बजट 2021 प्रमुख हाइलाइट्स: भौतिक और वित्तीय पूंजी | 04 Feb 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वित्त मंत्री ने केंद्रीय बजट 2021-22 पेश किया। यह भारत का पहला डिजिटल बजट है।
- यह खंड भौतिक और वित्तीय पूंजी से संबंधित प्रस्तावों से संबंधित है।
प्रमुख बिंदु
वित्तीय पूंजी:
- एक युक्तिसंगत एकल प्रतिभूति बाज़ार कोड (Securities Markets Code) विकसित किया जाएगा।
- सभी वित्तीय निवेशकों के अधिकारों को संरक्षण प्रदान करने के लिये एक इन्वेस्टर चार्टर लागू किया जाएगा।
- बॉण्ड बाज़ार के विकास में मदद के लिये एक नया स्थायी संस्थागत ढाँचा विकसित किया जाएगा।
- सोने के विनिमय को विनियमित करने के लिये एक व्यवस्था स्थापित की जाएगी।
- इस उद्देश्य के लिये सेबी (Securities and Exchange Board of India) को एक विनियामक के रूप में अधिसूचित किया जाएगा तथा वेयरहाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (Warehousing Development and Regulatory Authority) को मज़बूत बनाया जाएगा।
- दबावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिये संकल्प:
- परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी लिमिटेड और परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी (बैड बैंक) का गठन किया जाएगा।
- बीमा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश बढ़ाना:
- बीमा कंपनियों में स्वीकार्य प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment- FDI) सीमा को 49% से बढ़ाकर 74% करना और विदेशी स्वामित्व तथा नियंत्रण संबंधी सुरक्षा को बढ़ाया जाएगा।
- जमा बीमा:
- जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम कानून (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation Act), 1961 में संशोधन जमाकर्त्ताओं को उनके डिपॉज़िट तक आसान और समयबद्ध पहुँच दिलाने में मदद करता है।
- बैंक जमाकर्त्ताओं के लिये जमा बीमा राशि को 1 लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दी गई है।
- सरफेसी अधिनियम (Sarfaesi Act), 2002 के तहत ऋण वसूली के लिये न्यूनतम ऋण सीमा को 50 लाख रुपए के मौजूदा स्तर से कम करके 20 लाख रुपए किया जाएगा।
- जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम कानून (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation Act), 1961 में संशोधन जमाकर्त्ताओं को उनके डिपॉज़िट तक आसान और समयबद्ध पहुँच दिलाने में मदद करता है।
कंपनी और फर्मों के लिये प्रावधान:
- सीमित देयता भागीदारी कानून (Limited Liability Partnership Act), 2008 को अपराध मुक्त बनाया जाएगा।
- कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत लघु कंपनियों की परिभाषा में संशोधन किया जाएगा, इससे इनकी आवश्यक अनुपालन शर्तें आसान हो जाएंगी।
- एक व्यक्ति कंपनियों (One Person Companies) के समावेश को प्रोत्साहित करके स्टार्ट-अप्स और नवाचार को प्रोत्साहित किया जाएगा।
- निम्नलिखित माध्यम से मामलों (Case) का तेज़ी से समाधान सुनिश्चित करना:
- राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (National Company Law Appellate Tribunal) के ढाँचे को मज़बूत करना।
- ई-कोर्ट (e-Court) प्रणाली को लागू करना।
- ऋण समाधान के वैकल्पिक तरीकों को शुरू करना तथा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (Micro, Small and Medium Enterprises-MSMEs) के लिये विशेष ढाँचा विकसित करना।
विनिवेश और रणनीतिक बिक्री:
- रणनीतिक विनिवेश के लिये नई नीति की मंजूरी; केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (CPSE) को छोड़कर चार रणनीतिक क्षेत्रों का निजीकरण किया जाएगा।
- आईडीबीआई बैंक के अलावा दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और एक जनरल बीमा कंपनी का निजीकरण किया जाएगा।
- बेकार पड़ी ज़मीन के मौद्रिकरण के लिये कंपनी के रूप में एक विशेष प्रयोजन वाहन (Special Purpose Vehicle) का गठन।
- बीमार और नुकसान में चल रही सीपीएसई को समय पर बंद करने के लिये संशोधित कार्यविधि की शुरुआत होगी।
सरकारी वित्तीय सुधार:
- वैश्विक आवेदन के लिये स्वायत्तशासी निकायों हेतु ट्रेज़री सिंगल अकाउंट (Treasury Single Account) को बढ़ाया जाना चाहिये।
- सहकारिता के लिये ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (Ease of Doing Business) को सहज बनाने हेतु अलग प्रशासनिक ढाँछे का निर्माण।