एशिया-प्रशांत में जलवायु-प्रेरित आर्थिक क्षति | 10 Apr 2025

प्रिलिम्स के लिये:

UNESCAP, सकल घरेलू उत्पाद, एशियाई विकास बैंक, जलवायु जोखिम सूचकांक, ग्रीन क्लाइमेट फंड 

मेन्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन और आर्थिक कमज़ोरियाँ, जलवायु अनुकूलन और शमन के लिये भारत के नीतिगत उपाय

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों? 

एशिया और प्रशांत के लिये संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (UNESCAP) की "इकोनॉमिक एंड सोशल सर्वे ऑफ एशिया एंड द पैसिफिक 2025" शीर्षक वाली रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि एशिया-प्रशांत के एक तिहाई देशों को जलवायु संबंधी घटनाओं, जिनमें बाढ़, हीटवेव, सूखा और चक्रवात शामिल हैं, के कारण प्रतिवर्ष सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के कम से कम 6% के बराबर आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ता है।

जलवायु परिवर्तन एशिया-प्रशांत क्षेत्र में व्यापक आर्थिक स्थिरता को किस प्रकार प्रभावित करता है?

  • औसत वार्षिक क्षति (AAL): ESCAP ने AAL का उपयोग किया, जो जोखिम आकलन के आधार पर आपदाओं से होने वाली अनुमानित वार्षिक आर्थिक क्षति को दर्शाता है, जिसमें खतरे की आवृत्ति, तीव्रता, जोखिम और सुभेद्यता को ध्यान में रखा जाता है।
    • एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 30 देशों में, AAL का औसत सकल घरेलू उत्पाद का 4.8% है, तथा कंबोडिया में यह लगभग 11% तथा फिजी, म्याँमार और पाकिस्तान में कम से कम 7% है।
  • विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की सुभेद्यता: विश्लेषण किये गये 30 देशों में से 11 देश (अफगानिस्तान, कंबोडिया, ईरान, कज़ाकिस्तान, लाओस, मंगोलिया, म्याँमार, नेपाल, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और वियतनाम) व्यापक आर्थिक दृष्टिकोण से जलवायु जोखिमों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील हैं।
    • तेज़ी से हो रहे शहरीकरण और कमज़ोर बुनियादी ढाँचे, विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों में, जलवायु जोखिम को बढ़ाते हैं, जिससे अत्यधिक क्षति होती है।
    • वर्ष 2024 में वैश्विक आर्थिक विकास में 60% योगदान देने के बावजूद, कई एशिया-प्रशांत देश जलवायवीय आघातों से निपटने के लिये अपर्याप्त रूप से सुसज्जित हैं।
  • क्षेत्रीय जोखिम: वर्ष 2050 तक कृषि में चावल की उपज में 14% तक की कमी आ सकती है, जिससे भारत जैसे देशों में खाद्य सुरक्षा और किसानों की आय प्रभावित होगी।
    • कोयला और तेल पर निर्भर देशों (जैसे इंडोनेशिया, भारत और चीन) को नवीकरणीय ऊर्जा के लिये वैश्विक संक्रमण के कारण बड़े आर्थिक व्यवधानों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे रोज़गार में कमी और राजस्व में गिरावट का अनुमान है।
    • मत्स्य स्टॉक में कमी के कारण वर्ष 2050 तक उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में मत्स्य स्टॉक में 30% तक की कमी आ सकती है।

UNESCAP क्या है?

और पढ़ें: UNESCAP

भारत की अर्थव्यवस्था पर जलवायु परिवर्तन के प्रमुख प्रभाव क्या हैं?

