वैश्विक आर्थिक संभावना रिपोर्ट 2024 | 15 Jun 2024

प्रिलिम्स के लिये:

वैश्विक आर्थिक संभावना रिपोर्ट, विश्व बैंक, सकल घरेलू उत्पाद, दक्षिण एशियाई क्षेत्र, वैश्विक मुद्रास्फीति, नियम-आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली, निम्न-कार्बन विकास लक्ष्य

मेन्स के लिये:

वैश्विक आर्थिक संभावना रिपोर्ट 2024 के मुख्य निष्कर्ष, रिपोर्ट द्वारा उजागर किये गए संबद्ध जोखिम और प्रमुख नीतिगत चुनौतियाँ।

स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड

चर्चा में क्यों?

विश्व बैंक द्वारा हाल ही में जारी वैश्विक आर्थिक संभावना रिपोर्ट (Global Economic Prospects Report) के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में 66% की अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर के साथ भारत विश्व में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?

  • वैश्विक:
    • विकास का दृष्टिकोण (Growth Outlook): रिपोर्ट के अनुसार, तीन वर्षों में पहली बार वैश्विक अर्थव्यवस्था वर्ष 2024 में स्थिर होने के संकेत दे रही है। 
      • वैश्विक स्तर पर सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि अब वर्ष 2024-25 के लिये 2.6% रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2026 और वित्त वर्ष 2027 के लिये, व्यापार और निवेश में मामूली वृद्धि के बीच वैश्विक विकास 2.7% रहने की उम्मीद है।
    • वैश्विक मुद्रास्फीति का अनुमान: विश्व बैंक का अनुमान है कि इस वर्ष वैश्विक मुद्रास्फीति में धीमी गति से कमी आएगी, जो औसतन 3.5% रहेगी।
      • उन्नत और उभरती बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय बैंकों से अपेक्षा की जाती है कि वे जारी मुद्रास्फीति दबावों के कारण मौद्रिक नीति को आसान बनाने के प्रति सतर्क रहें।
    • वैश्विक विकास की चुनौतियाँ: निकट भविष्य में कुछ सुधार के बावजूद भू-राजनीतिक तनाव, व्यापार विखंडन, उच्च ब्याज दरें और जलवायु संबंधी आपदाओं जैसे कारकों के कारण वैश्विक परिदृश्य मंद बना हुआ है।
      • इसमें व्यापार की सुरक्षा, हरित और डिजिटल बदलावों को समर्थन, ऋण राहत प्रदान करने और खाद्य सुरक्षा बढ़ाने के लिये वैश्विक सहयोग की आवश्यकता पर भी बल दिया गया है।
  • दक्षिण एशियाई क्षेत्र (SAR):
    • विकास परिदृश्य: दक्षिण एशिया क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर वर्ष 2023 के 6.6% से घटकर वर्ष 2024 में 6.2% हो जाने का अनुमान है, इसका मुख्य कारण हाल के वर्षों में भारत की उच्च विकास दर में आई कमी है। 
    • निर्धनता में कमी: रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशियाई क्षेत्र में प्रति व्यक्ति आय वृद्धि वर्ष 2023 में 5.6% थी जो घटकर वर्ष 2024-25 में 5.1% होने की उम्मीद है और उसके पश्चात् वर्ष 2026 में यह 5.2% हो जाएगी।
      • यह धीमी गति, निजी उपभोग/खपत में अपेक्षा से कम वृद्धि और राजकोषीय समायोजन के कारण है जो घरेलू आय को कम कर सकता है।
  • भारत:
    • भारत की आर्थिक प्रगति: दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत ने क्षेत्रीय विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
      • औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों के योगदान से वित्त वर्ष 2024 के लिये देश की विकास दर 8.2% रहने का अनुमान है, जिसने मानसून व्यवधानों के कारण कृषि उत्पादन में आई मंदी की भरपाई की।
    • राजकोषीय और व्यापार संतुलन: भारत में, व्यापक कर आधार से राजस्व में वृद्धि के कारण सकल घरेलू उत्पाद के सापेक्ष राजकोषीय घाटे में कमी आने का अनुमान है।
      • विशेष रूप से भारत में व्यापार घाटा कम हो रहा है, जिससे दक्षिण एशियाई क्षेत्र में समग्र आर्थिक स्थिरता में योगदान मिला।

