पीएम-डिवाइन योजना
हाल ही में केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने पूर्वोत्तर क्षेत्र हेतु प्रधानमंत्री विकास पहल (Prime Minister's Development Initiative for North Eastern Region- PM-DevINE) को अपडेट किया है।
पीएम-डिवाइन:
- केंद्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में पीएम-डिवाइन योजना को केंद्रीय बजट 2022-23 के हिस्से के रूप में पेश किया गया था।
- मंत्रिमंडल ने 12 अक्तूबर, 2022 को पीएम-डिवाइन योजना को मंज़ूरी दी। इसका 100% वित्तपोषण केंद्र सरकार द्वारा किया गया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि संसाधन सीधे विकास पहल के लिये आवंटित किये जाएँ।
- इस योजना को उत्तर-पूर्व क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा।
- पीएम-डिवाइन के उद्देश्य:
- बुनियादी ढाँचे का विकास: पीएम गतिशक्ति के अनुरूप पीएम-डिवाइन का लक्ष्य पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में निर्बाध कनेक्टिविटी और पहुँच सुनिश्चित करते हुए समेकित तरीके से बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को वित्तपोषित करना है।
- सामाजिक विकास परियोजनाओं का समर्थन: NER की अनूठी आवश्यकताओं एवं चुनौतियों को पहचानते हुए यह योजना उन सामाजिक विकास परियोजनाओं का समर्थन करने का प्रयास करती है जो महत्त्वपूर्ण मुद्दों का समाधान करती हैं और क्षेत्र के निवासियों के जीवन की समग्र गुणवत्ता में सुधार करती हैं।
- युवाओं और महिलाओं को सशक्त बनाना: पीएम-डिवाइन (PM-DevINE) विशेष रूप से NER के युवाओं और महिलाओं को लक्षित कर आजीविका के अवसर उत्पन्न करना चाहता है ताकि वे क्षेत्र के विकास एवं प्रगति में सक्रिय भागीदार बन सकें।
- बजट आवंटन:
- इस योजना को केंद्रीय बजट 2022-23 में 1500 करोड़ रुपए का प्रारंभिक आवंटन प्राप्त हुआ।
- वर्ष 2022-23 से वर्ष 2025-26 तक की 4 वर्ष की अवधि, जो 15वें वित्त आयोग की अवधि के शेष वर्षों के साथ संरेखित है, में इस योजना का कुल परिव्यय 6,600 करोड़ रुपए है।
- वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान स्वीकृत परियोजनाओं की एक राज्य-वार एवं परियोजना-वार सूची तैयार की गई है जिसमें प्रत्येक परियोजना को संबंधित राज्यों की विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये तैयार किया गया है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास से संबंधित अन्य पहलें:
- उत्तर-पूर्व औद्योगिक विकास योजना (NEIDS)
- उत्तर-पूर्वी परिषद (NEC)
- उत्तर-पूर्व सड़क क्षेत्र विकास योजना
- कनेक्टिविटी परियोजनाएँ: कलादान मल्टी-मोडल ट्रांज़िट प्रोजेक्ट (म्याँमार) और बांग्लादेश-चीन-भारत-म्याँमार (BCIM) कॉरिडोर।
- भारतमाला परियोजना (सुधार के लिये NER में 5,301 किमी. सड़क क्षेत्र)
- RCS-UDAN (उड़ान को और अधिक किफायती बनाने के लिये) के तहत उत्तर-पूर्व को प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में रखा गया है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. पूर्वोत्तर भारत में उपप्लवियों की सीमा पार आवाजाही, सीमा की पुलिसिंग के सामने अनेक सुरक्षा चुनौतियों में से केवल एक है। भारत-म्याँमार सीमा के आर-पार वर्तमान में आरंभ होने वाली विभिन्न चुनौतियों का परीक्षण कीजिये। साथ ही इन चुनौतियों का प्रतिरोध करने के कदमों पर चर्चा कीजिये। (वर्ष 2019) |
स्रोत: पी.आई.बी.
