भारत में उच्च जोखिम वाली सगर्भता
स्रोत: द हिंदू
मुंबई में ICMR के राष्ट्रीय प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान (National Institute for Research in Reproductive and Child Health- NIRRCH) के शोधकर्त्ताओं द्वारा जर्नल ऑफ ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन पूरे भारत में उच्च जोखिम वाली गर्भधारण की व्यापकता पर प्रकाश डालता है।
- उच्च जोखिम वाली सगर्भता इंगित करती है कि एक महिला में एक या अधिक कारक हैं जो उसके या बच्चे के लिये स्वास्थ्य जटिलताओं की संभावना को बढ़ाते हैं, साथ ही समय से पहले प्रसव का खतरा भी बढ़ाते हैं।
अध्ययन के प्रमुख बिंदु क्या हैं?
- उच्च प्रसार: अध्ययन में पाया गया कि भारत में 49.4% गर्भवती महिलाओं में उच्च जोखिम वाली सगर्भता थी।
- लगभग 33% गर्भवती महिलाओं में एक ही उच्च जोखिम कारक था, जबकि 16% में कई उच्च जोखिम कारक थे।
- क्षेत्रीय असमानताएँ: तेलंगाना के साथ-साथ मेघालय, मणिपुर और मिज़ोरम जैसे राज्यों में उच्च जोखिम वाले कारकों का प्रचलन सबसे अधिक है।
- इसके विपरीत, सिक्किम, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में उच्च जोखिम वाली गर्भधारण का प्रचलन सबसे कम था।
- उच्च जोखिम वाली सगर्भता में योगदान देने वाले कारक:
- जन्म के बीच अंतर: पिछले जन्म और वर्तमान गर्भधारण के बीच 18 महीने से कम अंतर को परिभाषित किया गया है, जिसे उच्च जोखिम वाले गर्भधारण में योगदान देने वाले प्राथमिक कारक के रूप में पहचाना गया था।
- मातृत्व संबंधी जोखिम के कारक: इनमें मातृ आयु (किशोरावस्था या 35 वर्ष से अधिक), छोटा कद एवं उच्च बॉडी मास इंडेक्स (BMI) जैसे कारक शामिल थे।
- जीवनशैली तथा जन्मपूर्व परिणाम के जोखिम: जीवनशैली के जोखिम कारक जैसे तंबाकू तथा शराब का सेवन, साथ ही पिछले प्रतिकूल जन्म परिणाम जैसे गर्भपात या मृत जन्म, उच्च जोखिम वाली गर्भधारण में महत्त्वपूर्ण योगदानकर्त्ता थे।
गर्भवती महिलाओं से संबंधित भारत सरकार की पहल क्या हैं?
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना: इसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 की धारा 4 के प्रावधानों के अनुसार कार्यान्वित किया जा रहा है, जो गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करता है, साथ ही माँ के साथ-साथ बच्चे के स्वास्थ्य एवं पोषण में सुधार करने एवं वेतन हानि के लिये मुआवज़ा सुनिश्चित करना है।
- जननी सुरक्षा योजना (JSY): यह योजना संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित करने के लिये गर्भवती महिलाओं, विशेषकर कमज़ोर वर्गों को नकद सहायता प्रदान करती है।
- जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (JSSK): यह सभी गर्भवती महिलाओं को सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में मुफ्त परिवहन, निदान, दवाओं और आहार के साथ C-सेक्शन (सीजेरियन सेक्शन) सहित मुफ्त प्रसव का अधिकार देता है।
- प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA): गर्भवती महिलाओं को एक निश्चित दिन, हर महीने के 9वें दिन एक विशेषज्ञ या चिकित्सा अधिकारी द्वारा नि:शुल्क सुनिश्चित एवं गुणवत्तापूर्ण प्रसवपूर्व जाँच प्रदान करता है।
- सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन): इसका उद्देश्य सार्वजनिक सुविधाओं में प्रत्येक गर्भवती महिला और नवजात शिशु के लिये निःशुल्क, सम्मानजनक तथा गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करना है।
- लक्ष्य/LaQshya: इसका उद्देश्य प्रसूति कक्ष (Labour Rooms) में देखभाल की गुणवत्ता में सुधार करना, संभावित रूप से उत्पन्न जटिलताओं को कम करना तथा मातृ एवं नवजात शिशु के लिये परिणामों को बेहतर करना है।
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विधिक दृष्टिकोण: उच्चतम न्यायालय ने 26 सप्ताह के गर्भ के समापन की याचिका खारिज़ की
https://www.drishtijudiciary.com/hin
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. जननी सुरक्षा योजना कार्यक्रम का प्रयास है (2012)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) |
तिरूपति को अपशिष्ट प्रबंधन नेतृत्व के लिये मान्यता
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने अपशिष्ट प्रबंधन एवं स्वच्छता में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिये आंध्र प्रदेश के तिरूपति नगर निगम (MC) को विशिष्ट रूप से दर्शाया।
अपशिष्ट प्रबंधन और स्वच्छता में तिरूपति की उपलब्धियाँ क्या हैं?
