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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 23 Feb, 2024
  • 25 min read
प्रारंभिक परीक्षा

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

 हाल के वर्षों में, भारत में चुनावों के दौरान उपयोग की जाने वाली इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) की सत्यनिष्ठा/अखंडता और विश्वसनीयता को लेकर चर्चा और विश्लेषण बढ़ते जा रहे हैं।

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन क्या है?

  • परिचय: EVM एक उपकरण है जिसका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक रूप से वोटों को रिकॉर्ड करने के लिये किया जाता है। इनका प्रयोग पहली बार वर्ष 1982 में केरल के परवूर विधानसभा क्षेत्र में किया गया था।
    • वर्ष 1998 के बाद से, निर्वाचन आयोग ने मतपेटियों के बदले EVM के उपयोग को गति दी है।
    • वर्ष 2003 में, सभी राज्यों के चुनाव और उपचुनाव EVM का उपयोग करके आयोजित किये गए थे।
      • इससे उत्साहित होकर वर्ष 2004 में आयोग ने लोकसभा चुनावों में केवल EVM का उपयोग करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया।
  • विकास: इसे दो सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों: भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बैंगलोर (रक्षा मंत्रालय के तहत) और इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद (परमाणु ऊर्जा विभाग के तहत) के सहयोग से निर्वाचन आयोग की तकनीकी विशेषज्ञ समिति (Technical Experts Committee- TEC) द्वारा तैयार तथा डिज़ाइन किया गया है।
  • कार्यक्षमता: इसके दो भाग हैं: एक नियंत्रण इकाई और एक केबल द्वारा जुड़ी मतपत्र इकाई
    • कंट्रोल यूनिट/नियंत्रण इकाई मतदान अधिकारी के अधीन होती है, जबकि बैलेटिंग यूनिट/मतपत्र इकाई मतदान केंद्र में होती है।
    • मतदाता को अपनी पसंद के उम्मीदवार तथा प्रतीक के सामने बैलेट यूनिट पर नीला बटन दबाना होता है और वोट दर्ज हो जाता है।
  • प्रमुख विशेषताएँ: 
    • ECI द्वारा प्रयोग की जा रही एक EVM अधिकतम 2,000 वोट रिकॉर्ड कर सकती है।
    • उन्हें बिजली की आवश्यकता नहीं होती है, साथ ही वे एक साधारण बैटरी से संचालित होते हैं जिसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड अथवा इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा असेंबल किया जाता है।
    • EVM में प्रयोग की जाने वाली माइक्रोचिप एक बार उपयोग की जाने वाली प्रोग्राम योग्य मास्क्ड चिप है, जिसे न तो पढ़ा जा सकता है और न ही ओवरराइट किया जा सकता है।
      • इसके अतिरिक्त EVM स्टैंडअलोन मशीनें हैं और साथ ही इन मशीनों में किसी ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग नहीं किया जाता है।
  • लाभ: 
    • परिशुद्धता: EVM, पोस्टल बैलेट (कागज़ी मतपत्रों) के साथ प्राय: देखी जाने वाली 'अमान्य वोटों' की घटना को समाप्त करती है, जिससे मतदाता की पसंद का अधिक सटीक प्रतिबिंब सुनिश्चित होती है और साथ ही शिकायतों एवं कानूनी विवादों में भी कमी आती है।
    • दक्षता: EVM मतदान प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करती है, जिससे यह तेज़ और अधिक कुशल हो जाती है। वे मैन्युअल गिनती की आवश्यकता को समाप्त करते हैं, जिससे चुनाव परिणाम घोषित करने में लगने वाला समय कम हो जाता है।
    • पारदर्शिता: EVM पर डाले गए वोटों का स्पष्ट और सत्यापन योग्य रिकॉर्ड प्रदान करके चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाते हैं। VVPAT जैसी सुविधाओं के साथ, मतदाता यह सत्यापित कर सकते हैं कि उनका वोट सही दर्ज किया गया है।
    • लागत-प्रभावशीलता: EVM कागज़, मुद्रण, परिवहन तथा भंडारण के मामले में लागत बचत प्रदान करते हैं, क्योंकि वे प्रत्येक चुनाव चक्र के लिये लाखों मुद्रित मतपत्रों की आवश्यकता को समाप्त करते हैं।
  • चिंताएँ
    • पारदर्शिता की कमी: कुछ आलोचकों का तर्क है कि EVM की आंतरिक कार्यप्रणाली पर्याप्त रूप से पारदर्शी नहीं है, जिससे मतदान प्रक्रिया की सटीकता और निष्पक्षता पर संदेह पैदा होता है।
    • विश्वसनीयता: EVM की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठाए गए हैं, जिसमें तकनीकी खराबी या त्रुटियों की संभावना भी शामिल है जो चुनाव के नतीज़े को प्रभावित कर सकती है।
    • विश्वास के मुद्दे: सुरक्षा उपायों के बावजूद, कुछ राजनीतिक दलों और मतदाताओं के बीच EVM की विश्वसनीयता तथा प्रामाणिकता को लेकर अभी भी विश्वास की कमी है, जिसके कारण अतिरिक्त सुरक्षा उपायों या वैकल्पिक मतदान विधियों की मांग उठ रही है।

