NTA का पुनर्गठन
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सरकार द्वारा नियुक्त पैनल ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) में व्यापक सुधारों की सिफारिश की है।
NTA के पुनर्गठन के लिये प्रमुख सिफारिशें क्या हैं?
- सशक्त शासन: लेखापरीक्षा, नैतिकता और हितधारक संबंधों पर तीन उप-समितियों के साथ एक सशक्त शासी निकाय का निर्माण करना।
- महानिदेशक (DG) की एक विशिष्ट नेतृत्वकारी भूमिका होनी चाहिये तथा वह कम से कम अतिरिक्त सचिव स्तर का होना चाहिये।
- 'डिजी परीक्षा' प्रणाली: इसमें फर्जीवाड़ा रोकने के लिये ‘डिजी परीक्षा’ प्रणाली शुरू करने का सुझाव दिया गया है।
- यह प्रक्रिया परीक्षा प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में उम्मीदवारों की पहचान प्रमाणित करने के लिये आधार, बायोमेट्रिक्स और AI एनालिटिक्स का उपयोग करती है।
- मोबाइल परीक्षण केंद्र (MTC): पूर्वोत्तर, हिमालयी राज्यों और द्वीपों जैसे सुदूरवर्ती स्थानों तक पहुँचने के लिये हबों (Buses) को वर्क-स्टेशन, इंटरनेट कनेक्टिविटी और विद्युत् आपूर्ति से सुसज्जित करना।
- हाइब्रिड परीक्षण विधियाँ: एन्क्रिप्टेड प्रश्न पत्रों को परीक्षण केंद्रों के केंद्रीकृत सर्वरों पर प्रेषित किया जाना चाहिये है, तथा गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिये उच्च गति वाले प्रिंटर का उपयोग करके सुरक्षित रूप से मुद्रित किया जाना चाहिये।
- प्रश्न पत्रों का मुद्रण: मुद्रण, पैकेजिंग और परिवहन के दौरान मुद्रण प्रेस पर पूर्व-अनुमोदन सत्यापन और सतत् निगरानी की जानी चाहिये।
- प्रश्नपत्र और OMR शीट विशिष्ट रूप से कोडित और ऑडिटेड होनी चाहिये।
- नवाचारों का परीक्षण: पैनल ने तीन नीतिगत नवाचारों की सिफारिश की।
- बहु-सत्र परीक्षण: बड़े पैमाने पर होने वाली परीक्षाओं के लिये, विशेषकर जब प्रतिभागियों की संख्या दो लाख से अधिक हो।
- बहु-चरणीय परीक्षण: परीक्षण चरणों में आयोजित किया जाएगा, जिसमें प्रत्येक चरण में अभ्यर्थी के ज्ञान या कौशल के विशिष्ट पहलू पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- क्लस्टर दृष्टिकोण: CUET प्रवेश के लिये विषय वस्तुओं की विस्तृत शृंखला को संबंधित विषयों के अधिक केंद्रित क्लस्टरों में सुव्यवस्थित करना।
- परीक्षा केंद्र आवंटन: पैनल ने अभ्यर्थियों के निवास के निकट परीक्षा केन्द्र आवंटित करने तथा प्रत्येक ज़िले में सुरक्षित केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव रखा।
- राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी को सरकारी संस्थानों को प्राथमिकता देते हुए 1,000 सुरक्षित केंद्र स्थापित करने का लक्ष्य रखना चाहिये।
- स्थायी स्टाफ: इसने NTA को स्थायी स्टाफ नियुक्त करने की सिफारिश की।
- सहयोग: NTA को संपूर्ण परीक्षण प्रक्रिया के दौरान विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) सहित टेस्ट इंडेंटिंग एजेंसियों के साथ सहयोग करना चाहिये।
राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी क्या है?