- स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 रैंकिंग:
- तिरूपति नगर निगम ने स्वच्छता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करते हुए 1 लाख से अधिक आबादी वाले सबसे स्वच्छ शहरों में 8वाँ स्थान हासिल किया।
- अपशिष्ट मुक्त शहर (Garbage Free City- GFC) और वाटर प्लस रेटिंग:
- 5-स्टार गार्बेज फ्री सिटी (GFC) और वाटर प्लस (+) रेटिंग हासिल की।
नोट:
- स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) खुले में शौच मुक्त (ODF)+, ODF++ और वाटर+ श्रेणियों का उपयोग करके स्वच्छता मापदंडों पर शहरों का परीक्षण करता है।
- ODF+:
- जल, स्वच्छता और साफ-सफाई के साथ शौचालयों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। ODF+ शहर उचित शौचालय सुविधाओं को बनाए रखने के लिये ODF स्थिति की संधारणीयता सुनिश्चित करते हैं।
- ODF++:
- कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन वाले शौचालयों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। ODF++ शहर सभी मल कीचड़ और सीवेज के सुरक्षित संग्रह, परिवहन, उपचार तथा निपटान को सुनिश्चित करते हैं।
- वाटर +:
- वाटर+ प्रमाणन प्रक्रिया के प्रोटोकॉल एवं अन्य बातों के अतिरिक्त, यह आकलन करते हैं कि संपूर्ण अपशिष्ट जल (सीवेज और मल कीचड़) को सुरक्षित रूप से परिवहन, स्वच्छ एवं सीमित किया जाता है, साथ ही उपचारित अपशिष्ट जल की अधिकतम मात्रा का पुन: उपयोग भी किया जाता है।
- ODF+:
तिरूपति अपशिष्ट प्रबंधन एवं स्वच्छता का प्रबंधन कैसे करता है?
- अपशिष्ट उत्पादन आँकड़े:
- आंध्र प्रदेश के चित्तूर ज़िले में सबसे बड़े शहरी स्थानीय निकाय (ULB) तिरूपति के लिये व्यापक अपशिष्ट प्रबंधन सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। शहर में प्रति दिन लगभग 115 टन गीला कचरा (TPD), 15 टन खाद्य कचरा, 61 टन सूखा कचरा और पुनर्चक्रण योग्य कचरा, 1 टन घरेलू खतरनाक कचरा, 2 टन प्लास्टिक कचरा तथा अतिरिक्त 25 टन प्रतिदिन विध्वंस अपशिष्ट एवं कचरा उत्पन्न होता है।
- एकत्र किये गए संपूर्ण कचरे को संबंधित अपशिष्ट प्रसंस्करण एवं प्रबंधन सुविधाओं में वैज्ञानिक रूप से संसाधित किया जाता है।
- मज़बूत अपशिष्ट संग्रहण अवसंरचना:
- तिरूपति शहर के प्रत्येक द्वार को कवर करते हुए 100% डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण प्राप्त किया है।
- तिरूपति MC विभिन्न प्रकार के कचरे को अलग करने के लिये डिब्बों से सुसज्जित, घंटा गद्दी तथा ऑटो टिपर जैसी आवश्यक बुनियादी संरचना प्रदान करता है।
- तिरूपति शहर के प्रत्येक द्वार को कवर करते हुए 100% डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण प्राप्त किया है।
- दक्षता हेतु प्रौद्योगिकी एकीकरण:
- तिरूपति घर-घर कचरा संग्रहण की वास्तविक समय पर निगरानी रखने, जवाबदेही एवं दक्षता सुनिश्चित करने के लिये रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक के साथ एक ऑनलाइन अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली (OWMS) का उपयोग करता है।
- अपशिष्ट प्रसंस्करण एवं प्रबंधन सुविधाएँ:
- तिरूपति विकेंद्रीकृत अपशिष्ट प्रसंस्करण, केंद्रीकृत संयंत्रों पर बोझ को कम करने के साथ-साथ परिवहन लागत को भी कम करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
- यह शहर अपशिष्ट प्रबंधन प्रयासों को सुव्यवस्थित करते हुए, थोक अपशिष्ट जनरेटरों की पहचान और वर्गीकरण करता है।
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन पहल:
- तिरूपति अपने प्लास्टिक अपशिष्ट का प्रबंधन एक समर्पित प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन सुविधा के माध्यम से करता है जो निम्न-श्रेणी के प्लास्टिक को कुशलतापूर्वक निपटाने में सक्षम है।
- वॉशिंग प्लांट और एग्लोमरेटर मशीन की शुरुआत, तिरूपति को प्लास्टिक अपशिष्ट को प्रभावी ढंग से रीसाइक्लिंग करने में सक्षम बनाती है जिससे स्थायी अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं में योगदान मिलता है।
- तिरूपति अपने प्लास्टिक अपशिष्ट का प्रबंधन एक समर्पित प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन सुविधा के माध्यम से करता है जो निम्न-श्रेणी के प्लास्टिक को कुशलतापूर्वक निपटाने में सक्षम है।
- जैविक अपशिष्ट प्रबंधन:
- तिरूपति एक बायो-मीथेनेशन संयंत्र के संचालन के माध्यम से जैविक अपशिष्ट को बायो-मीथेन गैस और गुणवत्तापूर्ण खाद में परिवर्तित करता है जिससे सतत् कृषि पद्धतियों तथा ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा मिलता है।
- उत्पन्न बायो-गैस का उपयोग भोजन पकाने, ऊर्जा और वाहन ईंधन जैसे विभिन्न अनुप्रयोगों के लिये किया जाता है जो शहर के ऊर्जा स्थिरता लक्ष्यों में योगदान देता है।
- तिरूपति एक बायो-मीथेनेशन संयंत्र के संचालन के माध्यम से जैविक अपशिष्ट को बायो-मीथेन गैस और गुणवत्तापूर्ण खाद में परिवर्तित करता है जिससे सतत् कृषि पद्धतियों तथा ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा मिलता है।
- निर्माण और विध्वंस (CएंडD) अपशिष्ट प्रबंधन:
- प्रो एनवायरो सॉल्यूशंस के साथ साझेदारी करते हुए तिरूपति ने सर्कुलर इकोनॉमी सिद्धांतों को बढ़ावा देते हुए 20-25 TPD C&D अपशिष्ट के प्रबंधन के लिये सुविधा प्रदान की है।
- C&D अपशिष्ट से संसाधित सामग्री का उपयोग संधारणीयता को बढ़ावा देने, विनिर्माण और विकासात्मक कार्यों के लिये किया जाता है।
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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्स:प्रश्न. भारत में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन-सा एक कथन सही है? (2019) (a) अपशिष्ट उत्पादन को पाँच कोटियाँ में अपशिष्ट अलग-अलग करने होंगे। उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न.1 निरंतर उत्पन्न किये जा रहे फेंके गए ठोस अपशिष्ट की विशाल मात्राओं का निस्तारण करने में क्या-क्या बाधाएँ हैं? हम अपने रहने योग्य परिवेश में जमा होते जा रहे ज़हरीले अपशिष्टों को सुरक्षित रूप से किस प्रकार हटा सकते हैं? (2018) प्रश्न.2 "जल, सफाई और स्वच्छता आवश्यकता को लक्षित करने वाली नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये लाभार्थी वर्गों की पहचान को प्रत्याशित परिणामों के साथ जोड़ना होगा।" ‘वाश’ योजना के संदर्भ में इस कथन का परीक्षण कीजिये। (2017) |
इंटरपोल के नोटिस
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में इंटरपोल की नोटिस प्रणाली के दुरुपयोग, विशेष रूप से ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी करने के बारे में चिंताएँ व्यक्त की गई हैं, जिनकी रेड कॉर्नर नोटिस की तुलना में कम जाँच की जाती है।
- पिछले दस वर्षों में नीले नोटिसों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है।
- आलोचकों ने तर्क दिया है कि देश अक्सर राजनीतिक शरणार्थियों और असंतुष्टों को लक्षित करने के लिये मौजूदा प्रोटोकॉल का फायदा उठाते हैं।
इंटरपोल नोटिस सिस्टम क्या है?
