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अन्न चक्र और SCAN द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार

  • 07 Dec 2024
  • 22 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत की सार्वजनिक वितरण प्रणाली, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) 2013उचित मूल्य की दुकानेंप्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, भारतीय खाद्य निगम, न्यूनतम समर्थन मूल्य, एक राष्ट्र एक राशन कार्ड

मेन्स के लिये:

भारत में PDS प्रणाली में सुधार, भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली से संबंधित चुनौतियाँ, PDS प्रणाली की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिये उपाय अपनाए जा सकते हैं।  

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने भारत की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से "अन्न चक्र" और स्कैन (NFSA के लिये सब्सिडी दावा आवेदन) पोर्टल लॉन्च किया।

  • इससे सार्वजनिक वितरण प्रणाली आपूर्ति शृंखला की दक्षता बढ़ेगी और सब्सिडी दावा प्रक्रिया सुचारू होगी, जिससे खाद्य सुरक्षा कार्यक्रमों पर निर्भर लाखों नागरिकों को लाभ मिलेगा।

अन्न चक्र और स्कैन प्रणाली क्या है?

  • अन्न चक्र के बारे में:
    • अन्न चक्र  भारत में  सार्वजनिक वितरण प्रणाली की आपूर्ति शृंखला को अनुकूलित करने के लिये एक अग्रणी उपकरण है।
    • इसे विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) और IIT-दिल्ली स्थित फाउंडेशन फॉर इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी ट्रांसफर (FITT) के सहयोग से विकसित किया गया है।
    • यह पहल खाद्यान्नों के परिवहन के लिये इष्टतम मार्गों की पहचान करने के लिये उन्नत एल्गोरिदम का उपयोग करती है। 
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • बढ़ी हुई दक्षता और लागत बचत: आवश्यक वस्तुओं की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिये PDS लॉजिस्टिक्स नेटवर्क को अनुकूलित किया जाता है, साथ ही ईंधन की खपत, समय और लॉजिस्टिक्स लागत में कमी के माध्यम से 250 करोड़ रुपए की वार्षिक बचत होती है।
    • पर्यावरणीय स्थिरता: परिवहन दूरी को 15-50% तक कम करके परिवहन-संबंधी उत्सर्जन को न्यूनतम करता है और कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में योगदान देता है।
    • व्यापक कवरेज: अनुकूलन मूल्यांकन 30 राज्यों में किया गया, जिससे PDS आपूर्ति शृंखला के अंतर्गत लगभग 4.37 लाख उचित मूल्य की दुकानें (FPS) और 6,700 गोदाम लाभान्वित हुए।
    • निर्बाध एकीकरण: एकीकृत लॉजिस्टिक्स इंटरफेस प्लेटफॉर्म (ULIP) के माध्यम से रेलवे के माल परिचालन सूचना प्रणाली (FOIS) के साथ जोड़ा गया और PM गति शक्ति प्लेटफॉर्म के साथ एकीकृत किया गया , जिससे FPSऔर गोदामों की भौगोलिक स्थिति का मानचित्रण संभव हो सका।
  • स्कैन प्रणाली के बारे में:
    • स्कैन पोर्टल को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) 2013 के तहत राज्यों के लिये सब्सिडी दावा प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिये डिज़ाइन किया गया है। 
    • यह बेहतर निधि उपयोग के लिये सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के संचालन को आधुनिक बनाता है, लीकेज को कम करने के लिये सरकारी तकनीकी पहलों के साथ संरेखित करता है, तथा पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ के साथ 80 करोड़ लोगों के लिये खाद्य सुरक्षा को बढ़ाता है।
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • एकीकृत मंच: राज्यों को खाद्य सब्सिडी दावे प्रस्तुत करने के लिये सिंगल विंडो प्रणाली प्रदान करता है, जिससे सभी हितधारकों के लिये प्रक्रिया सुव्यवस्थित हो जाती है।
    • स्वचालित कार्यप्रवाह: सब्सिडी जारी करने और निपटान के लिये अंत-से-अंत स्वचालन सुनिश्चित करता है, जिससे दक्षता और पारदर्शिता बढ़ती है।
    • नियम-आधारित तंत्र: खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (DFPD) द्वारा दावे की जाँच और अनुमोदन के लिये नियम-आधारित प्रसंस्करण का उपयोग किया जाता है, जिससे निपटान में तेज़ी आती है।

PDS क्या है?

