राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की 57 वीं बैठक | 01 Oct 2024

प्रारंभिक परीक्षा के लिये:

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG), गंगा नदी, महाकुंभ, सीवेज उपचार संयंत्र, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), स्वच्छ नदियों पर स्मार्ट प्रयोगशाला (SLCR) परियोजना, राष्ट्रीय गंगा परिषद, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम (EPA), 1986

मुख्य परीक्षा के लिये:

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) का कार्यान्वयन एवं गंगा नदी के पारिस्थितिकी स्वास्थ्य को बनाए रखने में इसकी भूमिका।

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) की कार्यकारी समिति (EC) की 57वीं बैठक में विभिन्न राज्यों में प्रमुख परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। 

  • इन परियोजनाओं का उद्देश्य गंगा नदी के संरक्षण और स्वच्छता के साथ महाकुंभ 2025 के दौरान IEC (सूचना, शिक्षा और संचार) गतिविधियों का समन्वय करना है।

बैठक के दौरान अनुमोदित प्रमुख परियोजनाएँ कौन सी हैं?

  • सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP): कार्यकारिणी समिति ने बिहार के कटिहार और सुपौल तथा उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में STP को मंजूरी दी।
    • STP द्वारा सीवेज और प्रदूषकों को हटाकर जल को शुद्ध किया जाता है जिससे यह प्राकृतिक जल स्रोतों में छोड़े जाने के लिये उपयुक्त हो जाता है।
  • STP की निगरानी: इसमें गंगा नदी बेसिन में मौजूदा STP की ऑनलाइन निगरानी को मज़बूत करने के लिये एक ऑनलाइन सतत् अपशिष्ट निगरानी प्रणाली (OCEMS) की स्थापना शामिल है।
  • महाकुंभ, 2025 में IEC गतिविधियाँ: महाकुंभ 2025 के दौरान स्वच्छता और जागरूकता बढ़ाने के लिये IEC (सूचना, शिक्षा और संचार) गतिविधि-आधारित परियोजना को मंजूरी दी गई है। 
    • इस परियोजना में 'पेंट माई सिटी' और भित्ति चित्र कला के माध्यम से मेला क्षेत्र और शहर को सजाना शामिल है। 
  • PIAS परियोजना: इस समिति ने प्रदूषण सूची, मूल्यांकन और निगरानी (PIAS) परियोजना की प्रभावशीलता बढ़ाने हेतु इसके अंतर्गत जनशक्ति की भूमिका को बढ़ाने पर बल दिया।
  • SLCR परियोजना: इस समिति ने देश भर में छोटी नदियों के पुनरुद्धार में तेज़ी लाने के लिये 'स्वच्छ नदियों पर स्मार्ट प्रयोगशाला (SLCR) परियोजना के प्रमुख घटकों को मंजूरी दी।
  • कछुआ एवं घड़ियाल संरक्षण: उत्तर प्रदेश के लखनऊ स्थित कुकरैल घड़ियाल पुनर्वास केंद्र में मीठे जल के कछुआ एवं घड़ियाल संरक्षण तथा प्रजनन कार्यक्रम को मंजूरी दी गई।

NMCG के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • परिचय: यह गंगा नदी के पुनरुद्धार और संरक्षण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    • इसे सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के  तहत 12 अगस्त 2011 को एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत किया गया था।
  • विधिक ढाँचा: यह राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (NGRBA) की कार्यान्वयन शाखा है जिसका गठन पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम (EPA), 1986 के प्रावधानों के तहत किया गया था।
    • वर्ष 2016 में NGRBA के विघटन के बाद यह राष्ट्रीय गंगा नदी पुनरुद्धार, संरक्षण और प्रबंधन परिषद (राष्ट्रीय गंगा परिषद) की कार्यान्वयन शाखा है।
    • NGC द्वारा नदी में जल का निरंतर पर्याप्त प्रवाह सुनिश्चित करने के साथ पर्यावरण प्रदूषण को रोकने, नियंत्रित करने और कम करने में भूमिका निभाई जाती है।
  • NMCG की प्रबंधन संरचना: NMCG की प्रबंधन संरचना दो-स्तरीय है और दोनों का नेतृत्व NMCG के महानिदेशक (DG) करते हैं।
    • गवर्निंग काउंसिल: NMCG की सामान्य नीतियों का प्रबंधन करती है।
    • कार्यकारी समिति: यह 1,000 करोड़ रुपए तक के वित्तीय परिव्यय वाली परियोजनाओं को मंजूरी देने के लिये अधिकृत है।
  • गंगा संरक्षण के लिये पाँच स्तरीय संरचना: पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (EPA), 1986 में गंगा नदी के प्रभावी प्रबंधन और पुनरुद्धार के लिये राष्ट्रीय, राज्य और ज़िला स्तर पर पाँच स्तरीय संरचना की परिकल्पना की गई है।
    • राष्ट्रीय गंगा परिषद: भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली यह परिषद निगरानी हेतु सर्वोच्च निकाय है।
    • अधिकार प्राप्त कार्यबल (ETF): केंद्रीय जल शक्ति मंत्री की अध्यक्षता में यह कार्यबल गंगा नदी के पुनरुद्धार पर केंद्रित कार्रवाई हेतु ज़िम्मेदार है।
    • राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG): यह मिशन गंगा की सफाई और कायाकल्प के उद्देश्य से विभिन्न परियोजनाओं के लिये कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
    • राज्य गंगा समितियाँ: ये समितियाँ अपने अधिकार क्षेत्र में विशिष्ट उपायों को लागू करने के लिये राज्य स्तर पर कार्य करती हैं।
    • जिला गंगा समितियाँ: गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के निकट प्रत्येक निर्दिष्ट ज़िले में स्थापित ये समितियाँ जमीनी स्तर पर कार्य करती हैं।

नमामि गंगे कार्यक्रम क्या है?