- परिचय:
- इंटरपोल अंतर्राष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिये राष्ट्रीय पुलिस बलों के लिये एक महत्त्वपूर्ण सूचना-साझाकरण नेटवर्क के रूप में कार्य करता है।
- इंटरपोल (सामान्य सचिवालय) लापता या वांछित व्यक्तियों के लिये सदस्य राज्यों को नोटिस जारी करता है, जिसका पालन करना राज्यों हेतु अनिवार्य नहीं है, लेकिन अक्सर गिरफ्तारी और प्रत्यर्पण के लिये वारंट के रूप में माना जाता है।
- अनुरोधकर्त्ता प्राधिकारी: नोटिस निम्नलिखित के अनुरोध पर जारी किये जाते हैं:
- एक सदस्य देश का इंटरपोल नेशनल सेंट्रल ब्यूरो
- अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायाधिकरणों तथा अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के अनुरोध पर उनके अधिकार क्षेत्र के भीतर अपराध, विशेष रूप से नरसंहार, युद्ध अपराध एवं मानवता के विरुद्ध अपराध करने के लिये वांछित व्यक्तियों की खोज करना।
- संयुक्त राष्ट्र के अनुरोध पर सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों को लागू करने के संबंध में।
- नोटिस के प्रकार:
इंटरपोल नोटिस के दुरुपयोग के बारे में क्या चिंताएँ हैं?
- ब्लू नोटिस बनाम रेड नोटिस:
- ब्लू नोटिस: "पूछताछ नोटिस" के रूप में संदर्भित, सदस्य राज्यों में पुलिस बलों को अन्य विवरणों के साथ-साथ किसी व्यक्ति के आपराधिक रिकॉर्ड एवं स्थान की पुष्टि करने सहित महत्त्वपूर्ण अपराध-संबंधी जानकारी का आदान-प्रदान करने में सक्षम बनाता है।
- ब्लू कॉर्नर नोटिस आपराधिक आरोप दायर करने से पहले जारी किये जाते हैं।
- रेड नोटिस: किसी वांछित अपराधी को प्रत्यर्पण या अन्य कानूनी तरीकों से गिरफ्तार के लिये किसी सदस्य राज्य द्वारा जारी किया जाता है, गिरफ्तारी वारंट या न्यायालय के निर्णय के बाद अभियोजन अथवा सज़ा देने के लिये राष्ट्रीय न्यायालयों द्वारा मांगे गए व्यक्तियों को लक्षित किया जाता है।
- इंटरपोल किसी भी देश के अनुरोध पर कार्रवाई कर सकता है, भले ही वह भगोड़े का स्वदेश हो, जब तक कि कथित अपराध वहाँ हुआ हो।
- विचाराधीन व्यक्ति को सदस्य राज्य से गुजरते समय हिरासत में लिया जा सकता है और गिरफ्तार किया जा सकता है, जिसके अतिरिक्त प्रतिकूल परिणाम हो सकते हैं, जिसमें बैंक खातों को फ्रीज़ करना भी शामिल है।
- इंटरपोल के पास किसी भी देश में कानून प्रवर्तन एजेंसियों को रेड कॉर्नर नोटिस द्वारा लक्षित व्यक्ति को पकड़ने के लिये बाध्य करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि ऐसा करने का निर्णय पूरी तरह से उनके विवेक पर है।
- ब्लू नोटिस: "पूछताछ नोटिस" के रूप में संदर्भित, सदस्य राज्यों में पुलिस बलों को अन्य विवरणों के साथ-साथ किसी व्यक्ति के आपराधिक रिकॉर्ड एवं स्थान की पुष्टि करने सहित महत्त्वपूर्ण अपराध-संबंधी जानकारी का आदान-प्रदान करने में सक्षम बनाता है।
- रेड नोटिस को लेकर विवाद: हालाँकि इंटरपोल का संविधान राजनीतिक चरित्र की किसी भी गतिविधि को स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित करता है, लेकिन कार्यकर्त्ताओं ने उस पर इस नियम को लागू करने में विफल रहने का आरोप लगाया है। उदाहरण के लिये:
