद्दे। |
चर्चा में क्यों?
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने 72,000 करोड़ रुपए की ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना पर रोक लगा दी है तथा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा दी गई पर्यावरण मंज़ूरी की समीक्षा के लिये एक समिति बनाई है।
ग्रेट निकोबार आइलैंड प्रोजेक्ट:
- परिचय:
- ग्रेट निकोबार आइलैंड (GNI) परियोजना अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के दक्षिणी छोर के लिये तैयार की गई एक व्यापक परियोजना है।
- इस परियोजना में एक अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर ट्रांस-शिपमेंट टर्मिनल, एक ग्रीनफील्ड अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, नगरीय विकास और द्वीप में 16,610 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 450 MVA की क्षमता वाले गैस एवं सौर आधारित ऊर्जा संयंत्र शामिल हैं।
- उद्देश्य:
- आर्थिक कारण:
- नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, प्रस्तावित बंदरगाह कार्गो ट्रांसशिपमेंट में एक प्रमुख अभिकर्त्ता के रूप में ग्रेट निकोबार को क्षेत्रीय तथा वैश्विक समुद्री अर्थव्यवस्था में भाग लेने की अनुमति प्रदान करेगा।
- यह कोलंबो से दक्षिण-पश्चिम और पोर्ट क्लैंग (मलेशिया) तथा सिंगापुर से दक्षिण-पूर्व में समान दूरी पर है एवं पूर्व-पश्चिम अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग कॉरिडोर के करीब स्थित है जहाँ से विश्व के शिपिंग व्यापार के एक बहुत बड़े भाग की आवाजाही होती है।
- नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, प्रस्तावित बंदरगाह कार्गो ट्रांसशिपमेंट में एक प्रमुख अभिकर्त्ता के रूप में ग्रेट निकोबार को क्षेत्रीय तथा वैश्विक समुद्री अर्थव्यवस्था में भाग लेने की अनुमति प्रदान करेगा।
- सामरिक कारण:
- ग्रेट निकोबार को विकसित करने का प्रस्ताव पहली बार वर्ष 1970 के दशक में लाया गया था और राष्ट्रीय सुरक्षा तथा हिंद महासागर क्षेत्र के समेकन के लिये इसके महत्त्व को बार-बार रेखांकित किया गया है।
- हिंद महासागर में बढ़ते चीनी दबदबे के कारण हालिया वर्षों में इसकी अनिवार्यता और बढ़ गई है।
- आर्थिक कारण:
- आलोचना:
- जैवविविधता पर प्रभाव:
- परियोजना की इस क्षेत्र की समृद्ध जैवविविधता पर इसके प्रतिकूल प्रभाव और लुप्तप्राय प्रजातियों के आवासों के नुकसान से संबंधित चिंताओं के कारण आलोचनाओं की जा रही है।
- यह परियोजना क्षेत्र, तटीय विनियमन क्षेत्र-IA और IB का हिस्सा है।
- साथ ही कछुओं के नेस्टिंग स्थलों के साथ डॉल्फिन और अन्य प्रजातियों को ड्रेजिंग से नुकसान होगा।
- परियोजना की इस क्षेत्र की समृद्ध जैवविविधता पर इसके प्रतिकूल प्रभाव और लुप्तप्राय प्रजातियों के आवासों के नुकसान से संबंधित चिंताओं के कारण आलोचनाओं की जा रही है।
- वृक्षों के आच्छादन और मैंग्रोव पर प्रभाव:
- पर्यावरणविदों ने विकास परियोजना के परिणामस्वरूप इस द्वीप पर वृक्षों के आवरण और मैंग्रोव के नुकसान के बारे में भी चिंताएँ जाहिर की हैं।
- वृक्षों के आच्छादन में कमी से न केवल इस द्वीप पर वनस्पतियों और जीवों को नुकसान होगा बल्कि इससे समुद्र में तलछट के जमाव में भी वृद्धि होगी, जिससे इस क्षेत्र की प्रवाल भित्तियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- पर्याप्त मूल्यांकन का अभाव:
- आलोचकों का दावा है कि व्यापक प्रभाव मूल्यांकन हेतु अधिक लंबी अवधि के डेटा का विश्लेषण करने की आवश्यकता है, इसके साथ ही यहाँ पर्यावरणीय प्रभाव आकलन रिपोर्ट को भी उचित मानदंडों के आधार पर तैयार नहीं किया गया है।
- जनजातीय क्षेत्र में अतिक्रमण:
- आलोचकों का तर्क है कि विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (PVTG) को स्थानीय प्रशासन द्वारा उच्चतम स्तर की सुरक्षा प्रदान की जाती है फिर भी विकास के नाम पर उनके क्षेत्रों में अतिक्रमण के कारण उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- जैवविविधता पर प्रभाव:
ग्रेट निकोबार:
- परिचय:
- ग्रेट निकोबार, निकोबार द्वीप समूह का सबसे दक्षिणी द्वीप है।
- इसमें 1,03,870 हेक्टेयर अद्वितीय और संकटग्रस्त उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन पारिस्थितिकी तंत्र शामिल हैं।
- यह एक बहुत समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र का निवास स्थान है, जिसमें एंजियोस्पर्म, फर्न, जिम्नोस्पर्म, ब्रायोफाइट्स की 650 प्रजातियाँ शामिल हैं।
- जीवों के संदर्भ में यहाँ 1800 से अधिक प्रजातियाँ निवास करती हैं, जिनमें से कुछ इस क्षेत्र के लिये स्थानिक हैं।
- ग्रेट निकोबार, निकोबार द्वीप समूह का सबसे दक्षिणी द्वीप है।
- पारिस्थितिक विशेषताएँ:
- ग्रेट निकोबार बायोस्फीयर रिज़र्व पारिस्थितिक तंत्र के एक विस्तृत श्रेणी को आश्रय देता है जिसमें उष्णकटिबंधीय आर्द्र सदाबहार वन, समुद्र तल से 642 मीटर (माउंट थुलियर) की ऊँचाई वाली पर्वत शृंखलाएँ और तटीय मैदान शामिल हैं।
- जनजाति:
- लगभग 200 की संख्या में मंगोलॉयड शोम्पेन जनजाति (Mongoloid Shompen Tribe), विशेष रूप से नदियों और जलधाराओं के किनारे बायोस्फीयर रिज़र्व के वनों में निवास करती है।
- ये शिकारी और खाद्य संग्राहक प्रवृत्ति के होते हैं, जो जीविका के लिये वन एवं समुद्री संसाधनों पर निर्भर हैं।
- एक अन्य मंगोलियाई जनजाति, निकोबारी (Nicobarese), लगभग 300 की संख्या में पश्चिमी तट पर बस्तियों में रहती थी।
- वर्ष 2004 में सुनामी ने जिन पश्चिमी तट की बस्तियों को नष्ट कर दिया था, उन्हें उत्तरी तट और कैम्पबेल खाड़ी में अफरा खाड़ी क्षेत्र में पुनःस्थापित कर दिया गया था।
- लगभग 200 की संख्या में मंगोलॉयड शोम्पेन जनजाति (Mongoloid Shompen Tribe), विशेष रूप से नदियों और जलधाराओं के किनारे बायोस्फीयर रिज़र्व के वनों में निवास करती है।
निष्कर्ष:
ग्रेट निकोबार आइलैंड प्रोजेक्ट पर रोक लगाने और पर्यावरण मंज़ूरी की समीक्षा के लिये एक समिति गठित करने के NGT के आदेश का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यह परियोजना द्वीप तटीय क्षेत्र विनियमन 2019 और आदिवासी अधिकारों के अनुरूप है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन सा द्वीप युग्म 'दस डिग्री चैनल' द्वारा एक-दूसरे से विभाजित होता है? (2014) (a) अंडमान और निकोबार उत्तर : (a) प्रश्न . निम्नलिखित में से किनमें प्रवाल-भित्तियाँ हैं? (2014)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर : (a) प्रश्न. निम्नलिखित में से शोम्पेन जनजाति किस स्थान पर पाई जाती है? (2009) (a) नीलगिरि पहाड़ियाँ उत्तर : (b) |