  • परिचय:
    • PDS एक भारतीय खाद्य सुरक्षा प्रणाली है जिसे सस्ती कीमतों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराकर खाद्यान्न की कमी को दूर करने के लिये स्थापित किया गया है।
    • यह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) 2013 के तहत कार्य करता है, जो वर्ष 2011 की जनगणना के आँकड़ों के आधार पर भारत की लगभग दो-तिहाई आबादी के लिये खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
  • नोडल मंत्रालय:
    • उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय।
  • PDS का विकास:
    • भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की शुरुआत द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान युद्धकालीन राशनिंग उपाय के रूप में हुई और यह कई चरणों से गुजरी। 
    • 1960 के दशक में खाद्यान्न की कमी को देखते हुए सार्वजनिक वितरण प्रणाली का विस्तार किया गया , तथा घरेलू खरीद और भंडारण सुनिश्चित करने के लिये कृषि मूल्य आयोग और FCI की स्थापना की गई।
    • 1970 के दशक तक सार्वजनिक वितरण प्रणाली एक सार्वभौमिक योजना बन गई और वर्ष 1992 में संशोधित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (RPDS) का उद्देश्य दूरदराज के क्षेत्रों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की पहुंच को  मजबूत और विस्तारित करना था।
    • वर्ष 1997 में शुरू की गई लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) में लाभार्थियों को गरीबी रेखा से नीचे (BPL) और गरीबी रेखा से ऊपर (APL) परिवारों  में वर्गीकृत करके गरीबों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
    • वर्ष 2000 में शुरू की गई अंत्योदय अन्न योजना (AAY) का लक्ष्य सबसे गरीब परिवार थे। 
  • प्रबंध: 
    • इसका प्रबंधन केन्द्र और राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है तथा इनकी अलग-अलग ज़िम्मेदारियाँ होती हैं।
    • केंद्र सरकार भारतीय खाद्य निगम (FCI) के माध्यम से खाद्यान्नों की खरीद, भंडारण, परिवहन और थोक आवंटन का काम संभालती है।
    • राज्य सरकारें स्थानीय वितरण का प्रबंधन करती हैं, पात्र परिवारों की पहचान करती हैं, राशन कार्ड जारी करती हैं और उचित मूल्य की दुकानों (FPS) की निगरानी करती हैं।
  • वितरित वस्तुएँ: 
    • PDS मुख्य रूप से गेहूँ, चावल, चीनी और केरोसिन उपलब्ध कराता है। कुछ राज्य दालें, खाद्य तेल और नमक जैसी चीजें भी वितरित करते हैं।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013

  • अधिनियमित: NFSA 12 सितंबर 2013 को अधिनियमित किया गया था।
  • उद्देश्य: NFSA का उद्देश्य एक गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिये लोगों को वहनीय मूल्‍यों पर उचित गुणवत्तापूर्ण खाद्यान्‍न की पर्याप्‍त मात्रा उपलब्‍ध कराते हुए उन्‍हें खाद्य और पोषण सुरक्षा प्रदान करना है।
  • कवरेज: लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत रियायती दर पर खाद्यान्न प्राप्त करने के लिये ग्रामीण आबादी के 75 प्रतिशत और शहरी आबादी के 50 प्रतिशत को शामिल किया गया है,जिससे भारत की कुल आबादी के 67% लोग लाभान्वित होते हैं।
  • पात्रता:
    • राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार प्राथमिकता वाले परिवारों को TPDS के तहत शामिल किया जाना है।
    • अंत्योदय अन्न योजना के तहत आने वाले परिवार।
  • प्रावधान:
    • प्रतिमाह प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम खाद्यान्न, जिसमें चावल 3 रुपए किलो, गेहूँ 2 रुपए किलो और मोटा अनाज 1 रुपए किलो दिया जाता है।
    • हालाँकि अंत्योदय अन्न योजना के तहत मौजूदा प्रतिमाह प्रति परिवार 35 किलोग्राम खाद्यान्न प्रदान करना जारी रहेगा।
    • गर्भवती महिलाओं और स्‍तनपान कराने वाली माताओं को गर्भावस्‍था के दौरान तथा बच्चे के जन्‍म के 6 माह बाद भोजन के अलावा कम-से-कम 6000 रुपए का मातृत्त्व लाभ प्रदान किये जाने का प्रावधान है।
    • 14 वर्ष तक के बच्चों के लिये भोजन की व्यवस्था।
    • खाद्यान्न या भोजन की आपूर्ति नहीं होने की स्थिति में लाभार्थियों को खाद्य सुरक्षा भत्ता।
    • ज़िला और राज्य स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना। 

भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार के लिये क्या पहल की गई हैं?

