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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत के लिये वैश्विक भू-राजनीतिक जटिलताएँ और अवसर

  • 03 Jan 2024
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत के लिये वैश्विक भूराजनीतिक जटिलताएँ और अवसर, रूस-यूक्रेन संघर्ष और गाज़ा पट्टी में चल रहा युद्ध, संयुक्त राज्य अमेरिका में खालिस्तानी अलगाववादी।

मेन्स के लिये:

भारत के लिये वैश्विक भू-राजनीतिक जटिलताएँ और अवसर।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

भारत के इस बात पर बल देने के बावजूद कि, "This is not the era of war (अर्थात् यह युद्ध का युग नहीं है)", वर्ष 2023 युद्धों का वर्ष बन गया; रूस-यूक्रेन संघर्ष और गाज़ा पट्टी में चल रहा संघर्ष हाल के दशकों के सबसे विनाशकारी संघर्षों में से एक है।

  • चीन के आक्रामक व्यवहार के अलावा ये संघर्ष बहुत बड़ी चुनौतियाँ उत्पन्न कर रहे हैं और राजनयिक प्रयासों को बाधित करते हैं, जिससे न केवल पश्चिमी विश्व में बल्कि भारत में भी चिंताएँ उत्पन्न हुई हैं।

भारत के लिये वर्ष 2023 के वैश्विक भू-राजनीतिक रुझान और चुनौतियों का अवलोकन क्या है?

