नालंदा विश्वविद्यालय का उद्घाटन
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने नालंदा विश्वविद्यालय के परिसर का औपचारिक उद्घाटन किया।
- यह बिहार के बिहार शरीफ ज़िले में राज़गीर नामक स्थान पर स्थित 455 एकड़ में विस्तृत है। यह स्थल प्राचीन नालंदा बौद्ध मठ से मात्र 12 कि.मी. दूरी पर स्थित है।
नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास और पुनरुद्धार के प्रयास क्या हैं?
- इतिहास:
- गुप्त वंश के सम्राट कुमारगुप्त (शक्रदित्य) ने 5वीं शताब्दी के प्रारंभ में आधुनिक बिहार में 427 ई. में नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की थी, जो कि 12वीं शताब्दी तक 600 वर्षों तक चला।
- हर्षवर्धन और पाल राजाओं के काल में, यह बहुत लोकप्रिय हुआ।
- राजा हर्षवर्धन के शासनकाल (606-647 ई.) के दौरान चीनी विद्वान ज़ुआन ज़ांग (जिन्हें ह्वेनत्सांग और मोक्षदेव के नाम से भी जाना जाता है, जो 7वीं शताब्दी के चीनी बौद्ध भिक्षु, विद्वान, यात्री और अनुवादक थे) यहाँ आए और लगभग 5 वर्षों तक अध्ययन किया।
- वे नालंदा से कई शास्त्र भी अपने साथ ले गए, जिनका बाद में चीनी भाषा में अनुवाद किया गया।
- 670 ई. में एक अन्य चीनी तीर्थयात्री इत्सिंग ने नालंदा का दौरा किया। जिसके बारे में उन्होंने कहा कि नालंदा में 2,000 छात्र निवास करते थे और 200 गाँवों से मिलने वाले धन से इसका भरण-पोषण होता था।
- यहाँ चीन, मंगोलिया, तिब्बत, कोरिया और अन्य एशियाई देशों से बड़ी संख्या में छात्र अध्ययन के लिये आते थे।
- कुछ पुरातात्विक साक्ष्य इंडोनेशियाई शैलेंद्र राजवंश के संपर्क का भी संकेत देते हैं, जिनके राजाओं में से एक ने परिसर में एक मठ का निर्माण किया था।
- भगवान बुद्ध और भगवान महावीर जैसे आध्यात्मिक देवताओं (Spiritual Divines) ने इस क्षेत्र में ध्यान किया, जिससे इस क्षेत्र की सकारात्मक जीवंतता में वृद्धि हुई।
- नागार्जुन, आर्यभट्ट और धर्मकीर्ति जैसे महान गुरुओं ने प्राचीन नालंदा की विद्वत्तापूर्ण परंपराओं में योगदान दिया।
- तुर्क शासक कुतुबुद्दीन ऐबक के सेनापति बख्तियार खिलजी ने वर्ष 1193 में विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया था।
- वर्ष 1812 में स्कॉटिश सर्वेक्षक फ्राँसिस बुकानन-हैमिल्टन द्वारा इसकी पुनः खोज की गई तथा बाद में वर्ष 1861 में सर अलेक्जेंडर कनिंघम द्वारा इसे प्राचीन विश्वविद्यालय के रूप में पहचान मिली।
- आक्रमण:
- नालंदा महाविहार पर पहला आक्रमण गुप्त साम्राज्य के सम्राट समुद्रगुप्त के शासनकाल के दौरान 455-470 ई. के बीच हुआ था।
- आक्रमणकारी हूण थे, जो एक मध्य एशियाई आदिवासी समूह था, यह आक्रमण मुख्य रूप से विश्वविद्यालय के बहुमूल्य संसाधनों को लूटने की इच्छा से प्रेरित था।
- सम्राट स्कंद गुप्त ने बाद में विश्वविद्यालय को पुनः स्थापित किया। उसके शासनकाल के दौरान ही प्रसिद्ध नालंदा पुस्तकालय की स्थापना की गई थी।
- नालंदा महाविहार पर दूसरा आक्रमण 7वीं शताब्दी के प्रारंभ में हुआ था, जिसकी योजना बंगाल के गौड़ सम्राटों द्वारा तैयार की गई थी।
- नालंदा महाविहार पर पहला आक्रमण गुप्त साम्राज्य के सम्राट समुद्रगुप्त के शासनकाल के दौरान 455-470 ई. के बीच हुआ था।
- पुनरुद्धार:
- 2000 के दशक की शुरुआत में पुनरुद्धार का विचार सामने आया। पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, सिंगापुर सरकार और पूर्वी एशियाई शिखर सम्मेलन (East Asian Summit - EAS) देशों के नेताओं ने नालंदा की वापसी की वकालत की।
