राष्ट्रपति की मलावी और मॉरिटानिया यात्रा
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में भारत के राष्ट्रपति ने मलावी और मॉरिटानिया की यात्रा की।
- यह किसी भारतीय राष्ट्रपति की मलावी और मॉरिटानिया की पहली यात्रा है।
- भारत वर्ष 2021-22 में 256.41 मिलियन अमेरिकी डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के साथ मलावी का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
- मलावी में भारत का निवेश 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है।
- मलावी (जिसे पहले न्यासालैंड के नाम से जाना जाता था) दक्षिण-पूर्वी अफ्रीका का एक स्थल-रुद्ध देश है।
- वर्ष 2019-20 में भारत और मॉरिटानिया के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार 94.53 मिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- मॉरिटानिया में स्थानिया बर्बर और मूर जनजातियाँ हैं।
- मॉरिटानिया पश्चिमी अफ्रीका में स्थित है।
- भारत ने जून 2021 में नौआकोट (मॉरिटानिया की राजधानी) में अपना मिशन शुरू किया।
और पढ़ें: भारत-अफ्रीका सहयोग के नवीन आयाम
फंगा टैक्सोनाॅमिक किंगडम
चर्चा में क्यों?
हाल ही में चिली और यूनाइटेड किंगडम ने कवक को 'फंगा' नाम से उसका स्वयं का वर्गीकरण करने के क्रम में 'प्लेज फॉर फंगल कंजर्वेशन' नामक एक प्रस्ताव तैयार किया है।
- यह प्रस्ताव अक्तूबर 2024 में कोलंबिया के कैली में संयुक्त राष्ट्र जैवविविधता अभिसमय (CBD) के 16वें सम्मेलन (COP 16) के दौरान प्रस्तुत किया गया।
कवक संरक्षण हेतु शपथ की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- प्रस्ताव: इसका उद्देश्य कवक को पौधों (वनस्पति) और जानवरों (जीव) के साथ एक स्वतंत्र जगत के रूप में मान्यता देना है, जिसे फंगा कहा जाता है।
- यह कवक के पारिस्थितिक लाभों को बनाए रखने के लिये कानून, नीतियों और वैश्विक समझौतों में कवक को मान्यता देने की वकालत करता है।
- वर्तमान स्थिति: अगस्त 2021 में अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ प्रजाति अस्तित्व आयोग (IUCN SSC) और IUCN री:वाइल्ड कवक को जीवन के तीन साम्राज्यों में से एक के रूप में मान्यता देने वाले पहले संगठन बन गए।
- चिली -ब्रिटिश नेतृत्व वाली "3F" (वनस्पति, जीव और कवक) पहल कवक की अंतर्राष्ट्रीय मान्यता और संरक्षण की आवश्यकता पर बल देती है।
- व्यापक विविधता: कवक विज्ञानियों के अनुसार, कवक की कुल 2.2 और 3.8 मिलियन प्रजातियों में से केवल 8% ही वैज्ञानिक रूप से ज्ञात हैं, विश्व भर में प्रतिवर्ष लगभग 2,000 नई प्रजातियों की खोज की जाती है।
- कवक विज्ञानी फफूँद, खमीर और मशरूम जैसे कवकों का अध्ययन करते हैं।
- कवक का पारिस्थितिक महत्त्व: कवक अपघटन, वन पुनर्जनन, कार्बन पृथक्करण और वैश्विक पोषक चक्र को बनाए रखने में सहायक हैं।
- ये स्तनधारी पाचन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और एंटीबायोटिक दवाओं के उत्पादन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- ब्रेड, पनीर, वाइन, बीयर और चॉकलेट समेत कई खाद्य उत्पाद अपने उत्पादन हेतु कवक पर निर्भर हैं।
- कवक प्रदूषित मृदा को स्वच्छ करने में भी सहायक हैं और पशु उत्पादों जैसे अमीनो अम्ल, फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट के लिये सतत् खाद्य विकल्प प्रदान करते हैं।
- बोरियल वन कवक पौधों के साथ जड़ों के सहजीवन के माध्यम से कार्बन की महत्त्वपूर्ण मात्रा को अवशोषित करते हैं, इस प्रकार जलवायु परिवर्तन को कम करने में योगदान करते हैं।
- कवकों के लिये खतरा: अत्यधिक उन्मूलन, मृदा में नाइट्रोजन की अधिकता, वनोन्मूलन, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और कवकनाशकों के व्यापक उपयोग से कवक प्रजातियाँ खतरे में पड़ जाती हैं।
- ये खतरे कवकों के पौधों और जानवरों के साथ सहजीवी संबंधों को खतरे में डालते हैं तथा पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता को बाधित करते हैं।
कवक से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?
