प्रारंभिक परीक्षा
ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान
हाल ही में NCR और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने क्षेत्र में वायु प्रदूषण के समाधान हेतु मौजूदा ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) में संशोधन की घोषणा की है।
- संशोधित GRAP में लक्षित कार्रवाइयाँ शामिल हैं जिन्हें एक निश्चित सीमा से अधिक प्रदूषण होने पर दिल्ली के AQI (वायु गुणवत्ता सूचकांक) जैसी ज़िम्मेदार/कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा किये जाने की आवश्यकता है।
- इससे पहले जर्नल नेचर में प्रकाशित एक रिसर्च में बताया गया है कि वर्ष 2018-2021 के दौरान भारतीय वायु प्रदूषण में मानव-प्रेरित प्रदूषण का अधिकतम स्तर देखा गया है। इस रिसर्च का शीर्षक था "सेंटिनल-5पी और गूगल अर्थ इंजन का उपयोग मशीन लर्निंग-आधारित देश-स्तरीय वार्षिक वायु प्रदूषक अन्वेषण"।
ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP):
- परिचय:
- GRAP आपातकालीन उपायों का एक समूह है जो दिल्ली-NCR क्षेत्र में एक निश्चित सीमा तक पहुँचने के बाद वायु की गुणवत्ता में होने वाली गिरावट को रोकने के लिये लागू होता है।
- एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ (2016) के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद वर्ष 2016 में इसे सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित किया गया था और वर्ष 2017 में अधिसूचित किया गया था।
- कार्यान्वयन:
- वर्ष 2021 से GRAP को CAQM द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
- वर्ष 2020 तक सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण (EPCA) राज्यों को GRAP उपायों को लागू करने का आदेश देता था।
- EPCA को भंग कर वर्ष 2020 में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) द्वारा इसे प्रतिस्थापित किया गया था।
- CAQM भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) और भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा वायु गुणवत्ता तथा मौसम संबंधी पूर्वानुमानों पर निर्भर करता है।
- वर्ष 2021 से GRAP को CAQM द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
- संशोधन:
- चरण I [खराब (Poor)- AQI 201-300]: अधिक पुराने डीज़ल/पेट्रोल वाहनों पर NGT/माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश को लागू करें।
- चरण II [बहुत खराब (Very Poor)- AQI 301-400]: क्षेत्र में चिह्नित हॉटस्पॉट पर वायु प्रदूषण से निपटने के लिये लक्षित कार्रवाई। NCR के सभी क्षेत्रों में डीज़ल जेनरेटर का विनियमित संचालन निर्धारित किया गया है।
- चरण III [गंभीर (Severe)- AQI 401-450]: कुछ क्षेत्रों में BS III पेट्रोल और BS IV डीज़ल चार पहिया वाहनों पर सख्त प्रतिबंध लगाया जाएगा तथा कक्षा 5 तक प्राथमिक कक्षा के बच्चों के लिये स्कूलों में शारीरिक रूप से उपस्थिति वाली कक्षाएँ निलंबित हो सकती हैं।
- चरण IV [गंभीर प्लस (Severe Plus)- AQI 450 से अधिक]: जब AQI 450 से अधिक हो जाता है तो इलेक्ट्रिक वाहनों, CNG वाहनों तथा BS-VI डीज़ल वाहनों और आवश्यक वस्तुओं को ले जाने वाले वाहनों को छोड़कर, दिल्ली के बाहर पंजीकृत चार पहिया वाहनों को शहरों में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।
नोट: AQI एक संख्या है जिसका उपयोग सरकारी एजेंसियाँ वायु प्रदूषण के स्तर को मापने हेतु करती हैं तथा इससे संबंधित सूचना को जन-जन तक संचारित करती हैं। जैसे-जैसे AQI बढ़ता है, इसका मतलब है कि आबादी का एक बड़ा प्रतिशत गंभीर प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों का अनुभव करेगा। वायु प्रदूषण से निपटने हेतु सरकार की पहल:
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प्रारंभिक परीक्षा
जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2023
हाल ही में जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2023 मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में पारित कर दिया गया और इस विधेयक का उद्देश्य रहन-सहन एवं व्यापार करने में सुगमता को बढ़ाना है।
जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2023:
- परिचय:
- इस विधेयक में 19 मंत्रालयों/विभागों द्वारा प्रशासित 42 केंद्रीय अधिनियमों में 183 प्रावधानों को अपराध मुक्त करने का प्रस्ताव है, जिसमें पर्यावरण, कृषि, मीडिया, उद्योग, व्यापार, सूचना प्रौद्योगिकी, कॉपीराइट, मोटर वाहन, सिनेमैटोग्राफी, खाद्य सुरक्षा आदि जैसे विभिन्न क्षेत्र शामिल हैं।
- इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य ऐसे छोटे अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करना है जिनसे सार्वजनिक हित अथवा राष्ट्रीय सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है और साथ ही उनके स्थान पर नागरिक दंड या प्रशासनिक कार्रवाई की व्यवस्था करना है।
- पृष्ठभूमि:
- यह विधेयक 22 दिसंबर, 2022 को लोकसभा में पेश किया गया था, उसके बाद संसद की संयुक्त समिति को भेजा गया था।
- आवश्यकता:
- न्याय प्रणाली पर अनुचित दबाव को कम करने के लिये आपराधिक प्रावधानों को तर्कसंगत बनाने के लिये।
- गंभीर दंड लगाए बिना तकनीकी और प्रक्रियात्मक चूक का समाधान करने के लिये।
- अपराध की गंभीरता और निर्धारित सज़ा के बीच संतुलन स्थापित करने के लिये।
- बाधाओं को दूर करके और अनुकूल कानूनी माहौल को बढ़ावा देकर व्यवसायों के विकास को बढ़ावा देने के लिये।
- विधेयक की मुख्य विशेषताएँ:
- यह विधेयक कुछ प्रावधानों में कारावास की धाराओं और/अथवा ज़ुर्माने को हटाने तथा कुछ अन्य मामलों में उन्हें दंड में बदलने का प्रावधान करता है।
- दंड का निर्धारण संबंधित मंत्रालयों/विभागों के नियुक्त निर्णायक अधिकारियों द्वारा किया जाएगा।
- यह विधेयक कुछ प्रावधानों में अपराधों के शमन का भी व्यवस्था करता है, जिसका अर्थ है कि अपराधी न्यायालयी मुकदमे के बिना एक निश्चित राशि का भुगतान करके अपने मामलों का निपटारा कर सकते हैं।
- इस विधेयक में निर्दिष्ट अधिनियमों में विभिन्न अपराधों के लिये न्यूनतम राशि में 10% की वृद्धि के साथ प्रत्येक तीन वर्ष में ज़ुर्माने और ज़ुर्माने की आवधिक समीक्षा का प्रावधान है।
- इस विधेयक द्वारा भारतीय डाकघर अधिनियम, 1898 जो कि वर्तमान स्थिति में अप्रचलित और अप्रासंगिक है, को सभी संबंधित अपराधों एवं दंडों के साथ निरस्त कर दिया गया है।
- लाभ:
- प्रशासनिक न्यायनिर्णयन तंत्र शुरू कर विधेयक न्याय प्रणाली पर दबाव कम करता है, लंबित मामलों को कम करने में मदद करता है और अधिक कुशल तथा प्रभावी न्याय वितरण की सुविधा प्रदान करता है।
- विधेयक यह सुनिश्चित करके विश्वास-आधारित शासन को बढ़ावा देगा कि नागरिक, व्यवसाय और सरकारी विभाग मामूली, तकनीकी या प्रक्रियात्मक चूक के लिये कारावास के भय के बिना काम कर सकेंगे।
- चिंताएँ:
- जन विश्वास विधेयक कारावास के स्थान पर ज़ुर्माना या सज़ा का प्रावधान करता है जो अपराध से मुक्ति के लिये पर्याप्त नहीं है।
- विशेषज्ञों का तर्क है कि विधेयक 'अर्द्ध-अपराधीकरण (Quasi-Decriminalization)' का प्रतिनिधित्व करता है तथा वास्तविक गैर-अपराधीकरण को संस्थागत बनाने के लिये और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है।
- वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम तथा पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत निर्णयन अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर चिंता जताई गई, ऐसी कानूनी कार्यवाही के लिये उनकी तकनीकी क्षमता पर सवाल उठाया गया।
विधेयक में शामिल प्रमुख कानून:
विविध
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 31 जुलाई, 2023
डोंगरिया कोंध जनजाति
ओडिशा के नियमगिरि की पहाड़ियों में रहने वाले डोंगरिया कोंध जनजाति को वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 में प्रस्तावित संशोधनों के कारण संभावित खतरों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे उनकी पैतृक भूमि और सांस्कृतिक पहचान की सुरक्षा से संबंधित चिंता बढ़ गई है।
- डोंगरिया कोंध जनजाति भारत के ओडिशा में 13 विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTG) में से एक है।
- प्रस्तावित वन संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 वर्ष 1996 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित 'वन' की परिभाषा को बदलने का प्रयास करता है।
- संशोधन के अनुसार, 2023 का वन संरक्षण अधिनियम, केवल भारतीय वन अधिनियम, 1927 और 25 अक्तूबर, 1980 से सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार अधिसूचित 'वन' क्षेत्रों पर लागू होगा।
- नियमगिरि की लगभग 95% भूमि को सरकारी रिकॉर्ड में 'वन' के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है।
- संशोधन संभावित रूप से सरकारी रिकॉर्ड में 'वन' के रूप में वर्गीकृत नहीं की गई भूमि को अन्य उद्देश्यों के लिये स्थानांतरित करने हेतु एक विंडो ओपन कर सकता है, जो नियमगिरि पहाड़ी शृंखला और ओडिशा के अन्य वन क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है।
और पढ़ें… डोंगरिया कोंध जनजाति, वन संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023, भारत में प्रमुख जनजातियाँ
46,000 वर्ष पुराने कृमि और क्रिप्टोबायोसिस
