प्रिलिम्स फैक्ट्स (14 May, 2024)



ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में संशोधित सुअर किडनी प्रत्यारोपण के पहले प्राप्तकर्त्ता का अभूतपूर्व ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन सर्जरी के बाद निधन हो गया। उनकी मृत्यु प्रत्यारोपण से संबंधित नहीं थी।

ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन: 

  • परिचय: 
    • अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (Food and Drug Administration- FDA) के अनुसार, ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन के तहत जीवित कोशिकाओं, ऊतकों या गैर-मानवीय पशु स्रोत से प्राप्त अंगों (या ऐसे ऊतक या अंग जिनका जीवित गैरमानवीय पशु कोशिकाओं, ऊतकों या अंगों से पूर्व संपर्क रहा हो) का मानव शरीर में प्रत्यारोपण करना शामिल है।
  • उद्देश्य: इसका प्राथमिक उद्देश्य मानव के लिये अंगदान करने वालों की संख्या में कमी को दूर करना है।
    • उदाहरण के लिये, संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 90,000 लोगों को किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता है और प्रतिवर्ष 3,000 से अधिक लोगों की इसके कारण मृत्यु हो जाती है।
  • ऐतिहासिक संदर्भ: यह प्रणाली वर्ष 1980 के दशक से चली आ रही है, जिसमें सर्वप्रथम हृदय को जानवरों से मनुष्यों में प्रत्यारोपित करने के प्रयास किये गए थे।
  • प्रक्रिया: ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन में पशु अंग का चयन करके (जैसे सुअर की किडनी), मानव शरीर हेतु इसे अनुकूलित करने के लिये आनुवंशिक रूप से संसोधित किया जाता है।
    • इस प्रक्रिया में सुअर के कुछ जीनों को पृथक करने के लिये (जिनसे ऐसी एंटीबॉडी के साथ शर्करा का उत्पादन होता है जिसके प्रति मानव की प्रतिरक्षा प्रणाली प्रतिक्रया करती है) CRISPR-Cas9 जैसी जीन-संपादन प्रौद्योगिकियों का उपयोग होता है तथा मानव शरीर के अनुसार, अंग की अनुकूलता में सुधार हेतु इसमें मानव जीन को भी जोड़ा जाता है।
  • ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन में जटिलताएँ: 
    • अंग अस्वीकृति: मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सुअर के प्रत्यारोपित अंगों के प्रतिकूल प्रक्रिया करने से रोकना, एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है। सुअर की थाइमस ग्रंथि को गुर्दे से जोड़ने जैसी तकनीकों का प्रयोग प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की इस प्रतिकूल प्रक्रिया को रोकने में सहायक है।
    • संक्रमण का खतरा: FDA द्वारा मान्यता प्राप्त और अज्ञात दोनों संक्रामक एजेंटों से संभावित संक्रमणों के बारे में चिंताओं पर प्रकाश डाला जाता है।
    • रेट्रोवायरसः रेट्रोवायरस द्वारा क्रॉस-स्पीशीज़ संक्रमण का खतरा होता है, जो अव्यक्त रह सकता है तथा संक्रमण के वर्षों बाद बीमारियों का कारण बन सकता है। 
  • भारत में ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन: वर्ष 1997 में असम में एक सर्जन ने एक सुअर के हृदय को एक मानव रोगी में प्रत्यारोपित करके ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन किया।
    • दुर्भाग्य से, एक सप्ताह बाद रोगी की मृत्यु हो गई, जिसके परिणामस्वरूप कानूनी परिणाम सामने आए।

CRISPR-Cas9:

  • CRISPR-Cas9 एक अभूतपूर्व तकनीक है जो आनुवंशिकीविदों तथा चिकित्सा शोधकर्त्ताओं को जीनोम के विशिष्ट भागों को संशोधित करने का अधिकार देती है। यह DNA अनुक्रम के भीतर खंडों को सटीक रूप से हटाने, जोड़ने या संशोधित करने के माध्यम से प्राप्त की जाती है।
  • CRISPR-Cas9 प्रणाली में दो महत्त्वपूर्ण घटक शामिल हैं जो DNA में परिवर्तन या उत्परिवर्तन लाते हैं। ये घटक हैं:
    • Cas9 नामक एक एंज़ाइम, जो सटीक 'आण्विक कैंची' (Molecular Scissors) के एक युग्म की तरह कार्य करता है।
    • RNA का एक खंड, जिसे गाइड RNA (gRNA) कहा जाता है। इसमें एक छोटा, पूर्व-डिज़ाइन किया गया RNA अनुक्रम शामिल है।
      • यह गाइड मैकेनिज़्म Cas9 एंज़ाइम को जीनोम में सटीक स्थान पर निर्देशित करता है जहाँ उसे पृथक करना चाहिये। 
  • यह कोशिका की DNA मरम्मत मशीनरी को ट्रिगर करता है, जिसका उपयोग वैज्ञानिक कोशिका के जीनोम में परिवर्तन लाने के लिये कर सकते हैं।
  • इमैनुएल चार्पेंटियर और जेनिफर ए. डौडना को CRISPR/Cas9 नामक जीन प्रौद्योगिकी से संबंधित एक शक्तिशाली उपकरण खोजने के लिये रसायन विज्ञान में वर्ष 2020 का नोबेल पुरस्कार मिला।

ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन के लिये अक्सर सूअरों का उपयोग क्यों किया जाता है?

  • ऐतिहासिक उपयोग: सुअर के हृदय वाल्व का उपयोग मानव सर्जरी में 50 वर्षों से अधिक समय से किया जा रहा है।
  • मनुष्यों से समानता: सूअर और मनुष्य शरीर रचना और शरीर विज्ञान की दृष्टि से समान हैं। व्यापक स्तर पर पालन के कारण ये एक किफायती और सुलभ स्रोत हैं।
  • आकार समानता: सुअर की विविध नस्लें अंग आकारों की एक शृंखला प्रदान करती हैं, जिन्हें मानव प्राप्तकर्त्ताओं की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार किया जा सकता है।

Xenotransplantation

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न.1  भारत में कृषि के संदर्भ में प्रायः समाचारों में आने वाले "जीनोम अनुक्रमण (जीनोम सिक्वेंसिंग)" की तकनीक का आसन्न भविष्य में किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है? (2017) 

  1. विभिन्न फसली पौधों में रोग प्रतिरोध और सूखा सहिष्णुता के लिये आनुवंशिक सूचकों का अभिज्ञान करने के लिये जीनोम अनुक्रमण का उपयोग किया जा सकता है।
  2. यह तकनीक, फसली पौधों की नई किस्मों को विकसित करने में लगने वाले आवश्यक समय को घटाने में मदद करती है।
  3.  इसका प्रयोग फसलों में पोषी रोगाणु-संबंधों को समझने के लिये किया जा सकता है। 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:   

(a) केवल 1  
(b) केवल 2 और 3  
(c) केवल 1 और 3  
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (d)


प्रश्न.2  निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)

  1. DNA बारकोडिंग किसका उपसाधन हो सकता है?
  2. किसी पादप या प्राणी की आयु का आकलन करने के लिये,
  3.  समान दिखने वाली प्रजातियों के बीच भिन्नता जानने के लिये,
  4.  प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में अवांछित प्राणी या पादप सामग्री को पहचानने के लिये, 

उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b)  केवल 3
(c) 1 और 2
(d)  2 और 3

उत्तर: (d)


प्रेरणा कार्यक्रम

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव ने प्रेरणा कार्यक्रम की पहली पूर्व छात्रों की बैठक को वर्चुअली संबोधित किया।

  • प्रेरणा एक 'अनुभवात्मक शिक्षण कार्यक्रम (Experiential Learning program)' है जिसका उद्देश्य सभी प्रतिभागियों को एक सार्थक, अद्वितीय और प्रेरक अनुभव प्रदान करना है, जिससे उन्हें नेतृत्त्व गुणों के साथ सशक्त बनाया जा सके।
  • यह भारतीय शिक्षा प्रणाली के सिद्धांतों और मूल्य-आधारित शिक्षा के दर्शन को एकीकृत करने की मज़बूत प्रतिबद्धता से प्रेरित है।
  • इसे भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education - MoE) के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा लॉन्च किया गया था।
  • देश के विभिन्न भागों से प्रत्येक सप्ताह 20 चयनित छात्रों (10 लड़के व 10 लड़कियों) का एक बैच कार्यक्रम में भाग लेता है।
  • पाठ्यक्रम को गरिमा और विनम्रता, वीरता और साहस, कड़ी मेहनत और समर्पण, करुणा और सेवा, विविधता और एकता, अखंडता और पवित्रता, नवाचार और जिज्ञासा, आस्था और विश्वास तथा स्वतंत्रता और ज़िम्मेदारी जैसे नौ प्रमुख मूल्यों के आधार पर बनाया गया है।