  • एक राष्ट्र एक राशन कार्ड (ONORC): 
    • ONORC पूरे देश में राशन कार्ड की पोर्टेबिलिटी को सक्षम बनाता है। यह लाभार्थियों को पूरे देश में किसी भी FPS से सब्सिडी वाले खाद्यान्न तक पहुँच प्रदान करता है, जिससे प्रवासी श्रमिकों और मौसमी मज़दूरों को लाभ मिलता है।
    • यह बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण और डिजिटल भुगतान के माध्यम से समावेशिता, पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ाता है।
  • सार्वभौमिक PDS :
    • तमिलनाडु ने सार्वभौमिक सार्वजनिक वितरण प्रणाली लागू की है, जिसके तहत प्रत्येक परिवार को सब्सिडीयुक्त खाद्यान्न प्राप्त करने का अधिकार है, जिससे पूरे राज्य में व्यापक कवरेज सुनिश्चित होता है।
  • प्रौद्योगिकी संबंधी सार्वजनिक वितरण प्रणाली सुधार:
    • स्मार्ट-PDS योजना: स्मार्ट-PDS योजना: वर्ष 2023 में, भारत सरकार ने 2023-2026 की अवधि के लिये स्मार्ट-PDS योजना को मंजूरी दी।
      • इसका उद्देश्य PDS के एंड-टू-एंड कम्प्यूटरीकरण और एकीकृत प्रबंधन (ImPDS) में प्रयुक्त प्रौद्योगिकी को बनाए रखना तथा उन्नत करना है।
    • कम्प्यूटरीकृत उचित मूल्य की दुकानें (FPS): पॉइंट ऑफ सेल (POS) मशीनों की स्थापना के माध्यम से कई FPS को कम्प्यूटरीकृत किया गया है, जो लाभार्थियों को प्रमाणित करते हैं और जारी किये गए सब्सिडी वाले अनाज की मात्रा को रिकॉर्ड करते हैं। यह स्वचालन धोखाधड़ी की गुंजाइश को कम करता है और वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।
    • आधार और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT): TPDS में आधार एकीकरण से लाभार्थी की पहचान बेहतर हुई है, त्रुटियाँ कम हुई हैं और डुप्लिकेट समाप्त हुए हैं।
      • DBT ने लाभार्थियों को नकद अंतरण सुनिश्चित किया, जिससे उन्हें खुले बाज़ार से खाद्यान्न खरीदने की सुविधा मिली और साथ ही राशन की दुकानों पर उनकी निर्भरता कम हुई।
    • GPS और SMS निगरानी: यह सुनिश्चित करने के लिये GPS ट्रैकिंग का उपयोग किया गया है कि खाद्यान्न ट्रक बिना किसी डायवर्जन के निर्दिष्ट FPS तक पहुँचें, जबकि SMS अलर्ट नागरिकों को TPDS वस्तुओं के प्रेषण और आगमन के विषय में सूचित करते हैं, जिससे पारदर्शिता तथा सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ावा मिलता है।

नोट: सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त वाधवा समिति ने वर्ष 2006 में पाया कि तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सुचारू बनाने के लिये कम्प्यूटरीकरण और अन्य तकनीकी उपायों को लागू किया था।

  • इन सुधारों से लीकेज को कम करने तथा खाद्यान्न वितरण में सुधार करने में सहायता मिली है।

PDS से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?

  • लाभार्थियों की पहचान: लाभार्थियों की पहचान करने में समावेशन और बहिष्करण संबंधी महत्त्वपूर्ण त्रुटियाँ हैं। कई पात्र परिवार छूट जाते हैं जबकि अपात्र परिवारों को लाभ मिलता है।
    • अध्ययनों से पता चला है कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली में लगभग 61% बहिष्करण त्रुटि तथा 25% समावेशन त्रुटि है।
  • भ्रष्टाचार और लीकेज: भ्रष्टाचार और लीकेज व्यापक हैं, खाद्यान्नों को खुले बाज़ार में ले जाया जाता है या उच्च कीमतों पर बेचा जाता है। इससे सिस्टम की प्रभावशीलता कम हो जाती है।
    • अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (IFPRI) और भारतीय अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद (ICRIER) द्वारा हाल ही में किये गए एक अध्ययन में बताया गया है कि भारत में गरीबों के लिये निर्धारित सब्सिडी वाले अनाज का लगभग 28% हिस्सा लीकेज के कारण नष्ट हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप सरकार को अनुमानित 69,108 करोड़ रुपए का वित्तीय नुकसान होता है।
  • भंडारण और वितरण: पर्याप्त भंडारण सुविधाओं की कमी के कारण खाद्यान्न बर्बाद हो जाता है और खराब हो जाता है। इसके अलावा, वितरण नेटवर्क भी अक्षम है, जिससे विलंब और नुकसान होता है।
  • खाद्यान्न की गुणवत्ता: सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) अक्सर असंगत और घटिया गुणवत्ता वाला खाद्यान्न वितरित करती है तथा मुफ्त चावल व गेहूँ पर इसका ध्यान विशेष रूप से पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की विविध पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहता है।

