बैंगनी क्रांति
हाल ही में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने कहा कि बैंगनी क्रांति स्टार्टअप अवसर प्रदान करती है।
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के अरोमा मिशन के माध्यम से वर्ष 2016 में बैंगनी क्रांति या लैवेंडर क्रांति की शुरुआत की।
बैंगनी क्रांति:
- परिचय:
- आयातित सुगंधित किस्मों को घरेलू किस्मों से प्रतिस्थापित करके घरेलू सुगंधित फसल आधारित कृषि अर्थव्यवस्था का निर्माण करना।
- पहली बार उत्पादकों को लक्ष्य के हिस्से के रूप में मुफ्त लैवेंडर रोपाई की पेशकश की गई थी और जिन लोगों ने पहले लैवेंडर का उत्पादन किया था, उन्हें प्रति पौधे 5-6 रुपए का भुगतान किया गया था।
- सीएसआईआर-अरोमा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (IIIM) ने जम्मू-कश्मीर के रामबन ज़िले में लैवेंडर की कृषि शुरू की है।
- लैवेंडर की खेती जम्मू-कश्मीर के लगभग सभी 20 ज़िलों में की जाती है।
- विशेष रूप से कठुआ, उधमपुर, डोडा, किश्तवाड़, राजौरी, श्रीनगर, बांदीपोरा, बडगाम, गांदरबल, अनंतनाग, कुलगाम, बारामूला आदि ज़िलों ने इस दिशा में बड़ी प्रगति की है।।
- उत्पाद:
- इसका मुख्य उत्पाद लैवेंडर तेल है, जो कम-से-कम 10,000 रुपए प्रति लीटर बिकता है।
- लैवेंडर इत्र का उपयोग अगरबत्ती बनाने के लिये किया जाता है।
- हाइड्रोसोल, जो फूलों से आसवन के बाद बनता है, साबुन और फ्रेशनर बनाने के लिये उपयोग किया जाता है।
- महत्त्व:
- यह वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की सरकार की नीति के अनुरूप है।
- यह आकांक्षी किसानों और कृषि उद्यमियों के लिये आजीविका प्रदान करेगा, साथ ही स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम को मज़बूत करेगा तथा क्षेत्र में उद्यमशीलता की भावना को प्रोत्साहित करेगा।
- बैंगनी क्रांति से 500 से अधिक युवा लाभान्वित हुए जो अंततः इनकी आय दोगुनी करने में सहायक है।
- कृषि का विकास आर्थिक बाधाओं को समाप्त करने, साझा समृद्धि को बढ़ावा देने और वर्ष 2050 तक अनुमानित 9.7 बिलियन लोगों को खाधान्न उपलब्ध कराने में निर्णायक है।
अरोमा मिशन:
- CSIR, अरोमा मिशन का उद्देश्य अरोमा उद्योग के विकास और ग्रामीण रोज़गार को बढ़ावा देने के लिये कृषि, प्रसंस्करण एवं उत्पाद विकास में लक्षित हस्तक्षेपों द्वारा अरोमा क्षेत्र में परिवर्तन लाना है।
- यह आवश्यक तेलों के उत्पादन के लिये सुगंधित फसलों के विकास को प्रोत्साहित करेगा, जिनकी अरोमा क्षेत्र में उच्च मांग है।
- यह अनुमान है कि भारतीय किसान और अरोमा व्यवसाय दोनों ही मेन्थॉल मिंट पैटर्न में विभिन्न आवश्यक तेलों के उत्पादन व निर्यात में दुनिया भर में अग्रणी बनने में सक्षम होंगे।
- अरोमा मिशन पूरे देश के उद्यमियों और किसानों को आकर्षित कर रहा है। CSIR ने पहले चरण के दौरान देश भर के 46 आकांक्षी ज़िलों में 6000 हेक्टेयर भूमि की खेती में सहायता की।
- इसके अलावा,लगभग 44,000 कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया। CSIR ने अरोमा मिशन का दूसरा चरण शुरू किया है, जिसमें 45,000 से अधिक कुशल मानव संसाधन शामिल होंगे एवं 75,000 से अधिक किसान परिवारों को मदद मिलेगी।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. नॉर्मन अर्नेस्ट बोरलॉग जिन्हें भारत में हरित क्रांति का जनक माना जाता है, किस देश से हैं? (2008) (a) संयुक्त राज्य अमेरिका उत्तर: (a) व्याख्या:
मेन्स:प्रश्न. बागवानी फार्मों के उत्पादन, उत्पादकता और आय को बढ़ाने में राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM) की भूमिका का आकलन कीजिये। किसानों की आय बढ़ाने में यह कहाँ तक सफल हुआ है? (2018) |
