प्रिलिम्स फैक्ट्स (21 Dec, 2023)



धारावी पुनर्विकास परियोजना

स्रोत:द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी के पुनर्निर्माण की पहल धारावी पुनर्विकास परियोजना (DRP) ने परियोजना के लिये विजेता बोली लगाने वाले के प्रति पक्षपात के आरोपों के कारण विवादों को जन्म दिया है।

  • इस परियोजना के लिये धारावी पुनर्विकास प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड (DRPPL) नामक एक विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) की स्थापना की गई है।

धारावी पुनर्विकास परियोजना क्या है?

  • वर्ष 2004 में राज्य सरकार ने मुंबई को स्लम-मुक्त शहर बनाने के लक्ष्य के साथ स्लम पुनर्विकास प्राधिकरण (SRA) के तहत धारावी पुनर्विकास प्राधिकरण का गठन किया।
  • यह पहल अत्यधिक झुग्गी आबादी वाले शहर मुंबई में झुग्गी पुनर्विकास की लगातार शहरी चुनौती को संबोधित करती है।
  • पुनर्विकास योजना का लक्ष्य आवासीय वाणिज्यिक और औद्योगिक पहलुओं को शामिल करते हुए एक एकीकृत विकास दृष्टिकोण अपनाना है।
  • यह परियोजना शहरी पुनर्विकास चुनौतियों के समाधान में सार्वजनिक-निजी-भागीदारी पहलू पर प्रकाश डालती है।
  • पुनर्विकास योजना का फ्लोर स्पेस इंडेक्स 4 से अधिक भूमि उपयोग की एक महत्त्वपूर्ण तीव्रता को इंगित करता है, जो परियोजना की बहुआयामी प्रकृति पर ज़ोर देता है।

धारावी क्या है?

  • धारावी एशिया में झुग्गी बस्तियों का सबसे बड़ा समूह है। यह मुंबई के ठीक मध्य में स्थित है।
  • यह 300 हेक्टेयर में फैला हुआ है, जिसमें से 240 हेक्टेयर भूमि को राज्य सरकार ने परियोजना हेतु अधिसूचित किया है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1882 में ब्रिटिश काल के दौरान हुई थी।

विशेष प्रयोजन वाहन (SPV) क्या है?

  • एक विशेष प्रयोजन वाहन एक पृथक कानूनी इकाई है जिसमें एक निगम के सभी गुण होते हैं जैसे कि संपत्ति का मालिक होना, मुकदमा चलाने की क्षमता आदि।
  • एक SPV, जिसे एक विशेष प्रयोजन इकाई (SPE) के रूप में भी जाना जाता है, वित्तीय जोखिमों से बचाने के लिये एक मुख्य कंपनी द्वारा बनाई गई एक अलग कंपनी की तरह है।
  • भले ही मुख्य कंपनी दिवालियापन का सामना करती है, SPV की स्वतंत्र कानूनी स्थिति यह सुनिश्चित करती है कि उसके दायित्व सुरक्षित रहें।
    • यही कारण है कि SPV को अक्सर दिवालियापन-दूरस्थ इकाई के रूप में जाना जाता है।
  • SPV को एक जोखिमपूर्ण परियोजना पर कार्य करने के लिये नियोजित किया जा सकता है, जिससे मुख्य कंपनी एवं उसके निवेशकों को होने वाली किसी भी संभावित वित्तीय हानि को कम किया जा सकता है।
  • उद्यम पूंजीपति धन जुटाने तथा किसी स्टार्टअप में निवेश करने के लिये SPV का उपयोग करते हैं।

शहरी विकास से संबंधित हालिया पहल क्या हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स: 

प्रश्न. क्या कमज़ोर और पिछड़े समुदायों के लिये आवश्यक सामाजिक संसाधनों को सुरक्षित करने के दौरान, उनकी उन्नति के लिये सरकारी योजनाएँ, शहरी अर्थव्यवस्थाओं में व्यवसायों की स्थापना करने में उनको बहिष्कृत कर देती है? (2014)


RBI ने AIF में ऋणदाताओं के लिये मानदंड मज़बूत किये

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों ?