MOSPI और RBI द्वारा भारत का GDP पूर्वानुमान

  • सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MOSPI) के आँकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 की GDP वृद्धि दर अनंतिम रूप से 8.2% है, जबकि वित्त वर्ष 23 में वृद्धि दर 7.6% थी। 
  • भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारत के वित्त वर्ष 2025 के वास्तविक GDP पूर्वानुमान को बढ़ाकर 7.20% कर दिया है।

विश्व बैंक

  • परिचय:
    • इसे वर्ष 1944 में IMF के साथ मिलकर पुनर्निर्माण और विकास के लिये अंतर्राष्ट्रीय बैंक (IBRD) के रूप में स्थापित किया गया था। बाद में IBRD विश्व बैंक बन गया।
    • विश्व बैंक समूह पाँच संस्थानों की एक अनूठी वैश्विक साझेदारी है जो विकासशील देशों में गरीबी को कम करने और साझा समृद्धि का निर्माण करने वाले स्थायी समाधानों के लिये कार्य कर रहा है।
    • विश्व बैंक संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट एजेंसियों में से एक है।
  • सदस्य:
    • इसके 189 सदस्य देश हैं। भारत भी इसका सदस्य है।
  • प्रमुख रिपोर्ट:
  • पाँच विकास संस्थान: 
    • अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (IBRD)
    • अंतर्राष्ट्रीय विकास संघ (IDA)
    • अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC)
    • बहुपक्षीय गारंटी एजेंसी (MIGA)
    • निवेश विवादों के निपटान के लिये अंतर्राष्ट्रीय केंद्र (ICSID) 
      •  भारत ICSID का सदस्य नहीं है।

रिपोर्ट में वैश्विक अर्थव्यवस्था से जुड़े जोखिम क्या हैं?

  • सशस्त्र संघर्षों एवं भू-राजनीतिक तनावों का प्रसार: रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रों के बीच सैन्य संघर्ष के साथ-साथ तनाव का स्तर भी बढ़ रहा है।
    • परिणामस्वरूप जीवन की हानि, बुनियादी ढाँचे का विनाश एवं आर्थिक अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है। साथ ही, मध्य-पूर्व में चल रहे संघर्षों से तेल की आपूर्ति बाधित हो सकती है और कीमतों में वृद्धि हो सकती हैं
  • इसके अतिरिक्त व्यापार विखंडन एवं व्यापार नीति अनिश्चितता: इस दस्तावेज़ के अनुसार, टैरिफ एवं कोटा जैसी व्यापार बाधाएँ उन देशों द्वारा एक-दूसरे पर लगाई जाती हैं जो आर्थिक रूप से एक-दूसरे से भिन्न हैं।
    • हाल के वर्षों में अमेरिका तथा चीन के बीच व्यापार युद्ध ने आपूर्ति शृंखलाओं को बाधित कर दिया है और साथ ही दोनों देशों में उपभोक्ताओं के लिये कीमतें उच्च हो गई हैं।
  • उच्च ब्याज दरें एवं न्यूनतम जोखिम क्षमता: लगातार उच्च मुद्रास्फीति उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति को कम करती है और साथ ही उनके व्यय करने की क्षमता को भी हतोत्साहित करती है। तथापि उच्च ब्याज दरें मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिये आवश्यक हैं, जो धीमी आर्थिक वृद्धि के साथ ही नौकरियों में कमी  का कारण बन सकती हैं।
    • जब निवेशकों को अर्थव्यवस्था की दिशा के बारे में संदेह होता है तब उनमें जोखिम लेने की प्रवृत्ति कम हो जाती है। परिणामस्वरूप निवेश में गिरावट हो सकती है और शेयर बाज़ार में अस्थिरता भी उत्पन्न हो सकती है।
  • चीन में अपेक्षा कम वृद्धि:चीन, विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, इसलिये वहाँ मंदी का वैश्विक स्तर पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। यह रियल एस्टेट बाज़ार संकट या आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता जैसे कारकों के कारण हो सकता है।
    • चीन में तीव्र मंदी से अन्य देशों द्वारा निर्यात किये जाने वाले कच्चे माल के साथ-साथ अन्य वस्तुओं की मांग में कमी हो जाती है। इससे उन देशों जो चीन के साथ व्यापार पर बहुत अधिक निर्भर हैं, में नौकरियों का सृजन कम हो सकता हैं और साथ ही आर्थिक कठिनईयाँ उत्पन्न हो सकती है।
  • प्राकृतिक आपदाओं की बारंबारता तथा उनका विकृत प्रभाव: जलवायु परिवर्तन के कारण विश्व भर में बाढ़, सूखा और तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं की बारंबारता तथा प्रबलता बढ़ रही है। 
    • ये आपदाएँ बुनियादी ढाँचे, घरों और व्यवसायों को व्यापक क्षति पहुँचाती हैं। 
    • ये कृषि उत्पादन को बाधित करती हैं, जिससे खाद्यान्न की कमी और कीमतों में वृद्धि होती है। आपदाओं के बाद पुनर्निर्माण से सरकारी वित्त अतरिक्त भार पड़ता है।

