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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

रक्षा क्षेत्र हेतु DRDO के गहन तकनीकी प्रयास

  • 08 Oct 2024
  • 15 min read

प्रारंभिक परीक्षा के लिये:

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO), लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट, पिनाका, आकाश, रडार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली, नैनो प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी, अग्निपृथ्वी मिसाइल शृंखला, तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA), आकाश मिसाइल प्रणाली, ब्रह्मोस मिसाइल, अर्जुन मेन बैटल टैंक (MBT)

मुख्य परीक्षा के लिये:

DRDO की उपलब्धियाँ, DRDO के समक्ष आने वाली चुनौतियाँ और संभावित समाधान।

स्रोत: बिज़नेस लाइन

चर्चा में क्यों?

सैन्य अनुप्रयोगों हेतु उभरती प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित करने के क्रम में अपने अनुसंधान कार्यक्रम को नया रूप देने के उद्देश्य से रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) एक अग्रणी पहल शुरू करने जा रहा है। इसके तहत रक्षा उत्पादों के स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने एवं राष्ट्रीय सुरक्षा को मज़बूत करने के क्रम में पाँच डीप-टेक परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के साथ प्रत्येक परियोजना को 50 करोड़ रुपये तक मिलेंगे। 

  • इस पहल को रक्षा क्षेत्र में परिवर्तनकारी अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिये अंतरिम बजट 2024-2025 में घोषित 1 लाख करोड़ रुपये के कोष द्वारा समर्थित किया गया है।

परियोजना के मुख्य बिंदु क्या हैं?

  • उद्देश्य:
    • DRDO का लक्ष्य स्वदेशीकरण के माध्यम से तीनों सेनाओं के लिये आवश्यक प्रणालियों, उप-प्रणालियों और घटकों संबंधी आयात पर निर्भरता को कम करना है।
    • भविष्योन्मुखी और विध्वंसकारी प्रौद्योगिकियों पर ध्यान केंद्रित कर DRDO उन अवधारणाओं के लिये नवीन समाधान तलाशेगा जो वर्तमान में भारत या विश्व स्तर पर उपलब्ध नहीं हैं।
  • भविष्योन्मुखी एवं विध्वंसकारी तकनीक:
    • DRDO ने प्रस्ताव आमंत्रित करने के लिये तीन व्यापक श्रेणियों की पहचान की है: स्वदेशीकरण, भविष्योन्मुखी और विघटनकारी प्रौद्योगिकी तथा अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी।
    • यह मुख्य रूप से भविष्योन्मुखी और विघटनकारी प्रौद्योगिकियों जैसे क्वांटम कंप्यूटिंग, ब्लॉकचेन और कृत्रिम बुद्धिमत्ता में अनुसंधान को आगे बढ़ाने पर केंद्रित है।
      • भविष्योन्मुखी और विघटनकारी प्रौद्योगिकियों का आशय ऐसे नवाचार से है जो नई पद्धतियों, उत्पादों या सेवाओं को प्रस्तुत करके मौजूदा उद्योगों, बाजारों या सामाजिक मानदंडों में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन या क्रांतिकारी बदलाव लाने पर केंद्रित हैं।
      • वैश्विक स्तर पर इसी प्रकार के कार्यक्रमों का नेतृत्व राज्य रक्षा अनुसंधान संगठनों द्वारा किया जाता है जैसे कि US DARPA (संयुक्त राज्य अमेरिका रक्षा उन्नत अनुसंधान परियोजना एजेंसी), जिसे DRDO अपनी गहन तकनीक पहल के क्रम में एक मॉडल के रूप में उपयोग कर रहा है।
  • इन गहन प्रौद्योगिकी परियोजनाओं में निवेश, DRDO के प्रौद्योगिकी विकास कोष (TDF) के माध्यम से किया जाएगा।
    • TDF के तहत सशस्त्र बलों के लिये आवश्यक सैन्य हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर विकसित करने के लिये निजी उद्योगों, विशेषकर MSMEs और स्टार्ट-अप्स को सहयोग किया जा रहा है।

रक्षा उन्नत अनुसंधान परियोजना एजेंसी (DARPA) 

  • DARPA संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा विभाग के अंतर्गत एक अनुसंधान और विकास एजेंसी है, जो सैन्य अनुप्रयोगों हेतु उभरती प्रौद्योगिकियों के विकास पर केंद्रित है।
  • इसका उद्देश्य तत्काल सैन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के क्रम में अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को डिज़ाइन और कार्यान्वित करना है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) क्या है?

