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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 13 Aug, 2024
  • 26 min read
रैपिड फायर

विक्रम साराभाई की 105वीं जयंती

हाल ही में, भारत ने 12 अगस्त को डॉ. विक्रम साराभाई की 105वीं जयंती मनाई, जिन्होंने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में अग्रणी भूमिका निभाई और विभिन्न क्षेत्रों में प्रमुख संस्थानों की स्थापना की।

  • वर्ष 1919 में अहमदाबाद में जन्मे डॉ. विक्रम साराभाई भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक और डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के गुरु थे। 
  • उन्होंने 28 वर्ष की आयु में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना की और कॉस्मिक किरणों पर अग्रणी शोध किया। 
  • साराभाई के प्रयासों से वर्ष 1962 में INCOSPAR का निर्माण हुआ, जो बाद में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) बन गया और जिसने फ्राँस से भारत में वाइकिंग इंजन प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान की। 
  • नासा के साथ उनके संपर्क ने वर्ष 1975 में सैटेलाइट इंस्ट्रक्शनल टीवी एक्सपेरिमेंट (SITE) का मार्ग प्रशस्त किया, जिसने भारत में केबल टीवी की शुरुआत की। 
  • साराभाई को वर्ष 1966 में पद्म भूषण और वर्ष 1972 में मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

और पढ़ें: विक्रम साराभाई शताब्दी कार्यक्रम, पद्म पुरस्कार 2024, ISRO के रॉकेट को बढ़ावा देने हेतु उन्नत विकास इंजन


प्रारंभिक परीक्षा

नोबेल पुरस्कार विजेता बने राष्ट्राध्यक्ष

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

हाल ही में घोषणा की गई है कि वर्ष 2006 के नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस बांग्लादेश के अंतरिम प्रशासन का नेतृत्व करेंगे, जिससे नोबेल पुरस्कार विजेताओं द्वारा राष्ट्राध्यक्ष के रूप में कार्य करने के इतिहास में रुचि पुनः जाग्रत हो गई है।

  • यूनुस को माइक्रोफाइनेंस और गरीबी उन्मूलन में उनके कार्य के लिये जाना जाता है। अर्थशास्त्र और सामाजिक उद्यमिता में उनकी विशेषज्ञता अंतरिम सरकार के गरीबी उन्मूलन तथा आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करने को आकार दे सकती है।

वे अन्य नोबेल पुरस्कार विजेता कौन हैं जिन्होंने अपने देश का नेतृत्व किया?

  • लेस्टर बी. पियर्सन: वर्ष 1963 से 1968 तक कनाडा के प्रधानमंत्री और लिबरल पार्टी के नेता रहे।
    • उन्होंने राष्ट्रीय पेंशन योजना और परिवार सहायता कार्यक्रम शुरू किया, वृद्धावस्था सुरक्षा लाभों को व्यापक बनाया तथा कनाडा में सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल हेतु आधार तैयार किया।
    • नोबेल शांति पुरस्कार: उन्हें यह सम्मान वर्ष 1957 में स्वेज़ संकट के समाधान में उनकी भूमिका के लिये दिया गया था, जहाँ उन्होंने शत्रुता शुरू होने के बाद संयुक्त राष्ट्र के पहले बड़े पैमाने के शांति मिशन का प्रस्ताव रखा था, जिससे हमलावरों को अपनी सेना वापस लेने की अनुमति मिल गई थी, जैसे कि वे पराजित हो गए हों।

  • लेक वाल्सा: वे पोलिश कार्यकर्त्ता थे जिन्होंने साम्यवाद का विरोध किया और वर्ष 1990-95 तक लोकतांत्रिक रूप से पोलैंड के प्रथम निर्वाचित राष्ट्रपति थे। 
    • उन्होंने सॉलिडैरिटी ट्रेड यूनियन की स्थापना की और उसका नेतृत्व किया, जिसने वर्ष 1989 में पोलैंड में साम्यवादी शासन को समाप्त कर दिया।
    • नोबेल शांति पुरस्कार: पोलैंड में मुक्त ट्रेड यूनियनों और मानवाधिकारों के लिये उनके अहिंसक संघर्ष  हेतु वर्ष 1983 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 

