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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 18 May, 2023
  • 24 min read
प्रारंभिक परीक्षा

रक्षा उत्कृष्टता के लिये नवाचार

रक्षा मंत्रालय की प्रमुख परियोजना रक्षा उत्कृष्टता के लिये नवाचार (Innovations for Defence Excellence- iDEX) ने अपना 250वाँ अनुबंध, मिशन डेफस्पेस के तहत पहला और 100वें स्प्रिंट (SPRINT) (नौसेना) अनुबंध पर हस्ताक्षर किये हैं।

मिशन डेफस्पेस और स्प्रिंट नौसेना अनुबंध:

  • मिशन डेफस्पेस अनुबंध: 
    • अंतरिक्ष स्टार्टअप इंस्पेसिटी को मिशन डेफस्पेस के पहले iDEX अनुबंध से सम्मानित किया गया है।
    • क्यूबसैट हेतु गैस आधारित माइक्रोप्रोपल्शन सिस्टम विकसित करने पर केंद्रित रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी की चुनौती के निराकरण के रूप में इंस्पेसिटी उभरा है।
      • क्यूबसैट छोटे उपग्रहों का एक वर्ग है जिनका निर्माण और व्यवस्थितीकरण आसान है, इनकी लागत कम होती है और साथ ही इन्हें एकीकृत तथा लॉन्च करना सरल है। लॉन्च-ऑन-डिमांड क्षमताओं के लिये क्यूबसैट काफी महत्त्वपूर्ण होने के साथ ही इमेज़री, टोही/संचार और खुफिया निगरानी के लिये भी उपयुक्त होते हैं। 
    • इस तकनीक के उपयोग से मिशन डेफस्पेस के एक हिस्से के रूप में बनाए जा रहे क्यूबसैट समूह सहित उपग्रह सटीक मागदर्शन और अपनी कक्षाओं को व्यवस्थित करने में सक्षम होंगे।
  • SPRINT (नौसेना) अनुबंध: 
    • SPRINT {सपोर्टिंग पोल वॉल्टिंग इन आर एंड डी थ्रू इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (iDEX), NIIO और टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट एक्सीलरेशन सेल- (TDAC)} चैलेंज के तहत अनुबंध की विजेता सिलिकोनिया टेक्नोलॉजीज़ प्राइवेट लिमिटेड है, इस चैलेंज का उद्देश्य चरणबद्ध-सरणी रडार के लिये हल्के अनुप्रयोग-विशिष्ट एकीकृत सर्किट (Application-Specific Integrated Circuit- ASIC) आधारित संचार प्रणाली विकसित करना है।
    • सैटेलाइट ट्रैकिंग के लिये यह प्रणाली विभिन्न प्रकार के रिसीवर/ट्रांसमीटर का विकल्प प्रदान करती है।
    • यह लो अर्थ ऑर्बिट/पृथ्वी की निम्न कक्षा (LEO), पृथ्वी की मध्यम कक्षा और भूस्थैतिक उपग्रहों के साथ संचार अथवा संपर्क के लिये सॉफ्टवेयर-डिफाइंड एंटेना का उपयोग करता है।

iDEX: 

  • परिचय: 
    • iDEX, भारतीय सेना के आधुनिकीकरण के लिये तकनीकी रूप से उन्नत समाधान प्रदान करने हेतु नवप्रवर्तकों और उद्यमियों को शामिल कर रक्षा तथा एयरोस्पेस में नवाचार एवं प्रौद्योगिकी विकास को प्रोत्साहित करने के लिये एक पारिस्थितिकी तंत्र है, इसे वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया।
    • यह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs), स्टार्ट-अप्स, निजी नवोन्मेषकों, R&D (अनुसंधान एवं विकास) संस्थानों तथा शिक्षाविदों को अनुसंधान एवं विकास के लिये धन/ अनुदान प्रदान करता है।
    • iDEX-प्राइम का लक्ष्य रक्षा क्षेत्र में लगातार बढ़ते स्टार्ट-अप्स की मदद के लिये 1.5 करोड़ रुपए से लेकर 10 करोड़ रुपए तक की आवश्यकता वाली परियोजनाओं को वित्तपोषित करना है।
      • iDEX पोर्टल को व्यापक प्रचार और बेहतर दृश्य क्षेत्र प्रदान करने एवं iDEX गतिविधियों के बेहतर सूचना प्रबंधन के माध्यम से भविष्य की चुनौतियों से अधिक कुशल तरीके निपटने के लिये लॉन्च किया गया है।
  • उद्देश्य: 
    • स्वदेशीकरण: नई, स्वदेशी और नवीन प्रौद्योगिकी का तीव्र विकास।
    • नवाचार: सह-निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिये उन्नत स्टार्ट-अप संस्कृति का निर्माण करना।
  • वित्तीयन: 
    • iDEX को "रक्षा नवाचार संगठन (Defence Innovation Organisation- DIO)" द्वारा वित्तपोषित और प्रबंधित किया जाता है।
    •  iDEX जो कि DIO की कार्यकारी शाखा के रूप में कार्य करेगा, सभी आवश्यक गतिविधियों को पूरा करेगा, वहीं  DIO द्वारा iDEX को उच्च स्तरीय नीति मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा।
  • उपलब्धि: 
    • iDEX को वर्ष 2021 में नवाचार श्रेणी में सार्वजनिक नीति के लिये प्रतिष्ठित प्रधानमंत्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