आगे की राह 

  • एंड-टू-एंड डिजिटलीकरण और निगरानी: आपूर्ति शृंखला को ट्रैक करने और वास्तविक समय के स्टॉक अपडेट को लागू करने के लिये ब्लॉकचेन तथा IoT का उपयोग करने की आवश्यकता है। AI एनालिटिक्स अनियमितताओं का पता लगाने और चोरी को रोकने में सहायता कर सकता है।
    • FPS को बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण, इलेक्ट्रॉनिक भारांकन मापनी/मापक्रम और डिजिटल भुगतान प्रणाली के साथ उन्नत करने के साथ-साथ गुणवत्ता प्रमाणन के लिये QR कोड लागू करने तथा सार्वजनिक निगरानी डैशबोर्ड बनाने की भी आवश्यकता है।
  • पोर्टेबल लाभ और प्रवासन सहायता: बेहतर अंतरराज्यीय समन्वय और वास्तविक समय ट्रैकिंग के साथ वन नेशन वन राशन कार्ड (ONORC) को मज़बूत करना। मौसमी प्रवासियों के लिये अस्थायी राशन कार्ड पंजीकरण की सुविधा प्रदान करना।
  • स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर का आधुनिकीकरण: IoT-आधारित गुणवत्ता निगरानी के साथ आधुनिक साइलो में अपग्रेड करना। विकेंद्रीकृत, तकनीक-सक्षम स्टोरेज विकसित करना और इंफ्रास्ट्रक्चर के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देना।
    • पूर्व-निर्धारित स्टॉक और मोबाइल PDS इकाइयों के साथ आपदा प्रतिक्रिया प्रोटोकॉल स्थापित करना।
  • पोषण सुरक्षा: चुनिंदा FPS को दालों, तेलों और फोर्टिफाइड वस्तुओं के साथ पोषण केंद्रों में बदलें। सुभेद्य समूहों के लिये ई-रुपया पोषण वाउचर शुरू करना और कर्नाटक व ओडिशा की तरह PDS में कदन्न शामिल करना।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) क्या है? यह भारत के लिये क्यों आवश्यक है और इसकी दक्षता बढ़ाने के लिये क्या सुधार लागू किये गए हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. जलवायु-अनुकूल कृषि (क्लाइमेट-स्मार्ट एग्रीकल्चर) के लिये भारत की तैयारी के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये- (2021) 

  1. भारत में ‘जलवायु-स्मार्ट ग्राम (क्लाइमेट-स्मार्ट विलेज)’ दृष्टिकोण, अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान कार्यक्रम-जलवायु परिवर्तन, कृषि एवं खाद्य सुरक्षा (सी.सी.ए.एफ.एस.) द्वारा संचालित परियोजना का एक भाग है।
  2. सी.सी.ए.एफ.एस. परियोजना, अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान हेतु परामर्शदात्री समूह (सी.जी.आई.ए.आर.) के अधीन संचालित किया जाता है, जिसका मुख्यालय प्राँस में है।
  3. भारत में स्थित अंतर्राष्ट्रीय अर्धशुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान (आई.सी.आर.आई.एस.ए.टी.), सी.जी.आई.ए.आर. के अनुसंधान केंद्रों में से एक है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2             
(b)  केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3  
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रश्न. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के तहत किये गए प्रावधानों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. केवल 'गरीबी रेखा से नीचे (BPL) की श्रेणी में आने वाले परिवार ही सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने के पात्र हैं। 
  2. परिवार में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र की सबसे अधिक उम्र वाली महिला ही राशन कार्ड निर्गत किये जाने के प्रयोजन से परिवार की मुखिया होगी। 
  3. गर्भवती महिलाएँ एवं दुग्ध पिलाने वाली माताएँ गर्भावस्था के दौरान और उसके छ: महीने बाद तक प्रतिदिन 1600 कैलोरी वाला राशन घर ले जाने की हकदार हैं।

उपर्युत्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) 1 और 3
(d) केवल 3

उत्तर: (b)


मेन्स 

प्रश्न. प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डी.बी.टी.) के द्वारा कीमत सहायिकी का प्रतिस्थापन भारत में सहायिकियों के परिदृश्य का किस प्रकार परिवर्तन कर सकता है? चर्चा कीजिये। (2015)

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