प्रथम बोडोलैंड महोत्सव
स्रोत: पी.आई.बी
हाल ही में 15 और 16 नवंबर को नई दिल्ली में प्रथम बोडोलैंड महोत्सव का आयोजन किया गया।
- इस महोत्सव का विषय ‘समृद्ध भारत के लिये शांति और सद्भाव’ था।
- उद्देश्य: इसके तहत बोडो समुदाय के साथ बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (Bodoland Territorial Region- BTR) के अन्य समुदायों की समृद्ध संस्कृति, भाषा, शिक्षा और विरासत पर प्रकाश डाला गया।
- ऐतिहासिक महत्त्व: इसके तहत बोडो शांति समझौते (2020) के बाद इस क्षेत्र की स्थिरता पर प्रकाश डाला गया।
- बोडो समुदाय: बोडो असम की अधिसूचित अनुसूचित जनजातियों में सबसे बड़ा समुदाय है, जिसकी राज्य की आबादी में लगभग 5-6% की हिस्सेदारी है।
- 1980 के दशक के अंत में बोडो समुदाय ने अपने लिये अलग राज्य की मांग को लेकर एक जन आंदोलन शुरू किया।
- BTR: बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र असम में एक स्वायत्त क्षेत्र है जिसमें चार ज़िले (कोकराझार, चिरांग, बक्सा और उदलगुरी) शामिल हैं।
- इसको एक निर्वाचित निकाय द्वारा प्रशासित किया जाता है जिसे बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद के नाम से जाना जाता है।
अधिक पढ़ें: बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (BTR)
बराक नदी
स्रोत: TH
मणिपुर के जिरीबाम ज़िले में बराक नदी में तैरते हुए मिले तीन शवों के बारे में माना जा रहा है कि वे राज्य में जारी हिंसा के शिकार हैं।
- बराक नदी: सेनापति ज़िले में मणिपुर पहाड़ियों से निकलती है। यह नगालैंड-मणिपुर सीमा के साथ प्रवाहित होती है, असम और फिर बांग्लादेश में प्रवेश करती है जहाँ इसे सूरमा तथा कुशियारा के नाम से जाना जाता है और बाद में इसे मेघना के नाम से जाना जाता है (गंगा व ब्रह्मपुत्र के संयुक्त प्रवाह को प्राप्त करने से पहले)।
- उप-बेसिन में पाई जाने वाली प्रमुख मृदा लैटेराइट तथा लाल और पीली मृदा हैं।
- बराक की प्रमुख सहायक नदियाँ जिरी, धलेश्वरी, सिंगला, लोंगई, सोनाई और कटाखल हैं।
- बराक उप-बेसिन भारत, बांग्लादेश और बर्मा के इलाकों में जल निकासी प्रदान करता है। यह उत्तर में ब्रह्मपुत्र बेसिन से अलग होने वाली बरेल पर्वतमाला, पूर्व में नागा और लुशाई पहाड़ियों, दक्षिण एवं पश्चिम में मिज़ो पहाड़ियों तथा बांग्लादेश के क्षेत्र से घिरा हुआ है।
- बराक उप-बेसिन दो प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों में विभाजित है: पहाड़ी क्षेत्र (जहाँ जनजातीय आबादी रहती है) और मैदानी क्षेत्र जो घनी आबादी वाले हैं तथा जहाँ बड़े पैमाने पर कृषि होती है।
और पढ़ें: मणिपुर में हिंसा
लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज़ मिसाइल
स्रोत: पी.आई.बी.