VVPAT क्या है? 

  • मतदाता सत्यापित पेपर ऑडिट ट्रेल (Voter Verifiable Paper Audit Trail- VVPAT)  इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (Electronic Voting Machines- EVM) से संबंधित एक स्वतंत्र सत्यापन प्रिंटर मशीन है जो मतदाताओं को यह सत्यापित करने की अनुमति देती है कि उनका वोट उचित तरीके से दर्ज किया गया है।
    • इसे 2013 में नगालैंड के नोकसेन विधानसभा क्षेत्र के उप-चुनाव में पेश किया गया था।
    • वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर VVPAT का इस्तेमाल किया गया।
  • कार्यक्षमता: VVPAT मशीन EVM पर बटन को क्लिक करने के बाद लगभग 7 सेकंड हेतु मतदाता द्वारा चुनी गई पार्टी के नाम एवं प्रतीक के साथ पर्ची मुद्रित करती है।
    • इसके बाद मुद्रित पर्ची अपने आप कटकर VVPAT के सीलबंद ड्रॉप बॉक्स में गिर जाती है।
    • VVPAT मशीनों तक केवल मतदान अधिकारी की पहुँच होती है।
  • संबंधित सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय: सुब्रमण्यम स्वामी बनाम ECI, 2013 मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने EVM के माध्यम से होने वाले निर्वाचन में VVPAT मशीनों के नियोजन की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
    • वर्तमान में निर्वाचन की प्रक्रिया में ECI-EVM और VVPAT के M3 मॉडल का उपयोग किया जाता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. भारत का चुनाव आयोग पांँच-सदस्यीय निकाय है। 
  2. केंद्रीय गृह मंत्रालय, आम चुनाव और उप-चुनाव दोनों के लिये चुनाव कार्यक्रम तय करता है।
  3. निर्वाचन आयोग मान्यता-प्राप्त राजनीतिक दलों के विभाजन/विलय से संबंधित विवादों को हल करता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 2 और 3
(d) केवल 3

उत्तर: (d)


प्रारंभिक परीक्षा

अफ्रीकी संघ द्वारा गधे की खाल के व्यापार पर प्रतिबंध

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में इथियोपिया में 37वें अफ्रीकी संघ शिखर सम्मेलन, 2024 के दौरान, अफ्रीकी राष्ट्राध्यक्षों ने सर्वसम्मति से गधे की खाल के व्यापार पर ऐतिहासिक प्रतिबंध लगाने पर सहमति व्यक्त की, जिससे उनकी खाल के लिये पूरे महाद्वीप में गधों की हत्या पर रोक लगा दी गई।

  • दिसंबर 2022 में पहले अफ्रीकी यूनियन इंटर अफ्रीकन ब्यूरो फॉर एनिमल रिसोर्स (AU-IBAR), गधों के संरक्षण हेतु पैन-अफ्रीकी सम्मेलन में अपनाई गई दार एस सलाम घोषणा के बाद यह एक महत्त्वपूर्ण परिणाम है।

दार एस सलाम घोषणा पत्र क्या है?