  • आंग सान सू की: वे म्याँमार की स्टेट काउंसलर थीं, जो 2010 के दशक में म्याँमार के सैन्य शासन से लोकतंत्र में आंशिक संक्रमण का नेतृत्व करने के बाद वर्ष 2016 से 2021 तक प्रधानमंत्री तुल्य सरकार की वास्तविक प्रमुख रही हैं।
    • सू की वर्ष 1988 के विद्रोह के दौरान प्रमुखता से उभरीं, जब उन्होंने जुंटा विरोधी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (NLD) की स्थापना की।
      • उन्होंने म्याँमार में आंशिक लोकतंत्र की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, हालाँकि उनका कार्यकाल विवादों से घिरा रहा।
    • नोबेल शांति पुरस्कार: म्याँमार में ‘लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिये उनके अहिंसक संघर्ष’ के लिये वर्ष 1991 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

  • नेल्सन मंडेला: वे दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति थे, जिन्हें रंगभेद प्रणाली के शांतिपूर्ण समाप्ति के बाद वर्ष 1994 में चुना गया था, जिसके लिये उन्हें और राष्ट्रपति फ्रेडरिक विलेम डी क्लार्क को वर्ष 1993 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
    • मंडेला वर्ष 1943 में अफ्रीकी राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस में शामिल हुए और रंगभेद विरोधी गतिविधियों के कारण उन्हें बार-बार गिरफ्तार किया गया, अंततः वर्ष 1962 में उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई। 27 साल जेल में रहने के बाद उन्हें 1990 में रिहा कर दिया गया तथा अगले चार वर्षों में उन्होंने डे क्लार्क के साथ रंगभेद को शांतिपूर्ण ढंग से समाप्त करने के लिये बातचीत की।

  • जोस रामोस-होर्ता: वह वर्ष 2022 से पूर्वी तिमोर के राष्ट्रपति हैं। वह प्रतिरोध आंदोलन के नेता थे जिसके कारण 2002 में पूर्वी तिमोर को इंडोनेशिया से स्वतंत्रता मिली, जो 21वीं सदी का पहला नया संप्रभु राज्य था।
    • नोबेल शांति पुरस्कार: पूर्वी तिमोर में संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करने के लिये वर्ष 1996 में दिया गया।

नोट: 

  • कई अन्य नेताओं ने राष्ट्राध्यक्ष के रूप में अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद (पूर्व इज़रायल प्रधानमंत्री शिमोन पेरेज या पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर) या अपने कार्यकाल के दौरान (पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और इथियोपिया के अबी अहमद) जीत हासिल की है।
  • किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष/सरकार प्रमुख के रूप में कार्य करने वाले 30 नोबेल पुरस्कार विजेताओं में से 29 को शांति का नोबेल पुरस्कार मिला, एकमात्र अपवाद विंस्टन चर्चिल थे, जिन्हें वर्ष 1953 में साहित्य के लिये नोबेल पुरस्कार मिला था।

नोबेल पुरस्कार विजेताओं का नेतृत्वकारी भूमिकाओं में होना क्यों महत्त्वपूर्ण है?

  • आशा का प्रतीक: उनकी मान्यता अक्सर उनके नेतृत्व के लिये अंतर्राष्ट्रीय ध्यान और विश्वसनीयता लाती है।
  • शांति और न्याय का समर्थन : नोबेल पुरस्कार विजेताओं को अक्सर शांति, लोकतंत्र और मानवाधिकारों के आदर्शों से जोड़ा जाता है, जो शासन के लिये एक नैतिक मिसाल कायम करते हैं।
  • भविष्य के अभिकर्ताओं के लिये प्रेरणा: उनकी यात्राएँ उभरते अभिकर्ताओं को महत्त्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक बदलाव लाने के लिये प्रेरित कर सकती हैं।
    • हालाँकि, यह स्वीकार करना महत्त्वपूर्ण है कि सभी नोबेल पुरस्कार विजेता अपनी प्रतिष्ठित मान्यता को प्रभावी शासन में बदलने में सफल नहीं हुए हैं, जैसा कि इथियोपिया के अबी अहमद (वर्ष 2019 में नोबेल शांति पुरस्कार) और म्याँमार की आंग सान सू की जैसे नेतृत्वकर्ताओं के सामने आने वाली चुनौतियों से स्पष्ट होता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रश्न. निम्नलिखित में से किस वैज्ञानिक ने अपने बेटे के साथ भौतिकी का नोबेल पुरस्कार साझा किया? (2008)