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने हाल ही में बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) जैसी विनियमित संस्थाओं (REs) को तनावग्रस्त ऋणों की बढ़ती संख्या पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से एक कदम उठाया है और अन्य ऋणदाताओं को वैकल्पिक निवेश कोष (AIFs) की किसी भी योजना में निवेश नहीं करना चाहिये, जिसमें देनदार कंपनी में अनुप्रवाह (downstream) निवेश हो।

  • विनियमित संस्थाएँ (REs) अपने नियमित निवेश परिचालन के हिस्से के रूप में AIF की इकाइयों में निवेश करती हैं। हालाँकि, RBI ने कहा कि AIF से जुड़ीं विनियमित संस्थाओं के कुछ लेन-देन, नियामक चिंताओं को बढ़ाते हैं।

AIF से संबंधित विनियमित संस्थाओं के लिये आरबीआई के हालिया निर्देश क्या हैं?

  • आरबीआई ने उधारकर्त्ताओं को दिये गए प्रत्यक्ष ऋण को विनियमित संस्थाओं द्वारा AIF इकाइयों में निवेश के साथ बदलने पर ज़ोर दिया, जो अप्रत्यक्ष रूप से उधारकर्त्ताओं से जुड़ा हुआ है। इससे ऋण को दिवालिया के रूप में
  • करने से बचने के लिये एवरग्रीनिंग लोन की प्रथा के बारे में चिंताएँ बढ़ गईं।
    • “एवरग्रीनिंग लोन” एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत एक ऋणदाता उसी उधारकर्त्ता को अधिक ऋण देकर उस ऋण को पुनर्जीवित करने का प्रयास करता है जो दिवालियापन के कगार पर है या डिफ़ॉल्ट की स्थिति में है।
  • आरबीआई का निर्देश स्पष्ट रूप से विनियमित संस्थाओं को विनियमित संस्थाओं से संबंधित देनदार कंपनियों में अनुप्रवाह निवेश के साथ AIF योजनाओं में निवेश करने से रोकता है।
    • निर्देश के अनुसार, ऐसे मामलों में जहाँ एक AIF जिसमें RE पहले से ही एक निवेशक है तथा ऋणी कंपनियों में डाउनस्ट्रीम निवेश करता है तो RE को 30 दिनों के भीतर अपना निवेश समाप्त करना होगा।
    • यदि RE निर्धारित समय सीमा के भीतर अपने निवेश को समाप्त करने में सक्षम नहीं हैं, तो उन्हें ऐसे निवेश पर 100% प्रावधान प्रदान करना होगा।
      • प्रावधान किसी कंपनी अथवा वित्तीय संस्थान द्वारा भविष्य के प्रत्याशित व्यय अथवा हानियों को पाटने के लिये निर्धारित अथवा आरक्षित राशि है।

नोट:

डाउनस्ट्रीम निवेश, AIF द्वारा निवेशकों से जुटाए गए धन का उपयोग करके कंपनियों में किये गए वास्तविक निवेश को संदर्भित करता है।

वैकल्पिक निवेश निधि क्या है?

  • परिचय: वैकल्पिक निवेश निधि (Alternative Investment Funds- AIF) का तात्पर्य भारत में स्थापित अथवा गठित एक निधि से है, जो निजी तौर पर एकत्रित निवेश तंत्र के रूप में कार्य करता है।
    • यह एक विशेष निवेश नीति के अनुसार निवेश (घरेलू हो या अंतर्राष्ट्रीय) करने के उद्देश्य से, परिष्कृत निवेशकों से धन एकत्रित करता है, जिससे अंततः अपने निवेशकों को लाभ होता है।
    • ये निवेश तंत्र SEBI (वैकल्पिक निवेश निधि) विनियम, 2012 का अनुपालन करते हैं।
    • दिसंबर, 2023 तक, 1,220 AIF भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के साथ पंजीकृत थे।
  • भारत में AIF के प्रकार: SEBI ने AIF को तीन मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत किया है–
    • श्रेणी–I: AIF के माध्यम से स्टार्टअप, शुरुआती चरण के उद्यमों, सामाजिक पहल, SME, आधारभूत अवसंरचना अथवा अधिकारियों द्वारा सामाजिक एवं आर्थिक रूप से लाभकारी समझे जाने वाले क्षेत्रों में निवेश किया जाता है।
      • इसमें उद्यम पूंजी (Venture Capital), सामाजिक उद्यम निधि (Social Venture Funds), अवसंरचना निधि और कोई अन्य निर्दिष्ट वैकल्पिक निवेश निधि शामिल हैं।
    • श्रेणी–II: ऐसे AIFs जो श्रेणी–I और III के अंतर्गत नहीं आते और जो दिन-प्रतिदिन की परिचालन आवश्यकताओं को पूरा करने के अलावा अन्य लेन-देन नहीं करते अथवा उधार नहीं लेते।
      • इनमें रियल एस्टेट फंड, प्राइवेट इक्विटी फंड (PE फंड), डिस्ट्रेस्ड ऐसेट फंड और इसी तरह के अन्य फंड शामिल हैं।
    • श्रेणी–III: AIFs जो विविध या जटिल व्यापारिक रणनीतियों को नियोजित करते हैं तथा सूचीबद्ध या गैर-सूचीबद्ध डेरिवेटिव में निवेश सहित लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
      • विभिन्न प्रकार के फंड जैसे हेज फंड, PIPE (सार्वजनिक इक्विटी में निजी निवेश) फंड आदि श्रेणी–III AIF के रूप में पंजीकृत हैं।
  • विधिक प्रारूप: AIF को एक न्यास/ट्रस्ट या कंपनी अथवा सीमित देयता भागीदारी या कॉर्पोरेट निकाय के रूप में स्थापित किया जा सकता है।
    • सेबी के साथ पंजीकृत अधिकांश AIF ट्रस्ट/न्यास के रूप में हैं।