  • परिचय:  
    • दार एस सलाम घोषणा पर तंजानिया में AU-IBAR द्वारा आयोजित पैन अफ्रीकन गधे की खाल पर आयोजित सम्मेलन के दौरान हस्ताक्षर किये गए थे, जहाँ सरकार के मंत्री अफ्रीका में अन्य जानवरों तथा गधे की खाल के व्यापार के हानिकारक प्रभावों को समझने के लिये एकत्र हुए थे।
    • यह अफ्रीका के गधों की आबादी में तेज़ी से कमी को रेखांकित करता है और साथ ही प्रजातियों की सुरक्षा के लिये अनुसंधान, नीतियों एवं कानून में निवेश बढ़ाने की वकालत भी करता है।
    • यह अफ्रीकी संघ आयोग के एक प्रस्ताव का समर्थन करता है जिसमें इन मुद्दों को वैश्विक विकास एजेंडे में शामिल करने हेतु गधों की खाल के लिये व्यावसायिक हत्या पर 15 वर्ष  का प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। इसमें एक अफ्रीकी रणनीति  के विकास का भी आह्वान किया गया है जो उत्पादकता, उत्पादन और शोषण को भी संबोधित करें।

गधे की खाल का व्यापार क्यों किया जाता है?

  • परिचय: 
    • गधे की खाल का व्यापार अधिकांश क्षेत्रों में अनियंत्रित है और उनकी खाल प्राप्त करने के लिये उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है तथा क्रूरता से उनको मार दिया जाता है जिसे बाद में चीन को निर्यात किया जाता है।
      • यह व्यापार कुछ देशों में अवैध है और कुछ देशों में वैध है जिससे विश्व भर में उनकी खाल प्राप्त करने के उन्हें पीड़ा दी जाती है तथा उनके साथ क्रूरतापूर्ण  व्यवहार किया जाता है।
  • उपयोग: 
    • गधे की खाल से प्राप्त कोलेजन का उपयोग एजियाओ (Ejiao) (एक पारंपरिक चीनी औषधि) नामक उत्पाद बनाने के लिये किया जाता है, जिसका उपयोग भोजन, पेय और सौंदर्य उत्पादों में किया जाता है।
  • नकारात्मक प्रभाव:
    • गधों के संबंध में: खाल के व्यापार में, उनकी खरीद से लेकर हत्या तक, गधों के साथ अमानवीय कृत्य किये जाते हैं तथा विगत एक दशक में असंख्य गधों की हत्या की गई।
    • उनके पालकों के संबंध में: गधे की खाल का वैश्विक व्यापार निर्धनता उन्मूलन सहित संयुक्त राष्ट्र के 17 सतत् विकास लक्ष्यों में से न्यूनतम नौ लक्ष्य प्राप्त करने के प्रयासों को खतरे में डालता है क्योंकि गधे लाखों लोगों के लिये आजीविका के स्रोत के रूप में उपयोग में लाए जाते हैं।
      • कई क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों द्वारा गधों को पानी लाने तथा उसे समान ढोने वाले पशु के रूप में उपयोग किया जाता है जिसके परिणामस्वरूप गधे की खाल का व्यापार से उक्त वर्गों पर प्रभाव पड़ता है जिससे उनके आर्थिक एवं शैक्षणिक अवसर कम हो जाते हैं।

भारतीय वन्य गधे से संबंधित मुख्य तथ्य:

  • यह एशियाई वन्य गधे (इक्वस हेमिओनस) की उप-प्रजाति है।
  • इसकी विशेषता पूँछ के अगले हिस्से और कंधे के पिछले हिस्से पर विशिष्ट सफेद निशान तथा पीठ के नीचे एक धारी है जो सफेद रंग की होती है।
  • वितरण: विश्व में भारतीय जंगली गधों की आखिरी आबादी कच्छ के रण, गुजरात तक ही सीमित है।
  • प्राकृतिक आवास: रेगिस्तान और घास के मैदान पारिस्थितिकी तंत्र। 
  • संरक्षण की स्थिति:
    • IUCN: संकटापन्न (Near Threatened)  
    • CITES: परिशिष्ट-II
    • वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (1972): अनुसूची-I 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. वन्यजीव (सुरक्षा) अधिनियम, 1972 के अनुसार, किसी व्यक्ति द्वारा, विधि द्वारा किये गए कतिपय उपबंधों  के अधीन होने के सिवाय निम्नलिखित में से कौन-सा/से प्राणी का शिकार नहीं किया जा सकता है? (2017)

  1. घड़ियाल
  2. भारतीय जंगली गधा
  3. जंगली भैंस

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d) 

व्याख्या:

  • घड़ियाल, भारतीय जंगली गधे और जंगली भैंस सभी वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की अनुसूची I के तहत सूचीबद्ध हैं।
  • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 कानून द्वारा प्रदान किये गए कुछ प्रावधानों को छोड़कर अधिनियम की अनुसूची-I में सूचीबद्ध किसी भी प्राणी के शिकार पर प्रतिबंध लगाता है।
  •  इसके अलावा, अधिनियम की धारा 11 में कहा गया है कि मुख्य वन्य जीवन वार्डन, यदि वह संतुष्ट है कि अनुसूची-I में निर्दिष्ट कोई भीवन्य-जीव मानव जीवन के लिये खतरा हो गया है अथवा इतना अक्षम या बीमार है कि उसे ठीक करना असंभव है, तो वह लिखित आदेश द्वारा और कारण बताते हुए किसी भी व्यक्ति को ऐसे जीव/जंतु का शिकार करवाने की अनुमति दे सकता है।
  • अपनी या किसी अन्य व्यक्ति की रक्षा के लिये सद्भावनापूर्वक किसी वन्य जीव को मारना या घायल करना अपराध नहीं होगा।

अतः विकल्प (d) सही उत्तर है।


Q. निम्नलिखित में से कौन-सा एक प्राणी समूह संकटापन्न जातियों के संवर्ग के अंतर्गत आता है? (2012) 

(a) ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, कस्तूरी मृग, लाल पांडा और एशियाई वन्य गधा
(b) कश्मीर महामृग, चीतल, नीलगाय और ग्रेट इंडियन बस्टर्ड
(c) हिम तेंदुआ, अनूप मृग, रीसस बंदर और सारस (क्रेन)
(d) सिंहपुच्छी मेकाक, नीलगाय, हनुमान लंगूर और चीतल

उत्तर: (a)


Q. रेतीला और खारा क्षेत्र एक भारतीय पशु प्रजाति का प्राकृतिक आवास है। जानवर का उस क्षेत्र में कोई शिकारी नहीं है, लेकिन इसके निवास स्थान के विनाश के कारण इसके अस्तित्व को खतरा है। निम्नलिखित में से कौन-सा जानवर हो सकता है? (2011) 

(a) भारतीय वन्य भैंस  
(b) भारतीय वन्य गधा 
(c) भारतीय वन्य सूअर 
(d) भारतीय चिकारा 

उत्तर: (b)


रैपिड फायर

डेथ वैली में अप्रत्याशित झील का निर्माण

स्रोत: डाउन टू अर्थ

उत्तरी अमेरिका के सबसे शुष्क क्षेत्र डेथ वैली के भीतर स्थित बैडवाटर बेसिन में अगस्त 2023 से वर्षा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे अप्रत्याशित रूप से मैनली झील का निर्माण हुआ है।

  • मैनली झील का निर्माण अगस्त 2023 में हरिकेन हिलेरी के आने बाद हुआ था। हालाँकि शुरुआत में यह आशानुरूप छोटी हो गई थी, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से यह पूरे पतझड़ के साथ-साथ शीतऋतु के दौरान भीं बनी रही।
    • फरवरी 2024 में इसका पुनर्विकास देखा गया क्योंकि एक शक्तिशाली वायुमंडलीय नदी द्वारा अधिक जल विसर्जित गया था।
      • वायुमंडलीय नदी, वायुमंडल में संकेंद्रित नमी की एक संकीर्ण पट्टी है जो जलवाष्प को उष्णकटिबंधीय से उच्च अक्षांशों तक ले जाती है।
      • एक दृश्य जल निकाय के विपरीत, एक वायुमंडलीय नदी आकाश में एक अदृश्य, लंबा गलियारा है जो बड़ी मात्रा में जल वाष्प ले जाती है, जो मौसम प्रणाली और वर्षा को प्रभावित करती है।
    • इसने बेसिन के तीव्र वाष्पीकरण के सामान्य प्रणाली को बाधित कर दिया, जिससे मैनली झील का अप्रत्याशित गठन एवं स्थायित्व संभव हो गया।

और पढ़ें… डेथ वैली


रैपिड फायर

"महिलाओं की सुरक्षा" पर समग्र योजना

स्रोत: पी.आई.बी. 