- परिचय: कवक यूकैरियोटिक, गैर-फोटोट्रॉफिक जीवों का एक समूह है जिसमें कठोर कोशिका भित्ति होती है। इसमें मशरूम, मोल्ड और यीस्ट शामिल हैं।
- कोशिका संरचना: कवक में काइटिन से निर्मित एक अद्वितीय कोशिका भित्ति होती है जो कवक जगत की एक अद्भुत विशेषता है।
- पौधों की कोशिका भित्ति सेल्यूलोज़ से निर्मित होती है, जो बैक्टीरिया भित्ति में पेप्टिडोग्लाइकन के रूप में होती है।
- पोषण पद्धति: कवक परपोषी होते हैं, अर्थात ये अपने पर्यावरण से कार्बनिक पदार्थों को अवशोषित करके पोषक तत्व प्राप्त करते हैं।
- ये ऐसा बाह्य पाचन के माध्यम से करते हैं, जहाँ ये सरल अणुओं को अवशोषित करने से पूर्व जटिल पदार्थों को विघटित करने के लिये एंजाइमों का स्राव करते हैं।
- प्रजनन रणनीतियाँ: कवक अलैंगिक और लैंगिक, प्रायः बीजाणुओं का उपयोग करते हुए, दोनों माध्यमों से प्रजनन करते हैं।
- वृद्धि का स्वरूप: कवक आमतौर पर माइसीलियम के रूप में विकसित होते हैं, जो तंतुमय संरचनाओं का एक नेटवर्क होता है जिसे हाइफे कहा जाता है।
- सहजीवी संबंध: कवक अन्य जीवों के साथ सहजीवी संबंध बनाने के लिये जाने जाते हैं, जैसे कि पौधों के साथ माइकोराइजल संबंध आदि।
- कुछ कवक शैवाल के साथ मिलकर लाइकेन का निर्माण भी करते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रारंभिक परीक्षा:प्रश्न: निम्नलिखित समूहों में से किनमें ऐसी जातियाँ होती हैं जो अन्य जीवों के साथ सहजीवी संबंध बना सकती है? (2021)
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये। (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) प्रश्न:निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त में से किन्हें कृत्रिम/संश्लेषित माध्यम से संवर्द्धित किया जा सकता है? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) प्रश्न: लाइकेन जो अनावृत चट्टान पर भी पारिस्थितिक अनुक्रमण की शुरुआत करने में सक्षम हैं, किस का सहजीवी संघ है (2014) (a) शैवाल और बैक्टीरिया उत्तर: (b) प्रश्न: पारिस्थितिक तंत्रों में खाद्य श्रृंखलाओं के संदर्भ में, जीव के निम्नलिखित प्रकार में से कौन सा/से अपघटक जीव/जीवों के रूप में जाना जाता है? (2013)
नीचे दिए गए कोड का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये। (a) केवल 1 उत्तर: (b) प्रश्न. अनाज के दानों और तिलहन के अनुचित संचालन और भंडारण के परिणामस्वरूप एफ़्लैटॉक्सिन नामक विषाक्त पदार्थों का उत्पादन होता है जो आम तौर पर सामान्य खाना पकाने की प्रक्रिया से नष्ट नहीं होते हैं। एफ़्लैटॉक्सिन ______ द्वारा उत्पादित हो रहे हैं। (2013) (a)जीवाणु उत्तर: C |
अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस
स्रोत: पीआईबी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस (IAD) के साथ पाली को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता देने के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाले समारोह को संबोधित किया।
इसका आयोजन अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC) और संस्कृति मंत्रालय द्वारा किया गया था।
अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय: अभिधम्म दिवस भगवान बुद्ध के तैंतीस दिव्य प्राणियों (तावतिंस-देवलोक) के दिव्य लोक से संकस्सिया (जिसे आज भारत के उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद ज़िले में स्थित संकिसा बसंतपुर के रूप में जाना जाता है) में अवतरण की याद दिलाता है।
- इस स्थान का महत्त्व यहाँ स्थित अशोक के हाथी स्तंभ की उपस्थिति से प्रदर्शित होता है।
- अभिधम्म के पीछे की कहानी: पाली ग्रंथों के अनुसार, बुद्ध ने अभिधम्म का उपदेश सबसे पहले तावतिंस स्वर्ग के देवताओं को दिया, जिनकी मुखिया उनकी माँ थीं।
- पुनः पृथ्वी पर लौटकर, उन्होंने यह सन्देश अपने शिष्य सारिपुत्त को दिया।
- घटना का चिह्न: यह शुभ दिन (प्रथम) वर्षावास के अंत और पवारण उत्सव के साथ मेल खाता है।
- वर्षावास (वस्सा) एक वार्षिक तीन महीने का मठवासी एकांतवास है, जो विशेष रूप से मानसून के मौसम के दौरान थेरवाद बौद्ध परंपरा में किया जाता है।
- पवारण उत्सव वस्सा के समापन का प्रतीक है, जहाँ भिक्षु एक साथ एकत्र होकर एकांतवास के दौरान की गई गलतियों या भूलों को स्वीकार करते हैं तथा अपने साथी भिक्षुओं को आमंत्रित करते हैं कि वे उनकी कमियों को बताएँ।
- पवारण त्योहार 11 वें चन्द्र मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर अक्टूबर में होता है।
अभिधम्म पिटक क्या है?
- अभिधम्म पिटक तीन पिटकों में से अंतिम है, जो पाली कैनन/त्रिपिटक का गठन करता है, जो थेरवाद बौद्ध धर्म के सबसे लोकप्रिय ग्रंथों में से एक है।
- अभिधम्म पिटक सुत्तों में बुद्ध की शिक्षाओं का एक विस्तृत विद्वत्तापूर्ण विश्लेषण और सारांश है। यह बौद्ध धर्म के दर्शन, सिद्धांत, मनोविज्ञान, तत्वमीमांसा, नैतिकता और ज्ञानमीमांसा से संबंधित है।
- त्रिपिटक के अन्य शेष पिटक विनय पिटक और सुत्त पिटक हैं।
- विनय पिटक संघ के भिक्षुओं और भिक्षुणियों के लिये आचरण के नियम हैं।
- सुत्त पिटक में बुद्ध और उनके नज़दीकी शिष्यों द्वारा दिये गए सुत्त (शिक्षाएँ/प्रवचन) शामिल हैं।
- अभिधम्म पिटक में सात अलग-अलग पुस्तकें शामिल हैं।
- धम्मसंगणि- घटनाओं की गणना
- विभंग- संधियों की पुस्तक
- धातुकथा- तत्त्वों के संदर्भ में चर्चा
- पुग्गलापनट्टी (Puggalapanatti)- व्यक्तित्व का विवरण
- कथावत्थु- विवाद के बिंदु
- यमाका- पुस्तकों का युग्म
- पथना (Patthana) -संबंधों की पुस्तक
पाली भाषा से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?
