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जैव विविधता और पर्यावरण

कृत्रिम जीवन

  • 17 May 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों ?

वैज्ञानिकों ने एक सजीव जीव का निर्माण किया है जिसका डीएनए पूर्णरूप से मानव-निर्मित है। विशेषज्ञों के अनुसार यह कृत्रिम जीव विज्ञान के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा।

प्रमुख बिंदु

  • कैंब्रिज विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्त्ताओं ने यह दावा किया है कि उन्होंने ई.कोलाई (Escherichia Coli) जीवाणु के डीएनए कोड का पुनर्लेखन कर लिया है।
  • यह कृत्रिम जीनोम (Artificial Genome) पुराने जीनोमों (कृत्रिम जीनोम) की तुलना में अत्यधिक जटिल और चार गुना बड़ा है।
  • कृत्रिम जीनोम की सहायता से निर्मित जीवाणु अभी जीवित है उसका आकार प्राकृतिक रूप से निर्मित जीवाणुओं की तरह अनिश्चित है और वह धीरे-धीरे जनन भी कर रहा है।
  • इसकी कोशिकाएँ जैविक नियमों के एक नए सेट के अनुसार काम करती हैं एवं नव-निर्मित कृत्रिम आनुवंशिक कोड के अनुसार प्रोटीन निर्माण कर रहीं हैं।
  • यह उपलब्धि ऐसे जीवों के निर्माण को प्रोत्साहित करेगी जिनके माध्यम से अनेक प्रकार की  बहुमूल्य दवाओं का निर्माण किया जा सकेगा। साथ ही कृत्रिम जीवाणु के द्वारा मानव जीवन में आनुवंशिक कोड कब और कैसे आया इस बात का पता लगाने में सहायक होगा।

कृत्रिम जीनोम क्या है? (What is Synthetic Genome)

  • जीनोम जीनों का समूह है एवं प्रत्येक जीन में चार क्षारक पाए जाते हैं। इन क्षारक अणुओं को एडनीन (Adenine), ग्वानीन (Guanine), थायमीन (Thymine) और साइटोसीन (Cytosine) कहते हैं (अधिकतर ये अपने प्रथम वर्ण से ही इंगित किये जाते है जैसे- A, G, T, C)।
  • एक जीन हज़ारों क्षारकों से मिलकर बना होता है एवं जीन ही कोशिकाओं को 20 एमिनो अम्लों (प्रोटीन निर्माता तथा किसी कोशिका की संरचनात्मक ईकाई) में से किसी एक के चयन का निर्देश देते है।

प्रोटीन हमारे शरीर में अन्य कार्य भी करती है जैसे रक्त से ऑक्सीजन ढोने से लेकर पेशियों को बल प्रदान करना।

  • नवीन  विधियों से निर्मित ई. कोलाई का जीनोम नामक शोधपत्र नेचर (Nature) पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इस शोधपत्र के अनुसार ई. कोलाई के जीनोम में लगभग 4 मिलियन क्षारकों को जोड़ा गया है।
  • कोशिका में प्रत्येक एमिनो अम्ल के निर्माण के लिये तीन क्षारक डीएनए के स्ट्रैंड पर लगे होते हैं। प्रत्येक त्रि-कूट को कोडॉन (Codan) कहते हैं। उदाहरण के लिये, कोडॉन TCT, सेरीन (Serine) नामक एमिनो अम्ल  को सूचित करता है कि वह किसी नए प्रोटीन के अंत में जुड़ेगा।
  • हर एक कोशिका में केवल 20 एमिनो अम्ल पाए जाते हैं लेकिन उन्हें बनाने हेतु के मात्र  20 कोडॉन की ही आवश्यकता हो। ऐसा नहीं है क्योंकि आनुवंशिक कूट विविधताओं से भरा हुआ होता है जिस कारण से इसे कोई नहीं समझ पाता।
  • एमिनो अम्ल  61 कोडॉनों की सहायता से सांकेतिक रूप में लिखा जाता है। उदहारण के लिये सेरीन के निर्माण हेतु 6 अलग कोडॉन हैं।
  • उक्त विवरण के बाद यह प्रश्न उठता है कि क्या डीएनए के सभी टुकड़े जीवन के लिये उपयोगी हैं ? क्योंकि पृथ्वी पर उपस्थित सभी जीवों में 64 कोडॉन प्रयुक्त होते हैं। ऐसे में  इस प्रश्न का जवाब ढूंढने के लिये वैज्ञानिकों ने प्राथमिक स्तर पर एक प्रयोग करते हुए कंप्यूटर पर ई.कोलाई के जीनोम को तैयार करते समय केवल 61 कोडॉनों की सहायता से सभी आवश्यक एमिनो अम्लों का निर्माण किया। इसमें सेरीन के निर्माण हेतु 6 नहीं बल्कि चार कोडॉनों का ही प्रयोग हुआ।
  • हालाँकि इस संबंध में स्पष्ट रूप से कुछ भी कहना संभव नहीं है तथापि वैज्ञानिकों द्वारा शोध कार्य जारी है और भविष्य में इस संदर्भ में और अधिक प्रगति होने की संभावना है।

ई. कोलाई क्या है ?

ई. कोलाई की साधारणतः बहुत सी प्रजातियाँ पाई जाती हैं जिनमें से कुछ बहुत ज़्यादा हानिकारक होती हैं। इ.कोलाई हमारे शरीर की आँत में इंफेक्शन फैलाकर हानि पहुँचाता है। इसके साथ ही  तालाब, झीलों, पोखरों में पाया जाता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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