- परिचय: NTA की स्थापना वर्ष 2017 में सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत एक सोसायटी के रूप में की गई थी।
- उद्देश्य: यह उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश/फेलोशिप के लिये प्रवेश परीक्षा आयोजित करने के लिये एक प्रमुख, विशेषज्ञ, स्वायत्त और आत्मनिर्भर परीक्षण संगठन है। उदाहरण के लिये, JEE (मेन), CMAT, UGC - NET आदि।
- शासी निकाय: NTA की अध्यक्षता शिक्षा मंत्रालय द्वारा नियुक्त एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद् द्वारा की जाती है।
- महानिदेशक को शिक्षाविदों/विशेषज्ञों की अध्यक्षता में 9 विभागों द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।
- CEO सरकार द्वारा नियुक्त महानिदेशक होता है।
रोमानिया और बुल्गारिया शेंगेन क्षेत्र में शामिल हुए
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
1 जनवरी, 2025 से बुल्गारिया तथा रोमानिया यूरोपीय संघ के शेंगेन क्षेत्र में शामिल हो जाएंगे । दोनों देश, जो वर्ष 2007 से यूरोपीय संघ के सदस्य हैं, अंततः सीमाहीन क्षेत्र में शामिल हो सकेंगे, जिससे पूरे यूरोप में निर्बाध यात्रा और आवागमन संभव हो सकेगा।
यूरोपीय संघ का शेंगेन क्षेत्र क्या है?
- शेंगेन क्षेत्र : शेंगेन क्षेत्र का नाम लक्ज़मबर्ग के एक छोटे से गाँव के नाम पर रखा गया है, जहाँ शेंगेन समझौते (वर्ष 1985) तथा शेंगेन कन्वेंशन (वर्ष 1990) पर हस्ताक्षर किये गए थे।
- इन समझौतों ने भागीदार देशों के बीच आंतरिक सीमा जाँच को समाप्त कर दिया, परिणामस्वरूप अधिकांश यूरोपीय संघ के राज्यों और कुछ गैर-यूरोपीय संघ देशों में लोगों की मुक्त आवाजाही की अनुमति प्राप्त हुई।
- शेंगेन क्षेत्र आंतरिक सीमा नियंत्रण के बिना विश्व का सबसे बड़ा क्षेत्र है और अब इसमें 29 देश ( 27 यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों में से 25 (साइप्रस और आयरलैंड को छोड़कर), चार गैर-यूरोपीय संघ देश (आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्ज़रलैंड) शामिल हैं।
शेंगेन क्षेत्र की मुख्य विशेषताएँ:
- मुक्त आवागमन: शेंगेन क्षेत्र 425 मिलियन से अधिक यूरोपीय संघ के नागरिकों और गैर-यूरोपीय संघ के नागरिकों के लिये मुक्त आवागमन की गारंटी देता है जो कानूनी रूप से यूरोपीय संघ में निवासी हैं।
- आंतरिक सीमा जाँच को समाप्त करके, यह भागीदार देशों के बीच निर्बाध यात्रा, रहना और काम करना संभव बनाता है।
- एक समान वीज़ा नीति पर्यटकों, व्यापारिक यात्रियों और अन्य आगंतुकों के लिये 90 दिनों तक के अल्पकालिक प्रवास की अनुमति देती है।
- सीमा पार सहयोग: शेंगेन क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये पुलिस सहयोग, न्यायिक सहयोग और शेंगेन सूचना प्रणाली (SIS) के प्रावधान शामिल हैं।
- SIS यूरोप में सुरक्षा और सीमा प्रबंधन के लिये सबसे व्यापक रूप से प्रयुक्त तथा सबसे बड़ी सूचना साझाकरण प्रणाली है।
- अस्थायी सीमा नियंत्रण: असाधारण परिस्थितियों में, देश सुरक्षा कारणों से अस्थायी रूप से सीमा नियंत्रण पुनः लागू कर सकते हैं, लेकिन उन्हें अन्य सदस्य राज्यों और यूरोपीय आयोग को सूचित करना होगा।
- शेंगेन मूल्यांकन: शेंगेन क्षेत्र में शामिल होने के इच्छुक देशों को विशिष्ट मानदंडों को पूरा करना होगा, जिसमें प्रभावी सीमा नियंत्रण, वीज़ा जारी करना और कानून प्रवर्तन सहयोग शामिल है।
बुल्गारिया और रोमानिया के बारे में मुख्य तथ्य
- बुल्गारिया:
- राजधानी: सोफिया
- भूगोल: बुल्गारिया दक्षिण-पूर्वी यूरोप के बाल्कन में स्थित है। इसकी सीमा काला सागर से लगती है और यह रोमानिया और तुर्की के बीच स्थित है।
- बुल्गारिया उत्तर में रोमानिया, दक्षिण में तुर्की और ग्रीस, दक्षिण-पश्चिम में उत्तरी मैसेडोनिया तथा पश्चिम में सर्बिया से घिरा हुआ है।