हाल ही में, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने एक मोबाइल आर्टिकुलेटेड लॉन्चर से ओडिशा के तट पर इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR), चाँदीपुर से लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज़़ मिसाइल (LRLACM) का पहला उड़ान परीक्षण किया।
- सटीक प्रहार: इस मिसाइल की मारक क्षमता 1,000 किलोमीटर है, जो सामरिक स्थानों पर सटीक निशाना लगाने और प्रभावशीलता सुनिश्चित करती है।
- उन्नत प्रौद्योगिकी: यह उन्नत एवियोनिक्स एवं सॉफ्टवेयर से सुसज्जित है, जो इसकी विश्वसनीयता और परिचालन दक्षता को बढ़ाता है।
- यह विभिन्न युद्धाभ्यास करते हुए,विभिन्न ऊँचाईयों के साथ-साथ गति पर प्रभावी ढंग से संचालन करते हुए पूर्व निर्धारित मार्ग बिंदुओं के माध्यम से नेविगेट करने की क्षमता प्रदर्शित करता है।
- समानता: अमेरिकी टॉमहॉक तथा रूस के कालिब्र के समान, LRLACM सटीक, लंबी दूरी के हमले हेतु उत्कृष्ट है।
- रणनीतिक महत्त्व: ऐसी मिसाइलें आधुनिक सेनाओं के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, जो प्रक्षेपण प्लेटफॉर्मों और कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए सामरिक लक्ष्यों पर सीधे हमले हेतु सक्षम बनाती हैं ।
- सहयोग: LRLACM को अन्य DRDO प्रयोगशालाओं और भारतीय उद्योग भागीदारों के सहयोग से, वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान, बेंगलुरु द्वारा विकसित किया गया था।
और पढ़ें… GSLV-F14/INSAT-3DS मिशन
चंद्रमा के सुदूर भाग पर ज्वालामुखी गतिविधि
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
चर्चा में क्यों?
नेचर और साइंस में प्रकाशित एक नए अध्ययन में चंद्रमा के सुदूर भाग पर ज्वालामुखी गतिविधियों का उल्लेख (जो चीन के चांग'ए-6 मिशन के नमूनों पर आधारित है) किया गया है। इससे चंद्रमा के भू-विज्ञान के बारे में जानकारी का मार्ग प्रशस्त होता है।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- चंद्रमा के निकटवर्ती भाग की तरह इसके सुदूर भाग पर भी अरबों वर्ष पहले ज्वालामुखी विस्फोट हुए थे जिनमें 2.8 से 4.2 अरब वर्ष पुराने चट्टान के टुकड़े पाए गए हैं, जिनसे व्यापक चंद्र ज्वालामुखी विस्फोट की पुष्टि होती है।
- नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के लूनर रिकॉनिस्सेंस ऑर्बिटर और पूर्व के अध्ययनों से प्राप्त आँकड़ों से सुदूर भाग पर ज्वालामुखीय गतिविधि का संकेत मिला था लेकिन इस अध्ययन से पहला भौतिक साक्ष्य मिलता है।
- ये विस्फोट एक अरब वर्षों से अधिक समय तक चले तथा भविष्य के अनुसंधान का उद्देश्य इनकी अवधि और कारणों को समझना है।
- इसका सुदूर भाग कम समतल है तथा इसमें निकटवर्ती भाग की तरह विशाल लावा मैदानों का अभाव है जिससे यह प्रश्न उठता है कि दोनों भागों की भू-वैज्ञानिक विशेषताएँ इतनी भिन्न क्यों हैं।
- ये निष्कर्ष महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि इनसे चंद्रमा के भू-वैज्ञानिक इतिहास की समझ बढ़ने के साथ चंद्रमा के सुदूर तथा निकटवर्ती भाग के बीच अंतर की व्याख्या हो सकती है।
चंद्रमा का सुदूर भाग
चंद्रमा पृथ्वी से ज्वारीय रूप से जुड़ा हुआ है, जिसका अर्थ है कि इसे एक घूर्णन में 27.3 दिन लगते हैं और पृथ्वी की परिक्रमा करने में भी इतना ही समय लगता है। इसके कारण चंद्रमा का एक ही भाग हमेशा पृथ्वी की ओर रहता है जबकि दूसरा भाग (जिसे सुदूर भाग कहा जाता है) छिपा रहता है।
चीन का चांग'ए-6 मिशन क्या है?
