कैंसर को अधिसूचित रोग बनाने पर बहस | 19 Mar 2025
प्रिलिम्स के लिये:कैंसर, विश्व स्वास्थ्य संगठन, राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम, सर्वाइकल कैंसर मेन्स के लिये:भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियाँ, भारत में रोग अधिसूचना, कैंसर की रोकथाम |
स्रोत:द हिंदू
चर्चा में क्यों?
भारत में कैंसर को अधिसूचित रोग बनाने की मांग बढ़ रही है, लेकिन केंद्र सरकार इसकी गैर-संचारी प्रकृति का तर्क देते हुए इसका विरोध कर रही है।
- सर्पदंश को अधिसूचित योग्य रोग के रूप में शामिल करना (वर्ष 2024) तथा अमेरिका द्वारा लेड/सीसा विषाक्तता को अधिसूचना योग्य रोग के रूप में सूचीबद्ध करना (वर्ष 1995) जैसे वैश्विक उदाहरण इस तर्क को चुनौती देते हैं, जिससे कैंसर अधिसूचना पर भारत के रुख का पुनर्मूल्यांकन करने की आवश्यकता पड़ती है।
भारत में अधिसूचित रोग क्या है?
- परिचय: अधिसूचित रोग वह रोग है जिसे स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं द्वारा वास्तविक समय महामारी विज्ञान ट्रैकिंग, संसाधन आवंटन और शीघ्र हस्तक्षेप के लिये कानूनी रूप से सरकारी अधिकारियों को सूचित किया जाना चाहिये।
- महामारी रोग अधिनियम, 1897 महामारी रोग (बड़ी संख्या में रोग का तेज़ी से संचरण) की रिपोर्टिंग की अधिसूचना और विनियमन को नियंत्रित करता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वैश्विक रोग निगरानी और नियंत्रण में सहायता के लिये कुछ रोगों के लिये अधिसूचना जारी करना अनिवार्य कर दिया है।
- उदाहरण: तपेदिक, मलेरिया और कोविड-19 जैसी संक्रामक बीमारियाँ आमतौर पर संचरण की क्षमता के कारण सूचित करने योग्य होती हैं।
- हालाँकि, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) ने सर्पदंश को गैर-संचारी होने के बावजूद एक अधिसूचित रोग के रूप में वर्गीकृत किया है।
कैंसर को अधिसूचित रोग के रूप में वर्गीकृत करने पर बहस क्या है?
पक्ष में तर्क
- बेहतर डेटा संग्रहण: राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम (NCRP) भारत की केवल 16% आबादी को कवर करता है, इसमें व्यापक डेटा का अभाव है, जिसकी संसदीय समिति ने आलोचना की है तथा बेहतर ट्रैकिंग की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है।
- उन्नत डेटा के साथ, धूम्रपान, वायु प्रदूषण और एस्बेस्टस के संपर्क जैसे जोखिम कारकों को नियंत्रित करके लगभग 50% कैंसर से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है।
- कुछ कैंसर, जैसे सर्वाइकल कैंसर, ह्यूमन पैपिलोमावायरस (संपर्क से संचरित) से जुड़े होते हैं, जिसके कारण विशेषज्ञ कैंसर को अनिवार्य डेटा संग्रह के लिये "डॉक्यूमेंटेबल डिज़ीज" के रूप में वर्गीकृत करने का प्रस्ताव देते हैं।
- कैंसर को अधिसूचित करने से इसकी घटना, व्यापकता और मृत्यु दर पर वास्तविक समय का डेटा सुनिश्चित होगा तथा तंबाकू, वायु प्रदूषण और कैंसरकारी रसायनों जैसे जोखिम कारकों को नियंत्रित करके इसे रोका जा सकेगा।
- भारतीय राज्यों का दृष्टिकोण: 17 राज्यों ने राष्ट्रीय स्तर के जनादेश की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए, प्रशासनिक आदेशों के माध्यम से कैंसर को अधिसूचित किया है।
- केरल और मिज़ोरम जैसे उच्च कैंसर की घटनाओं वाले राज्य बेहतर हस्तक्षेप के लिये अनिवार्य अधिसूचना से लाभान्वित हो सकते हैं।
- वैश्विक उदाहरण: ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने कैंसर को अधिसूचित कर दिया है, जबकि यूनाइटेड किंगडम ने कैंसर पंजीकरण को अनिवार्य कर दिया है, इसके विपरीत, भारत का NCRP पंजीकरण स्वैच्छिक बना हुआ है।
विपक्ष में तर्क
- गैर-संचारी प्रकृति: संक्रामक रोगों के विपरीत, कैंसर संक्रामक नहीं है या तत्काल सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरा नहीं है, जिससे अनिवार्य अधिसूचना अनावश्यक हो जाती है।
- गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: अधिसूचित रोग व्यक्तिगत गोपनीयता की तुलना में सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हैं, जो लोगों को निदान प्राप्त करने से रोक सकता है।
- कैंसर एक सामाजिक कलंक (Social Stigma) है, और मामलों की रिपोर्ट करने की कानूनी बाध्यता के कारण रोगी समय पर उपचार लेने की इच्छा कम कर सकते हैं।
- स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं पर बोझ: यदि अधिसूचना अनिवार्य कर दी जाती है तो चिकित्सकों को अनावश्यक विधिक कार्रवाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
- कैंसर के लिये व्यक्तिगत दीर्घकालिक उपचार की आवश्यकता होती है, और अधिसूचना का उपयोग आमतौर पर आपातकालीन रोकथाम के लिये किया जाता है, न कि दीर्घकालिक रोगों के लिये।
भारत में कैंसर का वर्तमान निगरानी तंत्र
- भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के तहत NCRP, अस्पताल-आधारित (HBR) और जनसंख्या-आधारित रजिस्ट्री (PBR) के माध्यम से कैंसर की जनसांख्यिकी, निदान, उपचार और उत्तरजीविता पर नज़र रखता है।
- वर्ष 2022 तक, भारत में 269 HBR और 38 PBR हैं, लेकिन कवरेज अपर्याप्त है।
- वर्ष 2023 में 14 लाख से अधिक कैंसर के मामले थे, जिसमें प्रति एक लाख लोगों में 100 का निदान किया गया।
कैंसर निगरानी का सुदृढ़ीकरण करने हेतु भारत को क्या करने की आवश्यकता है?
