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भारतीय अर्थव्यवस्था

सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर का अनुमान

  • 08 Jan 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय

मेन्स के लिये:

सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर कम अनुमानित होने का कारण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office-NSO) द्वारा चालू वित्त वर्ष में देश की सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product-GDP) दर घटकर 5% रहने का अनुमान लगाया गया है।

मुख्य बिंदु:

  • ये आँकड़े सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation) के अंतर्गत NSO द्वारा वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी संबंधी पहले अग्रिम अनुमान के रूप में जारी किये गए हैं।
  • अगर चालू वित्त वर्ष में जीडीपी की विकास दर 5% ही रहती है तो यह पिछले 11 वर्षों की सबसे न्यूनतम विकास दर होगी।

जीडीपी दर कम होने का कारण (अनुमानित आँकड़े):

कुल जीडीपी:

  • NSO द्वारा जारी इन आँकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2019-20 में देश की जीडीपी (स्थिर मूल्यों पर, आधार वर्ष 2011-12) 147.79 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है, जबकि वित्त वर्ष 2018-19 में यह 140.78 लाख करोड़ रुपए थी।
  • इस तरह चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 5% रहने का अनुमान है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 6.8% थी।

विनिर्माण क्षेत्र:

(Manufacturing Sector)

  • विनिर्माण क्षेत्र में वित्त वर्ष 2018-19 के 6.9% की वृद्धि की तुलना में वित्त वर्ष 2019-20 में महज 2% की वृद्धि का अनुमान है।

निर्माण क्षेत्र

(Construction Sector):

  • निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर का वित्त वर्ष 2018-19 के 8.7% की तुलना में वित्त वर्ष 2019-20 में 3.2% रहने का अनुमान है।

कृषि, वन एवं मत्स्य पालन क्षेत्र:

(Agriculture, Forestry and Fishing)

  • कृषि, वन एवं मत्स्य पालन क्षेत्र में वृद्धि दर के स्थिर रहने का अनुमान लगाया गया है।
  • इस क्षेत्र में वित्त वर्ष 2018-19 के 2.9% की तुलना में वित्त वर्ष 2019-20 में 2.8% वृद्धि दर रहने का अनुमान है।

बिजली, गैस, पानी की आपूर्ति और अन्य उपयोगी सेवाएँ:

(Electricity, Gas, Water Supply and Other Utility Services)

  • इस क्षेत्र में वित्त वर्ष 2018-19 के 7% की तुलना में वित्त वर्ष 2019-20 में 5.4% की वृद्धि दर का अनुमान है।

व्यापार, होटल, परिवहन और संचार एवं प्रसारण से संबंधित सेवाएँ:

(Trade, Hotels and Transport & Communication and Services related to Broadcasting)

  • इस क्षेत्र में वित्त वर्ष 2018-19 के 6.9% की तुलना में वित्त वर्ष 2019-20 में 5.9% की वृद्धि दर का अनुमान है।

लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्य सेवाएँ:

(Public Administration, Defence and Other Services)

  • इस क्षेत्र में वित्त वर्ष 2018-19 के 8.6% की तुलना में वित्त वर्ष 2019-20 में 9.1% की वृद्धि दर का अनुमान है।

खनन एवं उत्खनन क्षेत्र:

(Mining and Quarrying)

  • इस क्षेत्र में वित्त वर्ष 2018-19 के 1.3% की तुलना में वित्त वर्ष 2019-20 में 1.5% की वृद्धि दर का अनुमान है।

वित्तीय, रियल एस्टेट और व्यावसायिक सेवाएँ:

(Financial, Real Estate and Professional Services)

  • इस क्षेत्र में वित्त वर्ष 2018-19 के 7.4% की तुलना में वित्त वर्ष 2019-20 में 6.4% की वृद्धि दर का अनुमान है।

अग्रिम अनुमान से संबंधित अन्य तथ्य:

  • नॉमिनल संदर्भ में भारत की जीडीपी के वित्तीय वर्ष 2019-20 में 7.5% की दर से बढ़ने का अनुमान है जो कई दशकों का न्यूनतम स्तर है। इससे कर राजस्व और व्यक्तिगत आय पर दबाव बढ़ेगा।
  • सकल स्थायी पूंजी निर्माण का वित्त वर्ष 2019-20 में महज 1% की दर से बढ़ने का अनुमान है।

जीडीपी दर कम होने से भारत पर प्रभाव:

  • विनिर्माण क्षेत्र में कमी भारतीय व्यवसायों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी, जिससे व्यवसायियों को कर्ज चुकाने में अधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा इससे बैंकिंग प्रणाली पर दवाब बढेगा तथा ऋण प्रवाह में कमी आएगी।
  • जीडीपी वृद्धि को लेकर वैश्विक जोखिम के बावजूद इस समय भारत की चुनौतियाँ काफी हद तक घरेलू स्तर पर हैं।
  • भारत में आर्थिक वृद्धि में तेज़ी आने की संभावनाएँ पश्चिम एशिया में पैदा हुए नए तनाव से धूमिल हुई हैं। कच्चे तेल की आपूर्ति में बाधा उत्पन्न होने और तेल के भाव बढ़ने की आशंका से वैश्विक एवं घरेलू वृद्धि दोनों पर प्रभाव पड़ेगा।
  • तेल की कीमतों में वृद्धि और रुपए के भाव में कमी शीर्ष मुद्रास्फीति को बढ़ा सकता है जिससे निकट अवधि में ब्याज दरों में कटौती की संभावना कम हो जाएगी।

आगे की राह:

  • मौजूदा जीडीपी वृद्धि दर को गति प्रदान करने के लिये सरकार को पुराने मुद्दों के अलावा बैंकिंग प्रणाली की खामियाँ को दूर करना होगा।
  • वहीं केंद्र सरकार को अपने एवं आर्थिक गतिविधियों के बीच खोए हुए विश्वास को बहाल करना होगा।
  • सुविचारित, अनुमानित एवं भविष्योन्मुख आर्थिक एवं राजकोषीय नीतियों का रोडमैप तैयार करना होगा।

स्रोत- द हिंदू, बिज़नेस स्टैण्डर्ड, पीआइबी

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