    • भारत का आर्थिक प्रभाव: एशियाई विकास बैंक (ADB) के अनुसार, जलवायु-प्रेरित आर्थिक प्रभावों के कारण भारत को वर्ष 2070 तक 24.7% GDP क्षति का सामना करना पड़ सकता है।
    • आर्थिक क्षति के प्रमुख कारक: 
      • अत्यधिक उष्णता: भारत में पहले से ही तापमान में वृद्धि हो रही है, इसके साथ ही हीटवेव की आवृत्ति और प्रसार में वृद्धि होने की संभावना है।
        • वर्ष 2030 तक, हीट स्ट्रेस से प्रेरित उत्पादकता में गिरावट के कारण अनुमानित 80 मिलियन वैश्विक रोज़गार में से 34 मिलियन रोज़गार भारत में कम हो सकते हैं (विश्व बैंक, 2022)। 
        • इसके अतिरिक्त, अत्यधिक उष्णता और आर्द्रता की स्थिति के कारण श्रम घंटों के क्षति के कारण भारत की सकल घरेलू उत्पाद का 4.5% जोखिम हो सकता है।
    • कृषि में गिरावट: हीटवेव में वृद्धि और अनियमित वर्षा के कारण चावल और गेहूँ की उपज कम हो रही है। विश्व बैंक के अनुसार, 2050 के दशक तक 2°C तापमान वृद्धि के तहत, भारत को जलवायु परिवर्तन के बिना परिदृश्य की तुलना में दोगुने से अधिक मात्रा में खाद्यान्न आयात करने की आवश्यकता हो सकती है।
    • समुद्र का बढ़ता स्तर: भारत की 7,500 किलोमीटर लंबी तटरेखा समुद्र के बढ़ते स्तर के प्रति संवेदनशील होती जा रही है, जिसका 32% हिस्सा वर्ष 1990 से वर्ष 2018 तक अपरदन से प्रभावित हुआ है। 
      • मुंबई और कोलकाता जैसे तटीय शहरों में बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है, तथा सुंदरवन वर्ष 2100 तक 80% तक संकुचित हो सकता है।
    • चरम मौसम घटनाएँ: जर्मनवाच के जलवायु जोखिम सूचकांक के अनुसार, वर्ष 1993 से वर्ष 2023 की अवधि में घटित चरम मौसम की घटनाओं से सबसे अधिक प्रभावित शीर्ष 10 देशों में भारत 6वें स्थान पर है।
    • भारत में 400 से अधिक चरम घटनाएँ घटीं, जिसके परिणामस्वरूप 180 बिलियन अमेरिकी डॉलर की आर्थिक क्षति हुई और इस अवधि के दौरान लगभग 80,000 लोगों की मृत्यु हुई।

    जलवायु-जनित आर्थिक क्षति की रोकथाम हेतु एशिया-प्रशांत क्या रणनीति अपना सकता है?

    • सर्कुलर/वृत्तीय अर्थव्यवस्था को समाविष्ट किया जाना: एशिया-प्रशांत देशों को वृत्तीय अर्थव्यवस्था प्रणालियों को बढ़ावा देना चाहिये, जहाँ अपशिष्ट का अन्य क्षेत्रों में पुनः उपयोग किया जाता है, जिससे उत्सर्जन में कटौती होगी और संसाधनों का अल्प दोहन होगा।
      • भारत को अपशिष्ट और संसाधन खपत को न्यूनतम करने के लिये वेस्ट-टू-वेल्थ पहल को प्रोत्साहित कर अपशिष्ट मुक्त शहरों (Zero Waste Cities) पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
    • हरित नवाचार को बढ़ावा: कार्बन कैप्चर, तथा नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन और भंडारण जैसे क्षेत्रों में जलवायु-तकनीक स्टार्टअप को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
      • भारत जलवायु-तकनीक उपक्रमों का समर्थन करके अटल इनोवेशन मिशन और स्टार्ट-अप इंडिया के माध्यम से जलवायु नवाचार को बढ़ावा दे सकता है। ग्रीन क्लाइमेट फंड (GCF) से प्राप्त अतिरिक्त निधि से इन हरित समाधानों का विस्तार करने में सहायता मिल सकती है।
    • जलवायु-प्रतिरोधी अवसंरचना: नगरीय क्षेत्रों को जलवायवीय प्रभावों से सुरक्षा प्रदान करने हेतु बाढ़-रोधी और ताप-प्रतिरोधी अवसंरचना में निवेश किया जाना चाहिये।
      • भारत जलवायु अनुकूलन और शमन को एकीकृत करने के लिये स्मार्ट सिटी मिशन को राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC) के साथ संरेखित कर सकता है।
      • हरित अवसंरचना के साथ जलवायु-प्रतिरोधी विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) का विकास करने से, संयुक्त अरब अमीरात के मसदर शहर जैसे मॉडलों से प्रेरित होकर, अल्प कार्बन वाले उद्योगों को आकर्षित किया सकता है।
    • हरित वर्गीकरण: भारत संधारणीय क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा देने हेतु एक हरित वर्गीकरण पद्धति विकसित कर सकता है तथा पर्याप्त हरित वित्तपोषण हेतु इसे NAPCC के साथ संरेखित कर सकता है।
    • वैश्विक जलवायु कोष: लॉस एंड डैमेज फंड (LDF) जैसे वित्तीय साधन जलवायु लचीलापन, बेहतर कृषि पद्धतियों और नवीकरणीय ऊर्जा संक्रमणों को वित्तपोषित कर एशिया-प्रशांत देशों को सहायता प्रदान करते हैं। प्रभावी अनुकूलन के लिये LDF का विस्तार करना महत्त्वपूर्ण है।

