जैवविविधता पर कन्वेंशन का COP-16 | 05 Nov 2024

प्रिलिम्स के लिये:

जैवविविधता पर कन्वेंशन (CBD), राष्ट्रीय जैवविविधता रणनीति और कार्य योजना (NBSAP), कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क (KMGBF), डिजिटल सीक्वेंस इनफार्मेशन (DSI), जीनोमिक सीक्वेंस, कुनमिंग जैवविविधता कोष (KBF), कृत्रिम जीव विज्ञान,  DNA अनुक्रमण, जीन एडिटिंग, पारिस्थितिक या जैविक रूप से महत्त्वपूर्ण समुद्री क्षेत्र (EBSA), जैव सुरक्षा पर कार्टाजेना प्रोटोकॉल, एक स्वास्थ्य, जीवित संशोधित जीव (LMO), राष्ट्रीय जैवविविधता प्राधिकरण (NBA), जैवविविधता प्रबंधन समितियाँ।

मेन्स के लिये:

कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क का महत्त्व, भारत के जैवविविधता लक्ष्य।  

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जैवविविधता पर कन्वेंशन (CBD) के पक्षकारों का 16वाँ सम्मेलन (COP-16) कैली, कोलंबिया में संपन्न हुआ।

COP-16  से CBD तक के मुख्य बिंदु क्या हैं?

