भारतीय अर्थव्यवस्था
‘ज़ीरो डिफेक्ट, ज़ीरो इफेक्ट’ स्कीम
- 30 Nov 2021
- 6 min read
प्रिलिम्स के लिये:‘ज़ीरो डिफेक्ट, ज़ीरो इफेक्ट’ स्कीम, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मेन्स के लिये:योजना का महत्त्व और ‘सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम’ का प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
हाल के आँकड़ों के अनुसार, ‘ज़ीरो डिफेक्ट, ज़ीरो इफेक्ट स्कीम’ (ZED) के सिद्धांत को अपनाने के इरादे से 23,948 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) ने पंजीकरण कराया था।
प्रमुख बिंदु
- योजना के विषय में:
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा वर्ष 2016 में शुरू की गई यह योजना एक एकीकृत और व्यापक प्रमाणन प्रणाली है।
- यह योजना उत्पादों और प्रक्रियाओं दोनों में उत्पादकता, गुणवत्ता, प्रदूषण शमन, ऊर्जा दक्षता, वित्तीय स्थिति, मानव संसाधन तथा डिज़ाइन एवं बौद्धिक संपदा अधिकार सहित तकनीकी रूप से सक्षम बनाने हेतु उत्तरदायी है।
- इसका मिशन ‘ज़ीरो डिफेक्ट, ज़ीरो प्रभाव’ के सिद्धांतों के आधार पर भारत में ‘ZED’ संस्कृति को विकसित और कार्यान्वित करना है।
- ज़ीरो डिफेक्ट
- जीरो डिफेक्ट अवधारणा ग्राहक केंद्रित है।
- शून्य गैर-अनुरूपता या गैर-अनुपालन
- शून्य अपशिष्ट
- ज़ीरो इफेक्ट
- शून्य वायु प्रदूषण, तरल निर्वहन, ठोस अपशिष्ट
- प्राकृतिक संसाधनों का शून्य अपव्यय
- ZED प्रमाणन\रेटिंग:
- रेटिंग प्रत्येक पैरामीटर पर प्राप्त अंकों का भारित औसत है।
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय का मूल्यांकन परिचालन स्तर के संकेतकों एवं संगठनात्मक स्तर के संकेतकों हेतु परिभाषित परिणाम मापदंडों पर किया जाएगा।
- मूल्यांकन के आधार पर MSME को ब्रोंज़-सिल्वर-गोल्ड-डायमंड-प्लैटिनम उद्यमों के रूप में रैंक प्रदान की जाएगी।
- ZED रेटिंग के लिये 50 पैरामीटर हैं और ZED मैच्योरिटी असेसमेंट मॉडल के तहत ZED डिफेंस रेटिंग के लिये अतिरिक्त 25 पैरामीटर हैं।
- योजना का उद्देश्य
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम में ‘शून्य दोष निर्माण’ के लिये एक पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना।
- गुणवत्तापूर्ण उपकरणों/प्रणालियों के अनुकूलन और ऊर्जा दक्ष विनिर्माण को बढ़ावा देना। गुणवत्तापूर्ण उत्पादों के निर्माण के लिये सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम को सक्षम बनाना।
- उत्पादों और प्रक्रियाओं में गुणवत्ता मानकों को लगातार उन्नत करने के लिये एमएसएमई को प्रोत्साहित करना।
- ZED निर्माण और प्रमाणन के क्षेत्र में पेशेवरों का विकास करना।
- 'मेक इन इंडिया' अभियान का समर्थन करना।
- योजना की कार्यान्वयन एजेंसी:
- ZED के कार्यान्वयन के लिये भारतीय गुणवत्ता परिषद (QCI) को राष्ट्रीय निगरानी और कार्यान्वयन इकाई (NMIU) के रूप में नियुक्त किया गया है।
- भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) एक गैर-लाभकारी संगठन है जो सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत है।
- ZED के कार्यान्वयन के लिये भारतीय गुणवत्ता परिषद (QCI) को राष्ट्रीय निगरानी और कार्यान्वयन इकाई (NMIU) के रूप में नियुक्त किया गया है।
- एमएसएमई क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये अन्य पहलें:
- प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (PMEGP)
- पारंपरिक उद्योगों के उत्थान के लिये निधि की योजना (SFURTI)
- नवाचार, ग्रामीण उद्योग और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिये एक योजना (एस्पायर)
- एमएसएमई को वृद्धिशील ऋण के लिये ब्याज सबवेंशन योजना
- सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिये ऋण गारंटी योजना
- चैंपियंस पोर्टल
एमएसएमई और भारतीय अर्थव्यवस्था
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं तथा देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान करते हैं।
- निर्यात के संदर्भ में वे आपूर्ति शृंखला का एक अभिन्न अंग हैं और कुल निर्यात में लगभग 48 प्रतिशत का योगदान देते हैं।
- इसके अलावा MSMEs रोज़गार सृजन में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और देश भर में लगभग 110 मिलियन लोगों को रोज़गार प्रदान करते हैं।
- विदित हो कि MSMEs ग्रामीण अर्थव्यवस्था से भी जुड़े हुए हैं और लगभग आधे से अधिक MSMEs ग्रामीण भारत में कार्यरत हैं।