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कृषि

अरोमा मिशन के तहत ‘बैंगनी क्रांति’

  • 04 Mar 2021
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

जम्मू में डोडा ज़िले के गाँवों के लगभग 500 किसानों ने मक्का की खेती से लैवेंडर की ओर स्थानांतरण के बाद से अपनी आय में चौगुनी वृद्धि दर्ज की है, जिसे ‘बैंगनी क्रांति’ के नाम से जाना जा रहा है। यह अरोमा मिशन के तहत की गई पहल के कारण संभव हो पाया है।

प्रमुख बिंदु

बैंगनी क्रांति

  • परिचय
    • पहली बार लैवेंडर की खेती कर रहे किसानों को इसके मुफ्त पौधे दिये गए थे और जो लोग पूर्व में लैवेंडर की खेती कर चुके थे, उनसे इसके लिये 5-6 रुपए प्रति एकड़ शुल्क लिया गया था।
  • उद्देश्य
    • आयातित सुगंधित किस्मों को घरेलू किस्मों से प्रतिस्थापित करके घरेलू सुगंधित फसल आधारित कृषि अर्थव्यवस्था का निर्माण करना।
  • उत्पाद
    • इसका मुख्य उत्पाद लैवेंडर तेल है, जो कम-से-कम 10,000 रुपए प्रति लीटर  बिकता है।
    • लैवेंडर इत्र का उपयोग अगरबत्ती बनाने के लिये किया जाता है।
    • हाइड्रोसोल, जो फूलों से आसवन के बाद बनता है, साबुन और फ्रेशनर बनाने के लिये उपयोग किया जाता है।
  • इसमें शामिल प्रमुख एजेंसियाँ
    • काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन, जम्मू (IIIM-J), ये दोनों निकाय मुख्य रूप से अरोमा मिशन के तहत ‘बैंगनी क्रांति’ को सफल बनाने के लिये उत्तरदायी हैं।
  • महत्त्व
    • वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की सरकार की नीति के अनुरूप होने के अलावा लैवेंडर की खेती ने ज़िले की महिला किसानों को रोज़गार प्रदान करने में मदद की है और क्षेत्र में समावेशी विकास को गति दी है।

अरोमा मिशन

  • उद्देश्य: अरोमा मिशन, अरोमा (सुगंध) उद्योग एवं ग्रामीण रोज़गार के विकास को बढ़ावा देने के लिये कृषि, प्रसंस्करण और उत्पाद विकास क्षेत्रों में वांछित हस्तक्षेप के माध्यम से अरोमा (सुगंध) क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन लाना है।
    • यह मिशन ऐसे आवश्यक तेलों के लिये सुगंधित फसलों की खेती को बढ़ावा देगा, जिनकी अरोमा (सुगंध) उद्योग में काफी अधिक मांग है।
    • यह मिशन भारतीय किसानों और अरोमा (सुगंध) उद्योग को ‘मेन्थॉलिक मिंट’ जैसे कुछ अन्य आवश्यक तेलों के उत्पादन और निर्यात में वैश्विक प्रतिनिधि बनने में मदद करेगा। 
    • इसका उद्देश्य उच्च लाभ, बंजर भूमि के उपयोग और जंगली एवं पालतू जानवरों से फसलों की रक्षा करके किसानों को समृद्ध बनाना है।
  • नोडल एजेंसी
    • लखनऊ स्थित CSIR- सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमेटिक प्लांट्स (CIMAP) को इस मिशन की नोडल एजेंसी बनाया गया है। पालमपुर स्थित CSIR- इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (IHBT) और जम्मू स्थित CSIR- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (IIIM) भी इसमें शामिल हैं।
  • कवरेज
    • इस मिशन के तहत सभी वैज्ञानिक हस्तक्षेप विदर्भ, बुंदेलखंड, गुजरात, मराठवाड़ा, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और अन्य राज्यों के ऐसे सभी क्षेत्रों में लागू होंगे, जहाँ बार-बार मौसम की चरम घटनाएँ दर्ज की जाती हैं और जहाँ आत्महत्याओं की दर अधिकतम है।
    • सुगंधित पौधों में लैवेंडर, गुलाब, मुश्क बाला (इंडियन वेलेरियन) आदि शामिल हैं।
  • परिणाम
    • अतिरिक्त 5500 हेक्टेयर क्षेत्र को सुगंधित नकदी फसलों की खेती के तहत लाना, इसके तहत विशेषतौर पर वर्षा आधारित/निम्नीकृत भूमि को लक्षित किया जाएगा।
    • पूरे देश में आसवन और मूल्य वृद्धि के लिये किसानों/उत्पादकों को तकनीकी एवं अवसंरचनात्मक सहायता प्रदान करना।
    • किसानों/उत्पादकों के लिये पारिश्रमिक कीमतें सुनिश्चित करने में प्रभावी। 
    • बायबैक (पुनर्खरीद) तंत्र उपलब्ध कराना।
    • तेलों एवं अरोमा सामग्री का मूल्य-संवर्द्धन सुनिश्चित करना ताकि वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था में उनका एकीकरण सुनिश्चित किया जा सके।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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