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ग्रेट निकोबार द्वीप में अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट

  • 27 Nov 2023
  • 6 min read

स्रोत: पी.आई.बी.

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) के मंत्री ने ग्रेट निकोबार द्वीप के गैलाथिया खाड़ी में प्रस्तावित इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट (International Container Transhipment Port- ICTP) की साइट का दौरा किया।

  • ICTP को मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030 के साथ-साथ अमृत काल विज़न 2047 की प्रमुख परियोजनाओं में से एक परिवर्तनकारी पहल के रूप में देखा गया है।

ICTP परियोजना के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिचय:
    • ICTP एक प्रमुख बुनियादी ढाँचा परियोजना है जिसका उद्देश्य विभिन्न बंदरगाहों के बीच कंटेनरों के ट्रांसशिपमेंट को सुविधाजनक बनाना है।
      • ट्रांसशिपमेंट के लिये उपयोग किया जाने वाला गहरे पानी का बंदरगाह माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने वाले बड़े जहाज़ों को समायोजित कर सकता है। इसमें गहरे पानी की वाहिका तथा वस्तुओं को चढ़ाने व उतारने के लिये एक बड़ा निर्धारित क्षेत्र है। इस बंदरगाह पर एक जहाज़ से दूसरे जहाज़ तक माल के हस्तांतरण की भी सुविधा उपलब्ध है।
    • ग्रेट निकोबार द्वीप के गैलाथिया खाड़ी में प्रस्तावित ICTP, रणनीतिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग व्यापार मार्ग से केवल 40 समुद्री मील की दूरी पर स्थित है।
    • ICTP का लक्ष्य अपने रणनीतिक स्थान, प्राकृतिक जल की गहराई और आस-पास के बंदरगाहों से कार्गो के ट्रांसशिपमेंट की क्षमता का लाभ उठाकर एक अग्रणी कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट बनना है।
  • महत्त्व:
    • भारत में लगभग 75% ट्रांसशिप्ड कार्गो की व्यवस्था देश के बाहर बंदरगाहों पर की जाती है।
      • कोलंबो, सिंगापुर और क्लैंग इस कार्गो के 85% से अधिक को संभालते हैं, जिसमें से 45% अकेले कोलंबो बंदरगाह पर संभाले जाते हैं।
    • भारत निर्यात-आयात व्यापार के लिये गैलाथिया खाड़ी को रणनीतिक स्थान के रूप में देखता  है क्योंकि यह अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग मार्गों पर स्थित है।
  • लाभ: 
    • इस परियोजना से विदेशी मुद्रा बचत होने, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित होने और अन्य भारतीय बंदरगाहों पर आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। 
    • यह संवर्द्धित लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढाँचे, रोज़गार सृजन और राजस्व हिस्सेदारी में वृद्धि में भी योगदान देगा।
    • इस मेगा कंटेनर टर्मिनल का विकास ग्रेट निकोबार द्वीप के समग्र विकास का हिस्सा है।
  • परियोजना की स्थिति:
    • इस परियोजना को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) से पर्यावरणीय मंज़ूरी मिल गई है।
      • परियोजना चरण 1 के लिये वन मंज़ूरी भी प्राप्त कर ली गई है।
    • परियोजना को चार चरणों में विकसित करने की योजना है, चरण 1 को वर्ष 2028 में लगभग 4 मिलियन TEU (Twenty-foot Equivalent Units- TEU) की हैंडलिंग क्षमता के साथ चालू करने का प्रस्ताव है।
      • वर्ष 2058 तक विकास के अंतिम चरण में हैंडलिंग क्षमता 16 मिलियन TEU तक बढ़ने की उम्मीद है।

ग्रेट निकोबार से संबंधित मुख्य तथ्य:

  • यह निकोबार द्वीप समूह का सबसे दक्षिणी द्वीप है।
  • इसमें उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन पारिस्थितिकी तंत्र हैं। यह बहुत समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र का घर है।
  • ग्रेट निकोबार बायोस्फीयर रिज़र्व में पारिस्थितिक तंत्र का एक व्यापक क्षेत्र शामिल है जिसमें उष्णकटिबंधीय आर्द्र सदाबहार वन, समुद्र तल से 642 मीटर (माउंट थुलियर) की ऊँचाई तक की पर्वत शृंखलाएँ तथा तटीय मैदान शामिल हैं।
  • निकोबार द्वीप समूह में दो 'मंगोलॉइड' जनजातियाँ निवास करती हैं जिनके नाम शोम्पेन (Shompen) तथा निकोबारी (Nicobarese) हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से किसमें प्रवाल-भित्तियाँ हैं? (2014)

  1. अंडमान व निकोबार द्वीप समूह
  2. कच्छ की खाड़ी
  3. मन्नार की खाड़ी
  4. सुंदरबन

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (a)


प्रश्न. निम्नलिखित द्वीपों के युग्मों में से कौन-सा एक 'दश अंश जलमार्ग' द्वारा आपस में पृथक किया जाता है? (2014)

(a) अंडमान एवं निकोबार
(b) निकोबार एवं सुमात्रा
(c) मालदीव एवं लक्षद्वीप
(d) सुमात्रा एवं जावा

उत्तर: (a)

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