  • कैली फंड: कैली फंड की स्थापना आनुवंशिक संसाधनों पर डिजिटल सीक्वेंस इनफार्मेशन (DSI)/डिजिटल अनुक्रम सूचना के उपयोग से होने वाले लाभों का निष्पक्ष और न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करने के लिये की गई थी।
    • कैली फंड का कम-से-कम 50% हिस्सा स्वदेशी लोगों और स्थानीय समुदायों, विशेषकर महिलाओं तथा युवाओं की स्वत: पहचानी गई आवश्यकताओं पर केंद्रित होगा।
      • DSI जीनोम अनुक्रम (जीनोमिक सीक्वेंस) पर्यावरण और जैविक अनुसंधान में मूल रूप से भूमिका निभाने वाले डेटा को संदर्भित करता है
  • स्थायी सहायक निकाय: पक्षों ने अनुच्छेद 8j के आधार पर एक नया स्थायी सहायक निकाय स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की जो स्वदेशी लोगों के ज्ञान, नवाचारों और प्रथाओं के संरक्षण एवं रखरखाव से संबंधित है
    • उन्होंने स्वदेशी लोगों और स्थानीय समुदायों पर कार्य हेतु एक नया कार्यक्रम भी अपनाया।
      • इसमें विशिष्ट कार्यों की रूपरेखा प्रदान की गई है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्वदेशी लोग और स्थानीय समुदाय जैवविविधता के संरक्षण, सतत् उपयोग तथा उचित वितरण में सार्थक योगदान दें।
  • संसाधनों का संग्रहण: सभी पक्षकारों ने विश्व भर में जैवविविधता पहलों का समर्थन करने हेतु वर्ष 2030 तक प्रतिवर्ष 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता के लिये एक नई “संसाधनों के संग्रहण की रणनीति (Strategy for Resource Mobilization)” विकसित करने पर सहमति व्यक्त की।
    • कुनमिंग जैवविविधता कोष (KBF) को COP-16  में चीन के 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर के योगदान के साथ लॉन्च किया गया। 
    • एक अन्य लक्ष्य वर्ष 2030 तक जैवविविधता को नुकसान पहुँचाने वाली व्यवसायों के लिये सब्सिडी को प्रतिवर्ष 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर पुनर्निर्देशित करना है।
  • राष्ट्रीय जैवविविधता लक्ष्य: CBD के 196 पक्षोंकरों में से 119 देशों ने 23 KMGBF लक्ष्यों तक पहुँचने में सहायता हेतु राष्ट्रीय जैवविविधता लक्ष्य प्रस्तुत किये।
    • वर्तमान में 44 देशों ने राष्ट्रीय लक्ष्यों के कार्यान्वयन के समर्थन के लिये राष्ट्रीय जैवविविधता रणनीतियाँ और कार्य योजनाएँ प्रस्तुत की हैं।
  • सिंथेटिक बायोलॉजी: COP-16 ने विकासशील देशों के बीच क्षमता निर्माण, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और ज्ञान-साझाकरण के माध्यम से असमानताओं को दूर करने में मदद करने हेतु एक नई विषयगत कार्य योजना पेश की।
    • सिंथेटिक बायोलॉजी में DNA सीक्वेंस (अनुक्रमण) और जीन एडिटिंग के माध्यम से नए जीवों को निर्मित या मौजूदा जीवों को संशोधित करने के लिये इंजीनियरिंग सिद्धांतों का उपयोग किया जाता है।
  • आक्रामक विदेशी प्रजातियाँ: यह नए डेटाबेस, सीमा पार व्यापार विनियमन और ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के साथ बेहतर समन्वय के माध्यम से आक्रामक विदेशी प्रजातियों के प्रबंधन हेतु दिशा-निर्देश प्रस्तावित करता है।
  • पारिस्थितिक या जैविक रूप से महत्त्वपूर्ण समुद्री क्षेत्र (EBSA): COP-16  ने EBSA की पहचान करने के लिये एक नई और विकसित प्रक्रिया पर सहमति व्यक्त की।
    • वर्ष 2010 में स्थापित EBSA महासागर के सबसे महत्त्वपूर्ण और संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करता है। तब से महासागर संरक्षण प्रयासों में एक केंद्र बिंदु बन गया है।
  • सतत् वन्यजीव प्रबंधन और पादप संरक्षण: सतत् वन्यजीव प्रबंधन पर लिये गए निर्णय में निगरानी, ​​क्षमता निर्माण और स्वदेशी लोगों, स्थानीय समुदायों एवं महिलाओं की समावेशी भागीदारी की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया।
    • पादप संरक्षण में प्रगति मापने योग्य और वैश्विक जैवविविधता लक्ष्यों के अनुरूप होनी चाहिये।
  • जैवविविधता और स्वास्थ्य पर वैश्विक कार्य योजना: COP-16 में, CBD पक्षकारों ने जैवविविधता और स्वास्थ्य पर एक वैश्विक कार्य योजना को मंज़ूरी दी, जिसे ज़ूनोटिक रोगों के उद्भव तथा गैर-संचारी रोगों को रोकने एवं सतत् पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने में मदद करने हेतु डिज़ाइन किया गया है।
    • यह रणनीति एक समग्र "वन हेल्थ (One Health)" दृष्टिकोण को अपनाती है, इसके तहत पर्यावरण, पशु तथा मानव स्वास्थ्य के अंतर्संबंधों को शामिल किया जाता है। 
  • जोखिमपूर्ण मूल्यांकन: कैली में, जैव सुरक्षा पर कार्टाजेना प्रोटोकॉल के पक्षकारों ने इंजीनियर्ड जीन वाले जीवित संशोधित जीवों (living modified organisms- LMO) द्वारा उत्पन्न जोखिमों के आकलन पर नए स्वैच्छिक मार्गदर्शन को अपनाया गया है।
  • अफ्रीकी मूल के लोगों को मान्यता: कन्वेंशन के कार्यान्वयन में अफ्रीकी मूल के लोगों की भूमिका को मान्यता देने पर निर्णय लिया गया है।

कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क (KMGBF)