- राजनीतिक प्रणाली: संसदीय गणतंत्र
- विदेशी संबंध: बुल्गारिया संयुक्त राष्ट्र (UN), उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO), यूरोपीय संघ और शेंगेन क्षेत्र का सदस्य है।
- रोमानिया:
- राजधानी: बुखारेस्ट
- भूगोल: रोमानिया उत्तर में यूक्रेन, उत्तर-पूर्व में मोल्दोवा, दक्षिण-पूर्व में काला सागर, दक्षिण में बुल्गारिया, दक्षिण-पश्चिम में सर्बिया और पश्चिम में हंगरी से घिरा है।
- राजनीतिक प्रणाली: अर्द्ध-राष्ट्रपति गणतंत्र
- विदेशी संबंध: रोमानिया संयुक्त राष्ट्र, नाटो, यूरोपीय संघ, यूरो-अटलांटिक भागीदारी परिषद और यूरोप में सुरक्षा और सहयोग संगठन (OSCE) का सदस्य है।
भारत में मोल्दोवा का दूतावास
स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड
हाल ही में पूर्वी यूरोपीय देश मोल्दोवा गणराज्य ने नई दिल्ली में अपने दूतावास का उद्घाटन किया।
- वर्ष 1991 में सोवियत संघ के पतन और मोल्दोवा की स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1992 में भारत तथा मोल्दोवा के मध्य राजनयिक संबंध स्थापित हुए।
मोल्दोवा:
- मोल्दोवा (पूर्व नाम: बेस्सारबिया) यूक्रेन और रोमानिया की सीमा से लगा एक स्थलरुद्ध देश है।
- यह बाल्कन प्रायद्वीप के उत्तर-पूर्व में स्थित है।
- बाल्कन प्रायद्वीप दक्षिण-पूर्वी यूरोप में अवस्थित है जिसका नाम बाल्कन पर्वत शृंखला के नाम पर रखा गया है ।
- मोल्दोवा का अधिकांश भाग विशाल घुमावदार प्रुत और डेनिस्टर नदियों के बीच स्थित है।
- यह कार्पेथियन पर्वतमाला के महान चाप के पूर्व में स्थित है।
- ट्रांसनिस्ट्रिया, डेनिस्टर नदी के पूर्व में मोल्दोवा से विभाजित एक छोटा-सा क्षेत्र है।
- ट्रांसनिस्ट्रिया पर रूस समर्थक अलगाववादियों का नियंत्रण है, जहाँ स्थायी रूप से रूसी सेना के साथ-साथ एक बड़ा आर्म्स डिपो भी स्थित है।
और पढ़ें: रूस-यूक्रेन युद्ध में ट्रांसनिस्ट्रिया
जलवाहक योजना
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री ने अंतर्देशीय जलमार्ग और माल ढुलाई को बढ़ावा देने के लिये 'जलवाहक' योजना शुरू की।
- उद्देश्य: इसका उद्देश्य अंतर्देशीय जलमार्गों की वाणिज्यिक क्षमता का दोहन करना, रसद लागत को कम करना और सड़कों और रेलमार्गों पर यातायात को आसान बनाना है।
- यह राष्ट्रीय जलमार्ग (NW) 1 (गंगा), 2 (ब्रह्मपुत्र) और 16 (बराक) पर लंबी दूरी की माल ढुलाई को प्रोत्साहित करता है।
- प्रोत्साहन:
- भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल मार्ग के माध्यम से राष्ट्रीय राजमार्ग 1, 2 और 16 पर कार्गो आवागमन के लिये परिचालन व्यय का 35% तक प्रतिपूर्ति प्रदान करता है।
- यह निजी ऑपरेटरों के स्वामित्व वाले जहाजों को किराये पर लेने को प्रोत्साहित करता है, जिससे प्रतिस्पर्द्धा और दक्षता को बढ़ावा मिलता है।
- आर्थिक एवं पर्यावरणीय प्रभाव:
- इसका लक्ष्य वर्ष 2027 तक 800 मिलियन टन किलोमीटर कार्गो को शिफ्ट करना है।
- इसका लक्ष्य जलमार्गों के माध्यम से माल की आवाजाही को 132.89 मिलियन टन (2023-24) से बढ़ाकर वर्ष 2030 तक 200 मिलियन टन और वर्ष 2047 तक 500 मिलियन टन करना है, जिससे नीली अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भर भारत पहल को समर्थन मिलेगा।
- भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI):
- इसकी स्थापना वर्ष 1986 में अंतर्देशीय जलमार्गों को विनियमित और विकसित करने के लिये की गई थी।
- भारत में नदियों, नहरों और बैकवाटर्स सहित 14,500 किलोमीटर नौगम्य जलमार्ग हैं।
- राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016 के अंतर्गत 111 जलमार्गों (5 मौजूदा और 106 नए) को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है।
और पढ़ें: भारत का अंतर्देशीय जल परिवहन
बीमाकर्त्ता के लिये कंपोजिट लाइसेंस