मिशन डेफस्पेस:

  • भारत के डेफएक्सपो के अक्तूबर 2022 संस्करण के दौरान भारत के प्रधानमंत्री द्वारा इसका उद्घाटन किया गया था।
  • इसका उद्देश्य मिशन योजना से लेकर उपग्रह डेटा विश्लेषण तक- अंतरिक्ष मिशन के हर चरण की चुनौतियों को संबोधित कर भारतीय निजी अंतरिक्ष उद्योग का विकास करना है।
  • इस मिशन में 75 रक्षा अंतरिक्ष चुनौतियाँ शामिल हैं जो सीधे अंतिम उपयोगकर्त्ता मांगों के अनुरूप हैं।
  • इन चुनौतियों को iDEX, Make-I और Make-2 जैसे मौजूदा DDP पहलों में वर्गीकृत किया गया है तथा निजी कंपनियों जैसे- स्टार्टअप, एमएसएमई एवं व्यक्तिगत इनोवेटर्स को भागीदारी की अनुमति दी गई है। 
  • चुनौतियों को पाँच अलग-अलग डोमेन में वर्गीकृत किया गया है:  
    • लॉन्च सिस्टम 
    • सैटेलाइट सिस्टम 
    • संचार और पेलोड सिस्टम 
    • ग्राउंड सिस्टम 
    • सॉफ्टवेयर सिस्टम  
      • इसके साथ ही ये हर दृष्टिकोण से अंतरिक्ष की गहन और व्यापक समझ प्रदान करते हैं।

रक्षा के संबंध में सरकारी पहलें:

स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स


प्रारंभिक परीक्षा

ग्रीनवाशिंग टेकस्प्रिंट

भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ग्लोबल फाइनेंशियल इनोवेशन नेटवर्क (GFIN) के पहले ग्रीनवॉशिंग टेकस्प्रिंट में भाग लेने वाले 13 अंतर्राष्ट्रीय नियामकों में शामिल होगा।

ग्रीनवाशिंग टेकस्प्रिंट:  

  • ग्रीनवाशिंग टेकस्प्रिंट का आयोजन ग्लोबल फाइनेंशियल इनोवेशन नेटवर्क (GFIN) द्वारा किया जाता है, जो उपभोक्ताओं के लाभ के लिये वित्तीय नवाचार का समर्थन करने को प्रतिबद्ध 80 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का एक संघ है।
    • GFIN की अध्यक्षता वर्तमान में यूनाइटेड किंगडम में एक अग्रणी नियामक निकाय वित्तीय आचरण प्राधिकरण (FCA) कर रही है।
  • टेकस्प्रिंट का लक्ष्य एक ऐसा उपकरण या समाधान विकसित करना है जो नियामकों और बाज़ार को वित्तीय सेवाओं में ग्रीनवाशिंग के जोखिमों से निपटने में प्रभावी रूप से मदद कर सके।
  • टेकस्प्रिंट 5 जून को लॉन्च होगा और सितंबर 2023 में शोकेस डे के साथ 3 महीने तक चलेगा।

ग्लोबल फाइनेंशियल इनोवेशन नेटवर्क:

  • GFIN को औपचारिक रूप से वित्तीय नियामकों और संबंधित संगठनों के अंतर्राष्ट्रीय समूह द्वारा जनवरी 2019 में लॉन्च किया गया था।
  • यह उपभोक्ताओं के हितों में वित्तीय नवाचार का समर्थन करने हेतु प्रतिबद्ध 70 से अधिक संगठनों का एक नेटवर्क है।
    • यह नवोन्मेषी फर्मों को नियामकों के साथ संवाद करने हेतु अधिक कुशल तरीका प्रदान करता है, जिससे उन्हें देशों के बीच नेविगेट करने में मदद मिलती है क्योंकि वे नए विचारों को मापते हैं।
  • समन्वय समूह द्वारा GFIN की देख-रेख की जाती है। समन्वय समूह GFIN सदस्यों से बना है और GFIN की समग्र दिशा, रणनीति एवं वार्षिक कार्यक्रम निर्धारित करता है।
    •  समन्वय समूह की अध्यक्षता वर्तमान में FCA द्वारा की जा रही है। समन्वय समूह में सदस्यता दो वर्ष तक होती है और कार्य में इनपुट और जुड़ाव प्रदान करने हेतु सदस्य वर्ष में दो बार मीटिंग करते हैं।
  • भारत से सदस्य:  

ग्रीनवाॅशिंग क्या है?  