ब्लैक होल और क्वांटम यांत्रिकी
हाल ही में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, एस.एन. बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज़ के वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा किये गए शोध में ब्लैक होल के अल्प ज्ञात क्षेत्र और क्वांटम यांत्रिकी के साथ उसके परस्पर संबंधों पर प्रकाश डाला गया है।
- यह अन्वेषण दो महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिक सिद्धांतों, क्वांटम यांत्रिकी तथा आइंस्टीन द्वारा प्रतिपादित सापेक्षता का सामान्य सिद्धांत, के एकीकरण में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करने की क्षमता रखता है।
- यह अध्ययन ब्लैक होल में स्वतंत्र रूप से गिरने वाले परमाणुओं और इस प्रक्रिया में उत्सर्जित विकिरण पर नवीन क्वांटम प्रभावों पर केंद्रित है।
नोट:
- सापेक्षता का सामान्य सिद्धांत: अल्बर्ट आइंस्टीन का सिद्धांत बताता है कि पिंड विशाल पिंडो के चारों ओर किस प्रकार परिक्रमण करते हैं। सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत का एक मूलभूत परिणाम ब्लैक होल का अस्तित्व है।
- क्वांटम सिद्धांत: परमाणुओं जैसे छोटे कणों के व्यवहार का सबसे छोटे स्तर पर अध्ययन।
- आइंस्टीन का समतुल्यता का सिद्धांत: यह विचार कि गुरुत्वाकर्षण वाले एक छोटे से क्षेत्र में प्रकृति के नियम गुरुत्वाकर्षण के बिना समान हैं।
- हॉकिंग विकिरण: यह स्टीफन हॉकिंग द्वारा प्रस्तावित एक सैद्धांतिक अवधारणा है, जो बताती है कि ब्लैक होल घटना क्षितिज के पास क्वांटम प्रभाव के कारण विकिरण उत्सर्जित कर सकती है जिसे हॉकिंग विकिरण के रूप में जाना जाता है।
अध्ययन की मुख्य विशेषताएँ
- ब्लैक होल में गिरने वाले परमाणुओं से निकलने वाला विकिरण हॉकिंग विकिरण के समान होता है।
- परीक्षण से पता चलता है कि विकिरण दो-स्तरीय परमाणुओं से उत्पन्न होता है, जैसा कि हॉकिंग द्वारा भविष्यवाणी की गई थी कि यह ब्लैक होल द्वारा उत्सर्जित विकिरण के विपरीत होता है।
- यह अध्ययन उत्सर्जित विकिरण में विकार की मात्रा निर्धारित करने के लिये "क्षैतिज उज्ज्वल त्वरण विकिरण एन्ट्रॉपी" (Horizon Brightened Acceleration Radiation Entropy/ HBAR Entropy) की अवधारणा पेश करता है।
- HBAR एन्ट्रापी लघुगणकीय क्रम में क्षेत्रीय सुधार एवं क्षेत्रीय उप-अग्रणी सुधारों के व्युत्क्रम के साथ क्षेत्रीय नियमों का पालन करता है।
- यह एक सामान्य विन्यास में आइंस्टीन के समतुल्यता के सिद्धांत को कायम रखता है, जो ब्लैक होल के परिदृश्यों में क्वांटम यांत्रिकी और सामान्य सापेक्षता की परस्पर क्रिया में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
- यह अध्ययन ब्लैक होल में क्वांटम प्रभावों की रहस्यमय दुनिया के बारे में हमारी समझ को बढ़ाता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित परिघटनाओं पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त में से अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत का/के भविष्य कथन कौन सा/से है/हैं, जिनका/जिनकी प्रायः समाचार माध्यमों में विवेचना होती है? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) |
स्रोत: पी.आई.बी.
