कृष्णमृग की संख्या में वृद्धि
भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के एक नए अध्ययन के अनुसार, भारत में कृष्णमृग (Blackbuck) ने अपने अस्तित्व के लिये प्राकृतिक और मानव जनित खतरों के बावजूद स्वयं को सफलतापूर्वक अनुकूलित कर लिया है।
- भारत भर में घास के मैदानों में बड़े पैमाने पर कमी आने के बावजूद, आँकड़े बताते हैं कि हाल के वर्षों में कृष्णमृग की संख्या में वृद्धि हुई है।
कृष्णमृग या काला हिरण (Blackbuck):
- परिचय:
- कृष्णमृग का वैज्ञानिक नाम ‘Antilope cervicapra’ है, जिसे ‘भारतीय मृग’ (Indian Antelope) के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत और नेपाल में मूल रूप से स्थानिक मृग की एक प्रजाति है।
- ये राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा और अन्य क्षेत्रों (संपूर्ण प्रायद्वीपीय भारत) में व्यापक रूप से पाए जाते हैं।
- ये घास के मैदानों में सर्वाधिक पाए जाते हैं अर्थात् इसे घास के मैदान का प्रतीक माना जाता है।
- कृष्णमृग एक दैनंदिनी मृग (Diurnal Antelope) है अर्थात् यह मुख्य रूप से दिन के समय ज़्यादातर सक्रिय रहता है।
- कृष्णमृग का वैज्ञानिक नाम ‘Antilope cervicapra’ है, जिसे ‘भारतीय मृग’ (Indian Antelope) के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत और नेपाल में मूल रूप से स्थानिक मृग की एक प्रजाति है।
- मान्यता:
- इसे पंजाब, हरियाणा और आंध्र प्रदेश का राजकीय पशु घोषित किया गया है।
- सांस्कृतिक महत्त्व:
- यह हिंदू धर्म के लिये पवित्रता का प्रतीक है क्योंकि इसकी त्वचा और सींग को पवित्र वस्तु माना जाता है। बौद्ध धर्म के लिये यह सौभाग्य का प्रतीक है।
- सुरक्षा की स्थिति:
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 अनुसूची
- IUCN स्थिति: कम चिंतनीय
- CITIES: परिशिष्ट III
- चिंताएँ:
- आवास विखंडन, वनों की कटाई, प्राकृतिक आपदाएँ, अवैध शिकार।
- संबंधित संरक्षित क्षेत्र:
- वेलावदार ब्लैकबक अभयारण्य- गुजरात
- प्वाइंट कैलिमेर वन्यजीव अभयारण्य- तमिलनाडु
- वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने प्रयागराज के पास ट्रांस-यमुना बेल्ट में ब्लैकबक संरक्षण रिज़र्व स्थापित करने की योजना को मंज़ूरी दी थी। यह ब्लैकबक को समर्पित पहला संरक्षण रिज़र्व होगा।
- ताल छापर अभयारण्य- राजस्थान
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारतीय अनूप मृग (बारहसिंगा) की उस उपजाति, जो पक्की भूमि पर फलती-फूलती है और केवल घासभक्षी है, के संरक्षण के लिये निम्नलिखित में से कौन-सा संरक्षित क्षेत्र प्रसिद्ध है? (2020) (a) कान्हा राष्ट्रीय उद्यान उत्तर: (a) व्याख्या:
अतः विकल्प (a) सही है। |
स्रोत: द हिंदू
ओज़ोन परत की पुनर्प्राप्ति
संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, पृथ्वी की सुरक्षात्मक ओज़ोन परत की धीरे-धीरे लेकिन उल्लेखनीय रूप से पुनर्प्राप्त हो रही है जो लगभग 43 वर्षों में अंटार्कटिक के ऊपर बने छिद्र को पूरी तरह से ढक देगी।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
- हालाँकि यह एक उपलब्धि है, लेकिन वैज्ञानिकों ने ओज़ोन परत पर भू-अभियांत्रिकी प्रौद्योगिकियों जैसे- स्ट्रैटोस्फेरिक एरोसोल इंजेक्शन (Stratospheric Aerosol Injection-SAI) के हानिकारक प्रभावों की चेतावनी दी है।
- एरोसोल स्प्रे, अन्य सामान्य रूप से उपयोग किये जाने वाले पदार्थ जैसे कि ड्राई-क्लीनिंग सॉल्वैंट्स, रेफ्रिजरेंट और फ्यूमिगेंट्स की तरह ओज़ोन-क्षयकारी पदार्थ (ODS) होते हैं जिनमें क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC), हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFC), हैलोन, मिथाइल ब्रोमाइड, कार्बन टेट्राक्लोराइड एवं मिथाइल क्लोरोफॉर्म शामिल हैं।
- पहली बार वैज्ञानिक मूल्यांकन पैनल ने समताप मंडल में एरोसोल को जान-बूझकर जोड़ने के ओज़ोन पर संभावित प्रभावों की जाँच की जिसे स्ट्रैटोस्फेरिक एरोसोल इंजेक्शन (SAI) के रूप में जाना जाता है।
- SAI सूर्य के प्रकाश के परावर्तन को बढ़ा सकता है, जिससे क्षोभमंडल में प्रवेश करने वाली ऊष्मा की मात्रा कम हो जाती है लेकिन यह विधि "समतापमंडलीय तापमान, परिसंचरण एवं ओज़ोन उत्पादन तथा विनाश दर और परिवहन को भी प्रभावित कर सकती है"।
ओज़ोन:
- रासायनिक सूत्र O3 के साथ ओज़ोन ऑक्सीजन का एक विशेष रूप है। हम जिस ऑक्सीजन में साँस लेते हैं और जो पृथ्वी पर जीवन के लिये बहुत महत्त्वपूर्ण है, वह O2 है।