- भारतीय संसद ने नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2010 पारित किया, जो नए संस्थान के लिए कानूनी ढाँचा प्रदान करता है।
- नालंदा विश्वविद्यालय को भारत और अन्य पूर्वी एशियाई देशों के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास के रूप में देखा जाता है, जो क्षेत्रीय ज्ञान के आदान-प्रदान पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने का प्रतीक है।
- बिहार सरकार ने प्राचीन खंडहरों के पास 455 एकड़ की जगह उपलब्ध कराई। वास्तुकार बी.वी. दोशी ने आधुनिक सुविधाओं को शामिल करते हुए अतीत की भावना को दर्शाते हुए एक पर्यावरण-अनुकूल परिसर (Eco-friendly campus) तैयार किया।
- विश्वविद्यालय बौद्ध अध्ययन, ऐतिहासिक अध्ययन, पारिस्थितिकी और पर्यावरण अध्ययन तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध सहित विभिन्न क्षेत्रों में स्नातकोत्तर कार्यक्रम प्रदान करता है।
- यह परिसर एक ‘शुद्ध शून्य उत्सर्जन/नेट ज़ीरो उत्सर्जन (NZE)’ ग्रीन परिसर है। यह एक सौर संयंत्र, घरेलू और पेयजल उपचार संयंत्र, अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग के लिये जल पुनर्चक्रण संयंत्र, 100 एकड़ जल निकाय और कई अन्य पर्यावरण अनुकूल सुविधाओं के साथ आत्मनिर्भर है।
- नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों को 2016 में संयुक्त राष्ट्र विरासत स्थल घोषित किया गया था।
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन:
- EAS की स्थापना वर्ष 2005 में दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (ASEAN) के नेतृत्व वाली पहल के रूप में की गई थी।
- EAS हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एकमात्र नेतृत्वकर्ता मंच है जो रणनीतिक महत्त्व के राजनीतिक, सुरक्षा और आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करने हेतु सभी प्रमुख भागीदारों को एक साथ लाता है।
- EAS स्पष्टता, समावेशिता, अंतर्राष्ट्रीय कानून के प्रति सम्मान, आसियान केंद्रीयता और प्रेरक शक्ति के रूप में आसियान की भूमिका जैसे सिद्धांतों पर काम करता है।
यूनेस्को के बौद्ध धर्म से संबंधित विरासत स्थल:
- नालंदा, बिहार में नालंदा महाविहार का पुरातात्विक स्थल।
- सांची, मध्य प्रदेश में बौद्ध स्मारक।
- बोधगया, बिहार में महाबोधि मंदिर परिसर।
- अजंता गुफाएँ औरंगाबाद, महाराष्ट्र।
- लद्दाख के बौद्ध मंत्रोच्चार को 2012 में यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया गया था।
भारत-यूरोपीय यूनियन व्यापार समस्या
स्रोत: इकॉनोमिक टाइम्स
हाल ही में यूरोपीय यूनियन (European Union- EU) ने सुरक्षा शुल्क को वर्ष 2026 तक दिया है, यह पहले इस महीने समाप्त होने वाला था।
भारत-यूरोपीय यूनियन व्यापार में हाल की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
- निर्यात: वित्त वर्ष 2024 में यूरोप को भारत का निर्यात लगभग 86 बिलियन अमरीकी डॉलर था और 2021-22 में यूरोपीय यूनियन के सदस्य देशों के लिये भारत का व्यापारिक निर्यात लगभग 65 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि आयात 51.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- वर्ष 2022-23 के लिये निर्यात 67 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- इस्पात निर्यात में पर्याप्त रुचि: यूरोपीय यूनियन को भारत का लौह और इस्पात उत्पाद निर्यात वर्ष 2023-2024 में बढ़कर 6.64 बिलियन अमरीकी डॉलर और 2022-23 में 6.1 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया।