- चरणबद्ध अधिसूचना दृष्टिकोण: गर्भाशय-ग्रीवा और फेफड़े के कैंसर जैसे उच्च जोखिम वाले कैंसरों को अनिवार्य डेटा संग्रह के लिये "दस्तावेज़ योग्य रोगों" के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिये।
- डिजिटल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों का एकीकरण: एक केंद्रीकृत कैंसर रजिस्ट्री तैयार करने हेतु कैंसर डेटा संग्रह को आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) के साथ एकीकृत करने की आवश्यकता है।
- लक्षित अनुवर्ती कार्रवाई और उपचार अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये कैंसर स्क्रीनिंग रिकॉर्ड को CoWIN जैसे प्लेटफार्मों के साथ एकीकृत किया जाना चाहिये।
- कैंसर रिपोर्टिंग: समग्र देश में जाँच और कैंसर संबंधी सुविधाओं का विस्तार करने के लिये PBR की संख्या में वृद्धि करने तथा उच्च जोखिम वाले कैंसरों के लिये स्क्रीनिंग सुविधा का क्रियान्वन किये जाने की आवश्यकता है।
- स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं (जैसे मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता) को कैंसर के मामलों की सक्रिय रूप से रिपोर्ट करने और घर-घर जाकर लोगों को जागरुक करने के उद्देश्य से उनका सशक्तीकरण करने की आवश्यकता है।
- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत कैंसर कवरेज का विस्तार करने और बीमा सहायता में वृद्धि करने की आवश्यकता है, क्योंकि इसका उपचार दीर्घकालिक और महँगा है।
- इससे निम्न आय वाले परिवारों के लिये निःशुल्क जाँच संभव हो सकेगी, तथा यह सुनिश्चित होगा कि वित्तीय बाधाओं के कारण निदान और उपचार में देरी न हो।
- पूर्वधारणा में परिवर्तन: कैंसर की रिपोर्टिंग को कलंक मुक्त करने और जाँच को सामान्य बनाने के लिये आध्यात्मिक अभिकर्त्ताओं, प्रभावशाली व्यक्तियों और मीडिया हस्तियों के साथ साझेदारी की जानी चाहिये।
- कैंसर से उबरने वाले लोगों को “राजदूत” की संज्ञा देकर उन्हें बढ़ावा देने की आवश्यकता है और उनकी कहानियों को साझा किया जाना चाहिये ताकि रोग का शीघ्र पता लगाने तथा रोग से संबंधित डर को खत्म करने के लिये लोगों को प्रेरित किया जा सके।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: भारत में कैंसर को अधिसूचित रोग बनाने के लाभ और चुनौतियों पर चर्चा करें। क्या भारत को राष्ट्रीय स्तर पर अनिवार्य कैंसर रिपोर्टिंग प्रणाली अपनानी चाहिए? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्स:प्रश्न. कैंसरग्रस्त ट्यूमर के उपचार के संदर्भ में, साइबरनाइफ नामक एक उपकरण चर्चा में रहा है। इस संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है? (2010) (a) यह एक रोबोटिक इमेज गाइडेड सिस्टम है। उत्तर: (d) प्रश्न. 'RNA अंतर्क्षेप [RNA इंटरफे्रेंस (RNAi)]' प्रौद्योगिकी ने पिछले कुछ वर्षों में लोकप्रियता हासिल कर ली है। क्यों? (2019)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) 1, 2 और 4 उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. “कल्याणकारी राज्य की नैतिक अनिवार्यता होने के अलावा, प्राथमिक स्वास्थ्य संरचना सतत् विकास के लिये एक आवश्यक पूर्व शर्त है।" परीक्षण कीजिये। (2021) प्रश्न. भारत में 'सभी के लिये स्वास्थ्य' को प्राप्त करने के लिये समुचित स्थानीय समुदाय-स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल का मध्यक्षेप एक पूर्वापेक्षा है। व्याख्या कीजिये। (2018) |