बच्चों में नेत्र संबंधी जलन
एक नवीन अध्ययन के अनुसार, भारतीय उपमहाद्वीप में बच्चों के नेत्रों में जलन उत्पन्न करने में "चूना" या बुझे हुए चूने की प्रमुख भूमिका है।
- तीव्र नेत्र संबंधी जलन वाले अधिकांश व्यक्ति पुरुष थे, यह समस्या वयस्कों में 80% से अधिक और बच्चों में 60% से अधिक है।
बुझा हुआ चूना:
- परिचय:
- बुझा हुआ चूना [Ca (OH)2]: बुझे हुए चूने (कैल्शियम ऑक्साइड) को जल के साथ मिलाकर प्राप्त किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप एक रासायनिक अभिक्रिया होती है जो कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड उत्पन्न करती है।
- जल के साथ बुझे हुए चूने को मिलाने की ऊष्माक्षेपी प्रक्रिया के दौरान अत्यधिक मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न होती है।
- इसका pH मान उच्च होता है, जो इसे अत्यधिक क्षारीय और दहनशील बनाता है।
नोट:
- क्षार वह क्षारक है जो जल में घुल जाता है। क्षारक एक प्रकार के रासायनिक पदार्थ को संदर्भित करता है जिसका pH मान उच्च होता है, आमतौर पर pH पैमाने पर 7 से ऊपर।
- क्षार को क्षारक के रूप में भी जाना जाता है तथा इस प्रक्रिया में अम्ल को निष्क्रिय करने, लवण और जल का उत्पादन करने की विशेष क्षमता होती है।
- क्षार के सामान्य उदाहरणों में सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) और पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH) शामिल हैं।
- अम्ल एक प्रकार का रासायनिक पदार्थ है जिसका pH मान कम होता है, सामान्यतः pH पैमाने पर 7 से नीचे। अम्ल की विशेषता किसी घोल में हाइड्रोजन आयन (H+) छोड़ने की क्षमता है। यह धातुओं, कार्बोनेट और क्षारों के साथ प्रतिक्रिया कर लवण एवं जल में परिवर्तित हो सकता है।
- अम्ल के सामान्य उदाहरणों में हाइड्रोक्लोरिक एसिड (HCl) और सल्फ्यूरिक एसिड (H2SO4) शामिल हैं।
- उपयोग:
- बुझे हुए चूने का उपयोग निर्माण एवं कृषि सहित इतिहास में विभिन्न अनुप्रयोगों के लिये किया गया है।
- इसका उपयोग पारंपरिक रूप से पान तैयार करने में चूने (बाध्यकारी एजेंट- Binding Agent) के रूप में किया जाता है जो दक्षिण तथा दक्षिण-पूर्व एशिया में एक लोकप्रिय पारंपरिक चबाने योग्य मिश्रण है।
- मुद्दा:
- चूने के खुले तथा खराब सीलबंद पैकेट से आँखों में जलन का खतरा उत्पन्न हो रहा है। चूने का एक पैकेट फटने से किसी व्यक्ति की आँखों में क्षार आ सकता है जिसके परिणामस्वरूप आँख की सतह पर जलन हो सकती है और संभावित रूप से गंभीर क्षति हो सकती है।
- कॉर्निया के विशिष्ट स्टेम सेल-समृद्ध क्षेत्र, कॉर्नियल लिमबस (Corneal Limbus) में जलन, इसकी स्वयं की उपचार करने की क्षमता को कमज़ोर कर सकती है जिससे दीर्घकालिक दृष्टि संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं।
- बच्चों को जोखिम:
- आँखों की सभी प्रकार की जलन में 38% का कारण क्षार है, जिसमें चूना सबसे आम क्षार एजेंट है, घरों और आतिशबाजी के दौरान चूने के साथ निकट संपर्क के कारण यह बच्चों में 32% क्षार जलन के लिये ज़िम्मेदार है।
नोट: नेत्र संबंधी जलन हानिकारक रसायनों, तीव्र गर्मी या विकिरण के संपर्क में आने के कारण चोटों को संदर्भित करती है, जिसके परिणामस्वरूप आँख की सतह या आंतरिक संरचना को नुकसान होता है।
आँखों में जलन विभिन्न पदार्थों, जैसे- एसिड, क्षार, सॉल्वैंट्स या वेल्डिंग आर्क या लेज़र जैसे उच्च-ऊर्जा स्रोतों के संपर्क के कारण भी हो सकती है।
स्रोत: द हिंदू
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 27 जुलाई, 2023
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम
हाल ही में गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (VVP) के संबंध में महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।
- यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसे 15 फरवरी, 2023 को मंज़ूरी दी गई और आधिकारिक तौर पर 10 अप्रैल, 2023 को लॉन्च किया गया। यह अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और लद्दाख में उत्तरी सीमा से सटे 19 ज़िलों के 46 ब्लॉकों में चुनिंदा गाँवों के व्यापक विकास पर केंद्रित है।
