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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत के अनौपचारिक श्रम बाज़ार में सुधार

  • 29 May 2024
  • 16 min read

प्रिलिम्स के लिये:

असंगठित क्षेत्र बनाम संगठित क्षेत्र, श्रम बल भागीदारी, भारत में अनौपचारिक श्रम बाज़ार की स्थिति, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, ई-श्रम पोर्टल,

मेन्स के लिये:

भारत में असंगठित श्रमिक और संबंधित पहल

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

भारत का श्रम बाज़ार एक विशाल अनौपचारिक क्षेत्र के द्वारा चिह्नित है, जिसमें औपचारिक रोज़गार संरचना के बाहर से कार्यरत लगभग 400 मिलियन कामगार हैं।

  • अनौपचारिक कार्यबल देश के सकल घरेलू उत्पाद में आधे से अधिक का योगदान देता है। हालाँकि, निम्न आय वाले और अर्ध-कुशल श्रमिकों की व्यापकता औपचारिकरण एवं न्यायसंगत अवसरों की दिशा में संरचनात्मक बदलाव की तत्काल आवश्यकता को उजागर करती है।

नोट:

  • श्रम आपूर्ति: यह विभिन्न मज़दूरी दरों पर कार्य करने के इच्छुक व्यक्तियों की संख्या को संदर्भित करता है। यह मौज़ूदा मज़दूरी दर पर निर्भर करता है।
  • श्रम बल: यह वास्तव में काम करने वाले या काम करने के इच्छुक व्यक्तियों की संख्या को संदर्भित करता है।
    • यह मज़दूरी दर पर निर्भर नहीं करता है तथा इसे दिनों की संख्या के आधार पर मापा जाता है।
  • कार्यबल: यह वास्तव में काम करने वाले व्यक्तियों की संख्या को संदर्भित करता है।
    • इस विधि में उन व्यक्तियों को शामिल नहीं किया गया है जो काम करने के इच्छुक हैं लेकिन उन्हें रोज़गार नहीं मिल रहा है।

औपचारिक और अनौपचारिक श्रम बाज़ार में क्या अंतर है?

पहलू

औपचारिक श्रम बाज़ार

अनौपचारिक श्रम बाज़ार

परिभाषा

कानूनी मान्यता और विनियमन के अनुपालन के साथ संगठित क्षेत्र।

असंगठित क्षेत्र में औपचारिक मान्यता और विनियमन का अभाव है तथा श्रम कानूनों का न्यूनतम पालन होता है।

रोज़गार के प्रकार

निश्चित कार्य घंटे, स्थायी, संविदात्मक समझौते या अस्थायी नौकरियाँ।

(इसमें अंशकालिक कार्य और स्व-रोज़गार भी शामिल हैं)।

आकस्मिक, घरेलू कामगार, दैनिक मज़दूरी, अंशकालिक कर्मचारी या स्वरोज़गार।

नौकरी की सुरक्षा

श्रम कानूनों के कारण सामान्यतः नौकरी की सुरक्षा अधिक होती है।

नौकरी की न्यूनतम सुरक्षा; छँटनी का खतरा।

वेतन और लाभ

निश्चित वेतन, लाभ (जैसे, भविष्य निधि, बीमा)।

परिवर्तनशील वेतन, सीमित लाभ।

सामाजिक सुरक्षा

सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिये पात्र (जैसे, पेंशन)।

सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों तक सीमित पहुँच

कार्य की स्थिति

बेहतर कार्य स्थितियाँ (जैसे, सुरक्षा मानक)।

अक्सर खराब कार्य स्थितियाँ (जैसे, सुरक्षा उपायों की कमी)।

ट्रेड यूनियन

सक्रिय ट्रेड यूनियनें और सामूहिक सौदेबाज़ी।

सीमित संघीकरण और कमज़ोर सौदेबाज़ी शक्ति।

सेक्टर उदाहरण

विनिर्माण, IT, वित्त, सरकारी नौकरियाँ।

सड़क विक्रेता, घरेलू कामगार, कृषि।

श्रम बाज़ार की वर्तमान स्थिति क्या है? 