- रूस प्रायः क्रेमलिन विरोधियों की गिरफ्तारी के लिये नोटिस और प्रसार जारी करता है, जो अमेरिकी अधिकार संगठन फ्रीडम हाउस के अनुसार सभी सार्वजनिक रेड नोटिस में 38% का योगदान देता है।
- अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों ने चीन, ईरान, तुर्की और ट्यूनीशिया सहित अन्य देशों पर सत्तावादी उद्देश्यों के लिये एजेंसी की नोटिस प्रणाली का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है।
- इंटरपोल ने गुरपतवंत सिंह पन्नून के विरुद्ध रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने के भारत के दूसरे अनुरोध को अस्वीकार कर दिया, जिसे UAPA के तहत गृह मंत्रालय द्वारा "आतंकवादी" के रूप में नामित किया गया था। इंटरपोल ने नोटिस जारी करने के संबंध में अपर्याप्त जानकारी का हवाला देते हुए और इस बात पर प्रकाश डाला उसके कृत्यों में "स्पष्ट राजनीतिक आयाम" है जो इंटरपोल के संविधान के अधीन रेड कॉर्नर नोटिस के दायरे से परे है।
- इंटरपोल का रुख: बढ़ती आलोचना के मद्देनज़र इंटरपोल ने अपने रेड नोटिस प्रणाली में सुधार किया है किंतु ब्लू नोटिस जारी करने के संबंध में चिंताएँ बरकरार हैं।
पूर्वी अफ्रीका में उष्णकटिबंधीय ग्लेशियरों में कमी
स्रोत: डाउन टू अर्थ
वर्ष 2021-2022 के लिये उच्च-रिज़ॉल्यूशन उपग्रह छवियों के हालिया विश्लेषण से अफ्रीका में विशेष रूप से पूर्वी अफ्रीका के उष्णकटिबंधीय ग्लेशियरों में बर्फ के कम होने की चिंताजनक प्रवृत्ति का पता चला है।
- पूर्वी अफ़्रीका में उष्णकटिबंधीय ग्लेशियर, जिनमें रुवेंज़ोरी पर्वत (युगांडा/कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य), माउंट केन्या (केन्या) और किलिमंजारो (तंजानिया) शामिल हैं, जो भूमध्य रेखा के 3° अक्षांश के बीच हैं, उनका आकार काफी कम हो गया है।
- वर्ष 1900 के बाद से किलिमंजारो ने अपने ग्लेशियर क्षेत्र का केवल 8.6%, माउंट केन्या ने 4.2% और रवेंज़ोरी रेंज ने 5.8% बरकरार रखा है।
- इन अध्ययनों से प्राप्त होता है कि पूर्वी अफ्रीका में आधुनिक ग्लेशियर का 90% से अधिक विस्तार वर्ष 2020 की शुरुआत तक कम हो गया है।
- माउंट किलिमंजारो अफ्रीकी महाद्वीप का सबसे ऊँचा पर्वत और विश्व का सबसे ऊँचा खड़ा पर्वत (समुद्र तल से 5,895 मीटर) है।
- यह अध्ययन जलवायु परिवर्तनशीलता और जलवायु परिवर्तन के संकेतक के रूप में उष्णकटिबंधीय ग्लेशियरों के महत्त्वपूर्ण महत्त्व को रेखांकित करता है, इस पर्यावरणीय चुनौती के सामने आगे के शोध तथा संरक्षण प्रयासों की तत्काल आवश्यकता पर बल देता है।
- उष्णकटिबंधीय ग्लेशियर आमतौर पर भूमध्य रेखा के पास और इंटरट्रॉपिकल कन्वर्जेंस ज़ोन (ITCZ) के अंदर स्थित होते हैं, जो उन्हें जलवायु विविधताओं के प्रति संवेदनशील बनाते हैं।
- ITCZ वह स्थान है जहाँ उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध की व्यापारिक पवनें भूमध्य रेखा के पास मिलती हैं।
और पढ़ें: लुप्त हो रहे अफ्रीकी दुर्लभ ग्लेशियर, 21वीं सदी में वैश्विक ग्लेशियर परिवर्तन
आयुष समग्र कल्याण केंद्र
स्रोत: पी.आई.बी.