और पढ़ें: राजस्थान प्रेरणा स्कूल शुरू करेगा


ऑस्ट्रेलिया में खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) का लिथियम का अधिग्रहण

स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड

खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) तीन सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का एक संयुक्त उद्यम है, जो ऑस्ट्रेलिया में लिथियम ब्लॉक हासिल करने के लिये काम कर रहा है।

  • KABIL खान मंत्रालय के तहत केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (Central Public Sector Enterprises - CPSEs) नेशनल एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (National Aluminium Company Ltd - Nalco), हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (Hindustan Copper Ltd - HCL) और मिनरल एक्सप्लोरेशन एंड कंसल्टेंसी लिमिटेड (Mineral Exploration and Consultancy Ltd - MECL) का एक संयुक्त उद्यम है।
    • इसका उद्देश्य लिथियम और कोबाल्ट जैसे बैटरी खनिजों पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत में आपूर्ति के लिये विदेशी स्थानों से रणनीतिक खनिजों की पहचान, अधिग्रहण, विकास, प्रसंस्करण और व्यावसायीकरण करना है।
  • लिथियम ऊर्जा संक्रमण के लिये एक महत्त्वपूर्ण खनिज है, क्योंकि यह लिथियम-आयन बैटरी का एक मूलभूत घटक है जो इलेक्ट्रिक वाहनों और बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों को शक्ति प्रदान करता है।

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चीन के तीसरे विमानवाहक पोत का पहला समुद्री परीक्षण

स्रोत: द हिंदू 

चीन के तीसरे विमानवाहक पोत (Carrier), फुज़ियान ने अपना आठ दिवसीय पहला समुद्री परीक्षण सफलतापूर्वक पूर्ण कर लिया है।

  • फुज़ियान एक 80,000 टन का सुपरकैरियर है जिसमें विमान लॉन्च करने के लिये विद्युत चुंबकीय कैटापुल्ट होते हैं।
    • परीक्षणों में प्रणोदन, विद्युत प्रणालियों और अन्य उपकरणों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिससे अपेक्षित परिणाम प्राप्त हुए।
  • अमेरिका के बाद चीन इस तकनीक के साथ सुपरकैरियर तैनात करने वाला दूसरा देश है।
  • चीन का पहला विमानवाहक पोत लियाओनिंग 2012 में और दूसरा वाहक शेडोंग 2017 में लॉन्च किया गया था।
  • चीन द्वारा यह घोषणा की गई कि वह अपना चौथा विमानवाहक पोत तैयार कर रहा है, जो संभवतः परमाणु-संचालित सुपरकैरियर होगा।
  • भारतीय नौसेना के विमान वाहक पोत:
    • भारतीय नौसेना के पास दो विमान वाहक पोत हैं अर्थात् INS विक्रमादित्य (जो वर्ष 2013 में अपनाया गया एक नवीनीकृत रूसी वाहक है) तथा INS विक्रांत (सितंबर 2022 में अपनाया गया स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और निर्मित)।

और पढ़ें: स्वदेशी विमान वाहक


अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस 2024

स्रोत: पी.आई.बी.

12 मई 2024 को आयुर्विज्ञान सभागार, आर्मी हॉस्पिटल (आर.एंड.आर.), नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया गया।

  • समाज में नर्सों के योगदान को मान्यता देने के लिये ‘फ्लोरेंस नाइटिंगेल’ (Florence Nightingale) की जयंती पर प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस मनाया जाता है।
  • नर्सों की अंतर्राष्ट्रीय परिषद (इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेज़) ने इस वर्ष की थीम 'हमारी नर्सें हमारा भविष्य, देखभाल की आर्थिक शक्ति (Our Nurses Our Future, The Economic Power of Care)' घोषित की है।
  • फ्लोरेंस नाइटिंगेल एक ब्रिटिश नर्स, सांख्यिकीविद् और समाज सुधारक थीं, जिन्हें आधुनिक नर्सिंग के संस्थापक दार्शनिक के रूप में जाना जाता है।
    • वह क्रीमिया युद्ध के दौरान ब्रिटिश और संबद्ध सैनिकों की देखभाल में अपने काम के लिये प्रसिद्ध हो गईं, जहाँ उन्हें "लेडी विद द लैंप" उपनाम मिला।