(a) मैक्स प्लैंक
(b) अल्बर्ट आइंस्टीन
(c) विलियम हेनरी ब्रैग
(d) एनरिको फर्मिक

उत्तर: (c)


प्रश्न. नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक जेम्स डी. वाटसन किस क्षेत्र में अपने काम के लिये जाने जाते हैं? (2008)

(a) धातु विज्ञान
(b) मौसम विज्ञान
(c) पर्यावरण संरक्षण
(d) आनुवंशिकी

उत्तर: (d)


प्रारंभिक परीक्षा

भारत में ज़मीनी स्तर पर ओज़ोन प्रदूषण

स्रोत : हिंदुस्तान टाइम्स

चर्चा में क्यों ? 

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) द्वारा हाल ही में किये गए एक अध्ययन ने भारत के प्रमुख शहरों में ग्राउंड-लेवल ओज़ोन (O3) के गंभीर स्तर की ओर ध्यान आकर्षित किया है।

  • इस अध्ययन के निष्कर्ष सार्वजनिक स्वास्थ्य के बारे में गंभीर चिंताएँ उत्पन्न करते हैं, विशेष रूप से श्वसन संबंधी समस्याओं वाले व्यक्तियों के लिये।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?

  • प्रमुख शहरों में उच्च ओज़ोन अतिक्रमण: दिल्ली-NCR में 1 जनवरी से 18 जुलाई 2023 के बीच ग्राउंड लेवल ओज़ोन अतिक्रमण के 176 दिन दर्ज़ किये गए, जो सूची में सबसे ऊपर है। मुंबई और पुणे में 138 दिन और जयपुर में 126 दिन का अतिक्रमण रहा।
    • अपेक्षाओं के विपरीत, कई शहरों में सूर्यास्त के बाद ओज़ोन का स्तर उच्च रहा, मुंबई में 171 रातों में ओज़ोन का स्तर अधिक रहा, जबकि दिल्ली-NCR में 161 रातों में ओज़ोन का स्तर अधिक रहा।
    • पिछले वर्ष की तुलना में, दस में से सात शहरों में ओज़ोन का स्तर बढ़ा, अहमदाबाद में 4,000% की वृद्धि हुई, उसके बाद पुणे में 500% की वृद्धि हुई और जयपुर में 152% की वृद्धि हुई।
  • मानक और मापन मुद्दे: ओज़ोन के लिये दो मानक हैं- 8 घंटे के औसत हेतु 100 µg/m³ और एक घंटे हेतु 180 µg/m³।
    • इस अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड डेटा को 200 µg/m³ पर सीमित करता है, जिससे उल्लंघन की गंभीरता का पूरी तरह से आकलन करना मुश्किल हो जाता है।
  • स्वास्थ्य जोखिम: ग्राउंड-लेवल ओज़ोन के संपर्क में आने से श्वसन संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं, जिसमें सीने में दर्द, खाँसी, ब्रोंकाइटिस, वातस्फीति एवं अस्थमा शामिल हैं और फेफड़ों में सूजन व क्षति भी हो सकती है, जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं।
  • हरित क्षेत्र सर्वाधिक कुप्रभावित: उच्च-स्तरीय, हरे-भरे परिवेश ग्राउंड-लेवल ओज़ोन के हॉटस्पॉट पाए गए, जो इस धारणा पर प्रश्न खड़े करता है कि ये क्षेत्र वायु गुणवत्ता के मामले में सुरक्षित हैं।
    • ओज़ोन आमतौर पर स्वच्छ क्षेत्रों में एकत्र होता है, जहाँ इसके साथ अभिक्रिया करने के लिये कम गैसीय प्रदूषक उपलब्ध होते हैं।
  • व्युत्क्रमिक स्थानिक वितरण: अध्ययन में पाया गया कि ओज़ोन का स्थानिक वितरण नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) और पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5) से व्युत्क्रमिक रूप से संबंधित है। जबकि ओज़ोन प्रदूषित क्षेत्रों में बनता है, लेकिन कम NO2 वाले क्षेत्रों की ओर इसका प्रवाह और संचय होता है, जिससे ये क्षेत्र उच्च ओज़ोन सांद्रता के प्रति अधिक सुभेद्य हो जाते हैं।