उभरते बाज़ार एवं विकासशील अर्थव्यवस्था में प्रमुख नीतिगत चुनौतियाँ क्या हैं?

  • ऋण में वृद्धि: कई उभरते बाज़ार और विकासशील अर्थव्यवस्थाएँ उच्च ऋण बोझ, क्षीण विकास संभावनाओं और नकारात्मक जोखिमों से प्रभावित रही हैं।
    • ऋण संकट से निपटने और आर्थिक अस्थिरता को रोकने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग महत्त्वपूर्ण है। ऋण पुनर्गठन के लिये जी-20 कॉमन फ्रेमवर्क को अपर्याप्त माना जा रहा है और इसमें सुधार की आवश्यकता है।
  • जलवायु परिवर्तन: वर्तमान में वैश्विक स्तर की जलवायु प्रतिबद्धताएँ वर्ष 2050 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने की दिशा में कम हैं। निम्न कार्बन विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये EMDEs को प्रतिवर्ष सकल घरेलू उत्पाद का 1-10% निवेश करने की आवश्यकता है।
    • जलवायु कार्रवाई हेतु सार्वजनिक संसाधनों को जुटाने के साथ कार्बन मूल्य निर्धारण तथा निजी निवेश को आकर्षित करना महत्त्वपूर्ण है।
  • डिजिटल डिवाइड: वैश्विक स्तर पर इंटरनेट की पहुँच से दूर लगभग एक-तिहाई आवादी EMDEs से संबंधित है।
    • इस क्रम में सरकारें डिजिटल बुनियादी ढाँचे में निजी निवेश को प्रोत्साहित कर भूमिका निभा सकती हैं।
  • व्यापार विखंडन: बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव एवं संरक्षणवादी उपायों के कारण व्यापार में आने वाले अवरोध से EMDEs को नुकसान पहुँचता है।

निष्कर्ष:

विश्व बैंक की नवीनतम रिपोर्ट में तार्किक आशावादी दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया है। वर्ष 2024 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता के संकेत मिल रहे हैं लेकिन महामारी से पहले के स्तरों की तुलना में विकास धीमा बना हुआ है। मौजूदा चुनौतियों से निपटने के साथ सभी के लिये धारणीय आर्थिक विकास हासिल करने के क्रम में निरंतर वैश्विक सहयोग तथा प्रभावी नीतिगत उपाय महत्त्वपूर्ण हैं।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

Q. वैश्विक आर्थिक संभावना रिपोर्ट, 2024 के प्रमुख निष्कर्षों का उल्लेख कीजिये। इसके साथ ही इस रिपोर्ट में उल्लिखित संबंधित जोखिमों एवं प्रमुख नीतिगत चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. 'व्यापार करने की सुविधा सूचकांक' में भारत की रैंकिंग समाचारों में कभी-कभी दिखती है। निम्नलिखित में से किसने इस रैंकिंग की घोषणा की है? (2016)

(a) आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD)
(b) विश्व आर्थिक मंच
(c) विश्व बैंक
(d) विश्व व्यापार संगठन (WTO)

उत्तर: (c) 


प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में दिखने वाले 'आई.एफ.सी. मसाला बाॅण्ड (IFC Masala Bonds)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)

  1. अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (इंटरनेशनल फाइनेंस काॅरपोरेशन), जो इन बाॅण्ड को प्रस्तावित करता है, विश्व बैंक की एक शाखा है।
  2.  ये रुपया-अंकित मूल्य वाले बाॅण्ड हैं और सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्रक के ऋण वित्तीयन के स्रोत हैं।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)