और पढ़ें: अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस


कंक्रीट में सुपरप्लास्टिसाइज़र

स्रोत: प्रेस रीडर

कंक्रीट में सुपरप्लास्टिसाइज़र को अक्सर ड्राई-प्रेस्ड कंक्रीट में जोड़ा जाता है ताकि इसके साथ काम करना आसान हो और इसके घनत्व तथा सतह की गुणवत्ता में सुधार हो सके। 

  • कंक्रीट में सुपरप्लास्टिसाइज़र सल्फोनेटेड मेलामाइन फॉर्मेल्डिहाइड कंडेनसेट अथवा सल्फोनेटेड नेफ्थलीन फॉर्मेल्डिहाइड कंडेनसेट हैं।
  • यह एक योजक है जो कंक्रीट में जल की मात्रा को कम करता है।
  • कंक्रीट के स्थायित्व को निर्धारित करने में जल-सीमेंट अनुपात एक महत्त्वपूर्ण कारक है क्योंकि कंक्रीट की अभेद्यता, शक्ति और स्थायित्व जल-सीमेंट अनुपात के समानुपाती होते हैं।  
  • सीमेंट के कणों के बीच आकर्षण के कारण जब कण निकट आते हैं तो वे साधारण सीमेंट के पेस्ट में एक साथ चिपक जाते हैं। जिससे पता चलता है कि इसमें आवश्यकता से अधिक जल मिलाने की आवश्यकता है।
    • कंक्रीट के अवयवों को मिलाने के उचित चरण में कंक्रीट में सुपरप्लास्टिसाइज़र जोड़कर इन्हें दूर किया जा सकता है, जो सीमेंट कणों के अंतर-कणीय आकर्षण को कम करता है।
  • यह सीमेंट कणों के बीच अंतर-कणीय आकर्षण को कम करने और कम जल के साथ सीमेंट कणों को विस्तृत करने में सहायता करता है।
  • कंक्रीट में सुपरप्लास्टिसाइज़र का उपयोग दुर्गम स्थानों में "फ्लोइंग" कंक्रीट के उत्पादन में किया जाता है और बड़े पैमाने पर कंक्रीट में जलयोजन की ऊष्मा को निम्न करने के क्रम में उपयुक्त जल/सीमेंट अनुपात के साथ उच्च मज़बूती वाले कंक्रीट के उत्पादन में भी इसका उपयोग किया जाता है।

हीट वेव से लीची किसानों को खतरा

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में उच्च तापमान और चिलचिलाती पश्चिमी पवनों ने बिहार के मुज़फ्फरपुर ज़िले में लीची के फल उगाने के लिये एक अनुपयुक्त जलवायु उत्पन्न कर दी है। 

  • इसने सैकड़ों लीची किसानों के लिये संकट उत्पन्न कर दिया है, जो अनियमित मौसम के कारण इस वर्ष कम फूल आने से पहले से ही चिंतित थे।

बिहार में हाल की हीट वेव से जुड़ी चुनौतियाँ क्या हैं?