  • परिचय: यह राष्ट्रीय नदी गंगा के प्रदूषण में प्रभावी कमी लाने के साथ इसके संरक्षण और कायाकल्प के दोहरे उद्देश्यों को पूरा करने के लिये एक एकीकृत संरक्षण मिशन है।
    • इसे जून 2014 में केंद्र सरकार द्वारा 20,000 करोड़ रुपए के बजट परिव्यय के साथ 'फ्लैगशिप कार्यक्रम' के रूप में अनुमोदित किया गया था।
    • फ्लैगशिप कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण, सिंचाई, शहरी और ग्रामीण विकास आदि से संबंधित प्रमुख राष्ट्रीय चिंताओं को हल किया जाता है।
  • कार्यक्रम के प्रमुख स्तंभ:
    • सीवेज उपचार अवसंरचना: अपशिष्ट जल का प्रभावी प्रबंधन करना।
    • नदी सतह की सफाई: नदी की सतह से ठोस अपशिष्ट और प्रदूषण को हटाना
    • वनारोपण: पेड़ लगाना और हरित आवरण का विस्तार करना।
    • औद्योगिक अपशिष्ट निगरानी: नदी को हानिकारक औद्योगिक अपशिष्टों से बचाना।
    • नदी-तट का विकास: सामुदायिक सहभागिता एवं पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये नदी के किनारे सार्वजनिक स्थलों का निर्माण करना।
    • जैवविविधता: नदी के पारिस्थितिकी स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के साथ विविध जैविक समुदायों को समर्थन देना।
    • जन जागरूकता: नदी संरक्षण के महत्त्व के बारे में नागरिकों को शिक्षित करना।
    • गंगा ग्राम: गंगा नदी के मुख्य तट के किनारे स्थित गाँवों को आदर्श गाँवों के रूप में विकसित करना।
  • एकीकृत मिशन दृष्टिकोण: इसके तहत आर्थिक विकास को पारिस्थितिकी सुधार के साथ जोड़ने पर बल देने के साथ सतत् विकास के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित की गई है।
    • स्वच्छ ऊर्जा, जलमार्ग, जैवविविधता संरक्षण और आर्द्रभूमि विकास को वर्तमान और भविष्य की पहलों के संदर्भ में प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के रूप में पहचाना गया है।

टेम्स नदी की पुनर्वहाली से संबंधित केस स्टडी

  • अवलोकन: टेम्स नदी को 1950 के दशक में "जैविक रूप से मृत" घोषित कर दिया गया था जिसमें शहरी प्रदूषण, औद्योगिक अपशिष्ट और अपर्याप्त सीवेज प्रणालियों  के कारण घुलित ऑक्सीजन का स्तर अत्यंत कम हो गया था।
    • शहर की बढ़ती आबादी और निम्न स्तरीय स्वच्छता प्रबंधन के कारण यह नदी कचरे का डंपिंग क्षेत्र बन गई।
    • फ्लीट जैसी प्रमुख सहायक नदियाँ (जो मध्य लंदन से होकर गुजरती हैं) दुर्गन्ध के कारण काफी चर्चा में रहीं।
  • वर्ष 1858 की दुर्गंध: वर्ष 1858 की भीषण गर्मी के दौरान यह नदी प्रदूषण की समस्या के चरमोत्कर्ष पर पहुँची, जिसे ग्रेट स्टिंक के नाम से जाना जाता है। 
    • टेम्स नदी में मानव और औद्योगिक अपशिष्ट के उच्च स्तर के कारण व्यापक लोक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ उत्पन्न हो गईं, जिसके परिणामस्वरूप सिविल इंजीनियर सर जोसेफ बाज़ेलगेट द्वारा डिज़ाइन किये गए सीवेज नेटवर्क को अपनाया गया।
  • पुनरुद्धार प्रयास: 1970 के दशक तक टेम्स नदी में प्रवेश करने वाले सभी सीवेज का उपचार किया गया तथा वर्ष 1961 और 1995 के बीच लागू किये गए नियमों से जल की गुणवत्ता में सुधार हुआ। 
    • वर्ष 1989 में स्थापित राष्ट्रीय नदी प्राधिकरण ने जल गुणवत्ता की निगरानी और प्रबंधन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • 20 वीं सदी के अंत में "बबलर्स" के नाम से जाने जाने वाले ऑक्सीजनेटर्स की स्थापना से घुलित ऑक्सीजन के स्तर में  काफी सुधार हुआ।
      • ये उपकरण जल में ऑक्सीजन को बढ़ाते हैं जिससे मछलियों की संख्या के साथ समग्र जलीय स्वास्थ्य में सुधार होता है।

राष्ट्रीय गंगा परिषद क्या है?