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26 की अवधि के दौरान 'महिला सुरक्षा' पर समग्र योजना के कार्यान्वयन को जारी रखने के गृह मंत्रालय (MHA) के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी।

    • कुल परियोजना परिव्यय का एक हिस्सा गृह मंत्रालय अपने बजट से प्रदान करेगा तथा शेष परिव्यय निर्भया निधि से वित्तपोषित किया जाएगा।
    • भारत सरकार ने "महिलाओं की सुरक्षा" की समग्र योजना के तहत निम्नलिखित परियोजनाओं को जारी रखने का प्रस्ताव दिया है:
    • NCRB के आँकड़ों के अनुसार, प्रति एक लाख की आबादी पर महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराध की दर 66.4 थी जबकि ऐसे मामलों के आरोप पत्र दायर करने की दर 75.8 दर्ज की गई।

    और पढ़ें…मिशन शक्ति


    रैपिड फायर

    जनजातीय छात्रों के सार्वजनिक स्वास्थ्य पर पहल

    स्रोत: पी. आई. बी

    आयुष मंत्रालय ने अपनी अनुसंधान परिषद केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (Central Council for Research in Ayurvedic Sciences- CCRAS) के माध्यम से जनजातीय कार्य मंत्रालय और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research- ICMR) राष्ट्रीय जनजातीय स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान (National Institute of Research in Tribal Health- NIRTH) जबलपुर की संयुक्त पहल से जनजातीय विद्यार्थियों के लिये एक स्वास्थ्य पहल की है। इस परियोजना से 20,000 से अधिक जनजातीय विद्यार्थियों को लाभ होगा। 

    • संयुक्त पहल का उद्देश्य आदिवासी क्षेत्रों में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRS) में बच्चों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करना है, जिसमें 14 राज्यों में चिह्नित 55 EMRS में 10-18 आयु वर्ग के छात्रों को लक्षित किया गया है।
      • यह आयुर्वेदिक हस्तक्षेपों के माध्यम से कुपोषण, एनीमिया, सिकल सेल रोग, हीमोग्लोबिनोपैथी और तपेदिक जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा।
        • आयुर्वेदिक सिद्धांतों के आधार पर बच्चों में स्वस्थ जीवन शैली प्रथाओं को स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा, जिसका लक्ष्य उनके स्वास्थ्य, कल्याण और बीमारी की रोकथाम में सुधार करना है, साथ ही रोग प्रबंधन के लिये एक एकीकृत दृष्टिकोण भी अपनाना है।
    • एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) दूरदराज़ के क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति (ST) के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करते हैं। उच्च शिक्षा और रोज़गार के अवसरों तक पहुँच को सुविधाजनक बनाने के लिये स्कूल खेल, कौशल प्रशिक्षण तथा स्वास्थ्य देखभाल सहित समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

    और पढ़ें…एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय


    रैपिड फायर

    सरकार की गन्ना मूल्य वृद्धि

    स्रोत: डाउन टू अर्थ

    हाल ही में केंद्र सरकार ने गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) में 8% की वृद्धि की घोषणा की। वर्ष 2024-25 चीनी सीजन के लिये 340 रुपए प्रति क्विंटल की संशोधित FRP 1 अक्तूबर, 2024 से प्रभावी होगी।

    • केंद्र सरकार FRP की घोषणा करती है जो कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिश पर निर्धारित की जाती है तथा आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) द्वारा घोषित की जाती है।
      • CCEA की अध्यक्षता भारत के प्रधानमंत्री करते हैं।
      • FRP गन्ना उद्योग के पुनर्गठन पर रंगराजन समिति की रिपोर्ट 2012 पर आधारित है।
    • गन्ना लंबी, बारहमासी घास की एक प्रजाति है जो मूलतः उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाई जाती है। इसकी खेती इसकी उच्च चीनी सामग्री के कारण की जाती है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से चीनी उत्पादन के लिये किया जाता है। लेकिन इसे इथेनॉल और जैव ईंधन जैसे विभिन्न अन्य उत्पादों में भी संसाधित किया जा सकता है।
      • गन्ने की खेती के लिये अच्छी जल निकासी वाली भारी मिट्टी को प्राथमिकता दी जाती है, हालाँकि यह सुनिश्चित सिंचाई के साथ मध्यम और हल्की बनावट वाली मिट्टी पर भी अच्छी तरह से उगती है।

    और पढ़ें: उचित और लाभकारी मूल्य


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