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देना, सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण करना, कौशल विकास, उद्यमिता और कृषि तथा औषधीय पौधों/जड़ी-बूटियों की खेती सहित सहकारी समितियों के विकास के माध्यम से आजीविका के अवसर उत्पन्न करना है।
- इस कार्यक्रम के तहत सड़क कनेक्टिविटी, आवास, ग्रामीण बुनियादी ढाँचे, नवीकरणीय ऊर्जा, टेलीविज़न और दूरसंचार कनेक्टिविटी आदि शामिल हैं, इसका उद्देश्य लोगों को चयनित गाँवों में रहने के लिये पर्याप्त प्रोत्साहन प्रदान करना है।
- इसके अतिरिक्त सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (Border Area Development Programme- BADP) के तहत स्थलीय सीमाओं से लगे 16 राज्यों और 2 केंद्रशासित प्रदेशों में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पहली बस्ती से 10 किमी. की दूरी के भीतर स्थित जनगणना में शामिल गाँवों/कस्बों, अर्द्ध-शहरी तथा शहरी क्षेत्रों में आवश्यक बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई है।
- हिमाचल प्रदेश के किन्नौर तथा लाहुल और स्पीति ज़िलों के साथ-साथ चामोली, उत्तरकाशी व रुद्रप्रयाग ज़िलों के विशिष्ट गाँवों को वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम के लिये चुना गया है।
जम्मू और कश्मीर में लिथियम अयस्क
- हाल ही में कोयला, खान और संसदीय मामलों के मंत्रालय ने भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण की G3 चरण खनिज अन्वेषण परियोजना तथा जम्मू और कश्मीर के रियासी ज़िले के सलाल-हैमना क्षेत्रों में लिथियम अयस्क की महत्त्वपूर्ण खोज के बारे में विवरण प्रदान किया है।
- इस क्षेत्र में 5.9 मिलियन टन लिथियम अयस्क के अनुमानित भंडार (G3) की पुष्टि की गई है।
- भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) एक भू-वैज्ञानिक संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 1851 में कोयला भंडार खोजने के लिये की गई थी और अब यह राष्ट्रीय भू-विज्ञान जानकारी एवं खनिज संसाधन मूल्यांकन प्रदान करता है।
- GSI खान मंत्रालय से संबंधित कार्यालय है और इसका मुख्यालय कोलकाता में है। इसके छह क्षेत्रीय कार्यालय लखनऊ, जयपुर, नागपुर, हैदराबाद, शिलॉन्ग और कोलकाता में स्थित हैं। प्रत्येक राज्य की एक राज्य इकाई होती है।
- जम्मू और कश्मीर में लिथियम खनिज ब्लॉक की नीलामी के संबंध में निर्णय जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा लिया जाएगा।
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भारतीय सेना ने आधार सेवाओं के लिये पहले PAEC का उद्घाटन किया
- भारतीय सेना ने हाल ही में नई दिल्ली के एक सेंट्रल बेस पोस्ट ऑफिस (CBPO) में अपने स्थायी आधार नामांकन केंद्र (PAEC) का उद्घाटन किया।
- PAEC की स्थापना त्रि-सेवा कर्मियों एवं उनके आश्रितों के लिये एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है, क्योंकि यह फील्ड पोस्ट ऑफिस (FPOs) के माध्यम से देश भर में 48 चिह्नित स्थानों पर नामांकन और अद्यतनीकरण सहित आधार-संबंधित सेवाएंँ प्रदान करेगा।
- PAEC का व्यापक कवरेज, जिसमें युद्ध क्षेत्र और शांति क्षेत्र दोनों ही शामिल हैं, यह सुनिश्चित करता है कि दूरदराज़ के क्षेत्रों में तैनात लोगों सहित सेना के सभी कर्मी आसानी से आधार सेवाओं का लाभ उठा सकें।
राष्ट्रीय कोयला सूचकांक (NCI) में महत्त्वपूर्ण गिरावट
- राष्ट्रीय कोयला सूचकांक (National Coal Index- NCI) में मई 2022 की तुलना में मई 2023 में 33.8% की उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है। यह गिरावट बाज़ार में कोयले की मज़बूत आपूर्ति का संकेत है।
- NCI एक मूल्य सूचकांक है जो अधिसूचित कीमतों, नीलामी कीमतों तथा आयात कीमतों सहित सभी बिक्री चैनलों से कोयले की कीमतों को जोड़ता है।
- वित्तीय वर्ष 2017-18 को आधार वर्ष मानकर स्थापित, यह बाज़ार की गतिशीलता के एक विश्वसनीय संकेतक के रूप में कार्य करता है जो कोयले की कीमत में उतार-चढ़ाव के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्रदान करता है।
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