RAMP के अंतर्गत तीन नई उप-योजनाएँ

स्रोत:पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों ?

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MoMSME) ने RAMP कार्यक्रम के तहत तीन उप-योजनाएँ शुरू की हैं, जिसका उद्देश्य भारत में एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा देना है।

RAMP प्रोग्राम के अंतर्गत उप-योजनाएँ क्या हैं?

  • MSME हरित निवेश और परिवर्तन के लिये वित्तपोषण योजना (MSME उपहार योजना):
    • इस योजना का उद्देश्य MSME को ब्याज छूट और क्रेडिट गारंटी समर्थन के साथ हरित प्रौद्योगिकी अपनाने में मदद करना है।
    • कार्यान्वयन एजेंसी SIDBI है।
  • सर्कुलर अर्थव्यवस्था में संवर्धन और निवेश के लियेMSME योजना (MSME स्पाइस योजना):
    • यह सर्कुलर इकोनॉमी परियोजनाओं को समर्थन देने वाली सरकार की पहली योजना है जो क्रेडिट सब्सिडी के माध्यम से की जाएगी और वर्ष 2070 तक शून्य उत्सर्जन के MSME क्षेत्र के सपने को साकार करेगी।
    • कार्यान्वयन एजेंसी सिडबी है।
  • विलंबित भुगतान हेतु ऑनलाइन विवाद समाधान पर MSME योजना:
    • यह सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिये विलंबित भुगतान की घटनाओं को संबोधित करने हेतु आधुनिक IT टूल तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ कानूनी समर्थन को समन्वित करने वाली अपनी तरह की पहली योजना है।
    • राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र सेवा इंक (NICSI) कार्यान्वयन एजेंसी है।
  • मौजूदा योजनाओं के तहत अन्य पहल:
    • IP कार्यक्रम के व्यावसायीकरण के लिये समर्थन (MSME – SCIP कार्यक्रम) MSME क्षेत्र में नवप्रवर्तकों को अपने IPR का व्यावसायीकरण करने में सक्षम बनाएगा।
    • इसके अलावा मंत्रालय की ज़ीरो डिफेक्ट और ज़ीरो इफेक्ट (ZED) योजना को अब महिला नेतृत्व वाले एमएसएमई के लिये पूरी तरह से मुफ्त कर दिया गया है। सरकार प्रमाणन लागत के लिये 100 प्रतिशत वित्तीय सहायता के भुगतान की गारंटी देती है।

RAMP योजना क्या है?

