भारतीय अर्थव्यवस्था
छत्तीसगढ़ द्वारा वन पारिस्थितिकी तंत्र को ग्रीन GDP से जोड़ना
- 09 Jan 2025
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प्रिलिम्स के लिये:सकल घरेलू उत्पाद, ग्रीन GDP, भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023, सतत् विकास लक्ष्य, पर्यावरण-आर्थिक लेखांकन प्रणाली, विश्व बैंक, मृदा अपरदन मेन्स के लिये:हरित सकल घरेलू उत्पाद, सतत् विकास और आर्थिक संवृद्धि, पर्यावरण अर्थशास्त्र, भारत की वानिकी एवं पर्यावरण नीतियाँ |
स्रोत: द न्यू इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
छत्तीसगढ़ भारत का ऐसा पहला राज्य बन गया है जिसने अपने वन पारिस्थितिकी तंत्र को हरित सकल घरेलू उत्पाद से जोड़ा है।
- इस दृष्टिकोण से वनों के आर्थिक एवं पर्यावरणीय मूल्यों के साथ जैवविविधता संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन शमन के महत्त्व पर प्रकाश पड़ता है।
- यह पहल आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हुए सतत् विकास प्राप्त करने के व्यापक लक्ष्य के अनुरूप है।
हरित सकल घरेलू उत्पाद (ग्रीन GDP) क्या है?
- पारंपरिक GDP: यह किसी देश की सीमाओं के अंदर उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं के वार्षिक मूल्य का माप है। GDP वर्ष 1944 से वैश्विक मानक के रूप में स्थापित है।
- GDP की संकल्पना देने वाले अर्थशास्त्री साइमन कुज़नेट्स ने कहा कि GDP से किसी देश के वास्तविक कल्याण का संकेत नहीं मिलता है क्योंकि इसमें पर्यावरणीय स्वास्थ्य तथा सामाजिक कल्याण जैसे कारकों की अनदेखी होती है।
- ग्रीन GDP: यह पारंपरिक GDP का संशोधित संस्करण है जिसके तहत आर्थिक गतिविधियों की पर्यावरणीय लागतों को ध्यान में रखा जाना शामिल है।
- इसके तहत आर्थिक उत्पादन के क्रम में प्राकृतिक संसाधनों में होने वाली कमी, पर्यावरणीय क्षरण तथा प्रदूषण जैसे कारकों को शामिल किया जाता है, जिससे किसी देश की वास्तविक संपदा के संदर्भ में अधिक व्यापक दृष्टिकोण मिलता है।
- ग्रीन GDP की आवश्यकता: पारंपरिक GDP में धारणीयता, पर्यावरण क्षरण और सामाजिक कल्याण को नज़रअंदाज किया जाता है। इसमें पर्यावरण पर दीर्घकालिक परिणामों के संदर्भ में विचार किये बिना केवल आर्थिक उत्पादन पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
- दूसरी ओर, हरित सकल घरेलू उत्पाद (GDP) से यह सुनिश्चित होता है कि आर्थिक विकास धारणीय प्रथाओं के अनुरूप हो तथा पर्यावरणीय क्षति एवं प्राकृतिक संसाधनों की कमी की वास्तविक लागत को प्रतिबिंबित किया जा सके।
- फॉर्मूला:
- विश्व बैंक के अनुसार, ग्रीन GDP = NDP (शुद्ध घरेलू उत्पाद) - (प्राकृतिक संसाधन ह्रास की लागत + पारिस्थितिकी तंत्र क्षरण की लागत)।
- जहाँ एनडीपी = GDP - उत्पादित परिसंपत्तियों का मूल्यह्रास।
- प्राकृतिक संसाधन ह्रास की लागत से तात्पर्य प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक उपयोग के कारण होने वाली मूल्य हानि से है।
- पारिस्थितिकी तंत्र क्षरण की लागत से तात्पर्य प्रदूषण एवं वनों की कटाई जैसे पर्यावरणीय कारकों से होने वाली हानि से है।
- विश्व बैंक के अनुसार, ग्रीन GDP = NDP (शुद्ध घरेलू उत्पाद) - (प्राकृतिक संसाधन ह्रास की लागत + पारिस्थितिकी तंत्र क्षरण की लागत)।
नोट: वर्ष 2024 में उत्तराखंड, सकल पर्यावरण उत्पाद (GEP) सूचकांक शुरू करने वाला विश्व स्तर पर पहला राज्य बन गया। इस सूचकांक में पारंपरिक पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं से परे पर्यावरण में किये जाने वाले योगदान को भी मापा जाना शामिल है।
- GEP सूचकांक में वृक्ष प्रजातियों के मूल्य, उत्तरजीविता दर तथा संरक्षण प्रयासों जैसे कारकों को शामिल किया जाता है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र के विकास का आकलन करने के क्रम में एक व्यापक दृष्टिकोण मिलता है।
छत्तीसगढ़ द्वारा वन पारिस्थितिकी तंत्र को ग्रीन GDP से जोड़ने के क्या निहितार्थ हैं?