    दृष्टि मेन्स प्रश्न:

    प्रश्न. एशिया-प्रशांत क्षेत्र में विकासशील देशों की जलवायु संबंधी सुभेद्यताओं की विवेचना कीजिये तथा अनुकूली नीतिगत उपायों का सुझाव दीजिये।

      UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

    प्रिलिम्स:

    प्रश्न. जलवायु-अनुकूल कृषि (क्लाइमेट-स्मार्ट एग्रीकल्चर) के लिये भारत की तैयारी के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये-(2021)

    1. भारत में ‘जलवायु-स्मार्ट ग्राम (क्लाइमेट-स्मार्ट विलेज)’ दृष्टिकोण, अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान कार्यक्रम-जलवायु परिवर्तन, कृषि एवं खाद्य सुरक्षा (सी.सी.ए.एफ.एस.) द्वारा संचालित परियोजना का एक भाग है।  
    2. सी.सी.ए.एफ.एस. परियोजना, अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान हेतु परामर्शदात्री समूह (सी.जी.आई.ए.आर.) के अधीन संचालित किया जाता है, जिसका मुख्यालय प्राँस में है। 
    3. भारत में स्थित अंतर्राष्ट्रीय अर्धशुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान (आई.सी.आर.आई.एस.ए.टी.), सी.जी.आई.ए.आर. के अनुसंधान केंद्रों में से एक है।

    उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

    (a) केवल 1 और 2            
    (b)  केवल 2 और 3
    (c) केवल 1 और 3 
    (d) 1, 2 और 3

    उत्तर:(d)


    प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारत सरकार के 'हरित भारत मिशन' के उद्देश्य को सर्वोत्तम रूप से वर्णित करता है/हैं? (2016)

    1. पर्यावरणीय लाभों एवं लागतों को केंद्र एवं राज्य के बजट में सम्मिलित करते हुए तद्द्वारा 'हरित लेखाकरण (ग्रीन अकाउंटिंग)' को अमल में लाना।
    2. कृषि उत्पाद के संवर्धन हेतु द्वितीय हरित क्रांति आरंभ करना जिससे भविष्य में सभी के लिये खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो।
    3. वन आच्छादन की पुनप्राप्ति और संवर्धन करना तथा अनुकूलन एवं न्यनीकरण के संयुक्त उपायों से जलवायु परिवर्तन का प्रत्युतर देना
    4. नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये।

    (a) केवल 1
    (b) केवल 2 और 3
    (c) केवल 3
    (d) 1, 2 और 3

    उत्तर: (c)


    प्रश्न. ‘भूमंडलीय जलवायु परिवर्तन संधि (ग्लोबल क्लाइमेट, चेंज एलाएन्स)’ के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)

    1. यह यूरोपीय संघ की पहल है।
    2. यह लक्ष्याधीन विकासशील देशों को उनकी विकास नीतियों और बजटों में जलवायु परिवर्तन के एकीकरण हेतु तकनीकी एवं वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
    3. इसका समन्वय विश्व संसाधन संस्थान (WRI) और धारणीय विकास हेतु विश्व व्यापार परिषद् (WBCSD) द्वारा किया जाता है।
    4. नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

    (a) केवल 1 और 2
    (b) केवल 3
    (c) केवल 2 और 3
    (d) 1, 2 और 3

    उत्तर: (a)


    मेन्स:

    प्रश्न. संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के सी.ओ.पी. के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिये। इस सम्मेलन में भारत द्वारा की गईं वचनबद्धताएँ क्या हैं? (2021)

    प्रश्न. 'जलवायु परिवर्तन' एक वैश्विक समस्या है। जलवायु परिवर्तन से भारत किस प्रकार प्रभावित होगा? जलवायु परिवर्तन के द्वारा भारत के हिमालयी और समुद्रतटीय राज्य किस प्रकार प्रभावित होंगे? (2017)