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भ्रामक खाद्य विज्ञापनों को कम करना

  • 09 May 2023
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

FSSAI, CCPA, FSS अधिनियम 2006, उपभोक्ता कल्याण निधि, केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण परिषद, उपभोक्ता संरक्षण नियम, 2021

मेन्स के लिये:

भ्रामक खाद्य विज्ञापनों को कम करना

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने खाद्य व्यवसाय ऑपरेटरों (FBO) को खाद्य सुरक्षा तथा मानक (विज्ञापन एवं दावे) विनियम, 2018 के उल्लंघन में लिप्त पाया है तथा उन्हें भ्रामक दावों को कम करने लिये कहा है।

चिंताएँ:  

  • FSSAI ने पता लगाया है कि न्यूट्रास्यूटिकल उत्पादों, परिष्कृत तेल, दालों, आटा, बाज़रा उत्पादों और घी बेचने वाली कुछ कंपनियाँ अपने उत्पादों के बारे में झूठे दावे कर रही हैं। ये दावे वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं हुए हैं और उपभोक्ताओं को गुमराह कर सकते हैं।
    • इन मामलों को FSSAI ने लाइसेंसिंग अधिकारियों को संदर्भित किया है, जो अपने भ्रामक दावों को वापस लेने या संशोधित करने के लिये कंपनियों को नोटिस जारी करेंगे।
    • अनुपालन करने में विफलता के परिणामस्वरूप उनके लाइसेंस के दंड, निलंबन या रद्दीकरण हो सकते हैं, क्योंकि झूठे दावे या विज्ञापन करना खाद्य सुरक्षा और मानकों (FSS) अधिनियम, 2006 की धारा -53 के तहत एक दंडनीय अपराध है।
  • भ्रामक खाद्य विज्ञापनों से संबंधित चिंताएँ मुख्य रूप से किसी उत्पाद के पोषण, लाभ और संघटक मिश्रण के बारे में किये गए झूठे या निराधार दावों के इर्द-गिर्द घूमती हैं।  
  • यह समस्या विभिन्न खाद्य श्रेणियों में व्यापक है और उल्लंघनकारी खाद्य विज्ञापनों की एक महत्त्वपूर्ण संख्या रही है।
  • इसके अतिरिक्त खाद्य को प्रभावित करने वालों द्वारा गैर-प्रकटीकरण भी एक प्रमुख चिंता का विषय है। भ्रामक विज्ञापनों से उपभोक्ताओं को भ्रम हो सकता है और यदि वे झूठे दावों के आधार पर गलत भोजन विकल्प चुनते हैं तो उनके स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है।

उपभोक्ता संरक्षण और भ्रामक विज्ञापनों से निपटने हेतु पहलें:  