- प्रतिकारी शुल्कों का अधिरोपण: वर्ष 2020 में अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने कुछ भारतीय निर्यातों पर प्रतिकारी शुल्क (Countervailing Duties- CVD) लगाया, जिनमें पेपर फाइल फोल्डर, सामान्य मिश्र धातु एल्यूमीनियम शीट और जाली स्टील फ्लुइड शामिल हैं।
- प्रतिकारी शुल्क (CVD) आयातित वस्तुओं पर लगाए जाने वाले टैरिफ हैं, जो निर्यातक देश की सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी की भरपाई के लिये लगाए जाते हैं, जिसका उद्देश्य घरेलू उद्योग की रक्षा करना होता है।
- सरकार की प्रतिक्रिया: वाणिज्य मंत्रालय शीर्ष आयातक देशों द्वारा लगाए गए प्रतिपूरक शुल्कों से बचने के लिये सरकार की शुल्क छूट योजना (RoDTEP) के तहत निर्यातकों को दिये गए कर रिफंड को सत्यापित करने हेतु एक संस्थागत तंत्र पर काम कर रहा है।
RoDTEP योजना क्या है?
- परिचय:
- निर्यातित उत्पादों पर शुल्क और करों में छूट की योजना (Remission of Duties and Taxes on Export Products- RoDTEP) 1 जनवरी, 2021 से लागू किया गया एक शुल्क छूट कार्यक्रम है और निर्यातित वस्तुओं पर कर के बोझ को कम करके निर्यात को बढ़ावा देने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- इसका प्रशासन वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग द्वारा किया जाता है।
- यह पूर्ववर्ती निर्यात प्रोत्साहन कार्यक्रम, मर्चेंडाइज़ एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया (MEIS) का स्थान लेगा।
- MEIS विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization- WTO) के निर्णय से प्रेरित था, क्योंकि MEIS योजना विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों का उल्लंघन करती थी
- निर्यातित उत्पादों पर शुल्क और करों में छूट की योजना (Remission of Duties and Taxes on Export Products- RoDTEP) 1 जनवरी, 2021 से लागू किया गया एक शुल्क छूट कार्यक्रम है और निर्यातित वस्तुओं पर कर के बोझ को कम करके निर्यात को बढ़ावा देने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- उद्देश्य:
- इस योजना का उद्देश्य निर्यातकों को विभिन्न लागतों की प्रतिपूर्ति करके व्यापक सहायता प्रदान करना है।
- इसका उद्देश्य निर्यातकों को उत्पादन और वितरण प्रक्रिया के दौरान लगने वाले करों, शुल्कों और शुल्कों की प्रतिपूर्ति करना है, जो अन्य योजनाओं के तहत वापस नहीं किये जाते हैं।
- RoDTEP के अंतर्गत नए क्षेत्रों को शामिल करना:
- भारत सरकार ने अतिरिक्त निर्यात क्षेत्रों जैसे अग्रिम प्राधिकरण (Advance Authorisation- AA) धारकों, निर्यात उन्मुख इकाइयों (Export Oriented Units- EOU) और विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zones- SEZ) निर्यात इकाइयों को RoDTEP योजना सहायता का विस्तार करने की घोषणा की है।
- इंजीनियरिंग, कपड़ा, रसायन, फार्मास्यूटिकल्स एवं खाद्य प्रसंस्करण तथा कई अन्य क्षेत्र इस उपाय से लाभान्वित होंगे।
- भारत सरकार ने अतिरिक्त निर्यात क्षेत्रों जैसे अग्रिम प्राधिकरण (Advance Authorisation- AA) धारकों, निर्यात उन्मुख इकाइयों (Export Oriented Units- EOU) और विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zones- SEZ) निर्यात इकाइयों को RoDTEP योजना सहायता का विस्तार करने की घोषणा की है।
- वित्तीय आवंटन:
- अपनी स्थापना के बाद से RoDTEP योजना ने पहले ही 10,500 से अधिक निर्यात वस्तुओं को 42,000 करोड़ रुपए की सहायता प्रदान की है।