  • परिचय: यह एक बहुपक्षीय संधि है जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक वैश्विक स्तर पर जैवविविधता से होने वाले नुकसान को रोकना तथा उसकी भरपाई करना है। 
    • दिसंबर, 2022 में पार्टियों के 15वें सम्मेलन (COP) के दौरान अपनाया गया, जो सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) का समर्थन करता है तथा जैवविविधता के लिये वर्ष 2011-2020 की रणनीतिक योजना की उपलब्धियों पर आधारित है।
  • उद्देश्य और लक्ष्य: इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि वर्ष 2030 तक कम-से-कम 30% क्षीण स्थलीय, अंतर्देशीय जल, समुद्री एवं तटीय पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावी ढंग से बहाल किया जाए।
    • इसमें वर्ष 2030 तक त्वरित कार्रवाई हेतु 23 कार्य-उन्मुख वैश्विक लक्ष्य शामिल हैं।
    • इसके तहत प्रत्येक राष्ट्र के लिये अपनी भूमि और जल क्षेत्र का 30% हिस्सा अलग रखने की आवश्यकता नहीं है, यह सामूहिक वैश्विक प्रयासों को संदर्भित करता है
    • इसके तहत प्रत्येक देश के लिये अपने भूमि और जल क्षेत्र का 30% हिस्सा आवंटित करना अनिवार्य नहीं है। यह सामूहिक वैश्विक प्रयासों को संदर्भित करता है।
  • दीर्घकालिक दृष्टिकोण: यह दृष्टिकोण वर्ष 2050 तक प्रकृति के साथ सद्भाव के लिये सामूहिक प्रतिबद्धता की परिकल्पना को प्रदर्शित करता है तथा जैवविविधता संरक्षण एवं सतत् उपयोग से संबंधित वर्तमान कार्यों व नीतियों के लिये एक आधारभूत मार्गदर्शिका प्रदान करता है।

नोट: 

  • ऐतिहासिक संदर्भ: भारत की पहली राष्ट्रीय जैवविविधता रणनीति और कार्य योजना (NBSAP) वर्ष 1999 में बनाई गई थी, जिसे आइची जैवविविधता लक्ष्यों के साथ संरेखित करने के लिये वर्ष 2008 और 2014 में संशोधित किया गया था। 
  • NBSAP की आवश्यकता: भारत एक महाविविधता वाला देश है, जिसमें 55,000 से अधिक पादप प्रजातियाँ और 100,000 पशु प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनका संरक्षण आजीविका एवं पारिस्थितिक स्वास्थ्य दोनों के लिये महत्त्वपूर्ण है।

भारत के संशोधित NBSAP के मुख्य बिंदु क्या हैं? 

  • संशोधित NBSAP: संशोधित NBSAP में KMGBF के वैश्विक उद्देश्यों के अनुरूप 23 राष्ट्रीय जैवविविधता लक्ष्यों की रूपरेखा प्रदान की गई है।
    • लक्ष्य जैवविविधता के खतरों को कम करने, सतत् उपयोग को बढ़ावा देने, पारिस्थितिकी तंत्र अनुकूलन, प्रजातियों की पुनर्प्राप्ति एवं सतत् प्रबंधन पर केंद्रित हैं।
  • व्यापक संरचना: संशोधित NBSAP में प्रासंगिक विश्लेषण, क्षमता निर्माण, वित्तपोषण तंत्र एवं जैवविविधता निगरानी ढाँचे को संबोधित करने वाले 7 अध्याय शामिल हैं।
  • कार्यान्वयन: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) बहु-स्तरीय शासन संरचना द्वारा समर्थित जैवविविधता संरक्षण की देख-रेख करता है।
  • लक्ष्य:
    • संरक्षण क्षेत्र: जैवविविधता में वृद्धि हेतु 30% क्षेत्रों को प्रभावी रूप से संरक्षित करने का लक्ष्य।
    • आक्रामक प्रजातियों का प्रबंधन: आक्रामक विदेशी प्रजातियों के प्रवेश और प्रबंधन में 50% की कमी का लक्ष्य। 
    • सतत् उपभोग: सतत् उपभोग विकल्पों को सक्षम बनाना और खाद्य अपशिष्ट को आधे से कम करना। 
    • प्रदूषण में कमी: प्रदूषण को कम करने, पोषक तत्त्वों की हानि और कीटनाशक जोखिम को आधा करने के लिये प्रतिबद्धता।
    • लाभ साझाकरण: आनुवंशिक संसाधनों, डिजिटल सीक्वेंस इनफार्मेशन तथा संबंधित पारंपरिक ज्ञान से लाभ के निष्पक्ष और न्यायसंगत साझाकरण को बढ़ावा देना।
  • वित्तपोषण: भारत द्वारा वित्त वर्ष 2025-30 तक जैवविविधता और संरक्षण पर लगभग 81,664 करोड़ रुपए खर्च किये जाने की उम्मीद है।
    • सम्मेलन में भारतीय अधिकारियों द्वारा कहा गया कि इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय वित्त की आवश्यकता होगी।
  • सामुदायिक सहभागिता: स्थानीय समुदाय, विशेषकर वन-निर्भर क्षेत्रों में, संरक्षण प्रयासों में सक्रिय रूप से शामिल होंगे।