  • परिचय:  
    • ग्रीनवाॅशिंग का आशय स्थिरता या पर्यावरण के अनुकूल भ्रामक छवि पेश करने के लिये किसी उत्पाद, सेवा या कंपनी के पर्यावरणीय लाभों के बारे में झूठे या अतिशयोक्तिपूर्ण दावा करने से है।
      • यह एक प्रकार का भ्रामक विपणन है जिसका उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों और प्रथाओं के लिये बढ़ती उपभोक्ता मांग का फायदा उठाना है। 
    • RBI ‘हरित’ के रूप में विपणन किये गए निवेश उत्पादों की बढ़ती संख्या या व्यापक स्थिरता के दावों की पहचान करता है।
      • पर्यावरण, सामाजिक और शासन (ESG) क्रेडेंशियल्स के बारे में अतिरंजित, भ्रामक या निराधार दावे उत्पाद के प्रति जनता के विश्वास को नुकसान पहुँचाते हैं। 
  • ग्रीनवाशिंग के प्रमुख रूप:
    • अस्पष्ट या भ्रामक लेबल: कंपनियाँ "पर्यावरण अनुकूल," ‘हरित’ या ‘प्राकृतिक’ जैसे शब्दों का उपयोग कर सकती हैं, बिना विशिष्ट जानकारी या स्पष्ट मानक प्रदान किये कि उन शब्दों का क्या अर्थ है।
    • अप्रासंगिक दावे: कंपनियाँ अपने उत्पादों या संचालन से संबंधित अधिक महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय मुद्दों की अनदेखी करते हुए मामूली पर्यावरणीय सुधार को उजागर कर सकती हैं।
      • उदाहरण के लिये एक कार निर्माता अपनी निर्माण प्रक्रियाओं के पर्यावरणीय प्रभाव के बारे में कम कम जानकारों देते हुए ईंधन-कुशल मॉडल होने का दावा कर सकता है।
    • हिडन ट्रेड-ऑफ: यह तब होता है जब किसी उत्पाद का विपणन इसके एक पहलू में इसे पर्यावरण के अनुकूल के रूप में प्रदर्शित कर किया जाता है लेकिन अन्य नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभावों का उल्लेख नहीं किया जाता है।
      • उदाहरण के लिये एक डिस्पोज़ेबल उत्पाद को बायोडिग्रेडेबल के रूप में चिह्नित करना, जबकि उसकी उत्पादन प्रक्रिया में महत्त्वपूर्ण कार्बन फुटप्रिंट मौजूद होना।
  • ग्रीनवॉशिंग के प्रभाव: 
    • वास्तविक प्रयासों में कमी: सतत् एवं पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को लागू करने के लिये वास्तव में प्रतिबद्ध कंपनियाँ नुकसान पहुँचा सकती है क्योंकि ग्रीनवाशिंग से उपभोक्ताओं के लिये वास्तविक रूप से टिकाऊ उत्पादों और गलत तरीके से विपणन किये जाने वाले उत्पादों के बीच अंतर करना मुश्किल हो जाता है।
      • ग्रीनवॉशिंग में संलग्न कंपनियों द्वारा उचित संवहनीय पहलों को कम किया जा सकता है।
    • नवाचार में बाधक: ग्रीनवॉशिंग, संवहनीयता में वास्तविक नवाचार को हतोत्साहित कर सकती है।
      • जब कंपनियाँ सतही या भ्रामक हरित दावों के साथ उपभोक्ताओं को धोखा देती हैं तो वास्तव में टिकाऊ/स्थायी समाधान विकसित करने के क्रम में निवेश की उनकी प्रेरणा में कमी आ सकती है। यह समग्र रूप से पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों के निर्माण को बाधित करता है।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा एक "ग्रीनवॉशिंग" शब्द का सर्वोत्तम वर्णन है? (2022)