नामदफा राष्ट्रीय उद्यान
चांगलांग ज़िला प्रशासन ने नामदफा राष्ट्रीय उद्यान (NP) में बड़ी इलायची की खेती को अवैध घोषित कर दिया है।
नामदफा राष्ट्रीय उद्यान:
- परिचय:
- नामदफा वास्तव में उद्यान से निकलने वाली एक नदी का नाम है और यह नोआ-देहिंग नदी से मिलती है।
- नोआ-देहिंग नदी, ब्रह्मपुत्र की एक सहायक नदी है और राष्ट्रीय उद्यान के मध्य में उत्तर-दक्षिण दिशा में बहती है।
- जलवायु:
- यहाँ की जलवायु उपोष्णकटिबंधीय है। पहाड़ी भाग में पर्वतीय प्रकार की जलवायु है, जबकि निचले मैदानों और घाटियों में उष्णकटिबंधीय जलवायु पाई जाती है।
- भौगोलिक अवस्थिति:
- यह अरुणाचल प्रदेश राज्य में स्थित है और 1,985 वर्ग किमी में फैला हुआ है।
- यह भारत-म्याँमार-चीन ट्राइजंक्शन के काफी करीब है।
- यह उद्यान मिशमी हिल्स के दफा बम रेंज और पटकाई रेंज के बीच स्थित है।
- यह भारत का चौथा सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है।
- पहले तीन लद्दाख में हेमिस नेशनल पार्क, राजस्थान में डेज़र्ट नेशनल पार्क और उत्तराखंड में गंगोत्री नेशनल पार्क हैं।
- कानूनी स्थिति:
- इसे वर्ष 1983 में राष्ट्रीय उद्यान के रूप में स्थापित किया गया था और उसी वर्ष 1983 में इसे टाइगर रिज़र्व के रूप में घोषित किया गया था।
- यह भारत में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में भी है।
- जैवविविधता:
- इस संरक्षित क्षेत्र में 1000 से अधिक फूलों की और 1400 से अधिक जीव प्रजातियाँ हैं।
- यह जैवविविधता हॉटस्पॉट का भी हिस्सा है।
- यह दुनिया का एकमात्र उद्यान है जहाँ बड़ी बिल्ली जैसी ही 4 समान प्रजातियाँ हैं, जैसे कि टाइगर (पेंथेरा टाइग्रिस), तेंदुआ (पैंथेरा पार्डस), स्नो लेपर्ड (पैंथेरा अनाकिया) और क्लाउडेड लेपर्ड (नियोफेलिस नेबुलोसा)।
- यह गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों के रूप में भी प्रसिद्ध है जैसे नामदफा उड़ने वाली गिलहरी प्रजाति जिसे आखिरी बार वर्ष1981 में देखा गया था।
- भारत में पाई जाने वाली एकमात्र 'लंगूर' प्रजाति हूलॉक गिबन्स इस राष्ट्रीय उद्यान में पाई जाती है।
- वनस्पति: वनस्पति उष्णकटिबंधीय सदाबहार वनों (उष्णकटिबंधीय वर्षा वन) की विशेषता है।
अरुणाचल प्रदेश में अन्य संरक्षित क्षेत्र:
- पक्के बाघ अभयारण्य
- मौलिंग नेशनल पार्क
- कमलांग वन्यजीव अभयारण्य
- ईटानगर वन्यजीव अभयारण्य
- ईगल नेस्ट वन्यजीव अभयारण्य
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित नेशनल पार्कों में से किस एक की जलवायु उष्णकटिबंधीय से उपोष्ण, शीतोष्ण और आर्कटिक तक परिवर्तित होती है?? (a) कंचनजंघा नेशनल पार्क उत्तर: (d) प्रश्न. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये 1- नोक्रेक जीवमंडल रिज़र्व: गारो पहाडि़याँ उपर्युक्त युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) व्याख्या:
अतः विकल्प (a) सही उत्तर है। |
स्रोत: द हिंदू
एक्सोप्लैनेट वायुमंडल में बेरियम
हाल ही में एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पहली बार दो विशाल एक्सोप्लैनेट के ऊपरी वायुमंडल में बेरियम का पता लगाया है।
- अल्ट्रा-हॉट जूपिटर गर्म गैसीय ग्रहों का एक वर्ग है जो बृहस्पति के आकार से मेल खाता है, लेकिन बृहस्पति के विपरीत उनकी छोटी कक्षीय अवधि होती है।
एक्सोप्लैनेट:
- एक एक्सोप्लैनेट या एक्स्ट्रासोलर ग्रह सौरमंडल के बाहर स्थित एक ग्रह है। एक्सोप्लैनेट की पुष्टि पहली बार वर्ष 1992 में हुई थी।
- अब तक 4,400 से अधिक एक्सोप्लैनेट की खोज की जा चुकी है।