- पाली भाषा की उत्पत्ति: पाली इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार से संबंधित है ।
- प्रारंभ में, पाली को मगध (आधुनिक बिहार) की भाषा, मागधी के समान माना जाता था ।
- हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि पाली भाषा की पश्चिमी भारत की प्राकृत भाषा से अधिक समानता रखती है।
- शास्त्रीय भाषा: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्राकृत, मराठी, असमिया और बंगाली के साथ पाली को शास्त्रीय भाषाओं के रूप में मान्यता देने को स्वीकृत दी है।
- अशोक से संबंध: सम्राट अशोक के शिलालेख पाली भाषा में लिखे गए थे, विशेषकर आधुनिक उत्तर प्रदेश में।
- बौद्ध धर्म से संबंध: पाली तीन थेरवाद बौद्ध सिद्धांतों यानी विनय पिटक, सुत्त पिटक और अभिधम्म पिटक की भाषा है।
- पाली की लिपियाँ: मूल रूप से इसे ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपियों में लिखा जाता था। जैसे-जैसे बौद्ध धर्म का विस्तार हुआ, पाली को स्थानीय लिपियों में लिखा जाने लगा, जैसे श्रीलंका में सिंहली , म्याँमार में बर्मी, थाईलैंड में थाई और कंबोडिया में खमेर आदि।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रारंभिक परीक्षा:प्रश्न.भारत के सांस्कृतिक इतिहास के संदर्भ में, निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त युग्मों में से कौन-से सही सुमेलित हैं ? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) प्रश्न. भारत के सांस्कृतिक इतिहास के संदर्भ में, 'परामिता' शब्द का सही विवरण निम्नलिखित में से कौन-सा है? (2020) (a)सूत्र पद्धति में लिखे गए प्राचीनतम धर्मशास्त्र पाठ उत्तर: C प्रश्न.भारत के धार्मिक इतिहास के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) |
फोर्टिफाइड राइस
स्रोत: पी.आई.बी
भारत में सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी से निपटने के क्रम में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने PMGKAY सहित अन्य सरकारी योजनाओं के तहत जुलाई 2024 से दिसंबर 2028 तक फोर्टिफाइड राइस का वितरण जारी रखने को मंजूरी दी है।
- फोर्टिफिकेशन: फोर्टिफिकेशन का आशय खाद्य उत्पादों में ऐसे पोषक तत्त्व शामिल करने की प्रक्रिया है जो स्वाभाविक रूप से उसमें मौजूद नहीं होते हैं या अपर्याप्त मात्रा में मौजूद होते हैं।
- राइस फोर्टिफिकेशन हेतु या तो अनाज को सूक्ष्म पोषक तत्त्वों के मिश्रण से लेपित किया जा सकता है या फिर सूक्ष्म पोषक तत्त्वों से समृद्ध चावल के दानों को साधारण चावल के साथ मिश्रित किया जा सकता है।
- फोर्टिफिकेशन विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों के अनुरूप है और यह इसलिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि भारत की 65% आबादी द्वारा प्रतिदिन चावल का उपभोग किया जाता है।
- भारत का राइस फोर्टिफिकेशन कार्यक्रम वर्ष 2019 में एक पायलट कार्यक्रम के रूप में शुरू हुआ था तथा इसे चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाया गया है।
- झारखंड और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में फोर्टिफाइड चावल वितरित किया गया है और इसके कोई प्रतिकूल प्रभाव सामने नहीं आए हैं।
- PM-GKAY: PM-GKAY का उद्देश्य राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के अंतर्गत आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से पहले से उपलब्ध कराए जा रहे 5 किलोग्राम सब्सिडी वाले खाद्यान्न के अलावा, अतिरिक्त 5 किलोग्राम अनाज (गेहूँ या चावल) को मुफ्त में उपलब्ध कराना है।
- सुरक्षा आश्वासन: वैज्ञानिक प्रमाणों से पुष्टि होती है कि फोर्टिफाइड राइस थैलेसीमिया और सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित व्यक्तियों के लिये सुरक्षित है।