भारत के मुख्य न्यायाधीश ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court - SC) में 'आयुष समग्र कल्याण केंद्र (Ayush Holistic Wellness Centre - AYUSH HWC)' का उद्घाटन किया, जो न्यायपालिका के भीतर समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में एक सार्थक सिद्ध हुआ है।
- AYUSH HWC, आयुष मंत्रालय के तहत SC और अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास है।
- यह केंद्र व्यापक स्वास्थ्य संवर्द्धन के लिये शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक कल्याण को बढ़ाने के लक्ष्य के साथ आयुर्वेदिक सिद्धांतों तथा पद्धतियों के अनुरूप अत्याधुनिक समग्र देखभाल प्रदान करने के लिये बाध्य है।
- AYUSH HWC राष्ट्रीय आयुष मिशन (National AYUSH Mission - NAM) में आयुष्मान भारत का एक घटक है।
भारत के AI नवोन्मेषकों को सशक्त बनाने हेतु iMPEL-AI कार्यक्रम
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट और आईक्रिएट (iCreate) ने भारत में AI स्टार्टअप को आगे बढ़ाने के लिये इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा समर्थित एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये हैं।
- इसके एक भाग के रूप में, iMPEL-AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में उभरते अग्रणियों के लिये आईक्रिएट -माइक्रोसॉफ्ट प्रोग्राम) कार्यक्रम लॉन्च किया गया था।
- यह कार्यक्रम AI के सबसे मूल्यवान अभिकर्त्ता (MVP) बनने के लिये पूरे भारत में 1100 AI नवप्रवर्तकों (इनोवेटर्स) की पहचान (स्क्रीनिंग) करेगा और स्वास्थ्य देखरेख (हेल्थकेयर), वित्तीय समावेशन, स्थिरता, शिक्षा, कृषि तथा स्मार्ट सिटीज़ के प्राथमिकता वाले विषयों पर ध्यान केंद्रित करेगा।
- माइक्रोसॉफ्ट और आईक्रिएट माइक्रोसॉफ्ट के लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम के माध्यम से देश भर के 11,000 नवप्रवर्तकों, स्टार्टअप तथा युवा भारतीयों को एआई कौशल के अवसर भी प्रदान करेंगे।
- प्रतिस्पर्द्धा के पूरा होने पर, प्रतिभागियों को माइक्रोसॉफ्ट से विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त प्रमाण-पत्र प्राप्त होंगे, जिससे उनकी रोज़गार क्षमता और कॅरियर की प्रगति में महत्त्वपूर्ण वृद्धि होगी।
- इसके अतिरिक्त, कार्यक्रम Azure OpenAI के साथ निर्माण के लिये 100 स्टार्टअप का चयन और अंशांकन (स्केल) करेगा, जिसमें शीर्ष 25 को माइक्रोसॉफ्ट के ग्लोबल नेटवर्क से बाज़ार में समर्थन प्राप्त होगा।
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राष्ट्रीय पशुधन मिशन में अतिरिक्त कार्यों का समावेश
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने निम्नलिखित अतिरिक्त कार्यों को शामिल करके राष्ट्रीय पशुधन मिशन (National Livestock Mission) में संशोधन को मंजूरी दे दी-
- घोड़ा, गधा, खच्चर, ऊँट के लिये उद्यमिता की स्थापना के लिये व्यक्तियों, किसान उत्पादक संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, संयुक्त देयता समूह, किसान सहकारी संगठन और कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 8 के अधीन कंपनियों को 50 लाख तक की 50 प्रतिशत पूंजी समंजूरी ब्सिडी प्रदान की जाएगी।
- चारा खेती के क्षेत्रों को बढ़ाने के लिये, राज्य सरकार को गैर-वन भूमि, बंजर भूमि/चरागाहों/गैर कृषि योग्य भूमि के साथ-साथ वन भूमि "गैर-वन बंजर भूमि/चरागाहों/गैर-कृषि योग्य भूमि" तथा "वन भूमि से चारा उत्पादन" के साथ-साथ निम्नीकृत वन भूमि में भी चारे की खेती के लिये सहायता दी जाएगी।
- पशुधन बीमा कार्यक्रम को सरल बनाते हुए किसानों के लिये प्रीमियम के लाभ को कम कर दिया गया है, अब से यह 15% होगा।
- बीमा किये जाने वाले पशुओं की संख्या भी भेड़ और बकरी के लिये 5 मवेशी इकाई के बजाय 10 मवेशी इकाई तक बढ़ा दी गई है।
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