ग्राउंड-लेवल ओज़ोन क्या है?

  • परिचय: ग्राउंड-लेवल ओज़ोन या क्षोभमण्डलीय ओज़ोन, एक द्वितीयक प्रदूषक है जो तब बनता है जब वाहनों, उद्योगों एवं विद्युत ऊर्जा संयंत्रों से उत्सर्जित होने वाले नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOCs) सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में अभिक्रिया करते हैं, विशेषकर गर्मियों के दौरान इसका स्तर बढ़ जाता है। यह पृथ्वी की सतह के ठीक ऊपर बनने वाली एक रंगहीन गैस है।
    • समताप मंडल में लाभकारी ओज़ोन परत के विपरीत, जो पृथ्वी को हानिकारक पराबैंगनी (UV) विकिरण से बचाती है, ग्राउंड-लेवल ओज़ोन एक हानिकारक वायु प्रदूषक है, जिसे प्रायः ‘बैड ओज़ोन’ कहा जाता है।
    • बढ़ते तापमान, विशेषकर हीट-वेव्स के दौरान, ज़मीनी स्तर पर ओज़ोन परत के निर्माण को खराब कर देते हैं, जिसके कारण नई दिल्ली जैसे शहरों में वायु की गुणवत्ता खतरनाक हो जाती है, जिससे ओजोन का स्तर स्वीकार्य सीमा से अधिक हो जाता है।
  • प्रभाव: विश्व स्तर पर ओज़ोन के कारण होने वाली मौतों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जिसमें भारत सहित दक्षिण एशिया में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई है। अनुमानों से पता चलता है कि अगर इसके पूर्ववर्ती गैसों के उत्सर्जन को पर्याप्त रूप से नियंत्रित नहीं किया जाता है, तो वर्ष 2050 तक भारत में दस लाख से अधिक मौतें ओज़ोन के संपर्क में आने से हो सकती हैं।  ज़मीनी स्तर पर ओज़ोन फसल के स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है, जिससे पैदावार और बीज की गुणवत्ता कम हो जाती है। गेहूँ और चावल जैसी आवश्यक फसलें, जो भारत में मुख्य खाद्यान्न हैं, विशेष रूप से ओज़ोन प्रदूषण के प्रति संवेदनशील हैं, जिससे खाद्य सुरक्षा को खतरा है।
  • भारत के लिये चिंताएँ: विश्व के 15 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से 10 भारतीय शहर हैं, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दिशा-निर्देश एवं वायु-गुणवत्ता मापदंड के अनुसार नहीं हैं।
    • खराब वायु गुणवत्ता, बढ़ता तापमान और लगातार गर्म लहरें भारत को ज़मीनी स्तर के ओज़ोन के हानिकारक प्रभावों के प्रति संवेदनशील बनाती हैं।
    • देश की बढ़ती और वृद्ध होती जनसंख्या ओज़ोन प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभावों से लगातार खतरे में है, तथा अधिक लोगों के इस प्रदूषक के संपर्क में आने से सार्वजनिक स्वास्थ्य पर बोझ बढ़ने की संभावना है।
  • ग्राउंड-लेवल ओज़ोन को कम करने में चुनौती: अन्य वायु प्रदूषकों के विपरीत, ग्राउंड-लेवल ओज़ोन एक चक्रीय रासायनिक प्रतिक्रिया का हिस्सा है। पूर्ववर्ती गैसों (NOx व VOCs) को कम करने से ओज़ोन के स्तर में कमी नहीं आती है और यदि स्थितियों को सावधानीपूर्वक प्रबंधित नहीं किया जाता है तो ओज़ोन वायुमंडल में लंबे समय तक रह सकती है, जिससे लंबे समय तक जोखिम बना रहता है।
    • दिल्ली की तरह वायु गुणवत्ता निगरानी का विस्तार करने तथा अलर्ट लागू करने से जनता और उद्योगों को यह सूचित करके ओज़ोन प्रदूषण को कम करने में सहायता मिल सकती है कि उन्हें कब निवारक कार्रवाई करनी है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2019)