- एक्सोप्लैनेट को सीधे दूरबीन से देखना बहुत कठिन है। वे उन सितारों की अत्यधिक चमक से छिपे हुए हैं जिनकी वे परिक्रमा करते हैं। इसलिये खगोलविद एक्सोप्लैनेट का पता लगाने और उनका अध्ययन करने के लिये अन्य तरीकों का उपयोग करते हैं जैसे कि ग्रहों के उन सितारों पर पड़ने वाले प्रभावों को देखना जिनकी वे परिक्रमा करते हैं।
अध्ययन के निष्कर्ष:
- एक्सोप्लैनेट के दो अल्ट्रा-हॉट जूपिटर WASP-76b और WASP-121b हैं जो अपने मेज़बान तारों WASP 76 एवं WASP 121 की परिक्रमा करते हैं।
- पहला एक्सोप्लैनेट पृथ्वी से लगभग 640 प्रकाश वर्ष तथा दूसरा लगभग 900 प्रकाश वर्ष दूर है।
- WASP-76b और WASP-121b दोनों दो दिनों में एक कक्षा पूरी करते हैं।
- इन निकायों में सतह का तापमान 1,000 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है। इन निकायों में उनके उच्च तापमान के कारण अनूठी विशेषताएँ पाई जाती हैं। उदाहरण के लिये, WASP-76b पर लौह वर्षा का अनुभव होता है।
- बेरियम के अलावा WASP-76b के वातावरण में हाइड्रोजन, लिथियम, सोडियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, वैनेडियम, क्रोमियम, मैंगनीज़ और लोहा की मौज़ूदगी की भी पुष्टि हुई है।
- WASP 121b में, उन्होंने लिथियम, सोडियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम, वैनेडियम, क्रोमियम, मैंगनीज़, लोहा और निकल की उपस्थिति की पुष्टि की।
- इसके अतिरिक्त टीम को कोबाल्ट और स्ट्रोंटियम जैसे तत्त्व के साथ साथ एक्सोप्लैनेट में टाइटेनियम के संकेत भी मिले।
बेरियम की विशेषताएँ:
- विषय:
- बेरियम, जो सीसे से थोड़ा सख्त होता है, काटने पर चाँदी जैसी सफेद चमक होती है।
- हवा के संपर्क में आने पर यह आसानी से ऑक्सीकृत हो जाता है और भंडारण के दौरान ऑक्सीजन से इसकी सुरक्षा करनी चाहिये।
- प्रकृति में यह हमेशा अन्य तत्त्वों के साथ संयुक्त रूप से पाया जाता है।
- यह बहुत हल्का होता है और इसका घनत्व लोहे के घनत्व का आधा होता है।
- उपयोग:
- बेरियम का उपयोग अक्सर स्पार्क-प्लग इलेक्ट्रोड के लिये और वैक्यूम ट्यूबों में सुखाने तथा ऑक्सीजन हटाने वाले कारक के रूप में किया जाता है। साथ ही फ्लोरोसेंट लैंप प्रकाश के संपर्क में आने के बाद अशुद्ध बेरियम सल्फाइड फॉस्फोरेसेंस को हटाने के लिये किया जाता है।
- इसके यौगिकों का उपयोग तेल और गैस उद्योगों में ड्रिलिंग मड बनाने के लिये किया जाता है। ड्रिलिंग मड, ड्रिल को स्नेहन/लुब्रिकेट करके चट्टानों में ड्रिलिंग को सरल बनाती है।
- बेरियम यौगिकों का उपयोग पेंट, ईंट, टाइल, काँच और रबर बनाने के लिये भी किया जाता है।
- बेरियम नाइट्रेट और क्लोरेट आतिशबाज़ी को हरा रंग प्रदान करते हैं।
स्रोत: डाउन टू अर्थ
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 15 अक्तूबर, 2022
विश्व छात्र दिवस
प्रतिवर्ष 15 अक्तूबर को ‘विश्व छात्र दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्तूबर, 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। उन्होंने वर्ष 2002 से वर्ष 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। वे न केवल एक सुविख्यात एयरोस्पेस वैज्ञानिक थे, बल्कि महान शिक्षक भी थे, जिन्होंने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के साथ काम किया था। डॉ. कलाम वर्ष 1962 में ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ से जुड़े तथा वहाँ उन्हें प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (SLV- lll) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल हुआ। अब्दुल कलाम भारत के मिसाइल कार्यक्रम के जनक माने जाते हैं, वे ‘आम जनमानस के राष्ट्रपति’ के तौर पर प्रसिद्ध हैं। डॉ. कलाम ने अपने ‘सादा जीवन, उच्च विचार’ के दर्शन से भारत समेत दुनिया भर के लाखों युवाओं को प्रेरित किया है। संयुक्त राष्ट्र (UN) ने डॉ. कलाम