  • परिचय:
  • उद्देश्य:
    • बाज़ार एवं ऋण तक पहुँच में सुधार करना
    • केंद्र एवं राज्यों में स्थित विभिन्‍न संस्थानों और शासन को मज़बूत करना
    • केंद्र-राज्य संबंधों व साझेदारियों को बेहतर करना
    • MSME द्वारा विलंबित भुगतान और पर्यावरण अनुकूल उत्पाद एवं प्रक्रियाओं से संबंधित मुद्दों को संबोधित करना
  • घटक:
    • RAMP का महत्त्वपूर्ण घटक रणनीतिक निवेश योजना (Strategic Investment Plans- SIPs) तैयार करना है जिसमें सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को आमंत्रित किया जाएगा।
      • SIP और RAMP के अंतर्गत सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यमों हेतु योजना के रूप में प्रमुख बाधाओं एवं अंतरालों की पहचान करना, विशेष उपलब्धियों व परियोजना का निर्धारण और नवीकरणीय ऊर्जा, ग्रामीण तथा गैर-कृषि व्यवसाय, थोक एवं खुदरा व्यापार, ग्रामीण व कुटीर उद्योग, महिला उद्यम आदि प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिये आवश्यक बजट पेश करना शामिल है।
    • RAMP की समग्र निगरानी और नीति का अवलोकन एक शीर्ष राष्ट्रीय MSME परिषद द्वारा किया जाएगा।
      • इसमें विभिन्न मंत्रालयों के प्रतिनिधियों सहित MSME मंत्रालय के मंत्री शामिल होंगे। इस योजना के तहत MSME मंत्रालय के ​​सचिव की अध्यक्षता में एक कार्यक्रम समिति गठित होगी।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न1. भारत के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023)

  1. ‘सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (MSMED) अधिनियम, 2006’ के अनुसार, “जिनका संयंत्र और मशीन में निवेश 15 करोड़ रुपए से 25 करोड़ रुपए के बीच है, वे मध्यम उद्यम हैं”।
  2. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को दिये गए सभी बैंक ऋण प्राथमिकता क्षेत्रक के अधीन अर्ह हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: B


Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 21 दिसंबर, 2023

जंतुओं में रात्रि दृष्टि

जंतु, नेत्रों की संरचनाओं तथा प्रकाश-सुग्राही कोशिकाओं (Light-Sensitive Cells) के एक जटिल मिश्रण का उपयोग कर अंधेरे में अपना मार्गनिर्देशन करते हैं। मनुष्यों के विपरीत, कई जंतु प्रकाश तरंगों का पता लगा सकते हैं जिसे मानव दृष्टि देखने में अक्षम होती हैं।

  • कशेरुकियों में दो प्रमुख प्रकार की प्रकाश-सुग्राही कोशिकाएँ होती हैं जिन्हें दंड (Rod) तथा शंकु (Cones) कहते हैं। दंड, कम रोशनी (रात्रि दृष्टि की तरह) में देखने हेतु सहायता करते हैं, जबकि शंकु दिन के प्रकाश तथा रंगों को देखने में अहम भूमिका निभाते हैं।
  • दिन में सक्रिय रहने वाले प्राणियों के पास स्पष्ट छवियों के लिये अधिक शंकु कोशिकाएँ होती हैं किंतु कम रोशनी में उन्हें संघर्ष करना पड़ सकता है। जबकि, रात्रिचर जंतु मुख्य रूप से अपने दृष्टिपटल (Retina) में दंड कोशिकाओं पर निर्भर होते हैं, जिनमें रोडोप्सिन नामक प्रकाश-सुग्राही वर्णक मौजूद होते हैं। प्रकाश की कमी होने पर यह वर्णक धीरे-धीरे पुनः स्थापित होकर उन्हें अंधेरे में बेहतर देखने में मदद करता है।

कोलाट्टम नृत्य

हाल ही में आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में बच्चों के त्योहार बालोत्सव के दौरान कोलाट्टम नृत्य का प्रदर्शन किया गया।

  • कोलाट्टम आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु राज्यों का लोक नृत्य है। यह एक धार्मिक प्रस्तुति का हिस्सा है, जहाँ महिला नर्तकियाँ आंध्र प्रदेश के कई क्षेत्रों में मंदिर की देवी को श्रद्धांजलि अर्पित करती हैं।
    • कोलाट्टम नृत्य मुख्यतः महिलाओं का नृत्य है, इसमें पुरुषों को शामिल नहीं किया जाता है।
  • नृत्य के इस रूप को कोलकोल्लन्नालु या कोल्लान्नालु भी कहा जाता है। नृत्य का यह लोकप्रिय रूप आम तौर पर एक समूह बनाकर किया जाता है जहाँ दो-दो कलाकारों को एक जोड़ी के रूप में समूहीकृत किया जाता है। प्रत्येक नर्तक दो छड़ियाँ रखता है और इन छड़ियों को लयबद्ध तरीके से घुमाता है।
    • कोलाट्टम कारा एक छड़ी है जो ठोस लकड़ी से बनी होती है और कोलाट्टम में लाह का उपयोग किया जाता है।