  • मध्य पूर्व में संकट:
    • हमास के हमले, जिसमें 1,200 से अधिक नागरिकों और सैन्य लोगों की जान चली गई, ने इज़रायल और अरब राष्ट्रों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने के लिये दो वर्ष के निरंतर प्रयासों को बाधित कर दिया। 
    • इज़रायल की आक्रोशित और असंगत प्रतिक्रिया ने अब तक गाज़ा में 20,000 से अधिक फिलिस्तीनियों को मार डाला है, जिसकी अमेरिका तक ने आलोचना की है। इज़रायल-अरब सुलह प्रक्रिया फिलहाल स्थिर है और गाज़ा का भविष्य अज्ञात है।
      • भारत ने दशकों पुराने इज़रायल-फिलिस्तीन संघर्ष को हल करने और अशांत क्षेत्र में स्थायी शांति लाने के लिये द्वि-राष्ट्र समाधान (Two-State Solution) का समर्थन किया।
  • भारत-US संबंधों में तनाव:
    • भारत और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन की एक-दूसरे की राजधानियों की सफल यात्राओं के बाद, अमेरिका में एक खालिस्तानी अलगाववादी के खिलाफ हत्या की साज़िश में एक भारतीय अधिकारी के शामिल होने के आरोपों से द्विपक्षीय संबंधों में प्रतिकूलता आ रही है।
    • भारत की प्रतिक्रिया उस मामले से भिन्न है जब पूर्व में कनाडा सरकार ने कनाडा में एक खालिस्तानी की मौत का संबंध भारत सरकार से जोड़कर संदेह व्यक्त किया था। 
    • भारत ने "विधि के शासन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता (Commitment to the rule of law)" व्यक्त की है और जानकारी प्रदान करने पर कथित अमेरिकी साज़िश में भारतीय नागरिकों की भूमिका पर "जाँच-पड़ताल (look into)" का वादा किया है।
  • रूस-यूक्रेन युद्ध:
    • जैसे-जैसे युद्ध आगे बढ़ रहा है, पश्चिम को वित्तपोषण संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यूक्रेन यूरोपीय संघ से 18.5 अरब यूरो और अमेरिका से 8 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के अतिरिक्त महत्त्वपूर्ण सैन्य सहायता की भी मांग कर रहा है।
    • लेकिन अब तक अमेरिकी काॅन्ग्रेस में रिपब्लिकन और यूरोपीय संघ में हंगरी द्वारा सहायता को अवरुद्ध कर दिया गया है।
    • इस बीच रूस के राष्ट्रपति के रूप में पुतिन का पुनः चयन तय माना जा रहा है। रूस पर लगाए गये प्रतिबंधों के बावजूद इसकी अर्थव्यवस्था लचीली रही है तथा मॉस्को एवं बीजिंग के बीच बढ़ती निकटता पश्चिमी देशों को चिंतित करती है।
  • भारत की मालदीव संबंधी चुनौतियाँ:
    • राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की सरकार, जिसने सत्ता में आने के लिये "इंडिया आउट" अभियान चलाया था, ने भारत से मालदीव में तैनात सैन्य कर्मियों को वापस लेने के लिये कहा और साथ ही जल सर्वेक्षण समझौते को समाप्त करने के अपने विचार से अवगत कराया। मुइज्जू सरकार को चीन का करीबी माना जाता है।
  • चीन का व्यवहार:
    • वर्तमान में चीन भारत की सबसे बड़ी चिंता तथा रणनीतिक चुनौती बना हुआ है। सीमा गतिरोध का यह चौथा वर्ष है जिसमें चीनी सैन्य उपस्थिति का मुकाबला करने के लिये भारतीय बल की स्थिति बरकरार रखी गई है। भारत के सामरिक रक्षा साझेदार मॉस्को की आर्थिक अस्तित्व के लिये बीजिंग पर निर्भरता तथा मालदीव व चीन की हिंद महासागर में बढ़ती भागीदारी चिंता का विषय बन गई है।
  • G-20 तथा ग्लोबल साउथ:
    • G-20 शिखर सम्मेलन में संयुक्त घोषणा पर वार्ता करने में भारत की सफलता अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में कई लोगों के लिये आश्चर्य का विषय था।
    • नई दिल्ली में आयोजित G-20 सम्मेलन की एक बड़ी उपलब्धि विकासशील तथा अल्प विकसित देशों को ग्लोबल साउथ के तत्त्वावधान में एकजुट करना था।
    • ग्लोबल साउथ का नेतृत्व करने के विचार को भारत के गुटनिरपेक्ष विचारधारा की धारणा को आगे बढ़ाने के कदम के रूप में देखा जाता है, जिसे केवल 21वीं सदी के लिये अनुकूलित किया गया है।
  • तालिबान के साथ भागीदारी:
    • नई दिल्ली में अफगानिस्तान दूतावास में परिवर्तन हुआ है जिसमें मौजूदा राजदूत के चले जाने के बाद मुंबई एवं हैदराबाद के अफगान राजनयिक ने कार्यभार संभाला है।
    • भारत को राहत देते हुए उन्होंने तालिबान का झंडा न फहराने अथवा अपने आधिकारिक पत्राचार में तालिबान शब्दावली का प्रयोग न करने का आश्वासन दिया है।

वर्ष 2024 में भारत के लिये आगामी चुनौतियाँ क्या हैं?