- छत्तीसगढ़ में वनों की भूमिका: भारत वन स्थिति रिपोर्ट, 2023 के अनुसार, छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्र में सबसे अधिक वृद्धि (683.62 वर्ग किमी) दर्ज की गई।
- राज्य का कुल वन क्षेत्र इसके भौगोलिक क्षेत्रफल की तुलना में 44.2% है जो कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने में प्रमुख भूमिका निभाने के साथ जलवायु परिवर्तन शमन में प्रमुख योगदान देता है।
- छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक संसाधन लाखों लोगों की आजीविका का आधार हैं तथा तेंदू पत्ता, लाख, शहद एवं औषधीय पौधे जैसे वन उत्पाद ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- छत्तीसगढ़ के वन स्थानीय जनजातीय परंपराओं एवं सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिये महत्त्वपूर्ण हैं जहाँ सरना और मंदार जैसे पवित्र वनों को दैवीय स्थल के रूप में पूजा जाता है।
- वनों को हरित सकल घरेलू उत्पाद (GDP) से जोड़ने के निहितार्थ: इस दृष्टिकोण से वनों के आर्थिक और पारिस्थितिक मूल्य पर प्रकाश पड़ता है तथा विकास एवं स्थिरता के बीच संतुलन को बढ़ावा मिलता है।
- प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण को प्राथमिकता देने के साथ राज्य का लक्ष्य भावी पीढ़ियों के लिये पर्यावरण के दीर्घकालिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित करना है।
ग्रीन GDP से सतत् विकास को किस प्रकार बढ़ावा मिलता है?
- संसाधनों का सतत् उपयोग: पर्यावरणीय क्षति को ध्यान में रखते हुए, ग्रीन GDP से अधिक सतत् उत्पादन एवं उपभोग पैटर्न को प्रोत्साहन मिलने के साथ SDG 12 (ज़िम्मेदार उपभोग और उत्पादन) को महत्त्व मिलता है।
- हरित सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के तहत आर्थिक उत्पादन को अधिकतम करने के साथ प्राकृतिक पूंजी के संरक्षण पर बल दिया जाता है।
- जलवायु परिवर्तन शमन: हरित GDP के अंतर्गत जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता में कमी लाने के साथ नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने को महत्त्व दिया जाता है, जो SDG 13 (जलवायु कार्रवाई) के अनुरूप है।
- जैवविविधता संरक्षण: ग्रीन GDP पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के साथ पारिस्थितिकी तंत्र एवं प्रजातियों की सुरक्षा पर केंद्रित है, जो SDG 15 (भूमि पर जीवन) और SDG 14 (जल के नीचे जीवन) के अनुरूप है।
- इससे नीति निर्माताओं को ऐसे नियम बनाने का प्रोत्साहन मिलता है जिससे आर्थिक विकास को पारिस्थितिकी स्थिरता के साथ संतुलित किया जा सके।
- हरित निवेश को प्रोत्साहन: हरित GDP से धारणीय प्रौद्योगिकियों एवं प्रथाओं में निवेश को बढ़ावा मिलने के साथ हरित क्षेत्र से संबंधित रोज़गार और उद्योगों को बढ़ावा मिलता है।
- इसके तहत पर्यावरणीय स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के साथ समावेशी, सतत् आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जाना शामिल है, जो SDG 8 (सम्मानजनक रोज़गार और आर्थिक विकास) के अनुरूप है।
ग्रीन GDP से संबंधित वैश्विक प्रथाएँ
- संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र द्वारा विकसित पर्यावरण-आर्थिक लेखांकन प्रणाली (SEEA) के तहत आर्थिक एवं पर्यावरणीय आँकड़ों को एकीकृत किया जाना शामिल है ताकि अर्थव्यवस्था एवं पर्यावरण के बीच अंतर्संबंधों का एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत करने के साथ पर्यावरणीय परिसंपत्तियों और मानवता के लिये उनके लाभों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके।
- यूरोपीय संघ: यूरोपीय संघ की GDP से परे पहल के तहत आर्थिक आकलन में धारणीयता मैट्रिक्स को एकीकृत किया जाना शामिल है, जिसके तहत ग्रह के दीर्घकालिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
- विश्व बैंक: संपत्ति लेखांकन एवं पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का मूल्यांकन (WAVES) एक विश्व बैंक के नेतृत्व वाली प्रणाली है जो विकास योजनाओं में प्राकृतिक संसाधन लेखांकन को एकीकृत करने के साथ सतत् विकास को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
- भूटान: भूटान द्वारा सकल राष्ट्रीय खुशहाली (GNH) रूपरेखा के तहत पारिस्थितिक स्थिरता को अपनी विकास नीतियों के मूल में रखा जाना शामिल है।
- अन्य देश: चीन, नॉर्वे एवं अमेरिका ने पर्यावरणीय लागतों को अपने राष्ट्रीय लेखांकन में शामिल करने संबंधी प्रयोग किया है।
ग्रीन GDP फ्रेमवर्क के समक्ष क्या चुनौतियाँ हैं?