- चालू वित्त वर्ष में इस योजना का बजट 15,070 करोड़ रुपए है, जिसमें वित्त वर्ष 2024-25 में 10% की अतिरिक्त वृद्धि की जाएगी।
- अपनी स्थापना के बाद से RoDTEP योजना ने पहले ही 10,500 से अधिक निर्यात वस्तुओं को 42,000 करोड़ रुपए की सहायता प्रदान की है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा,विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. वर्तमान में भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये- (a) केवल 1 और 2 उत्तर: D |
ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन डिजिटल हेल्थ
स्रोत:इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) ने वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य पहल/ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन डिजिटल हेल्थ (GIDH) हेतु भारत के 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर के योगदान को मंज़ूरी नहीं दी है।
वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य पहल:
- परिचय:
- ग्लोबल इनिशिएटिव ऑन डिजिटल हेल्थ (GIDH) राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य परिवर्तन का समर्थन करने वाले संगठनों, संस्थानों एवं सरकारी तकनीकी एजेंसियों का एक नेटवर्क है।
- इसका प्रबंधन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा किया जाता है।
- इसके उद्देश्यों में स्थायी डिजिटल स्वास्थ्य परिवर्तन की ज़रूरतों का आकलन करने एवं प्राथमिकता तय करने के साथ डिजिटल स्वास्थ्य संसाधनों का संतुलित है।
- अगस्त 2023 में गुजरात में स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक में भारत की G20 प्रेसीडेंसी के दौरान GIDH की शुरुआत की गई थी।
- यह नई दिल्ली घोषणा का हिस्सा बन गया तथा भारत ने सीड फंड के रूप में इसमें 10 मिलियन अमरीकी डॉलर का योगदान देने का वादा किया। इस पहल को औपचारिक रूप से फरवरी 2024 में शुरूकिया गया था।
- GIDH के चार मुख्य घटक:
- कंट्री नीड्स ट्रैकर: विभिन्न देशों की डिजिटल स्वास्थ्य आवश्यकताओं की पहचान करने के साथ उन्हें ट्रैक करने के लिये स्थापित एक तंत्र।
- कंट्री रिसोर्स पोर्टल:प्रत्येक देश में उपलब्ध डिजिटल स्वास्थ्य संसाधनों का मानचित्र।
- ट्रांसफॉर्मेशन टूलबॉक्स: स्वास्थ्य परिवर्तन के लिये गुणवत्ता-सुनिश्चित डिजिटल टूल का भंडार।
- नॉलेज एक्सचेंज: भाग लेने वाले देशों के बीच ज्ञान साझा करने की सुविधा।
- संबंधित पहल:
- प्रेसीडेंसी रोकथाम, तैयारी प्रतिक्रिया (Presidency Prevention, Preparedness Response-PPR) वित्तीय मध्यस्थ निधि (Financial Intermediary Fund-FIF) की जिम्मेदारी G20 प्रेसीडेंसी के दौरान इंडोनेशिया ने ली थी और इंडोनेशिया ने प्रस्ताव के आरंभकर्ता के रूप में 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया था।
डिजिटल हेल्थकेयर:
- परिचय:
- डिजिटल हेल्थकेयर चिकित्सा देखभाल वितरण की एक प्रणाली है जो गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा देखभाल सेवाओं को सुलभ, सस्ती और सतत् बनाने के लिये डिजिटल तकनीकों की एक शृंखला का उपयोग करती है।
- डिजिटल स्वास्थ्य के व्यापक दायरे में मोबाइल स्वास्थ्य (mHealth), स्वास्थ्य सूचना प्रौद्योगिकी (IT), पहनने योग्य उपकरण (डिवाइसें), टेलीहेल्थ और टेलीमेडिसिन एवं व्यक्तिगत चिकित्सा जैसी श्रेणियाँ शामिल हैं।
- आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन:
