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सहायक प्रौद्योगिकी पर वैश्विक रिपोर्ट

  • 17 May 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सहायक प्रौद्योगिकी पर वैश्विक रिपोर्ट, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष, विश्व स्वास्थ्य सभा, SDGS, UHC. 

मेन्स के लिये:

सहायक प्रौद्योगिकी पर वैश्विक रिपोर्ट, सहायक प्रौद्योगिकी और भारत में प्रौद्योगिकी की स्थिति, विकलांगता से संबंधित मुद्दे। 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने संयुक्त रूप से पहली ‘सहायक प्रौद्योगिकी पर वैश्विक रिपोर्ट’ (GReAT) जारी की।

सहायक प्रौद्योगिकी पर वैश्विक रिपोर्ट (GReAT) का उद्देश्य:

  • यह रिपोर्ट सहायक प्रौद्योगिकी तक प्रभावी पहुँच पर एक वैश्विक रिपोर्ट तैयार करने हेतु वर्ष 2018 के विश्व स्वास्थ्य सभा के 71वें प्रस्ताव की परिणति है।
  • रिपोर्ट का महत्त्व इसलिये है क्योंकि वैश्विक स्तर पर जिन लोगों को सहायक तकनीक की आवश्यकता है, उनमें से 90% तक इसकी पहुँच नहीं है। स्वास्थ्य प्रणालियों में सहायक प्रौद्योगिकी को शामिल करना सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) से संबंधित सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) की प्रगति के लिये महत्त्वपूर्ण है।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:

  • लोगों को सहायक उत्पादों की आवश्यकता: 
    • 2.5 बिलियन से अधिक लोगों को एक या अधिक सहायक उत्पादों की आवश्यकता होती है, जैसे- व्हीलचेयर, श्रवण यंत्र या संचार और अनुभूति का समर्थन करने से संबंधित एप।
  • लोगों की सहायक उत्पादों तक कम पहुँच: 
    • विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में जहाँ सहायक प्रौद्योगिकी तक पहुँच जीवन बदलने वाले उत्पादों की आवश्यकता के 3% जितनी कम हो सकती है, उनमें से लगभग एक अरब लोग सहायक प्रौद्योगिकी तक पहुँच से वंचित हैं।
  • भविष्य में सहायक उत्पादों की आवश्यकता वाले लोगों की संख्या:
    • बढ़ती उम्र और दुनिया भर में बढ़ती गैर-संचारी बीमारियों के प्रसार के कारण वर्ष 2050 तक एक या एक से अधिक सहायक उत्पादों की आवश्यकता वाले लोगों की संख्या बढ़कर 3.5 बिलियन हो जाने की संभावना है। 
    • साथ ही इसकी वहनीयता पहुँँच के लिये एक प्रमुख बाधा है।
  • सेवा प्रावधान और प्रशिक्षित कार्यबल में व्याप्त अंतराल:
    • रिपोर्ट में दिखाए गए 70 देशों के एक सर्वेक्षण में विशेष रूप से अनुभूति, संचार और स्वयं की देखभाल के क्षेत्र में सहायक प्रौद्योगिकी के लिये सेवा प्रावधान तथा प्रशिक्षित कार्यबल में बड़ा अंतराल पाया गया है।

सहायक प्रौद्योगिकी:

  • सहायक प्रौद्योगिकी कोई भी वस्तु, उपकरण का भाग, सॉफ्टवेयर प्रोग्राम या उत्पाद प्रणाली है जिसका उपयोग विकलांग व्यक्तियों की कार्यात्मक क्षमताओं को बढ़ाने, बनाए रखने या सुधारने के लिये किया जाता है।
    • उदाहरण:  
      • कृत्रिम अंग, वॉकर, विशेष स्विच, विशेष प्रयोजन वाले कंप्यूटर, स्क्रीन-रीडर और विशेष पाठ्यचर्या सॉफ़्टवेयर जैसी तकनीकें एवं उपकरण आदि सहायक प्रौद्योगिकी के प्रमुख उदाहरण हैं।
  • सार्वभौमिक सहायक प्रौद्योगिकी कवरेज का तात्पर्य है कि प्रत्येक ज़रूरतमंद व्यक्ति सभी स्थानों पर सुलभ उन सभी सहायक प्रौद्योगिकियों को प्राप्त करने में सक्षम हो जिसको प्राप्त करने में उसे वित्तीय या अन्य कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
    • डब्ल्यूएचओ द्वारा वर्ष 2018 में शुरू की गई प्राथमिक सहायक उत्पादों की सूची में बुजुर्गों और विकलांग व्यक्तियों के लिये श्रवण यंत्र, व्हीलचेयर, संचार सहायता, चश्मा, कृत्रिम अंग और अन्य आवश्यक वस्तुएँ शामिल हैं।