  • खाद्य सुरक्षा और मानक (विज्ञापन और दावे) विनियम, 2018: यह विशेष रूप से भोजन (और संबंधित उत्पादों) से संबंधित है, जबकि केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) के नियम माल, उत्पादों और सेवाओं को कवर करते हैं
  • केबल टेलीविज़न नेटवर्क नियम, 1994: यह निर्धारित करता है कि विज्ञापनों को लेकर यह अनुमान नहीं लगाना चाहिये कि इसमें "कुछ विशेष या चमत्कारी या अलौकिक संपत्ति या गुणवत्ता है, जिसे साबित करना मुश्किल है।
  • FSS अधिनियम 2006: किसी बीमारी, विकार या विशेष मनोवैज्ञानिक स्थिति की रोकथाम, उपशमन, उपचार या इलाज हेतु उपयुक्तता का सुझाव देने वाले उत्पाद के दावे निषिद्ध हैं, जब तक कि FSS अधिनियम, 2006 के नियमों के तहत विशेष रूप से अनुमति नहीं दी जाती है।
  • उपभोक्ता कल्याण कोष: इसे उपभोक्ताओं के कल्याण को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने हेतु केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (Central Goods and Services Tax- CGST) अधिनियम, 2017 के तहत स्थापित किया गया था।
    • कुछ उदाहरण: उपभोक्ता संबंधित मुद्दों पर अनुसंधान और प्रशिक्षण को बढ़ावा देने हेतु प्रतिष्ठित संस्थानों/विश्वविद्यालयों में उपभोक्ता कानून पीठों/उत्कृष्टता केंद्रों का निर्माण। उपभोक्ता साक्षरता एवं जागरूकता बढ़ाने के लिये परियोजनाएँ।
  • केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण परिषद: इसका उद्देश्य उपभोक्ता संरक्षण कानूनों की निगरानी और उन्हें लागू करके उपभोक्ता शिक्षा की सुविधा प्रदान करके एवं उपभोक्ता निवारण तंत्र प्रदान करके उपभोक्ता हितों की रक्षा करना है। इसके अलावा परिषद उपभोक्ता-हितैषी नीतियों तथा पहलों को भी बढ़ावा देती है।
  • उपभोक्ता संरक्षण नियम, 2021: यह नियम उपभोक्ता आयोग के प्रत्येक स्तर के आर्थिक अधिकार क्षेत्र को निर्धारित करते हैं। नियमों ने उपभोक्ता शिकायतों पर विचार करने हेतु आर्थिक क्षेत्राधिकार को संशोधित किया।
  • उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020: ये नियम बाध्यकारी हैं, न कि सलाहकारी। विक्रेता सामान वापस लेने या सेवाओं को वापस लेने या धन वापसी से इनकार नहीं कर सकते हैं, अगर ऐसे सामान या सेवाएँ दोषपूर्ण, कम, देर से वितरित की जाती हैं या यदि वे प्लेटफॉर्म पर दिये गए विवरण को पूरा नहीं करती हैं।

पैकेज्ड फूड को दिये जाने वाले टैग:

  • प्राकृतिक: 
    • खाद्य उत्पाद को 'प्राकृतिक' के रूप में संदर्भित किया जा सकता है यदि यह किसी मान्यता प्राप्त प्राकृतिक स्रोत से प्राप्त एकल खाद्य है और इसमें कुछ भी नहीं मिलाया गया है।
    • इसे केवल मानव उपभोग हेतु उपयुक्त बनाने के लिये संसाधित किया जाना चाहिये। पैकेजिंग भी रसायनों एवं परिरक्षकों के बिना की जानी चाहिये।
      • समग्र खाद्य पदार्थ पौधे और प्रसंस्कृत घटकों के मिश्रण को 'प्राकृतिक' नहीं कहा जा सकता है, इसके बजाय वे 'प्राकृतिक अवयवों से बने' कहे जाएंगे।
  • ताज़ा: 
    • खाद्य पदार्थ जिन्हें बिना किसी अन्य प्रसंस्करण के केवल धोया, छीला, प्रशीतित, छँटनी या काटा गया है, जो उनकी मूलभूत विशेषताओं को संशोधित करता है, उन्हें केवल "ताज़ा" कहा जा सकता है।
    • यदि खाद्य पदार्थ को किसी भी तरह से उसके शेल्फ लाइफ को बढ़ाने के लिये संसाधित किया जाता है, तो उसे "ताज़ा" के रूप में लेबल नहीं किया जा सकता है।
    • खाद्य किरणन (irradiation) एक नियंत्रित प्रक्रिया है जो अंकुरण, पकने में देरी जैसे प्रभावों को प्राप्त करने के लिये और कीड़ों, परजीवियों एवं सूक्ष्मजीवों को मारने में विकिरण ऊर्जा का उपयोग करती है।
    • यदि कोई उत्पाद तैयार होने के तुरंत बाद जम जाता है, तो इसे "ताज़े जमे हुए (freshly frozen)" "जमे हुए ताज़े (fresh frozen)" के रूप में लेबल किया जा सकता है। 
      • हालाँकि अगर इसमें एडिटिव्स हैं या ये किसी अन्य आपूर्ति शृंखला प्रक्रिया से गुज़रे हैं, तो इसे "ताज़ा" के रूप में लेबल नहीं किया जा सकता है।
  • शुद्ध: 
    • शुद्ध का उपयोग एकल-घटक खाद्य पदार्थों के लिये किया जाना चाहिये जिसमें कुछ भी अतिरिक्त नहीं जोड़ा गया है और जो सभी परिहार्य संदूषण से रहित है।
      • यौगिक खाद्य पदार्थों को 'शुद्ध' के रूप में वर्णित नहीं किया जा सकता है, लेकिन यदि वे उल्लिखित मानदंडों को पूरा करते हैं, तो उन्हें 'शुद्ध सामग्री से बना' कहा जा सकता है।
  • असली: 
    • असली/ओरिजिनल का उपयोग एक फॉर्मूलेशन से बने खाद्य उत्पादों का वर्णन करने के लिये किया जाता है, जिसकी उत्पत्ति के विषय में पता लगाया जा सकता है जिसमें समय के साथ कोई बदलाव नहीं आता है।
    • उनमें किसी भी प्रमुख सामग्री में कोई बदलाव नहीं किया जाता है। इसी तरह इसका उपयोग एक विशिष्ट प्रक्रिया का वर्णन करने के लिये किया जा सकता है जो समय के साथ अनिवार्य रूप से अपरिवर्तित है, हालाँकि उस उत्पाद का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा सकता है। 
  • पोषण संबंधी दावे: 
    • खाद्य विज्ञापनों में पोषण संबंधी दावे किसी उत्पाद की विशिष्ट सामग्री अथवा किसी अन्य खाद्य पदार्थ के साथ तुलना के बारे में हो सकते हैं। एक खाद्य पदार्थ में तुलनीय खाद्य पदार्थ के समान पोषण मूल्य होना चाहिये यदि यह दावा करता है कि इसमें किसी अन्य खाद्य पदार्थ के समान पोषक तत्त्व की मात्रा है।
    • पोषण संबंधी दावे या तो किसी उत्पाद की विशिष्ट सामग्री अथवा किसी अन्य खाद्य पदार्थों के साथ तुलना के बारे में हो सकते हैं। 