- भारत का आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन एक निर्बाध इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड प्रणाली बनाने की दिशा में कार्यरत है।
- इसे सितंबर 2021 में प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किया गया था।
- इसका उद्देश्य सभी भारतीय नागरिकों को डिजिटल स्वास्थ्य आईडी प्रदान करना है ताकि अस्पतालों, बीमा फर्मों एवं नागरिकों को आवश्यकता पड़ने पर स्वास्थ्य रिकॉर्ड तक पहुँचने प्राप्त हो सके।
- इस परियोजना को छह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में पायलट चरण में लागू किया जा रहा है।
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA), इसकी कार्यान्वयन एजेंसी होगा।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) 1 और 2 केवल उत्तर: (d) |
आईबेरियन लिंक्स
स्रोत: डाउन टू अर्थ
हाल ही में, वैश्विक स्तर पर सबसे दुर्लभ बिल्ली प्रजातियों में से एक, आईबेरियन लिंक्स (लिंक्स पार्डिनस), इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) की लाल सूची में ‘संकटग्रस्त' (Endangered) से 'सुभेद्य' (Vulnerable) हो गई है।
- परिपक्व आईबेरियन लिंक्स की संख्या वर्ष 2001 के 62 से बढ़कर वर्ष 2022 में 648 हो गई है। वर्तमान में, पूरे स्पेन और पुर्तगाल में 2,000 से अधिक लिंक्स हैं।
आईबेरियन लिंक्स के बारे में:
- यह फेलिडे वर्ग से संबंधित है।
- यह बिल्ली के समान प्रजातियों (मांसाहारी स्तनधारियों का वर्ग) में सबसे खतरनाक है।
- वितरण: आईबेरियन लिंक्स दक्षिण-पश्चिमी स्पेन के दो अलग-अलग क्षेत्रों, अर्थात् पूर्वी सिएरा मोरेना और निचले ग्वाडलक्विविर के पश्चिम में तटीय मैदानों तक सीमित है।
- संरक्षण स्थिति: इन्हें IUCN रेड लिस्ट के परिशिष्ट II के तहत संरक्षित किया गया है और इसे CITES परिशिष्ट I में सूचीबद्ध किया गया है।
- संकट: अवैध शिकार, सड़क दुर्घटनाएँ, आवास विखंडन एवं जलवायु परिवर्तन।
- वर्ष 1948 में स्थापित IUCN प्राकृतिक विश्व की स्थिति और इसकी सुरक्षा के लिये आवश्यक उपायों पर वैश्विक प्राधिकरण है।
और पढ़े : इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) की लाल सूची
व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (VGF) योजना
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिये व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (VGF) योजना को स्वीकृति प्रदान की है, जिसका कुल परिव्यय 7453 करोड़ रुपए है।
- इस योजना में 6853 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ 1 GW (गीगावाट) क्षमता वाली अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना भी शामिल है, जिसमें गुजरात और तमिलनाडु के तटों पर 500 मेगावाट क्षमता वाली पवन ऊर्जा परियोजनाएँ शामिल हैं।
- अपतटीय पवन ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा का वह स्रोत है जो उच्च पर्याप्तता और विश्वसनीयता, कम भंडारण आवश्यकता जैसे कई लाभ प्रदान करती है।
- नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा संचालित VGF योजना, वर्ष 2015 में अधिसूचित राष्ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति को लागू करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
- VGF कुल परियोजना लागत का 40% तक का सरकारी अनुदान होता है, जो उन बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को समर्थन देने के लिये प्रदान किया जाता है जो आर्थिक रूप से उचित हैं, लेकिन वित्तीय रूप से व्यवहार्य नहीं हैं।