  1. कार्बन मोनोऑक्साइड
  2.  मीथेन
  3. ओज़ोन
  4. सल्फर डाइऑक्साइड

फसल/बायोमास अवशेषों के जलने से उपर्युक्त में से कौन-से वातावरण में उत्सर्जित होते है?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (d)


रैपिड फायर

नीलकुरिंजी संकटग्रस्त प्रजाति घोषित

स्रोत: द हिंदू

नीलकुरिंजी (स्ट्रोबिलांथेस कुंथियाना) प्रत्येक 12 वर्ष में एक बार खिलता है, इसे IUCN रेड लिस्ट में संवेदनशील (मानदंड A2c) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

  • इस प्रजाति का इसके अद्वितीय पुष्पन चक्र और पारिस्थितिकी चुनौतियों के कारण पहले IUCN मानकों के अंतर्गत मूल्यांकन नहीं किया गया था।
  • नीलकुरिंजी तीन मीटर ऊँची एक स्थानिक झाड़ी है, जो केवल दक्षिण-पश्चिम भारत के पाँच पर्वतीय परिदृश्यों के उच्च ऊँचाई वाले शोला ग्रासलैंड इकोसिस्टम (Shola Grassland Ecosystems) में 1,340-2,600 मीटर की ऊँचाई पर देखी जाती है।
    • नीलकुरिंजी का वैज्ञानिक नाम केरल के साइलेंट वैली नेशनल पार्क (Silent Valley National Park) में स्थित कुंती नदी (Kunthi River) के नाम पर रखा गया है, जहाँ यह फूल बहुतायत में पाया जाता है।
    • वे सेमलपेरस (जीवनकाल में केवल एक बार प्रजनन करने वाले) होते हैं, तथा जीवन चक्र के अंत में प्रत्येक 12 वर्ष में एक साथ खिलते और फलते हैं।
    • अधिक मात्रा में खिलने के लिये प्रसिद्ध, ये फूल पहाड़ी घास के मैदानों को बैंगनी-नीला रंग प्रदान करते हैं, जिस कारण इन्हें नीलकुरिंजी (ब्लू स्ट्रोबिलांथेस) फूल के नाम से जाना जाता है।
    • दक्षिण-पश्चिम भारत की उच्च ऊँचाई वाली पर्वत शृंखलाओं (High-Altitude Mountain Ranges) के 14 पारिस्थितिक क्षेत्रों में इस प्रजाति की 34 उप-प्रजतियाँ का आवास है, इनमें से 33 उप-प्रजतियाँ पश्चिमी घाट में और एक पूर्वी घाट (येरकॉड, शेवरॉय हिल्स) में पाई जाती हैं।
      • इस प्रजाति की अधिकांश उप-प्रजतियाँ तमिलनाडु के नीलगिरी में हैं, इसके बाद मुन्नार, पलानी-कोडाईकनाल और अन्नामलाई पर्वत में हैं।
  • प्रमुख संकट: प्रमुख संकटों में चाय और सॉफ्टवुड बागानों से आवास का नुकसान, शहरीकरण, आक्रामक प्रजातियाँ और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं। इसके लगभग 40% आवास नष्ट हो चुके हैं।