  • परिचय:
    • DRDO रक्षा मंत्रालय की अनुसंधान एवं विकास शाखा है जिसका उद्देश्य भारत को अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों में सशक्त बनाना है।
    • आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रयास तथा अग्नि और पृथ्वी मिसाइल शृंखला, हल्के लड़ाकू विमान तेजस, मल्टी बैरल रॉकेट लांचर, पिनाका, वायु रक्षा प्रणाली आकाश, रडारों की एक विस्तृत शृंखला और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली आदि जैसी सामरिक प्रणालियों एवं प्लेटफॉर्मों के सफल स्वदेशी विकास एवं उत्पादन से भारत की सैन्य शक्ति में वृद्धि हुई है।
  • गठन:
    • इसका गठन वर्ष 1958 में भारतीय सेना के तकनीकी विकास प्रतिष्ठान (TDEs) और तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय (DTDP) तथा रक्षा विज्ञान संगठन (DSO) के एकीकरण से हुआ था।
    • DRDO, 50 से अधिक प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क है जो विभिन्न विषयों जैसे वैमानिकी, आयुध, इलेक्ट्रॉनिक्स, लड़ाकू वाहन, इंजीनियरिंग प्रणाली आदि को कवर करते हुए रक्षा प्रौद्योगिकियों के विकास में गहनता के साथ संलग्न है।
  • DRDO के प्रौद्योगिकी क्लस्टर:
    • वैमानिकी: विमान, मानव रहित हवाई वाहन (UAV) और उन्नत सामग्रियों समेत विमानन प्रौद्योगिकियों के डिज़ाइन और विकास पर ध्यान केंद्रित करता है।
    • आयुध और युद्ध इंजीनियरिंग: सशस्त्र बलों के लिये शस्त्र प्रणालियाँ, तोपखाना और गोला-बारूद विकसित करता है।
    • मिसाइल और सामरिक प्रणालियाँ: बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों और सामरिक मिसाइल प्रणालियों सहित मिसाइल प्रौद्योगिकी में विशेषज्ञता।
    • इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार प्रणालियाँ: सैन्य अनुप्रयोगों के लिये रडार प्रणालियों, संचार उपकरणों और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों पर काम करता है।
    • जीवन विज्ञान: चरम वातावरण में मानव अस्तित्व के लिये प्रौद्योगिकियों का विकास, जैसे सुरक्षात्मक गियर, जीवन-सहायक प्रणालियाँ, और युद्ध में हताहत लोगों की देखभाल।
    • सामग्री और जीवन विज्ञान: रक्षा अनुप्रयोगों के लिये उन्नत सामग्री, नैनो प्रौद्योगिकी और जैव-प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित करता है।

DRDO की उपलब्धियाँ क्या हैं? 

प्रणाली

विवरण

अग्नि और पृथ्वी मिसाइल शृंखला

बैलिस्टिक मिसाइल प्रणालियों का सफल विकास, जिससे भारत की सामरिक क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

तेजस हल्का लड़ाकू विमान (LCA)

यह एक स्वदेशी बहु-भूमिका वाला लड़ाकू विमान है, जिसे DRDO द्वारा अन्य अभिकरणों के सहयोग से डिज़ाइन और विकसित किया गया है।

आकाश मिसाइल प्रणाली

एक मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, जो भारतीय सेना और वायु सेना को हवाई रक्षा सहायता प्रदान करती है।

ब्रह्मोस मिसाइल

रूस के सहयोग से विकसित विश्व की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल।

अर्जुन मुख्य युद्धक टैंक (MBT)

अर्जुन मुख्य युद्धक टैंक (MBT) भारतीय सेना के लिये डिज़ाइन किया गया एक स्वदेशी युद्धक टैंक है, जिसमें उन्नत मारक क्षमता, गतिशीलता और सुरक्षा प्रणालियाँ हैं।

इंसास राइफल शृंखला

इंसास राइफल शृंखला भारतीय सशस्त्र बलों के लिये राइफलों समेत छोटे हथियारों की स्वदेशी उपकरण है।

हल्का लड़ाकू हेलीकॉप्टर (LCH)

भारतीय सेना और वायु सेना की परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये विकसित किया गया।

नेत्र यूएवी

नेत्रा यूएवी एक स्वदेशी मानव रहित हवाई वाहन है, जिसे निगरानी और टोही कार्यों के लिये डिज़ाइन किया गया है।

पनडुब्बी सोनार प्रणालियाँ (Submarine Sonar Systems)

भारतीय नौसेना की पनडुब्बियों के लिये सोनार और अंतर्जलीय संचार प्रणालियों का विकास।

DRDO के समक्ष क्या चुनौतियाँ हैं?