निष्कर्ष:

जैवविविधता पर कन्वेंशन के पक्षकारों के 16वें सम्मेलन (COP 16) ने वैश्विक जैवविविधता प्रयासों में महत्त्वपूर्ण प्रगति को चिह्नित किया, विशेष रूप से कैली फंड की स्थापना, संशोधित राष्ट्रीय जैवविविधता रणनीति और कार्य योजनाओं तथा कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क के प्रति प्रतिबद्धता के माध्यम से, जिसमें समान संसाधन साझाकरण एवं सतत् प्रथाओं पर ज़ोर दिया गया।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: 

प्रश्न: भारत की संशोधित राष्ट्रीय जैवविविधता रणनीति और कार्य योजना (NBSAP) की प्रमुख विशेषताओं तथा कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क (KMGBF) के साथ इसके संरेखण का मूल्यांकन कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स  

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023)

  1. भारत में जैवविविधता प्रबंधन समितियाँ नागोया प्रोटोकॉल के उद्देश्यों को हासिल करने के लिये प्रमुख कुंजी हैं।
  2. जैवविविधता प्रबंधन समितियों के, अपने क्षेत्राधिकार के अंतर्गत, जैविक संसाधनों तक पहुँच के लिये संग्रह शुल्क लगाने की शक्ति सहित, पहुँच और लाभ सहभागिता निर्धारित करने हेतु महत्त्वपूर्ण प्रकार्य हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 न ही 2

उत्तर: (c) 


प्रश्न: 'भूमंडलीय पर्यावरण सुविधा' के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2014)

(a) यह 'जैवविविधता पर अभिसमय' एवं 'जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र ढाँचा अभिसमय' के लिये वित्तीय क्रियाविधि के रूप में काम करता है
(b) यह भूमंडलीय स्तर पर पर्यावरण के मुद्दों पर वैज्ञानिक अनुसंधान करता है 
(c) यह आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) के अधीन एक अभिकरण है जो अल्पविकसित देशों को उनके पर्यावरण की सुरक्षा के विशिष्ट उद्देश्य से प्रौद्योगिकी और निधियों का अंतरण सुकर बनाता है। 
(d) दोनों (a) और (b)

उत्तर: (a) 


प्रश्न. “मोमेंटम फॉर चेंज: क्लाइमेट न्यूट्रल नाउ” यह पहल किसके द्वारा प्रवर्तित की गई है? (2018) 

(a) जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल 
(b) UNEP सचिवालय 
(c) UNFCCC सचिवालय 
(d) विश्व मौसमविज्ञान संगठन

उत्तर: (c)


मेन्स

प्रश्न: भैषजिक कंपनियों द्वारा आयुर्विज्ञान के पारंपरिक ज्ञान को पेटेंट कराने से भारत सरकार किस प्रकार रक्षा कर रही है? (2019)