- वनावरण की परिभाषा: भारत वन स्थिति रिपोर्ट (ISFR) के अंतर्गत "वन" शब्द में पाम ऑयल और रबर जैसे बागान शामिल हैं, जो पर्यावरण के लिये हानिकारक हो सकते हैं तथा प्राकृतिक वनों के समान पारिस्थितिक लाभ प्रदान नहीं कर सकते हैं।
- उदाहरण: पाम ऑयल और रबर बागान द्वारा अक्सर प्राकृतिक वनों का स्थान ले लिया जाता है जिससे जैवविविधता की हानि एवं मृदा क्षरण के साथ पर्यावरणीय व्यवधान उत्पन्न होते हैं।
- ग्रीन GDP गणना में वृक्षारोपण को वन मान लेने से राज्य के पारिस्थितिकी स्वास्थ्य की भ्रामक तस्वीर प्रस्तुत हो सकती है।
- राजनीतिक एजेंडा: यदि वन क्षेत्र को वित्तपोषण का मानदंड बना दिया जाता है तो कम पारिस्थितिकी वन मूल्य वाले राज्य अनुदान प्राप्त करने के क्रम में आँकड़ों में हेरफेर कर सकते हैं।
- स्थानीय निकायों का एकीकरण: स्थानीय निकायों (जैसे पंचायतों) को हरित GDP ढाँचे में शामिल करना चुनौतीपूर्ण है क्योंकि जमीनी स्तर पर राजनेताओं में जागरूकता और साक्षरता की कमी है।
- लाभों के संबंध में स्पष्टता का अभाव: ग्रीन GDP लेखांकन के वित्तीय लाभों (कि यह स्थानीय समुदायों, जैसे जनजातियों एवं वनवासियों किस प्रकार मिलेंगे, जिन्होंने पारंपरिक रूप से पीढ़ियों से वनों को संरक्षित किया है) के संबंध में स्पष्टता का अभाव है।
- पद्धतिगत अंतर: ग्रीन GDP की गणना के लिये कोई एकल, सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत विधि नहीं है, जिससे विभिन्न देशों के बीच तुलना करना कठिन हो जाता है।
- पर्यावरणीय लागतों एवं सेवाओं का मूल्यांकन एक जटिल प्रक्रिया है तथा यह स्थानीय परिस्थितियों और प्राथमिकताओं के आधार पर भिन्न हो सकती है।
आगे की राह
- एक स्पष्ट मानक ढाँचा: सरकारों को हरित सकल घरेलू उत्पाद की गणना के लिये एक सुसंगत एवं पारदर्शी पद्धति अपनाने की आवश्यकता है, जिससे पर्यावरणीय सेवाओं तथा लागतों में स्पष्टता सुनिश्चित हो सके।
- सार्वजनिक निगरानी: हेरफेर से बचने के लिये, डेटा पारदर्शी होना चाहिये और विश्लेषकों एवं आलोचकों के परीक्षण हेतु उपलब्ध होना चाहिये।
- मात्रा की अपेक्षा गुणवत्ता को प्राथमिकता देना: बेहतर कार्बन पृथक्करण और जैवविविधता संरक्षण के लिये स्थानीय वनों तथा पारिस्थितिकी प्रणालियों को प्रबंधित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
- जन जागरूकता: ग्रीन GDP के लाभों के बारे में समुदायों को शिक्षित करना चाहिये। वन संरक्षण के लिये स्थानीय समुदायों को प्रोत्साहित करने से न्यायसंगत तथा प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित होता है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: ग्रीन GDP के बारे में बताइये। सतत् विकास को बढ़ावा देने में भारत जैसे देशों के लिये यह क्यों महत्त्वपूर्ण है? |
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)मेन्सप्रश्न: वर्ष 2015 से पहले और वर्ष 2015 के बाद भारत के सकल घरेलू उत्पाद (2021) की गणना पद्धति के बीच अंतर स्पष्ट कीजिये। (2021) |