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में, केंद्र सरकार ने बीमा अधिनियम, 1938 में संशोधन के माध्यम से समग्र या कंपोजिट लाइसेंस शुरू करने का प्रस्ताव रखा, जिसका उद्देश्य भारत में बीमा तक पहुँच सुनिश्चित करना तथा वर्ष 2047 तक 'सभी के लिये बीमा' का लक्ष्य हासिल करना है।
- समग्र या कंपोजिट लाइसेंस: समग्र लाइसेंस बीमाकर्त्ताओं को एक ही पंजीकरण के तहत जीवन और गैर-जीवन बीमा की पेशकश करने की अनुमति देता है, जिससे परिचालन एक इकाई में समेकित हो जाता है।
- वर्तमान में, बीमा कंपनियों को प्रत्येक व्यवसाय के लिये अलग-अलग लाइसेंस प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।
लाभ:
- समग्र लाइसेंस बीमा कंपनियों को एक ही इकाई के तहत कई लाइनों का प्रबंधन करने की अनुमति प्रदान कर लागत और स्वीकृति से संबंधित असुविधाओं में कमी लाता है, जिससे नवाचार और दक्षता को बढ़ावा मिलता है।
- एकीकृत आईटी प्रणालियों के साथ, जीवन बीमा कंपनियाँ क्षतिपूर्ति-आधारित स्वास्थ्य बीमा की पेशकश कर सकती हैं, जिससे अंडरराइटिंग में सुधार और खर्चों में कटौती होगी।
- एजेंट जीवन और गैर-जीवन दोनों प्रकार के उत्पाद बेच सकते हैं, ताकि ग्राहकों की वित्तीय आवश्यकताएँ बेहतर ढंग से पूरी हो सकें।
विनियामक परिवर्तन :
- सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSU) बीमा कंपनियों को समग्र लाइसेंस प्रदान करने हेतु जीवन बीमा निगम (LIC) अधिनियम, 1956 और सामान्य बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम (GIBNA), 1972 में संशोधन की आवश्यकता है।
और पढ़ें: भारत में स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर GST
29वाँ दिल्ली CII शिखर सम्मेलन
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में भारत के केंद्रीय वाणिज्य मंत्री ने दिल्ली में आयोजित 29वें भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) भागीदारी शिखर सम्मेलन के दौरान सतत् विकास में समान ज़िम्मेदारियों की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
शिखर सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ:
- पर्यावरणीय समानता: औद्योगिक देशों को अतीत में हुई पर्यावरणीय क्षति के लिये उत्तरदायी ठहराने के लिये भारत ने "प्रदूषणकर्त्ता को भुगतान करना होगा" सिद्धांत और "सामान्य लेकिन विभेदित उत्तरदायित्व" (CBDR) को बढ़ावा दिया।
- एकतरफा उपायों का विरोध: इसने विकासशील देशों के निर्यात को नुकसान पहुँचाने के लिये यूरोपीय संघ के कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (CBAM) और यूरोपीय संघ वनों की कटाई विनियमन (EUDR) की आलोचना की है।
- जलवायु वित्त: भारत ने बाकू में आयोजित CoP29 में 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर के जलवायु-वित्त पैकेज पर असंतोष व्यक्त किया तथा वैश्विक दक्षिण के लिये अनुकूलन एवं वित्त पर ध्यान देने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
- साझेदारी और प्रौद्योगिकी: भारत ने इज़रायल, इटली और कतर जैसे देशों के साथ संबंधों को मज़बूत करने पर ज़ोर दिया, तथा व्यापार, स्थिरता और क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देते हुए जलवायु अनुकूल एवं अपशिष्ट जल प्रबंधन में प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान का समर्थन किया।
CII भागीदारी शिखर सम्मेलन 2024:
- आयोजक: भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और DPIIT, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय।
- थीम (2024): “प्रगति के लिये साझेदारी”।
- भागीदारी: 61 देशों के प्रतिनिधि, स्थिरता, व्यापार, हरित प्रौद्योगिकी और क्षेत्रीय सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
और पढ़ें: जलवायु वित्त