आगे की राह 

  • कंपनियों को अपने दावों का समर्थन करने के लिये तकनीकी और नैदानिक सबूत देने की आवश्यकता है। विज्ञापनों को भी इस प्रकार संशोधित किया जाना चाहिये ताकि उपभोक्ता उनकी सही व्याख्या कर सकें।
  • FSSAI और राज्य खाद्य प्राधिकरणों को FBO के व्यापक और विश्वसनीय आँकड़ों को सुनिश्चित करने और FSS अधिनियम के बेहतर प्रवर्तन और प्रशासन को सुनिश्चित करने के लिये अपने अधिकार क्षेत्र के तहत खाद्य व्यावसायिक गतिविधियों का सर्वेक्षण करना चाहिये।
  • चोट या मृत्यु के मामलों में मुआवज़े और ज़ुर्माने की सीमा बढ़ाने तथा खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं जैसी पर्याप्त बुनियादी सुविधाएँ प्रदान करने की आवश्यकता है। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 ने खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954 को प्रतिस्थापित किया है।
  2. भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में स्वास्थ्य सेवा के महानिदेशक के प्रभार के अंतर्गत आता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (a) 

व्याख्या:

  • यह स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एक स्वायत्त निकाय है। इसे खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत स्थापित किया गया है, यह विभिन्न अधिनियमों तथा आदेशों को समेकित करता है जिसने अब तक विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में खाद्य संबंधी मुद्दों के समाधान में सहायता की है।
  • खाद्य मानक और सुरक्षा अधिनियम, 2006 को खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954, फल उत्पाद आदेश, 1955 जैसे कई अधिनियमों एवं आदेशों के स्थान पर लाया गया। अतः कथन 1 सही है।
  • FSSAI का नेतृत्त्व एक गैर-कार्यकारी अध्यक्ष द्वारा किया जाता है, जिसे केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। वह भारत सरकार के अंतर्गत सचिव पद के समकक्ष हो अथवा सचिव पद से नीचे कार्यरत न रहा हो। FSSAI स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक के अधीन नहीं है। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • FSSAI को मानव उपभोग के लिये सुरक्षित और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु खाद्य पदार्थों के लिये विज्ञान आधारित मानकों को निर्धारित करने तथा उनके निर्माण, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात को विनियमित करने के लिये बनाया गया है।
  • अतः विकल्प (a) सही है।

स्रोत : द हिंदू

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