- सरकार से VGF समर्थन अपतटीय पवन परियोजनाओं से विद्युत की लागत को कम करेगा और उन्हें वितरण कंपनियों (DISCOM) द्वारा खरीद के लिये व्यवहार्य बना देगा।
और पढ़ें: बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों हेतु व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण योजना
प्रोटेम स्पीकर
स्रोत: द हिंदू
भारतीय राष्ट्रपति ने भर्तृहरि महताब को 18वीं लोकसभा के प्रो-टेम स्पीकर के रूप में नियुक्त किया है और उन्हें शपथ दिलाई है।
- प्रो-टेम स्पीकर की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 95(1) के तहत की जाती है, जो अध्यक्ष के चुनाव तक उसके कर्त्तव्यों का पालन करता है।
- प्रो-टेम एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है "फिलहाल के लिये"।
- प्रो-टेम स्पीकर को नव निर्वाचित सदन की बैठकों की अध्यक्षता करने के लिये नियुक्त किया जाता है। सामान्यतः सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य को प्रो-टेम स्पीकर नियुक्त किया जाता है।
- जब सदन द्वारा नए अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है, तो प्रो-टेम स्पीकर का पद समाप्त हो जाता है।
- प्रोटेम स्पीकर के कर्त्तव्य:
- प्रो-टेम स्पीकर लोकसभा की पहली बैठक की अध्यक्षता करता है और नवनिर्वाचित सांसदों को पद की शपथ दिलाता है।
- स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के लिये वोटिंग का संचालन करता है। वह फ्लोर टेस्ट भी आयोजित करता है।
और पढ़ें: लोक सभा अध्यक्ष का कार्यालय
अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन में ई-श्रम पोर्टल का प्रदर्शन
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में 4 जून 2024 को ज़िनेवा, स्विटज़रलैंड में आयोजित 112वें अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन के दौरान श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय के सचिव के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल द्वारा ई-श्रम पोर्टल का प्रदर्शन किया गया।
- अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन ILO का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय है। यह अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों और ILO की व्यापक नीतियों को निर्धारित करता है। इसकी बैठकें वार्षिक रूप से होती है।
- यह सभी 187 ILO सदस्य देशों की सरकारों, श्रमिकों और नियोक्ताओं के प्रतिनिधियों को एक साथ लाता है।
- ई-श्रम पोर्टल को वर्ष 2021 में असंगठित श्रमिकों के लिये "वन-स्टॉप-सॉल्यूशन" के रूप में लॉन्च किया गया था, ताकि संपूर्ण भारत में प्रवासी या असंगठित श्रमिकों के लिये एक राष्ट्रीय डेटाबेस का निर्माण किया जा सके और विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं तक पहुँच को सुविधाजनक बनाया जा सके।
- इसे नेशनल करियर सर्विस (NCS) पोर्टल, स्किल इंडिया डिजिटल हब (SIDH), मायस्कीम पोर्टल और प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन (PMSYM) योजना के साथ एकीकृत किया गया है।
- सरकार का लक्ष्य प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY), और आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY), PM-SVANidhi जैसी अन्य योजनाओं को ई-श्रम पोर्टल में एकीकृत करना है।
- भारत के अनौपचारिक श्रम बाज़ार में देश के लगभग 85% श्रमिक शामिल हैं, जिसमें से 90% से अधिक स्वरोज़गार या आकस्मिक मज़दूर शामिल हैं।