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लेबलिंग को अद्यतन बनाना: समीक्षा में कोई सुरक्षा जोखिम नहीं पाए जाने के बाद फोर्टिफाइड राइस की पैकेजिंग पर स्वास्थ्य संबंधी सलाह की आवश्यकता को हटा दिया गया है। यह वैश्विक प्रथाओं के अनुरूप है क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा FDA जैसे संगठनों द्वारा ऐसी सलाह को अनिवार्य नहीं किया गया है।
- वर्तमान में 18 देशों में राइस फोर्टिफिकेशन की अनुमति दी गई है।
और पढ़ें: राइस फोर्टिफिकेशन
WHO द्वारा पहले Mpox डायग्नोस्टिक टेस्ट को मंज़ूरी
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपनी आपातकालीन उपयोग सूची प्रक्रिया के तहत पहली Mpox इन विट्रो डायग्नोस्टिक को सूचीबद्ध किया है।
- Mpox (जिसे मंकीपॉक्स के नाम से भी जाना जाता है) एक डीएनए वायरस है। इसे पहली बार वर्ष 1958 में बंदरों में पहचाना गया था, लेकिन बाद में इसका संक्रमण मनुष्यों में भी देखा गया।
- संचरण: यह मुख्यतः पशुओं (विशेषकर कृन्तकों और प्राइमेट्स) से प्रत्यक्ष संपर्क या दूषित वस्तुओं के माध्यम से मनुष्यों में संचारित होता है।
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लक्षण: बुखार, सिरदर्द, माँसपेशियों में दर्द तथा विशिष्ट प्रकार के फोड़े फुँसियों की समस्या को देखा जाता है।
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वैश्विक प्रकोप: अगस्त 2024 में WHO ने Mpox प्रकोप को लोक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया है, जिससे इसके प्रसार को नियंत्रित करने के लिये समन्वित प्रयास किये गए।
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आपातकालीन परीक्षण:
- एबॉट मॉलिक्यूलर इंक द्वारा विकसित एलिनिटी m MPXV एस्से के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी से Mpox का सामना कर रहे देशों में नैदानिक क्षमता को बढ़ाने के क्रम में महत्वपूर्ण सफलता मिलेगी।
- वर्तमान में भारत भर की 35 प्रयोगशालाएँ Mpox के संदिग्ध मामलों की जाँच करने हेतु समर्पित हैं।
और पढ़ें: WHO ने मंकीपॉक्स को PHEIC घोषित किया
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 'न्याय की देवी' की नई प्रतिमा का अनावरण
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर सर्वोच्च न्यायालय में 'न्याय की देवी' (लेडी ऑफ जस्टिस) की नई प्रतिमा का अनावरण किया गया।
- प्रतिमा की आँखों पर पहले पट्टी बंधी रहती थी, लेकिन अब इसे खोल दिया गया है और एक हाथ मे तराजू तो है पर दूसरे हाथ में संविधान पकड़े दिखाया गया है, जो यह दर्शाता है कि भारत में कानून सूचित है और प्रतिशोध से प्रेरित नहीं है।
'न्याय की देवी' की नई प्रतिमा के बारे में:
- न्याय की देवी एक रूपकात्मक आकृति है जो न्यायिक प्रणालियों के भीतर नैतिक अधिकारों का प्रतिनिधित्त्व करती है।
- इसे अक्सर प्रुडेनशिया के साथ दर्शाया जाता है, जो बुद्धि और विवेक का प्रतिनिधित्त्व करने वाला एक अन्य प्रतीकात्मक चित्र है।
पारंपरिक चित्रण:
- परंपरागत रूप से, आँखों पर पट्टी विधि के समक्ष समानता का प्रतीक है, जिसका अर्थ है कि न्याय, इसमें शामिल पक्षों की संपत्ति, शक्ति या स्थिति से प्रभावित हुए बिना, निष्पक्ष रूप से किया जाना चाहिये।
- ऐतिहासिक रूप से तलवार कानून के अधिकार और अपराधों को दंडित करने की उसकी शक्ति का प्रतिनिधित्त्व करती थी।
नई प्रतिमा:
- ‘न्याय की देवी’ ने पश्चिमी लिबास की बजाय अब साड़ी पहनी है, जो भारतीय सांस्कृतिक पहचान तथा औपनिवेशिक प्रभावों से हटकर, भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) जैसे औपनिवेशिक युग के कानूनों को प्रतिस्थापित करने को दर्शाती है।
- परिवर्तनों के बावजूद, न्याय की तराजू को ‘न्याय की देवी’ के दाहिने हाथ में बरकरार रखा गया है, जो सामाजिक संतुलन का प्रतिनिधित्त्व करता है तथा किसी निर्णय पर पहुँचने से पहले दोनों पक्षों के तथ्यों और तर्कों को सावधानीपूर्वक तौलने के महत्त्व को दर्शाता है।
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