और पढ़ें: नीलकुरिंजी फूलों की नई किस्म


रैपिड फायर

सोमनाथन की भारत के नए कैबिनेट सचिव के रूप में नियुक्ति

स्रोत: इंडियन एक्प्रेस 

भारत सरकार ने राजीव गौबा की जगह टी.वी. सोमनाथन को नया कैबिनेट सचिव नियुक्त किया।

  • इससे पूर्व वित्त सचिव के रूप में, सोमनाथन को वित्त के अपने बेहतर प्रबंधन के लिये जाना जाता है, साथ ही उन्होंने उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजनाओं और PM गरीब कल्याण तथा आत्मनिर्भर भारत जैसी पहलों में योगदान दिया है।
  • कैबिनेट सचिव भारत सरकार में सर्वोच्च पद पर आसीन सिविल सेवक होता है, जो सिविल सेवा बोर्ड, कैबिनेट सचिवालय का पदेन अध्यक्ष होता है।
    • दो वर्ष के निश्चित कार्यकाल के लिये नियुक्त, कैबिनेट सचिव भारतीय वरीयता क्रम में ग्यारहवें स्थान पर होता है और प्रधानमंत्री का प्रत्यक्ष अधीनस्थ होता है।
    • संशोधित अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति-लाभ) नियम, 1958 के अनुसार कैबिनेट सचिव का कार्यकाल चार वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, साथ ही कार्यकाल में तीन महीने तक का अतिरिक्त विस्तार भी संभव है।
    • सरकारी कार्यों को सुगम बनाने, कैबिनेट को सचिवीय सहायता प्रदान करने, अंतर-मंत्रालयी प्रयासों का समन्वय करने और समितियों के माध्यम से विवादों का समाधान करने में इनकी भूमिका होती है।

रैपिड फायर

NBFC जमाकर्त्ताओं के लिये समय पूर्व पुनर्भुगतान दिशा-निर्देश

स्रोत: BL

तत्काल वित्तीय जरूरतों का सामना कर रहे गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी (NBFC) जमाकर्त्ताओं की सहायता के लिये एक महत्त्वपूर्ण निर्णय के रूप में, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने विशिष्ट शर्तों के तहत जमा राशियों के समय पूर्व पुनर्भुगतान की अनुमति देने वाले दिशानिर्देश जारी किये।

  • संबंधित सरकार या प्राधिकरण को अधिसूचित चिकित्सा व्यय या प्राकृतिक आपदाओं जैसी आपात स्थितियों से निपटने के लिये अब बिना ब्याज के तीन महीने के भीतर जमा राशियों का समय पूर्व पुनर्भुगतान करने की अनुमति है।
    • जमाकर्त्ता के अनुरोध पर छोटी जमा राशियों (10,000 रुपए तक) का पूरा पुनर्भुगतान किया जा सकता है, जबकि अन्य सार्वजनिक जमा राशियों के लिये 50% या 5 लाख रुपए (जो भी कम हो) तक की राशि की निकासी की जा सकती है।
    • गंभीर रोग मामलों में, बिना ब्याज के मूलधन के 100% राशि की समय पूर्व निकासी की जा सकती है।
  • NBFC को नामांकन अनुरोधों को स्वीकार करने के लिये एक प्रणाली स्थापित करनी चाहिये जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि सभी ग्राहकों को उनके नामांकन की स्थिति के बारे में सूचित किया जाए।
    • जमा परिपक्वता के लिये नोटिस अवधि दो महीने से घटाकर 14 दिन कर दी गई है, जिससे जमाकर्त्ताओं के साथ संचार में वृद्धि हुई है।
  • NBFC कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत पंजीकृत एक कंपनी है जो ऋण और अग्रिम, प्रतिभूतियों के अधिग्रहण, बीमा व्यवसाय, चिट व्यवसाय के व्यवसाय में लगी हुई है।

और पढ़ें: RBI करेगा NBFC की समीक्षा


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