- चांग'ई कार्यक्रम: चांग'ई मिशन चीन के चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम (CLEP) का हिस्सा है जिसे वर्ष 2003 में चीन नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (CNSA) द्वारा शुरू किया गया था।
- चांग'ई श्रृंखला का उद्देश्य चंद्रमा एवं उसके भू-वैज्ञानिक इतिहास की समझ को बेहतर करना है।
- मिशन के चरण:
उद्देश्य |
वर्ष |
मुख्य सफलताएँ |
चांग'ई 1 |
2007 |
चंद्रमा की सतह का एक व्यापक मानचित्र तैयार किया। |
चांग'ई 2 |
2010 |
चंद्र मिशन के प्रथम चरण की शुरुआत, इसमें भविष्य के मिशनों का समर्थन करने के लिये कैमरा शामिल है। |
चांग'ई 3 |
2013 |
चंद्रमा के निकटवर्ती भाग पर रोवर को सफलतापूर्वक उतारा गया, II चरण की शुरुआत का प्रतीक |
चांग'ई 4 |
2019 |
चंद्रमा के सुदूर भाग पर पहली बार सॉफ्ट लैंडिंग की और इस रहस्यमय क्षेत्र का अन्वेषण किया। |
चांग'ई 5 |
2020 |
चंद्रमा के निकटवर्ती भाग में एक लैंडर द्वारा चंद्रमा की मिट्टी के नमूने पृथ्वी पर वापस लाए गए, जिससे III चरण की शुरुआत हुई। |
चांग'ई 6 |
2023 |
चरण III के भाग के रूप में इसके द्वारा चंद्रमा के सुदूर भाग से पृथ्वी पर नमूने लाए गए। इसका उद्देश्य निकटवर्ती तथा सुदूर भागों के बीच अंतर का पता लगाना है। |
भारत की सुदूर चंद्र योजनाएँ: भारत की योजना वर्ष 2028 में चंद्रयान-4 के रूप में चंद्रमा से नमूना-वापस लाने संबंधी मिशन की शुरूआत करना है लेकिन चंद्रमा के सुदूर भाग का पता लगाने की फिलहाल कोई योजना नहीं है। हालाँकि, आर्टेमिस समझौते के हस्ताक्षरकर्ता के रूप में भारत से भविष्य के चंद्र अन्वेषण मिशनों में सहयोग करने की उम्मीद है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न: सेलेन-1, चंद्र ऑर्बिटर मिशन निम्नलिखित में से किसका है? (2008) (a) चीन (b) यूरोपीय संघ (c) जापान (d) यूएसए प्रश्न1. हाल ही में चर्चा में रहे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के थेमिस मिशन का क्या उद्देश्य है? (2008) (a) मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना का अध्ययन करना उत्तर: (c) प्रश्न: निम्नलिखित में से किस ग्रह के सबसे अधिक प्राकृतिक उपग्रह या चंद्रमा हैं? (2009) (a) बृहस्पति (b) मंगल (c) शनि (d) शुक्र |
AMR पर जेद्दा प्रतिबद्धताएँ
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (AMR) पर चौथा वैश्विक उच्च स्तरीय मंत्रिस्तरीय सम्मेलन जेद्दा प्रतिबद्धताओं को अपनाने के साथ जेद्दा, सऊदी अरब में संपन्न हुआ ।
- जेद्दा प्रतिबद्धताओं ने वर्ष 2030 तक AMR संबंधी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये हितधारकों के लिये व्यावहारिक, कार्यान्वयन योग्य और अंतर-क्षेत्रीय सहयोग को निर्धारित किया है।
- इसकी थीम, “घोषणा से कार्यान्वयन तक – AMR की रोकथाम के लिये बहुक्षेत्रीय साझेदारी के माध्यम से कार्रवाई में तेज़ी लाना।”
जेद्दा प्रतिबद्धताओं में प्रमुख पहल क्या हैं?
- नए केन्द्रों की स्थापना: इसने आवश्यक रोगाणुरोधी और निदान तक पहुँच में वृद्धि करने के लिये सऊदी अरब में एक AMR 'वन हेल्थ' लर्निंग हब के साथ-साथ एक क्षेत्रीय रोगाणुरोधी पहुँच और लॉजिस्टिक्स हब की घोषणा की।
- बायोटेक ब्रिज पहल: इसमें एक नए 'बायोटेक ब्रिज' के निर्माण का आह्वान किया गया है जिसका उद्देश्य वैश्विक खतरे का समाधान खोजने के लिये अनुसंधान, विकास और नवाचार को बढ़ावा देना है।
- AMR पर चतुर्पक्षीय संयुक्त सचिवालय (QJS): इसमें AMR पर QJS की भूमिका पर प्रकाश डाला गया जिसका उद्देश्य, AMR की वृद्धि को रोकने और कम करने के प्रयासों को बढ़ावा देना है।
- अन्य प्रमुख कार्यवाहियाँ:
- वर्ष 2025 तक AMR के विरुद्ध कार्रवाई पर साक्ष्य के लिये एक स्वतंत्र पैनल की स्थापना।
- परिचालनात्मक राष्ट्रीय AMR समन्वय तंत्र का निर्माण।
- GLASS AMR/AMC, ANIMUSE, तथा INFARM जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से वैश्विक डेटा साझाकरण को बढ़ावा देना ।
- उत्तरदायी रोगाणुरोधी उपयोग के लिये कोडेक्स एलीमेंटेरियस कमीशन के दिशानिर्देशों का पालन करना ।
AMR पर QJS के बारे में मुख्य बिंदु क्या हैं?