और पढ़ें: भारतीय शास्त्रीय नृत्य

सिकल सेल रोग हेतु जीन थेरेपी को FDA की मंज़ूरी

खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA), अमेरिकी स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग के तहत एक एजेंसी, ने वर्टेक्स फार्मास्यूटिकल्स व CRISPR थेरेप्यूटिक्स द्वारा-ब्लूबर्ड बायो तथा कैसगेवी से सिकल सेल रोग लिफजेनिया के लिये दो जीन थेरेपियों को मंज़ूरी दे दी है।

  • सिकल सेल रोग एक आनुवांशिक रक्त रोग है जिसमे हीमोग्लोबिन में विसंगति उत्पन्न हो जाती है, हीमोग्लोबिन लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाने वाला प्रोटीन है, जो ऑक्सीजन का परिवहन करता है।
    • इसके कारण लाल रक्त कोशिकाएँ अर्द्धचंद्राकार आकार धारण कर लेती हैं, जिससे वाहिकाओं के माध्यम से उनकी गति बाधित होती है, जिससे गंभीर दर्द, संक्रमण, एनीमिया और स्ट्रोक जैसी संभावित जटिलताएँ उत्पन्न होती हैं।
  • इन उपचारों का उद्देश्य CRISPR जीन एडिटिंग तकनीक का लाभ उठाकर या तो संशोधित जीन सम्मिलित करना या स्टेम कोशिकाओं को संपादित करके उपचार को बदलना है, जो संभावित रूप से एक बार के उपचार प्रस्तुत करता है।
  • उपचारों की दीर्घकालिक प्रभावशीलता और जोखिमों के बारे में चिंताएँ मौजूद हैं, जिनमें कीमोथेरेपी की आवश्यकता, संभावित बाँझपन तथा अनपेक्षित जीनोमिक परिवर्तनों के बारे में चिंताएँ शामिल हैं।

और पढ़ें: सिकल-सेल एनीमिया के लिये CRISPR-Cas9

वर्ष 2047 तक सभी के लिये बीमा हेतु LIC का दृष्टिकोण

भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) 'वर्ष 2047 तक सभी के लिये बीमा' पहल के अनुरूप, ग्रामीण क्षेत्रों हेतु अनुकूलित उत्पाद प्रस्तुत करके तथा डिजिटल परिवर्तन को अपनाकर एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिये तैयार है।

  • वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के दृष्टिकोण के अनुरूप, ग्रामीण जनता तक अधिक-से-अधिक बीमा कवरेज़ बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • LIC भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) द्वारा प्रस्तावित 'बीमा विस्तार' को स्वीकार करती है, जो जीवन, स्वास्थ्य तथा संपत्ति बीमा को कवर करने वाला एक समग्र उत्पाद है।
    • इन उत्पादों का वितरण चैनल, जिसे 'बीमा वाहक' के नाम से जाना जाता है, ग्राम पंचायत स्तर पर समर्पित वितरण चैनलों के लिये प्रस्तावित दिशा-निर्देशों के अनुरूप, महिला केंद्रित होगा।
  • LIC ने पहले चरण में ग्राहक अधिग्रहण पर ध्यान देने के साथ ही एक डिजिटल परिवर्तन परियोजना, डिजिटल इनोवेशन एंड वैल्यू एन्हांसमेंट (Digital Innovation and Value Enhancement- DIVE) की शुरुआत की है।
    • डिजिटल परिवर्तन का उद्देश्य एक बटन के क्लिक पर दावों के निपटान और ऋण जैसी कुशल सेवाएँ उपलब्ध कराना है, जिससे ग्राहकों को कार्यालयों में जाने की आवश्यकता कम हो।
  • LIC पर पूर्ण स्वामित्व सरकार का है। इसकी स्थापना वर्ष 1956 में की गई थी। भारत के बीमा व्यवसाय में इसकी सर्वाधिक हिस्सेदारी है। 

और पढ़ें: IRDAI विज़न 2047, बीमा वाहक