  • अमेरिका तथा कनाडा संबंध:
    • अमेरिका में चल रहे 'हत्या की साज़िश' के मुद्दे को हल करना भारत के लिये एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। गणतंत्र दिवस पर अमेरिकी राष्ट्रपति की अनुपस्थिति की सूचना के कारण क्वाड शिखर सम्मेलन में देरी हुई।
    • कनाडा के आरोपों से भी संबंधों में तनाव है किंतु देश की जनता भारत की प्रतिक्रिया का समर्थन करती है। अमेरिका तथा कनाडा के मुद्दों के लिये अलग-अलग दृष्टिकोण की आवश्यकता है क्योंकि दोनों देश भारत के लिये पृथक महत्त्व रखते हैं।
  • पाकिस्तान संबंध:
    • वर्ष 2019 के बाद से जब वर्तमान भारत सरकार का पुनः चयन हुआ तथा जम्मू-कश्मीर में संविधानिक परिवर्तन हुए, पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध बिगड़ते रहे हैं।
    • इस्लामाबाद और रावलपिंडी में सत्ता परिवर्तन से कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा तथा भारत पाकिस्तान के प्रति उदासीनता के अपने सिद्धांत पर अडिग रहा।
      • पाकिस्तान में हाल ही में चुनाव होने हैं तथा फरवरी 2024 के बाद वहाँ नई सरकार सत्ता में आ सकती है।
  • बांग्लादेश चुनाव:  
    • शेख हसीना सरकार के पिछले 15 वर्षों के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को सकारात्मक गति मिली है और भारतीय नए साल की शुरुआत में होने वाले चुनावों में उनकी सत्ता में वापसी देखने के लिये उत्सुक होंगे।
    • सुरक्षा अनिवार्यताएँ ढाका में भारत की पसंद का मार्गदर्शन करती हैं, 2000 के दशक की प्रारंभ में खालिदा ज़िया सरकार के पिछले कार्यों का निष्पादन (ट्रैक रिकॉर्ड) के अनुसार, बांग्लादेश के विपक्ष को संदेह और शत्रुता की दृष्टि से देखा जाता है।
  • चीन सीमा पर गतिरोध: 
    • सीमा पर 2020 से ही गतिरोध जारी है; किसी भी हालिया तनाव का असर सुरक्षा स्थिति और भारत के घरेलू राजनीतिक परिवेश दोनों पर पड़ेगा।
    • भारत अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी को चुनौती का जवाब देते समय अतिरिक्त सावधानी बरतेगा। यह अनिवार्यता अगले कुछ महीनों में और भविष्य में भी चीन के प्रति भारत की कूटनीति को तैयार करेगी।
  • पश्चिम एशिया में तनाव: 
    • इज़राइल-हमास संघर्ष में भारत का परिवर्तित रुख और इस क्षेत्र में सूक्ष्म कूटनीतिक स्थिति जटिल चुनौतियाँ पेश करती है।
  • रूस और अमेरिका के बीच हितों का संतुलन:
    • दोनों के मध्य चल रहे युद्ध के बीच रूसी तेल के आयात और अमेरिका के दबाव के बीच हितों को संतुलित करना भारत की विदेश नीति की रणनीति को आकार देता है।

आगे की राह

  • भारत अपने पूर्वोत्तर राज्यों और बांग्लादेश के बीच कनेक्टिविटी में सुधार के प्रयासों को उच्च स्तर पर ले जाना चाहता है, जिससे पूर्वोत्तर क्षेत्र और दोनों देशों को लाभ होगा। भारत का लक्ष्य सत्ता में संभावित बदलावों को ध्यान में रखते हुए शेख हसीना की सरकार के साथ सकारात्मक द्विपक्षीय संबंधों में निरंतरता रखना है।
  • भारत को इज़राइल-हमास संघर्ष में अपना कूटनीतिक रुख विकसित करना जारी रखना चाहिये, जिसका लक्ष्य इज़राइल का समर्थन और ग्लोबल साउथ की चिंताओं को संबोधित करना है। ऐसे में शांति-निर्माण प्रयासों में सकारात्मक योगदान देने के तरीकों की तलाश और मानवीय सहायता की वकालत करना महत्त्वपूर्ण हो सकता है।
  • कहा जाता है कि ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौता महत्त्वपूर्ण चरण में है। यूरोपीय संघ संसद तथा संभवतः ब्रिटेन में चुनाव 2024 में होने वाले हैं और इससे वार्ताकारों के लिये नीतिगत स्थान एवं लचीलापन कम हो जाता है। फिर भी 2024 में ये प्रमुख आर्थिक कूटनीति पहल फलीभूत हो सकती हैं।
  • भारत के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), क्वांटम कंप्यूटिंग और साइबर सुरक्षा में उच्च तकनीक तक पहुँच में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिये प्रौद्योगिकी और व्यापार पर अमेरिका व यूरोपीय संघ के साथ वार्ता कर संबंधित नीतियों पर ध्यान देना चाहिये।
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