- परिचय: चार प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संगठन - विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH), FAO, UNEP एवं WHO ने AMR पर QJS के माध्यम से AMR की विश्वव्यापी समस्या का सामना करने के लिये सहयोगात्मक प्रयास किया है।
- स्थापना: इसकी स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा तत्कालीन त्रिपक्षीय संगठनों(FAO, WHO, WOAH) के कार्यकारी नेताओं के अनुरोध के बाद की गई थी ।
- उद्देश्य और भूमिका: यह वैश्विक समर्थन, तकनीकी मार्गदर्शन, राजनीतिक जुड़ाव प्रदान करता है और AMR को संबोधित करने के लिये एक साझा दृष्टिकोण तथा लक्ष्यों को बढ़ावा देता है।
- यह AMR से संबंधित वैश्विक शासन संरचनाओं के लिये सचिवालय के रूप में कार्य करता है।
- मेज़बानी और संचालन: इसकी मेज़बानी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा की जाती है ।
- इसे AMR (IACG) पर अंतर-एजेंसी समन्वय समूह की सिफारिशों को लागू करने का कार्य सौंपा गया है।
AMR के विषय में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय: AMR तब होता है जब रोगाणु (बैक्टीरिया, वायरस, कवक, परजीवी) रोगाणुरोधी दवाओं के प्रभावों का प्रतिरोध करने लगते हैं, जिससे उपचार अप्रभावी हो जाता है और गंभीर बीमारी, बीमारी फैलने तथा मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है।
- प्रतिरोधी रोगाणुओं को सुपरबग कहा जाता है।
- AMR के कारण: AMR रोगाणुओं में होने वाली एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन रोगाणुरोधी दवाओं का दुरुपयोग और अधिक उपयोग जैसी मानवीय गतिविधियाँ इसके प्रसार को तीव्र कर देती हैं।
- अत्यधिक उपयोग: वायरल संक्रमण के लिये एंटीबायोटिक्स दवाओं का अत्यधिक सेवन।
- अनुचित उपयोग: बिना देखरेख के एंटीबायोटिक्स लेना या गलत एंटीबायोटिक्स का उपयोग करना।
- स्व-चिकित्सा: बचे हुए या बिना डॉक्टर के पर्चे के एंटीबायोटिक्स का उपयोग करना।
- उप-चिकित्सीय खुराक: अपर्याप्त एंटीबायोटिक खुराक लेना, जिससे बैक्टीरिया को अनुकूलन करने का मौका मिलता है।
- पशुओं में नियमित उपयोग: एंटीबायोटिक्स का उपयोग पशुओं में वृद्धि को बढ़ावा देने या बीमारी को रोकने के लिये किया जाता है, न कि केवल संक्रमण के लिये।
- मनुष्यों में प्रसार: प्रतिरोधी बैक्टीरिया माँस खाने या पशुओं के संपर्क के माध्यम से मनुष्यों में स्थानांतरित हो सकते हैं।
- आर्थिक लागत: विश्व बैंक का अनुमान है कि AMR के कारण वर्ष 2050 तक स्वास्थ्य देखभाल लागत में 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हो सकती है तथा वर्ष 2030 तक वार्षिक GDP में 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से 3.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक की हानि हो सकती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-से, भारत में सूक्ष्मजैविक रोगजनकों में बहु-औषध प्रतिरोध के होने के कारण हैं? (2019)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) 1 और 2 उत्तर: (b) प्रश्न: क्लोरोक्वीन जैसी दवाओं के लिये मलेरिया परजीवी के व्यापक प्रतिरोध ने मलेरिया से निपटने हेतु एक मलेरिया वैक्सीन विकसित करने के प्रयासों को प्रेरित किया है। एक प्रभावी मलेरिया टीका विकसित करना कठिन क्यों है? (2010) (a) मलेरिया प्लाज़्मोडियम की कई प्रजातियों के कारण होता है। (b) प्राकृतिक संक्रमण के दौरान मनुष्य मलेरिया के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं करता है। (c) टीके केवल बैक्टीरिया के खिलाफ विकसित किये जा सकते हैं। (d) मनुष्य केवल एक मध्यवर्ती मेज़बान है, निर्धारित मेज़बान नहीं है। उत्तर: (b) |