शासन व्यवस्था
गृह मंत्रालय में महिला सुरक्षा प्रभाग का गठन
- 29 May 2018
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चर्चा में क्यों?
गृह मंत्रालय ने महिला सुरक्षा के मुद्दे पर व्यापकता से निपटने के लिये नया प्रभाग बनाया है। यह प्रभाग संबंधित मंत्रालयों/विभागों और राज्य सरकारों के साथ समन्वय कर महिला सुरक्षा के सभी पहलुओं से निपटेगा।
- इस प्रभाग का नेतृत्व करने के लिये 1993 बैच की एजीएमयूटी कैडर की अधिकारी श्रीमती पुण्य सलीला श्रीवास्तव को संयुक्त सचिव के पद पर तैनात किया गया है।
- नया प्रभाग निम्नलिखित विषयों से निपटेगा :-
महिलाओं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अपराध।
♦ बच्चों, वृद्ध व्यक्तियों के खिलाफ अपराध।
♦ तस्करी रोधी प्रकोष्ठ।
♦ जेल कानून और जेल सुधार से संबंधित मामले।
♦ निर्भया कोष के तहत सभी योजनाएँ।
♦ अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग और नेटवर्क प्रणाली (Crime and Criminal Tracking & Network System - CCTNS)
♦ राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (National Crime Records Bureau - NCRB)
प्रमुख बिंदु
- यह प्रभाग महिलाओं के खिलाफ अपराध विशेषतौर से बलात्कार के मामलों से निपटने और समयबद्ध जाँच के लिये मौजूदा प्रशासनिक, जांच संबंधी, अभियोजन एवं न्यायिक तंत्र की क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
- यह पीड़ितों के पुनर्वास और समाज के व्यवहार में बदलाव लाने के लिये उचित कदम उठाने की दिशा में भी कार्य करेगा।
- इतना ही नहीं, मंत्रालय द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के लिये संबंधित मंत्रालयों और विभागों की भागीदारी के साथ एक राष्ट्रीय मिशन के क्रियान्वयन पर भी विचार किया जा रहा है ताकि इस संबंध में समयबद्ध तरीके से कार्यवाही की जा सके।
- इन प्रयासों के अंतर्गत विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करने, अतिरिक्त सरकारी अभियोजक नियुक्त करने, फॉरेंसिक ढाँचे को मज़बूत करने, यौन अपराधियों का राष्ट्रीय पंजीकरण डेटा तैयार करने के साथ-साथ पीड़ितों को उचित चिकित्सा और पुनर्वास सुविधा उपलब्ध कराने जैसे महत्त्वपूर्ण एवं बुनियादी पक्षों को निहित किया गया है।
राष्ट्रीय महिला सुरक्षा मिशन
- विभिन्न हितधारक मंत्रालयों और विभागों की साझेदारी में इस मिशन को शुरू करने का विचार किया गया, जो समयबद्ध तरीके से कार्यवाही करने में सक्षम हो।
उद्देश्य
- इसके अंतर्गत महिलाओं (विशेषकर नाबालिग लड़कियों) हेतु उचित माहौल तैयार करने, महिलाओं की सुरक्षा के संबंध में ठोस उपायों का प्रबंध करने तथा संबंधित मामलों में समयबद्ध कार्यवाही सुनिश्चित करने जैसे महत्त्वपूर्ण पक्षों को शामिल किया गया है।
‘क्रिमिनल लॉ (संशोधन) अध्यादेश’ 2018
- 21 अप्रैल, 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिपरिषद द्वारा ‘क्रिमिनल लॉ (संशोधन) अध्यादेश’ 2018 को लागू करने को मंज़ूरी प्रदान की गई। केंद्रीय गृह मंत्रालय के नए विभाग द्वारा इन सभी उपायों के कार्यान्वयन पर नज़र रखी जाएगी।
प्रमुख बिंदु
- आपराधिक कानून में संशोधन संबंधी इस अध्यादेश के माध्यम से भारतीय दंड संहिता, साक्ष्य क़ानून, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और पोक्सो एक्ट में नए प्रावधान लाए जाएंगे, ताकि ऐसे मामलों में दोष साबित होने पर मौत की सज़ा सुनाई जा सके।
- इस अध्यादेश के मुताबिक, 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों को मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है।
- दुष्कर्म के मामलों में सात वर्ष के सश्रम कारावास की न्यूनतम सज़ा को बढ़ाकर 10 वर्ष किया गया है। इसे बढ़ाकर आजीवान कारावास में तब्दील किया जा सकता है।
- 16 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ दुष्कर्म के मामलों में न्यूनतम सज़ा को 10 वर्ष से बढ़ाकर 20 वर्ष कर दिया गया है। इसे बढ़ाकर आजीवन कारावास किया जा सकता है।
- 16 साल से कम उम्र की लड़की से दुष्कर्म के आरोपित या सामूहिक दुष्कर्म के आरोपितों को अग्रिम ज़मानत नहीं दी जाएगी। इतना ही नहीं, इनकी ज़मानत पर निर्णय देने से पूर्व न्यायालय को 15 दिन पहले लोक अभियोजक या पीड़िता के प्रतिनिधि को नोटिस भेजना होगा।
- इसके अतिरिक्त, अध्यादेश के अंतर्गत दुष्कर्म के मामले में जल्द से जल्द सुनवाई पूरी करने के संबंध में भी व्यवस्था की गई है। ऐसे मामलों में दो महीने के अंदर ट्रायल को पूरा करना होगा।
- एक तरफ जहाँ दुष्कर्म की फारेंसिक जाँच के लिये सभी पुलिस स्टेशनों और अस्पतालों को विशेष किट उपलब्ध कराई जाएगी, वहीं दूसरी ओर नए फास्ट ट्रैक कोर्ट भी स्थापित किये जाएंगे। इन मामलों में समयबद्ध जाँच के लिये विशेष कर्मचारियों की भी नियुक्ति की जाएगी।
- साथ ही पीड़िता की सहायता के लिये चलाए जा रहे वन स्टाप सेंटरों को देश के सभी ज़िलों में स्थापित किया जाएगा।
इस विषय में अधिक जानकारी के लिये पढ़िये :
⇒ क्या मृत्यु दंड : दुष्कर्म की समस्या का हल है?
⇒ इनसाइट: भारत में मानव तस्करी
⇒ किशोर न्याय अधिनियम 2015 के मसौदा नियम जारी