 भारत में समस्या की भयावहता:

  • 2011 की जनगणना:
    • 2011 की जनगणना में विकलांग लोगों की संख्या का राष्ट्रीय अनुमान कुल जनसंख्या का 2.21% है, जिसमें दृश्य, श्रवण, मूक, अपाहिज़ और मानसिक विकलांग व्यक्तियों की संख्या 19-59 आयु वर्ग में सबसे अधिक है।
    • 2001 और 2011 की जनगणना अवधि के बीच देश की विकलांग आबादी में 22.4% की वृद्धि हुई, जबकि कुल जनसंख्या में 17.6% की वृद्धि हुई।
  • एनएसएस सर्वेक्षण:
    • विकलांग व्यक्तियों के अधिकार (RPWD) अधिनियम की अधिसूचना 2016  के बाद राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (NSS) के 76वें दौर (जुलाई-दिसंबर 2018) में बताया गया कि विकलांग व्यक्तियों में से 21.8% ने सरकार से सहायता प्राप्त करने की सूचना दी और 1.8% ने अन्य संगठनों से सहायता मिलने की बात कही।
      • रैपिड असिस्टिव टेक्नोलॉजी असेसमेंट (rATA) डब्ल्यूएचओ द्वारा राष्ट्रीय प्रतिनिधि सर्वेक्षण हेतु विकसित किया गया उपकरण है, जो सहायक तकनीक की अधूरी आवश्यकता का मापन करने के साथ ही भारत के लिये उपलब्ध होने पर मांग पक्ष का बारीकी से साक्ष्य प्रदान करेगा।

स्वास्थ्य-उद्योग अंतराफलक (इंटरफेस) की आवश्यकता:

  • सार्वभौमिक सहायक प्रौद्योगिकी कवरेज सुनिश्चित करना:
    • सार्वभौमिक सहायक प्रौद्योगिकी कवरेज सुनिश्चित करने हेतु UHC दृष्टिकोण को बनाए रखना आवश्यक है, जिससे प्रत्येक नागरिक के लिये बिना वित्तीय कठिनाई के सहायक प्रौद्योगिकी तक पहुंँच सुनिश्चित होगी।
      • शामिल कार्य हैं: (i) सहायक प्रौद्योगिकी के पूरे स्पेक्ट्रम का उत्पादन और प्रावधान (ii) दीर्घकालिक देखभाल में आवश्यक रणनीति के रूप में पुनर्वास सेवाओं को एकीकृत करना (iii) प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल स्तर पर पुनर्वास (iv) समुदाय आधारित पुनर्वास को बढ़ावा देना।
  • उपयोगकर्त्ताओं की विविध ज़रूरतों को पूरा करने हेतु आवश्यक:
    • उपयोगकर्त्ताओं की विविध ज़रूरतों को पूरा करने और उनकी ज़रूरतों से मेल खाने वाले उत्पादों की विस्तृत श्रृंखला प्रदान करने हेतु सहायक प्रौद्योगिकी सिस्टम के घटकों का निर्माण और प्रावधान किया जाना आवश्यक है।
    • अकादमिक, उद्योग और सरकार के सहयोग से विनिर्माण क्षमता का विश्लेषण करने, विशिष्ट सहायक प्रौद्योगिकी तथा उत्पादों की तत्काल आवश्यकता का पता लगाने एवं उपयोगकर्त्ताओं को अनुमोदित मानदंडों के अनुसार सुरक्षित, सुनिश्चित और प्रभावी उत्पाद प्रदान करने के लिये एक नियामक ढाँचा तैयार करने में मदद मिलेगी।

संबंधित पहल:

सिफारिशें: 

  • शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक देखभाल प्रणालियों तक पहुँच में सुधार
  • सहायक उत्पादों की उपलब्धता, सुरक्षा, प्रभावशीलता और क्षमता सुनिश्चित करना। 
  • कार्यबल की क्षमता को बढ़ाना, उसमें विविधता लाना और सुधार करना।
  • सहायक तकनीक के उपयोगकर्त्ताओं और उनके परिवारों को सक्रिय रूप से शामिल करना
  • जन जागरूकता बढ़ाना
  • डेटा और साक्ष्य-आधारित नीति में निवेश करना।
  • अनुसंधान, नवाचार और एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र में निवेश करना। 
  • सक्षम वातावरण का विकास और उसमें निवेश करें।
  • मानवीय प्रतिक्रियाओं में सहायक तकनीक को शामिल करें।
  • राष्ट्रीय प्रयासों के समर्थन के लिया अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से तकनीकी और आर्थिक सहायता प्रदान करना।

स्रोत: द हिंदू

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