  • राष्ट्रीय गंगा परिषद (NGC): इसका गठन वर्ष 2016 में राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (NGRBA) के विघटन के बाद पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के तहत किया गया था।
  • उद्देश्य: NGC का लक्ष्य व्यापक और समन्वित दृष्टिकोण के माध्यम से गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के पुनरुद्धार, संरक्षण एवं प्रबंधन को सुनिश्चित करना है।
  • मंत्रालय: जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय (MoWR, RD & GR) इसके लिये नोडल मंत्रालय है। 
  • कार्य: यह इस संदर्भ में नीतियाँ और रणनीतियाँ तैयार करने के साथ प्रदूषण निवारण, पारिस्थितिकी बहाली एवं नदी संसाधनों के सतत् प्रबंधन से संबंधित पहलों की  प्रगति की निगरानी करता है।
  • शासन: इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री और उन राज्यों (अर्थात उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल आदि) के मुख्यमंत्रियों द्वारा की जाती है जहाँ से गंगा प्रवाहित होती है।

नमामि गंगे कार्यक्रम से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?

  • आँकड़ों और प्रभावी निगरानी का अभाव: 31 दिसंबर, 2023 तक 457 परियोजनाएँ शुरू की गई थीं। इनमें से केवल 280 ही पूरी या "शुरू" हो पाई हैं। इनमें से ज़्यादातर परियोजनाएँ STP के निर्माण से संबंधित हैं लेकिन ऐसा कोई डेटा नहीं है जिससे पता चले कि STP वास्तव में कार्यरत हैं।
  • सहायक नदियों की उपेक्षा: विशेषज्ञों का कहना है कि छोटी नदियों की उपेक्षा ने समग्र सफाई प्रयासों को बाधित किया है। उदाहरण के लिये, गोमती नदी में ऑक्सीजन का स्तर कम है जिससे यह जैवविविधता के लिये अनुपयुक्त हो गई है।
  • औद्योगिक प्रदूषण: कानपुर में चमड़े के कारखानों में अपशिष्टों का उचित तरीके से उपचार नहीं किया जाता है जिसके कारण उत्सर्जित अपशिष्ट में क्रोमियम जैसे हानिकारक पदार्थों की मात्रा बहुत अधिक हो जाती है।
  • लागत में वृद्धि: CAG ने अपनी रिपोर्ट में इस कार्यक्रम के संदर्भ में अनुचित वित्तीय प्रबंधन का संकेत दिया और कहा कि वर्ष 2014-15 से 2016-17 के दौरान केवल 8 - 63% धनराशि का ही उपयोग किया गया। CAG ने मीडिया अभियानों पर केंद्र सरकार के अत्यधिक खर्च  के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की।
  • वर्तमान पर्यावरणीय खतरे: अवैध रेत खनन से नदी के प्रवाह में और अधिक बाधा उत्पन्न होती है।

आगे की राह

  • वित्तीय प्रबंधन को बढ़ावा देना: नमामि गंगे कार्यक्रम के लिये आवंटित धन का प्रभावी और पारदर्शी तरीके से उपयोग सुनिश्चित करके वित्तीय प्रबंधन प्रथाओं में सुधार करना चाहिये। व्यय पर निगरानी रखने के क्रम में सख्त ऑडिटिंग एवं रिपोर्टिंग तंत्र लागू करना चाहिये।
  • विनियमन को सुदृढ़ बनाना: पर्यावरण अनुकूल प्रौद्योगिकियों एवं अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों को प्रोत्साहन देने के माध्यम से धारणीय औद्योगिक प्रथाओं को बढ़ावा देना चाहिये।
  • सहायक नदियों के पुनरुद्धार प्रयासों को महत्त्व देना: सहायक नदियों और छोटी नदियों के प्राकृतिक प्रवाह और जैवविविधता को बहाल करने सहित इनके स्वास्थ्य में सुधार हेतु लक्षित कार्रवाई की जानी चाहिये।
  • निगरानी और डेटा प्रणाली: नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत सभी परियोजनाओं के डेटा को एकीकृत करने वाला केंद्रीकृत डेटाबेस विकसित करना चाहिये, जिससे प्रगति की बेहतर ट्रैकिंग के साथ सुधार की आवश्यकता वाले क्षेत्रों की पहचान हो सके। 

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: गंगा नदी के संरक्षण और कायाकल्प में नमामि गंगे कार्यक्रम और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की क्या भूमिका है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)  

मेन्स

प्रश्न: नमामि गंगे और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) कार्यक्रमों पर और इससे पूर्व की योजनाओं से मिश्रित परिणामों के कारणों पर चर्चा कीजिये। गंगा नदी के परिरक्षण में कौन-सी प्रमात्रा छलांगे, क्रमिक योगदानों की अपेक्षा ज़्यादा सहायक हो सकती हैं? (2015)