  • अनौपचारिक अर्थव्यवस्था की वैश्विक स्थिति:
    • वैश्विक कार्यबल का 60% से अधिक हिस्सा तथा विश्व भर के 80% उद्यम अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में कार्य करते हैं।
    • 2 अरब से अधिक श्रमिक अनौपचारिक रोज़गार के माध्यम द्वारा अपनी आजीविका अर्जित करते हैं।
    • अनौपचारिक रोज़गार का तात्पर्य है:
      • निम्न आय वाले देशों में कुल रोज़गार का 90%।
      • मध्यम आय वाले देशों में कुल रोज़गार का 67%।
      • उच्च आय वाले देशों में कुल रोज़गार का 18%।
    • वर्ष 2010 से 2016 तक उप-सहारा अफ्रीका, यूरोप, मध्य एशिया, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में अनौपचारिक कार्य ने सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 40% का योगदान दिया।
  • भारत की स्थिति:
    • भारत के अनौपचारिक श्रम बाज़ार में देश का लगभग 85% कार्यबल संलग्न है।
      • इस अनौपचारिक कार्यबल का 90% से अधिक हिस्सा स्वरोज़गार या आकस्मिक मज़दूर के रूप में कार्य करता है।
    • अनौपचारिक क्षेत्र भारत के सकल घरेलू उत्पाद का आधे से अधिक भाग उत्पन्न करता है।
    • ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत 27.69 करोड़ अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों में से 94% से अधिक की मासिक आय 10,000 रुपए या उससे भी कम है और नामांकित कार्यबल का 74% से अधिक अनुसूचित जाति ( Scheduled Castes-SC), अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes- ST) व अन्य पिछड़ा वर्ग (Other Backward Classes-OBC) से संबंधित है।
      • सामान्य श्रेणी के श्रमिकों का अनुपात 25.56% है।
    • पंजीकृत अनौपचारिक श्रमिकों में से लगभग 94% की मासिक आय 10,000 रुपए या उससे कम है, जबकि 4.36% की मासिक आय 10,001 रुपए से 15,000 रुपए के बीच है।

अनौपचारिक श्रम बाज़ार द्वारा उत्पन्न चुनौतियाँ क्या हैं?

  • अनिश्चित रोज़गार: कृषि मज़दूरों और सड़क विक्रेताओं 
  • के कारण मौसमी बेरोज़गारीनिम्न मज़दूरी का सामना करना पड़ता है, जिससे आय असमानता तथा निर्धनता में वृद्धि होती है।
  • सतत् आजीविका: अनौपचारिक कार्यबल के लिये सतत् आजीविका और समान अवसर सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण है।
  • सामाजिक भेद्यता: बड़े परिवार कृषि मज़दूरों पर भार डालते हैं, जबकि निम्न आय के कारण घरेलू कामगार और सड़क पर सामान बेचने वाले लोगों को निचले सामाजिक दर्जे के चक्र में फँसा देती है। इससे सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवा और अन्य बुनियादी अधिकारों तक उनकी पहुँच सीमित हो जाती है।
  • व्यावसायिक जोखिम: अपशिष्ट बीनने वालों व पुनर्चक्रण संबंधी करने वालों को असंगत कामकाज़ी परिस्थितियों और अपर्याप्त सुरक्षा उपायों के कारण स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों का सामना करना पड़ता है। इस क्षेत्र में बाल श्रम भी प्रचलित है।
  • संस्थागत चुनौतियाँ: अनौपचारिक श्रमिकों में कानूनी संरक्षण का अभाव है तथा वे अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न के प्रति संवेदनशील हैं।

अनौपचारिक मज़दूरों के लिये सरकारी योजनाएँ क्या हैं?

असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008:

  • कवरेज: यह अधिनियम अनौपचारिक श्रमिकों को परिभाषित करता है और उनका समर्थन करने का लक्ष्य रखता है, जिनके पास नियमित रोज़गार एवं सामाजिक सुरक्षा लाभ नहीं हैं।
  • लाभ: यह अधिनियम केंद्र व राज्य सरकारों को जीवन बीमा, विकलांगता कवरेज, स्वास्थ्य देखभाल, मातृत्व सहायता और यहाँ तक ​​कि शिक्षा तथा आवास में सहायता जैसे विभिन्न लाभ प्रदान करने वाली योजनाओं को किर्यान्वित करने का अधिकार देता है।
  • शासन: इन योजनाओं के कार्यान्वयन पर सलाह देने और निगरानी करने तथा उचित क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिये राष्ट्रीय और राज्य सामाजिक सुरक्षा बोर्ड स्थापित किये गए हैं।
  • पंजीकरण: अधिनियम के अनुसार ज़िला प्रशासन द्वारा अनौपचारिक श्रमिकों का पंजीकरण अनिवार्य है।
  • सुगम्यता: श्रमिक सुविधा केंद्रों की परिकल्पना सूचना प्रदान करने तथा श्रमिकों को अधिनियम के तहत प्रस्तावित विभिन्न योजनाओं तक पहुँच बनाने में सहायता करने के लिये की गई है।

