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प्रारंभिक परीक्षा

भित्ति कला

  • 04 Jan 2023
  • 13 min read

हाल ही में चेरपुलास्सेरी (केरल) में गवर्नमेंट वोकेशनल हायर सेकेंडरी स्कूल की 700 फीट लंबी दीवार पर आधुनिक भित्ति कला की एक महान कृति ‘वॉल ऑफ पीस’ का उद्घाटन किया गया।

Mural-Art

भित्ति चित्र की विशेषताएँ:

  • भारतीय गुफाओं और महलों की दीवारों पर बने चित्र भित्ति चित्र कहलाते  हैं।
  • भित्ति चित्रों का सबसे पहला प्रमाण अजंता और एलोरा की गुफाओं, बाघ की गुफाओं एवं सित्तनवासल की गुफाओं पर चित्रित सुंदर भित्ति चित्रों से प्राप्त होता हैं।
  • भित्ति चित्रों के सर्वाधिक प्रमाण प्राचीन लिपियों और साहित्य में मिलते हैं।
    • विनय पिटक के अनुसार - वैशाली की प्रसिद्ध गणिका आम्रपाली ने अपने महल की दीवारों पर उस समय के राजाओं और व्यापारियों को चित्रित करने के लिये चित्रकारों को नियुक्त किया था।

भारतीय दीवार चित्रों की तकनीक:

  • भारतीय दीवार चित्रों को बनाने की तकनीक और प्रक्रिया की चर्चा 5वीं/6वीं शताब्दी के एक संस्कृत ग्रंथ विष्णुधर्मोत्तरम में की गई है।
  • सभी प्रारंभिक उदाहरणों में इन चित्रों की प्रक्रिया एक जैसी प्रतीत होती है, अपवाद के रूप में तंजौर के राजराजेश्वर मंदिर जिसे चट्टानों की सतह पर भित्ति चित्र विधि द्वारा किया गया माना जाता है।
  • अधिकांश रंग स्थानीय स्तर पर उपलब्ध थे। 
  • ब्रशों का निर्माण बकरी, ऊँट, नेवला आदि जानवरों के बालों से किया जाता था।
  • ज़मीन को चूने के प्लास्टर की एक अत्यधिक पतली परत के साथ लेपित किया जाता था, जिस पर पानी के रंगों द्वारा चित्रों को बनाया जाता था।
  • वास्तविक भित्ति पद्धति में पेंटिंग तब की जाती है जब सतह की दीवार गीली होती है, ताकि पिगमेंट दीवार की सतह के अंदर गहराई तक जा सके। 
  • भारतीय चित्रकला के अधिकांश मामलों में चित्रकला की जिस अन्य पद्धति का पालन किया गया, उसे टेम्पोरा के रूप में जाना जाता है।
    • यह पेंटिंग की एक ऐसी विधि है जिसमें चूने की प्लास्टर वाली सतह को पहले सूखने दिया जाता है और फिर ताज़े चूने के पानी से भिगोया जाता है।
    • इस प्रकार प्राप्त सतह पर कलाकार रेखाचित्र बनाता है।
    • उपयोग में आने वाले प्रमुख रंग लाल गेरू, विशद लाल (सिंदूर), पीला गेरू, गहरा नीला, लापीस लाजुली, लैम्प ब्लैक (काजल), चाक सफेद, टेरावर्ट और हरा थे।

भित्ति चित्र:  

  • कलाकृति का कोई भी हिस्सा है जिसे चित्रित किया जाता है अथवा सीधे दीवारों पर लगाया जाता है भित्ति चित्र कहलाता है।
  • भित्ति कला छत या किसी अन्य बड़ी स्थायी सतह पर अधिक व्यापक रूप से दिखाई देती है।
  • भित्ति चित्रों में आमतौर पर अंतरिक्ष के वास्तुकला संबंधी चित्रों को सामंजस्यपूर्ण रूप से शामिल किये जाने की विशिष्ट विशेषता होती है।
  • भित्ति चित्रों के लिये कई तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है, जिनमें से भित्ति सिर्फ एक प्रकार है।
  • इसलिये भित्ति दीवार पेंटिंग के लिये एक सामान्य शब्द है, जबकि फ्रेस्को एक विशिष्ट शब्द है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रश्न. सुप्रसिद्ध पेंटिंग "बणी ठणी" किस शैली की है? (2018)