(a) मिथ्या रूप से यह प्रभाव व्यक्त करना कि कंपनी के उत्पाद पारिस्थितिक-अनुकूली (इको- फ्रेंडली) और पर्यावरणीय रूप से उपयुक्त हैं
(b) किसी देश के वार्षिक वित्तीय विवरणों में पारिस्थितिक/पर्यावरणीय लागतों को शामिल नहीं करना
(c) आधारिक संरचना विकसित करते समय अनर्थकारी पारिस्थितिक दुष्परिणामों की उपेक्षा करना
(d) किसी सरकारी परियोजना/कार्यक्रम में पर्यावरणीय लागतों के लिये अनिवार्य उपबंध करना

उत्तर: a 

स्रोत: लाइव मिंट  


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 18 मई, 2023

2023 SAFF चैंपियनशिप 

2023 SAFF चैंपियनशिप दक्षिण एशियाई देशों हेतु एक द्विवार्षिक अंतर्राष्ट्रीय पुरुष फुटबॉल टूर्नामेंट है, जिसका आयोजन दक्षिण एशियाई फुटबॉल महासंघ (South Asian Football Federation- SAFF) द्वारा किया जाता है। टूर्नामेंट के 14वें संस्करण की मेज़बानी भारत द्वारा 21 जून से 3 जुलाई, 2023 तक बंगलूरू में की जाएगी। भारत मौजूदा चैंपियन है, जिसने फाइनल में नेपाल को हराकर वर्ष 2021 में अपना आठवाँ खिताब जीता था। टूर्नामेंट में आठ टीमें शामिल होंगी, जिनमें संबंधित क्षेत्र के बाहर की दो अतिथि टीमें शामिल हैं: कुवैत और लेबनान। फेडरेशन इंटरनेशनेल डी फुटबॉल एसोसिएशन (FIFA) द्वारा निलंबन के कारण श्रीलंका भाग लेने में असमर्थ था, जबकि अफगानिस्तान SAFF से हट गया एवं मध्य एशियाई फुटबॉल महासंघ में शामिल हो गया है। आठ टीमों को प्रत्येक चार के दो समूहों में विभाजित किया गया है। भारत ग्रुप A में कुवैत, नेपाल तथा पाकिस्तान के साथ है, जबकि लेबनान ग्रुप B में मालदीव, भूटान एवं बांग्लादेश के साथ है। SAFF का गठन वर्ष 1997 में बांग्लादेश, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका के संस्थापक सदस्य संघों द्वारा किया गया था। SAFF का आदर्श वाक्य 'ताकत में एकता' इन सात सदस्य संघों की ताकत और संबंधों को दर्शाता है, जो अब संगठन के अध्यक्ष द्वारा अनुकरणीय हैं। SAFF सचिवालय वर्तमान में ढाका, बांग्लादेश से संचालित होता है। SAFF बड़े एशियाई फुटबॉल परिसंघ (Asian Football Confederation- AFC) का एक हिस्सा है।

और पढ़ें…भारतीय फुटबॉल का विज़न 2047

त्र्यंबकेश्वर मंदिर

महाराष्ट्र ने एक घटना की जाँच के लिये विशेष जाँच दल (Special Investigation Team- SIT) का गठन किया है जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों पर नासिक के त्र्यंबकेश्वर मंदिर में प्रवेश करने के प्रयास का आरोप लगाया गया था। मंदिर प्रबंधन के अनुसार, केवल हिंदुओं को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति है, गैर-हिंदुओं को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर महाराष्ट्र के नासिक ज़िले के त्र्यंबक शहर में स्थित भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन और पवित्र हिंदू मंदिर है। यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, यह शिव का सबसे पवित्र तीर्थस्थल है, जहाँ उन्हें त्र्यंबकेश्वर के रूप में पूजा जाता है, जो तीनों लोकों के स्वामी हैं। मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में तीसरे पेशवा बालाजी बाजीराव ने ब्रह्मगिरि पर्वत के निकट एक पुराने मंदिर के स्थान पर किया था, जहाँ से गोदावरी नदी का उद्गम होता है। मंदिर वास्तुकला की नागर शैली में काले पत्थर से बना है।