  • परियोजना के कार्यान्वयन में विलंब: DRDO की विभिन्न परियोजनाओं, जैसे कि उन्नत शस्त्र प्रणालियों और विमानों के विकास में, काफी विलंब हुआ है, जिससे समय पर तैनाती प्रभावित हुई है और लागत में वृद्धि हुई है।
  • प्रौद्योगिकी अंतराल और आयात पर निर्भरता: पर्याप्त उत्पादन और अनुसंधान एवं विकास आधार के बावज़ूद, भारतीय रक्षा उद्योग में प्रमुख प्रणालियों, महत्त्वपूर्ण भागों, घटकों और कच्चे माल को स्वतंत्र रूप से डिज़ाइन और निर्माण करने की तकनीकी क्षमता का अभाव है, जिसके कारण आयात पर निर्भरता जारी है।
    • यह सीमित तकनीकी गहनता ही भारत सरकार द्वारा विभिन्न प्रमुख रक्षा प्रणालियों के निर्माण के लिये लाइसेंस देने को प्राथमिकता देने के पीछे एक प्रमुख कारक है।
  • बजट संबंधी बाधाएँ: DRDO के लिये बज़ट आवंटन वित्त वर्ष 2024-25 में बढ़कर 23,855 करोड़ रुपए हो गया, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 23,263.89 करोड़ रुपए था।
    • इस वृद्धि के बावज़ूद बज़ट वृद्धि मामूली बनी हुई है, जो आधुनिकीकरण और रक्षा प्रौद्योगिकी के स्वदेशीकरण पर सरकार द्वारा किये जाने वाले प्रयासों के अनुरूप नहीं है।
  • उद्योग और शिक्षा जगत के साथ सहयोग: DRDO निज़ी उद्योगों और शैक्षणिक संस्थानों के साथ सहयोग बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन रक्षा अनुसंधान एवं विकास आवश्यकताओं के साथ उन्हें कुशलतापूर्वक संरेखित करना एक चुनौती बनी हुई है।

आगे की राह

  • औद्योगिक सहयोग को मज़बूत करना: DRDO को नवाचार और अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों के विकास में तेजी लाने तथा कुशल प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा देने  के लिये निज़ी उद्योगों, MSME और स्टार्ट-अप के साथ साझेदारी बढ़ानी चाहिये।
  • समयबद्ध निष्पादन पर ध्यान केंद्रित करना: कठोर परियोजना समयसीमा को लागू करने और बेहतरीन परियोजना प्रबंधन तकनीकों को अपनाने से विलंब को कम करने और महत्त्वपूर्ण रक्षा प्रणालियों की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करने में सहायता मिल सकती है।
  • अनुसंधान एवं विकास के निवेश में वृद्धि: अनुसंधान एवं विकास के लिये अतिरिक्त संसाधन और निरंतर वित्त पोषण का आवंटन, DRDO को तकनीकी अंतराल को समाप्त करने और विदेशी आयात पर निर्भरता कम करने में सक्षम बनाएगा।
  • वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना: अंतर्राष्ट्रीय रक्षा अनुसंधान अभिकरणों के साथ सहयोग का विस्तार करने और संयुक्त उद्यमों को बढ़ावा देने से DRDO को उभरते क्षेत्रों में उन्नत प्रौद्योगिकी और विशेषज्ञता हासिल करने में सहायता मिल सकती है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: DRDO के प्रौद्योगिकी क्लस्टरों के महत्त्व का विश्लेषण कीजिये, हाल के वर्षों में उल्लेखनीय उपलब्धियों पर प्रकाश डालिये। ये उपलब्धियाँ भारत की सामरिक स्वायत्तता में किस प्रकार योगदान देती हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न: भारतीय रक्षा के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2009)

  1. शौर्य मिसाइल 8 मैक से अधिक की गति से उड़ान भरने में सक्षम है। 
  2. शौर्य मिसाइल की मारक क्षमता 1600 किलोमीटर से अधिक है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 व 2 दोनों 
(d)  न तो 1 न ही 2

उत्तर: (d)


प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा 'आईएनएस अस्त्रधारिणी' का सबसे अच्छा वर्णन है, जो हाल ही में खबरों में था? (2016) 

(a) उभयचर (एम्फिब) युद्ध जहाज़
(b) परमाणु संचालित पनडुब्बी
(c) टारपीडो लॉन्च और रिकवरी पोत
(d) परमाणु संचालित विमान वाहक

उत्तर: (c)


मुख्य:

प्रश्न: एस-400 वायु रक्षा प्रणाली, दुनिया में वर्तमान में उपलब्ध किसी भी अन्य प्रणाली से तकनीकी रूप से कैसे बेहतर है? (मुख्य परीक्षा, 2021)

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