आगे की राह

  • सार्वभौमिक कवरेज: ई-श्रम पोर्टल का लाभ उठाना और उद्योग संघों के साथ सहयोग करके धीरे-धीरे 400 मिलियन से अधिक अनौपचारिक कार्यबल को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में नामांकित करना।
  • पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाना: अनौपचारिक व्यवसायों के लिये पंजीकरण प्रक्रिया को सरल बनाने से उन्हें और उनमें संलग्न श्रमिकों को औपचारिक अर्थव्यवस्था में एकीकृत करने में सहायता मिल सकती है।
  • स्वयं सहायता समूह (SHG) आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और अनौपचारिक श्रमिकों के लिये कार्य स्थितियों में सुधार लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
  • श्रम संहिताओं का कार्यान्वयन: वर्तमान चुनौतियों से निपटने के लिये चार समेकित श्रम संहिताओं (मज़दूरी, औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा, व्यावसायिक सुरक्षा) को तेज़ी से लागू किया जाना चाहिये।
  • आवश्यकता-आधारित समर्थन:
    • अनुकूलित योजनाएँ: सड़क विक्रेताओं, कृषि मज़दूरों और निर्माण श्रमिकों जैसे विविध श्रमिक समूहों के लिये विशिष्ट सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम डिज़ाइन करना।
    • अनौपचारिक श्रमिकों को भी मातृत्व लाभ, दुर्घटना एवं मृत्यु मुआवज़ा, शिक्षा एवं अभावग्रस्त अवधि के दौरान आजीविका के अवसर प्रदान करना।
  • कौशल विकास और औपचारिकीकरण:
    • कौशल उन्नयन: अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों को प्रासंगिक कौशल से सुसज्जित करना ताकि उनकी रोज़गार क्षमता में वृद्धि हो सके तथा उन्हें औपचारिक क्षेत्र में स्थानांतरित किया जा सके।
    • औपचारिकीकरण प्रोत्साहन: श्रम बाज़ार के औपचारिकीकरण को प्रोत्साहित करने के लिये नीतिगत परिवर्तन और आकर्षक योजनाएँ लागू करना।
    • रोज़गार सेवाओं के लिये GST में कमी: रोज़गार सृजन को बढ़ावा देने के लिये रोज़गार सेवाओं के GST दर में कमी (जैसे, 18% के बजाय 5%) के साथ "योग्यता सेवाओं" के रूप में माना जाना चाहिये।
    • रोज़गार के लिये कौशल: कौशल पहल को सीधे रोज़गार के अवसरों से जोड़ना।
  • शिकायत निवारण तंत्र: अनौपचारिक श्रमिकों की शिकायतों को एक सुलभ एवं आधिकारिक निगरानी तंत्र के माध्यम से नियमित रूप से सुना जाना चाहिये और उनका तत्काल निवारण किया जाना चाहिये।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

भारत के अनौपचारिक श्रम बाज़ार के समक्ष आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिये और समान अवसर तथा स्थायी आजीविका सुनिश्चित करने में कार्यबल के औपचारिकीकरण के महत्त्व की जाँच कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. प्रधानमंत्री MUDRA योजना का लक्ष्य क्या है? (2016) 

(a) लघु उद्यमियों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाना
(b) निर्धन कृषकों को विशेष फसलों की कृषि के लिये ऋण उपलब्ध कराना
(c) वृद्ध एवं निस्सहाय लोगों को पेंशन प्रदान करना
(d) कौशल विकास एवं रोज़गार सृजन में लगे स्वयंसेवी संगठनों का निधियन करना

उत्तर: (a) 


प्रश्न. प्रच्छन्न बेरोज़गारी का सामान्यतः अर्थ है कि:  (2013)

(a) लोग बड़ी संख्या में बेरोज़गार रहते हैं,
(b) वैकल्पिक रोज़गार उपलब्ध नहीं है,
(c) श्रमिक की सीमांत उत्पादकता शून्य है,
(d) श्रमिकों की उत्पादकता नीची है,

उत्तर: (c)


मेन्स: 

प्रश्न: भारत में सबसे ज्यादा बेरोज़गारी प्रकृति में संरचनात्मक है। भारत में बेरोज़गारी की गणना के लिये अपनाई गई पद्धतियों का परीक्षण कीजिये और सुधार के सुझाव दीजिये। (2023)

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