पाँच वर्ष पूर्व वैज्ञानिकों ने साइबेरिया में दो जमे हुए (Frozen) जीवों, अति सूक्ष्म नेमाटोड (Nematodes) की खोज की और उन्हें पुनर्जीवित किया। PLOS जेनेटिक्स पत्रिका (journal PLOS Genetics) में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में इन प्राचीन जीवों के बारे में महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष सामने आए हैं, जिससे पता चलता है कि ये कृमि 46,000 वर्ष पुराने हैं। यह अध्ययन क्रिप्टोबायोसिस (Cryptobiosis) की अविश्वसनीय घटना के संबंध में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
- क्रिप्टोबायोसिस प्रतिकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों की प्रतिक्रिया में अत्यधिक निष्क्रियता की स्थिति है। क्रिप्टोबायोटिक अवस्था में:
- सभी चयापचय प्रक्रियाएँ रुक जाती हैं, जिससे प्रजनन, विकास तथा उपचार रुक जाता है।
- जीव निष्क्रिय अवस्था में प्रवेश करके चरम स्थितियों में जीवित रह सकते हैं जहाँ वे जीवन और मृत्यु के बीच जीवित रहते हुए अपनी जीवन प्रक्रियाओं को रोक देते हैं।
- यह अध्ययन नेमाटोड (Nematodes) में प्रलेखित क्रिप्टोबायोसिस अवधि को हज़ारों वर्षों तक महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ा देता है।
- प्राचीन कृमियों की सुप्त अवस्था में जीवित रहने की उल्लेखनीय क्षमता का विकासवादी अध्ययनों तथा प्रजातियों के अनुकूलन को समझने पर गहरा प्रभाव पड़ता है, जो इस बात पर प्रकाश डालता है कि जंतु, जलवायु परिवर्तन के कारण निवास स्थान में होने वाले बदलावों को किस प्रकार सहन करते हैं।
न्याय विकास पोर्टल
हाल ही में केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में न्याय विकास पोर्टल पर बहुमूल्य जानकारी प्रदान की।
- न्याय विकास इसरो के राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर की तकनीकी विशेषज्ञता के साथ विकसित एक ऑनलाइन अनुवीक्षण प्रणाली है।
- न्याय विकास वेब पोर्टल और मोबाइल एप, जो न्याय से संबंधित बुनियादी ढाँचागत परियोजनाओं की प्रभावी और रियल टाइम निगरानी की सुविधा प्रदान करते हैं, को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उचित उपयोग करने के प्रयास में वर्ष 2018 में स्थापित किया गया था।
- भारतीय न्यायपालिका में सुधार के लिये लक्षित अन्य पहलें:
- AI आधारित SUPACE पोर्टल
- बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिये केंद्र प्रायोजित योजना (CSS)।
मिशन-LiFE के साथ विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस
सभी क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधनों, जैव विविधता और पारिस्थितिकी को संरक्षित करने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 28 जुलाई को विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मनाया जाता है।
- राष्ट्रीय प्राणी उद्यान, नई दिल्ली ने विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस को मिशन-LiFE के लक्ष्यों के साथ मनाया।
- UNFCCC COP26 में भारत के प्रधानमंत्री ने मिशन LiFE की शुरुआत की थी जिसका लक्ष्य वैश्विक जलवायु कार्यवाही में व्यक्तिगत व्यवहार को प्राथमिकता देना है।
- LiFE का लक्ष्य अपशिष्ट 'उपयोग और निपटान' वाली अर्थव्यवस्था से 'सचेत एवं जान-बूझकर' उपभोग पर आधारित एक स्थायी चक्रीय अर्थव्यवस्था में बदलाव करना है।
- विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस 2023 की थीम 'वन और आजीविका: लोगों और ग्रह को बनाए रखना' है।
और पढ़ें… मिशन-LiFE
स्माइल-75 योजना:
हाल ही में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के राज्य मंत्री ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर के दौरान SMILE-75 पहल पर बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान की।
- एक छत्र योजना के रूप में "स्माइल - आजीविका और उद्यमों में हाशिये पर रहने वाले व्यक्तियों हेतु सहायता" की उप-योजना भी शामिल है- यह 'भीख मांगने के कार्य में लगे व्यक्तियों के व्यापक पुनर्वास के लिये केंद्र की योजना' है।
- स्माइल- 75 का उद्देश्य भारतीय शहरों/कस्बों एवं नगरपालिका क्षेत्रों को भिक्षावृत्ति मुक्त बनाने के साथ विभिन्न हितधारकों की समन्वित कार्रवाई के माध्यम से भिक्षावृत्ति के कार्य में लगे व्यक्तियों के व्यापक पुनर्वास के लिये एक रणनीति बनाना है।
- वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में 4 लाख से अधिक भिखारी हैं। इस चार्ट में पश्चिम बंगाल शीर्ष पर है, उसके बाद उत्तर प्रदेश तथा बिहार क्रमशः दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं।
और पढ़ें… स्माइल-75 योजना, भारत में जनगणना