(a) बूँदी शैली 
(b) जयपुर शैली 
(c) काँगड़ा शैली 
(d) किशनगढ़ शैली 

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • किशनगढ़ शैली: 
    • बणी ठणी चित्रकला किशनगढ़ शैली की है। भारतीय चित्रकला की किशनगढ़ शैली (18वीं सदी) का उदय किशनगढ़ (मध्य राजस्थान) रियासत में हुआ।
  • काँगड़ा शैली: 
    • लगभग 18वीं शताब्दी के मध्य में नादिर शाह (वर्ष 1739) और अहमद शाह अब्दाली (वर्ष 1744-1773) की सेनाओं ने मुगल राजधानी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों को लूट लिया। राजा गोवर्द्धन चंद (वर्ष 1744-1773) के संरक्षण में हरिपुर-गुलेर में काँगड़ा चित्रकला शैली का जन्म तब हुआ जब उन्होंने मुगल शैली की पेंटिंग में प्रशिक्षित शरणार्थी कलाकारों को आश्रय प्रदान किया।
  • बूँदी शैली: 
    • बूँदी चित्रकला शैली का विकास 17वीं-19वीं सदी के बीच राजस्थान की बूँदी रियासत और इसके पड़ोसी राज्य कोटाह (अब कोटा) में हुआ।
  • जयपुर शैली:
    • चूँकि जयपुर (आमेर) रियासत के शासकों का मुगलों के साथ घनिष्ठ संबंध था, 16वीं शताब्दी के अंत और 18वीं शताब्दी की शुरुआत के बीच विकसित हुई इस कला में राजस्थानी शैली (जो 16वीं -17वीं शताब्दी के बीच कला शैली पर प्रभावी थी) और मुगल शैली दोनों के समकालिक तत्त्व विद्यमान थे।

प्रश्न. कलमकारी पेंटिंग किसे संदर्भित करती है? (2015)

(a) दक्षिण भारत में सूती वस्त्र में हाथ से की गई चित्रकारी
(b) पूर्वोत्तर भारत में बाँस के हस्तशिल्प पर हाथ से किया गया चित्रांकन
(c) भारत के पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में ऊनी वस्त्र पर ठप्पे (ब्लॉक-पेंट) से की गई चित्रकारी
(d) उत्तर-पश्चिमी भारत में सजावटी रेशमी वस्त्र में हाथ से की गई चित्रकारी

उत्तर: (a)

  • कलमकारी दक्षिण भारतीय राज्यों तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके इमली की कलम से सूती या रेशमी वस्त्रों पर की जाने वाली हाथ की पेंटिंग की एक प्राचीन शैली है।
  • कलमकारी शब्द फारसी शब्द से लिया गया है जहाँ ‘कलम’ का अर्थ है कलम और 'कारी' शिल्प कौशल को संदर्भित करती है।
  • इस कला में रंगाई, ब्लीचिंग, हैंड पेंटिंग, ठप्पे (ब्लॉक प्रिंटिंग), स्टार्चिंग, सफाई आदि के 23 कठिन चरण शामिल हैं।
  • कलमकारी रूपांकनों में फूल, मोर और पैस्ले से लेकर रामायण एवं महाभारत जैसे पवित्र हिंदू महाकाव्यों के पात्र शामिल हैं।
  • वर्तमान में यह कला मुख्य रूप से कलमकारी साड़ियाँ बनाने के लिये की उपयोग की जाती है। अतः विकल्प (a) सही उत्तर है।

प्रश्न. निम्नलिखित ऐतिहासिक स्थानों पर विचार कीजिये: (2013)

  1. अजंता की गुफाएँ
  2. लेपाक्षी मंदिर
  3. साँची स्तूप

उपर्युक्त स्थानों में से कौन-सा/से भित्ति चित्रों के लिये भी जाना जाता है/जाने जाते हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) 1, 2 और 3
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं

उत्तर: (b)

व्याख्या:

अजंता की गुफाएँ:  