के जन्म दिवस को चिह्नित करते हुए वर्ष 2010 में 15 अक्तूबर को विश्व छात्र दिवस के रूप में नामित किया था। डॉ. कलाम की उपलब्धियों को इस बात से समझा जा सकता है कि उन्हें भारत एवं विदेशों के 48 विश्वविद्यालयों और संस्थानों द्वारा डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था। उन्होंने वर्ष 1992 से वर्ष 1999 तक प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में भी कार्य किया। डॉ. कलाम को वर्ष 1981 में पद्म भूषण, वर्ष 1990 में पद्म विभूषण और वर्ष 1997 में ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।
विधि मंत्रियों और सचिवों का अखिल भारतीय सम्मेलन
प्रधानमंत्री ने 15 अक्तूबर, 2022 को नई दिल्ली में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research- CSIR) की बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में प्रख्यात वैज्ञानिक, उद्योगपति और विज्ञान संबंधी मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। यह बैठक CSIR की गतिविधियों की समीक्षा करने और इसके भविष्य के कार्यक्रमों पर विचार-विमर्श करने के लिये प्रत्येक वर्ष आयोजित की जाती हैं। प्रधानमंत्री इस परिषद के अध्यक्ष हैं। CSIR के अनुसंधान प्रयास अब मुख्य रूप से हरित ऊर्जा प्रौद्योगिकी, रोज़गार उपलब्ध कराने और ग्रामीण क्षेत्रों में आय को बढ़ाने पर केंद्रित हैं। औद्योगिक क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता को मज़बूत करना, बुनियादी ढाँचे का विकास व महत्त्वपूर्ण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारित मानव संसाधन विकसित करना भी परिषद की ज़िम्मेदारी है। CSIR विजन 2030 के अनुसार, परिषद के पुनरुद्धार और राष्ट्रीय विन@2047 के अनुरूप भारत को एक वैज्ञानिक महाशक्ति तथा आत्मनिर्भर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। CSIR ने उद्योग के साथ संबंध मज़बूत किये हैं। CSIR के अरोमा मिशन और जम्मू एवं कश्मीर में बैंगनी क्रांति ने भारत को आयातक के बजाय निर्यातक में बदल दिया है।
नारियल समुदाय के किसानों का सम्मेलन
14 अक्तूबर, 2022 कोयंबटूर में आयोजित ‘नारियल समुदाय के किसानों के सम्मेलन’ में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने देश में नारियल की खेती को बढ़ावा देने के लिये नारियल समुदाय से जुड़े किसानों को हरसंभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है। विगत वर्षों में अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में जो प्रयास किये गए हैं, उनके फलस्वरूप कृषि व प्रसंस्करण क्षेत्र में नई प्रौद्योगिकियाँ विकसित हुई हैं तथा उपलब्ध प्रौद्योगिकियों को उन्नत बनाया गया है। कृषि अर्थव्यवस्था में नारियल की खेती का योगदान अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। नारियल की खेती में भारत अग्रणी है व दुनिया के तीसरे बड़े उत्पादकों में से एक है। नारियल प्रसंस्करण गतिविधियों में तमिलनाडु प्रथम स्थान पर है एवं नारियल की खेती के क्षेत्रफल की दृष्टि से कोयम्बटूर प्रथम स्थान पर है, जहाँ 88,467 हेक्टेयर क्षेत्र में नारियल की खेती की जाती है। नारियल विकास बोर्ड छोटे-सीमांत किसानों को एकीकृत कर त्रिस्तरीय किसान समूह का गठन कर रहा है। राज्य में वर्तमान में 697 नारियल उत्पादक समितियाँ, 73 नारियल उत्पादक संघ एवं 19 नारियल उत्पादक कंपनियाँ हैं। भारत में प्रतिवर्ष 3,638 मिलियन नारियल की प्रसंस्करण क्षमता के साथ 537 नई प्रसंस्करण इकाइयाँ स्थापित करने हेतु समर्थन दिया जा रहा है, इनमें से 136 इकाइयाँ तमिलनाडु की हैं। यह सफलता बोर्ड द्वारा देश में कार्यान्वित मिशन कार्यक्रम के माध्यम से प्राप्त हुई है।