  • लीची के बागों पर हीटवेव का प्रभाव:
    • चिलचिलाती धूप और तेज़ पछुआ पवनों के कारण अपरिपक्व लीची फलों में भारी गिरावट आई है।
    • राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र (National Research Centre on Litchi- NRCL) बढ़ते तापमान से निपटने और नमी के स्तर को बनाए रखने के लिये बागों में सिंचाई में बढ़ोतरी करने की सलाह देता है, लेकिन छोटे किसानों को लागत संबंधी संघर्ष करना पड़ता है।
  • लीची उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:
    • लीची विशिष्ट सूक्ष्म जलवायु परिस्थितियों में तैयार होती है, जिसमें इष्टतम फल विकास के लिये अप्रैल की महत्त्वपूर्ण दूसरी छमाही के दौरान 30-35 डिग्री सेल्सियस का आदर्श तापमान होना चाहिये।
      • तापमान के इस विचलन से प्राकृतिक विकास प्रक्रियाओं में बाधा आने के साथ छोटे आकार वाली तथा कम मीठी लीची उत्पादित होती हैं। 
  • फसल में अपेक्षित कमी:
    • अनुमानित लीची की फसल में देरी होने और पिछले वर्षों की तुलना में संभावित रूप से आधी होने की आशंका है।
    • किसानों को फसल में काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है और वे इस नुकसान की भरपाई के लिये सरकारी सहायता का अनुरोध करने की योजना बना रहे हैं।
    • मुज़फ्फरपुर और आसपास के क्षेत्र भारत के लीची उत्पादन में लगभग 40% का योगदान देते हैं, यहाँ खराब फसल का राष्ट्रीय स्तर पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।

हीट वेव क्या हैं?

  • परिचय:
    • हीट वेव अत्यधिक गर्म मौसम की लंबी अवधि होती है।
    • भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने माना कि यदि किसी स्टेशन का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों के लिये कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक और पहाड़ी क्षेत्रों के लिये कम से कम 30 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक, तक पहुँच जाता है तो हीट वेव चल सकती है। 
      • सामान्य तापमान से विचलन:
        • हीट वेव: सामान्य से विचलन 4.5°C से 6.4°C है।
        • गंभीर हीट वेव: सामान्य से विचलन > 6.4 डिग्री सेल्सियस है।
      • वास्तविक अधिकतम तापमान पर आधारित:
        • हीट वेव: जब वास्तविक अधिकतम तापमान ≥ 45°C हो।
        • गंभीर हीट वेव:जब वास्तविक अधिकतम तापमान ≥47°C.
  • हीट वेव से निपटने के लिये भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department- IMD) की पहल और उपकरण
    • प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली:
      • समय पर पूर्वानुमान: IMD समय पर (अक्सर कई दिन पहले) पूर्वानुमान और हीट वेव की चेतावनी जारी करता है।
      • रंग-कोडित अलर्ट: हीट वेव की गंभीरता को वर्गीकृत करने के लिये रंग-कोडित प्रणाली (पीला, नारंगी, लाल) का उपयोग किया जाता है।
    • सहयोग और कार्य योजनाएँ:
      • IMD हीट वेव से निपटने के क्रम में योजनाओं को विकसित करने तथा लागू करने में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के साथ मिलकर कार्य करता है।
      • IMD लोगों को हीट वेव के खतरों एवं संबंधित उपायों के बारे में शिक्षित करने के लिये जागरूकता अभियान चलाता है।
      • IMD ने हीट इंडेक्स प्रस्तुत किया है जिसमें इसके अधिक सटीक आकलन के लिये तापमान तथा आर्द्रता दोनों पर विचार किया जाता है।
    • प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना:
      • मोबाइल ऐप्स: IMD द्वारा प्रदान किये गए "मौसम" जैसे मोबाइल ऐप्स सीधे उपयोगकर्त्ताओं के स्मार्टफ़ोन पर हीटवेव संबंधित चेतावनियों सहित मौसम संबंधी अपडेट देते हैं।
      • वेबसाइट और सोशल मीडिया: इसके द्वारा उपयोगकर्त्ता-अनुकूल वेबसाइट बनाए रखने के साथ मौसम की जानकारी एवं हीट वेव अलर्ट साझा करने के लिये सक्रिय रूप से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जाता है।

    UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. वर्तमान में और निकट भविष्य में भारत की ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में संभावित सीमाएँ क्या हैं?  (2010)

  1. उपयुक्त वैकल्पिक प्रौद्योगिकियाँ पर्याप्त रूप से उपलब्ध नहीं हैं। 
  2.  भारत अनुसंधान एवं विकास में अधिक धन का निवेश नहीं कर सकता है। 
  3.  भारत में अनेक विकसित देशों ने पहले ही प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग स्थापित कर लिये हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3  

उत्तर: (a)  


मेन्स:

प्रश्न. संसार के शहरी निवास-स्थानों में ताप द्वीपों के बनने के कारण बताइये। (2013)