  • प्रारंभिक भित्ति चित्रों को बौद्ध कला के बाद के काल की नक्काशीदार भूमि पर किये गए चित्रण दीर्घाओं (galleries) के प्रोटोटाइप के रूप में माना जा सकता है, जैसा कि महाराष्ट्र में अजंता के चित्रित गुफा मंदिरों में है।
  • एलोरा की गुफाओं में अजंता, बाग, सित्तनवासल, अर्मामलाई गुफा (तमिलनाडु), रावण छाया शैलाश्रय, कैलाशनाथ मंदिर की गुफाओं में भित्ति चित्र पाए जाते हैं। अत: 1 सही है।

लेपाक्षी मंदिर: 

  • दक्षिणी आंध्र प्रदेश के कुरमासेलम (जो तेलुगू में कछुआ पहाड़ी शब्द का अनुवाद है) नामक एक निचली चट्टानी पहाड़ी पर स्थित लेपाक्षी मंदिर का निर्माण विरुपन्ना और वीरन्ना भाइयों द्वारा करवाया गया था, ये 1583 में विजयनगर शासकों के शासनकाल में सेवा में थे।
  • यह अपने हैंगिंग कॉलम अथवा स्तंभ, एक अखंड नंदी/Monolithic Nandi (4.5 मीटर ऊँचा और 8.23 मीटर लंबा) तथा भित्ति चित्रों के बेहतरीन नमूनों के लिये प्रसिद्ध है।

साँची स्तूप: 

  • इसे तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनवाया गया था, यह चार तोरण (सजावटी द्वार) के साथ बुद्ध के पुरावशेष पर निर्मित ईंट की अर्द्धगोलीय संरचना है।
  • इसमें बुद्ध के जीवन से प्रेरित, पत्थर पर की गई नक्काशियाँ भी हैं और कई रस्सियों, मोतियों एवं रीलों के साथ एक केंद्र में एक पाल्मेट डिज़ाइन भी है। इसमें कोई भित्ति चित्र नहीं है। अतः 3 सही नहीं है। 

प्रश्न. प्राचीन भारत में गुप्त काल के गुफा चित्रों के केवल दो ज्ञात उदाहरण हैं। इन्हीं में से एक है अजंता की गुफाओं के चित्र। गुप्तकालीन चित्रों का अन्य मौजूद उदाहरण कहाँ है?  (2010)  

(a) बाग गुफाएँ  
(b) एलोरा की गुफाएँ  
(c) लोमस ऋषि गुफाएँ  
(d) नासिक की गुफाएँ  

उत्तर: (b)

व्याख्या: 

  • बाग गुफाएँ मध्य प्रदेश की विंध्य पहाड़ियों में स्थित हैं। वे भारत में बौद्ध कला और वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। गुफाओं में चैत्य एवं विहार दोनों हैं। 5वीं-6वीं शताब्दी ईस्वी के दौरान बाग गुफाओं का उत्खनन किया गया था, जो भारत में बौद्ध धर्म के बाद के चरणों के अनुरूप था।
  • गुप्त काल को भारत में कला और वास्तुकला का स्वर्ण युग माना जाता है। गुप्त शासक कला, साहित्य और विद्वानों के महान संरक्षक थे। गुप्त साम्राज्य के शासनकाल के दौरान अजंता तथा एलोरा की गुफाओं को तराशा गया था। इनमें हिंदू और बौद्ध दोनों विषयों के चित्र हैं।
  • लोमस ऋषि गुफा बिहार के बराबर और नागार्जुनी पहाड़ियों में एक मानव निर्मित गुफा है। इसे तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में मौर्य साम्राज्य के अशोक काल के दौरान बनाया गया था।
  • नासिक गुफाएँ 24 गुफाओं का एक समूह है, जो पहली शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी ईस्वी के दौरान बनाई गई हैं। हीनयान बौद्ध धर्म में चल रहे परिवर्तनों को प्रतिबिंबित करने के लिये 6वीं शताब्दी ईस्वी के दौरान इसमें कुछ बदलाव किये गए थे।
  • गुफाओं पर बने शिलालेख से पता चलता है कि स्थानीय व्यापारियों और सामंतों द्वारा किये गए दान के अतिरिक्त विभिन्न शासक राजवंशों ने गुफाओं के निर्माण में योगदान दिया है। गुफाओं पर वर्णित तीन शासक राजवंश- पश्चिमी क्षत्रप, सातवाहन और आभीर हैं। अतः विकल्प (b) सही उत्तर है। 

स्रोत: द हिंदू

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