और पढ़ें… मंदिर वास्तुकला 

विश्व उच्च रक्तचाप दिवस

भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 17 मई, 2023 को विश्व उच्च रक्तचाप दिवस (WHD) के अवसर पर एक महत्त्वपूर्ण पहल, "75/25" कार्यक्रम का अनावरण किया है। इस महत्त्वाकांक्षी उपक्रम का उद्देश्य वर्ष 2025 तक उच्च रक्तचाप और मधुमेह से पीड़ित 75 मिलियन व्यक्तियों की जाँच करना और उन्हें मानक देखभाल प्रदान करना है। WHD एक वार्षिक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य उच्च रक्तचाप के संदर्भ में जागरूकता एवं शिक्षा को बढ़ावा देना है, जो वश्विक स्तर पर लाखों लोगों को प्रभावित करता है तथा हृदयाघात, स्ट्रोक, गुर्दे की क्षति व यकृत की क्षति जैसी गंभीर जटिलताओं को जन्म दे सकता है। वर्ष 2023 की थीम है "अपने रक्तचाप को सटीक रूप से मापें, इसे नियंत्रित करें, लंबे समय तक जीवित रहें", जो कम जागरूकता दर, विशेष रूप से निम्न से मध्यम आय वाले क्षेत्रों में और सटीक रक्तचाप माप विधियों पर ध्यान केंद्रित करता है। इस कार्यक्रम का उद्घाटन मई 2005 में विश्व उच्च रक्तचाप लीग (WHL) द्वारा किया गया था, जो एक गैर-सरकारी संगठन है तथा उच्च रक्तचाप को रोकने और नियंत्रित करने के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) एवं अन्य भागीदारों के साथ काम करता है। विश्व उच्च रक्तचाप दिवस लोगों को अपनी संख्या जानने, नियमित रूप से अपने रक्तचाप की जाँच करने, स्वस्थ जीवनशैली अपनाने व जरूरत पड़ने पर चिकित्सकीय सलाह लेने के लिये प्रोत्साहित करता है।

और पढ़ें… उच्च रक्त चाप 

कीरू जलविद्युत परियोजना

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने जम्मू-कश्मीर (J&K) में किरू जलविद्युत परियोजना में कथित भ्रष्टाचार की जाँच के सिलसिले में दिल्ली तथा राजस्थान में कई स्थानों पर तलाशी ली गई। कीरू जलविद्युत परियोजना जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले में स्थित चिनाब नदी पर प्रस्तावित है। परियोजना की परिकल्पना रन ऑफ रिवर योजना के रूप में की गई है। रन-ऑफ-रिवर जलविद्युत परियोजनाओं के तहत नदियों के प्राकृतिक अधोमुखी प्रवाह और सूक्ष्म टर्बाइन जनरेटर का उपयोग करके पानी द्वारा उत्पन्न की जाने वाली गतिज ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। चिनाब नदी का उद्गम हिमाचल प्रदेश राज्य के लाहौल और स्पीति ज़िलों में ऊपरी हिमालय से होता है। इस नदी की उत्पत्ति हिमाचल प्रदेश के टांडी में दो नदियों- चंद्रा और भागा के संगम से होती है। यह सिंधु नदी में मिलने से पूर्व जम्मू-कश्मीर के जम्मू क्षेत्र से होते हुए पंजाब, पाकिस्तान के मैदानी इलाकों में प्रवाहित होती है। चिनाब नदी पर कुछ महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं/बाँधों में रतले जलविद्युत परियोजना, सलाल बाँध जलविद्युत परियोजना, दुल हस्ती जलविद्युत संयंत्र और पकल दुल बाँध (निर्माणाधीन) हैं।

और पढ़ें: चिनाब नदी  

सहायक प्रौद्योगिकी पर परियोजना सहयोग समझौता

स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (Department of Health Research- DHR), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization- WHO) ने उच्च गुणवत्ता वाली सस्ती सहायक प्रौद्योगिकी तक पहुँच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अनुसंधान, नवाचार और क्षमता निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिये एक परियोजना सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किये। इस सहयोग का उद्देश्य सहायक प्रौद्योगिकी तक पहुँच, अनुसंधान तथा नवाचार को प्रोत्साहन देना तथा उपयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रमों के विकास एवं प्रसार की ओर वैश्विक ध्यान आकर्षित करने की दिशा में काम करना है। सहायक प्रौद्योगिकी एक व्यापक शब्द है जो सहायक उत्पादों और सेवाओं के वितरण से संबंधित प्रणालियों तथा सेवाओं को शामिल करती है। सहायक उत्पाद किसी व्यक्ति की कार्यप्रणाली और स्वतंत्रता को बनाए रखते हैं या उसमें सुधार करते हैं, जिससे उनका विकास होता है। उदाहरण के लिये प्रोस्थेटिक्स, ब्रेसिज़, वॉकर, विशेष स्विच, विशेष-उद्देश्य वाले कंप्यूटर, स्क्रीन रीडर और विशेष पाठ्यचर्या सॉफ्टवेयर जैसी प्रौद्योगिकियाँ और उपकरण।

और पढ़ें… सहायक प्रौद्योगिकी


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