- ओज़ोन का लगभग 90% प्राकृतिक रूप से पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल (समताप मंडल) में पृथ्वी की सतह से 10 से 40 किमी. के बीच होता है, जहाँ यह एक सुरक्षात्मक परत बनाता है जो हमें सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचाती है।
- यह "अच्छा" ओज़ोन धीरे-धीरे मानव निर्मित रसायनों द्वारा नष्ट किया जा रहा है, जिन्हें ओज़ोन-घटाने वाला पदार्थ (ODS-Ozone Depleting Substance) कहा जाता है, जिसमें सीएफसी, एचसीएफसी, हैलोन, मिथाइल ब्रोमाइड, कार्बन टेट्राक्लोराइड और मिथाइल क्लोरोफॉर्म शामिल हैं।
- जब समताप मंडल में क्लोरीन और ब्रोमीन परमाणु ओज़ोन के संपर्क में आते हैं, तो वे ओज़ोन अणुओं को नष्ट कर देते हैं।
- समताप मंडल से निष्काषित होने से पहले क्लोरीन परमाणु 100,000 से अधिक ओज़ोन अणुओं को नष्ट कर सकता है।
- ओज़ोन प्राकृतिक रूप से निर्मित होने की तुलना में अधिक तेज़ी से नष्ट हो सकती है।
- ओज़ोन परत की कमी से मनुष्यों में त्वचा कैंसर और मोतियाबिंद की घटनाओं में वृद्धि होती है।
संबंधित पहल:
- वियना अभिसमय:
- ओज़ोन परत के संरक्षण के लिये वर्ष 1985 के वियना अभिसमय ने ओज़ोन संरक्षण पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग हेतु एक रूपरेखा प्रदान की।
- मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (वियना अभिसमय के अंतर्गत):
- मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल जिसे वर्ष 1987 में अपनाया गया था, ओज़ोन-क्षय करने करने वाले पदार्थों के उत्पादन को रोकने के लिये एक विश्वव्यापी समझौता है।
- किगाली संशोधन के तहत मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के पक्षकार हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFCs) के उत्पादन और खपत को कम करने पर सहमत हुए।
- मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल जिसे वर्ष 1987 में अपनाया गया था, ओज़ोन-क्षय करने करने वाले पदार्थों के उत्पादन को रोकने के लिये एक विश्वव्यापी समझौता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा एक, ओज़ोन का अवक्षय करने वाले पदार्थों के प्रयोग पर नियंत्रण और उन्हें चरणबद्ध रूप से प्रयोग से बाहर करने के मुद्दे से संबंद्ध है? (2015) (a) ब्रेटन वुड्स सम्मेलन उत्तर: (b) व्याख्या:
अतः विकल्प (b) सही है। प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2012) क्लोरोफ्लोरोकार्बन, जिसे ओज़ोन-ह्रासक पदार्थों के रूप में जाना जाता है, उनका प्रयोग
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: c
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स्रोत: डाउन टू अर्थ
निकल मिश्र धातु कोटिंग्स
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology- DST) के स्वायत्त अनुसंधान और विकास केंद्र के अनुसार, इंजीनियरिंग अनुप्रयोगों में उच्च- क्षमता प्रदर्शन सामग्री पर निकेल मिश्र धातु के निक्षेपण की परत चढ़ाने (कोटिंग) की एक नई विधि पर्यावरण की दृष्टि से विषाक्त क्रोम प्लेटिंग/कोटिंग को प्रतिस्थापित कर सकती है।
क्रोम प्लेटिंग:
- परिचय:
- क्रोम प्लेटिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा विद्युत लेपन/इलेक्ट्रोप्लेटिंग प्रक्रिया का उपयोग करके धातु की सतह पर क्रोमियम की एक पतली परत का आवरण चढ़ाया जाता है।
- विद्युत के माध्यम से किसी अन्य सामग्री पर किसी वांछित धातु की परत चढ़ाने की प्रक्रिया को विद्युत लेपन कहते हैं।
- क्रोम प्लेटिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा विद्युत लेपन/इलेक्ट्रोप्लेटिंग प्रक्रिया का उपयोग करके धातु की सतह पर क्रोमियम की एक पतली परत का आवरण चढ़ाया जाता है।
- विशेषता:
- क्रोमियम परत अत्यधिक परावर्तक होती है और एक कठोर, मज़बूत, संक्षारण (Corrosion) प्रतिरोधी सतह प्रदान करती है।
- महत्त्व:
- क्रोम प्लेटिंग का उपयोग अक्सर मोटर वाहन के पुर्जों के साथ-साथ घरेलू वस्तुओं जैसे- दरवाज़े का हैंडल और कई औद्योगिक अनुप्रयोगों में किया जाता है।
- नुकसान:
- क्रोम प्लेटिंग प्रक्रिया में हेक्सावेलेंट क्रोमियम, एक मानव कार्सिनोजेन का उपयोग किया जाता है।
- इससे श्वसन संबंधी समस्याएँ, त्वचा में जलन, एलर्जी और फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
- क्रोम प्लेटिंग प्रक्रिया में हेक्सावेलेंट क्रोमियम, एक मानव कार्सिनोजेन का उपयोग किया जाता है।
निकल मिश्र धातु कोटिंग:
- परिचय:
- निकल कोटिंग संक्षारण और टिकाऊपन का एक अनूठा संयोजन प्रदान करता है। यह चमक एवं प्रकाश को बनाए रखता है।
- यह बाद की कोटिंग परतों के लिये उत्कृष्ट आसंजन गुण भी प्रदान करता है, यही कारण है कि निकल को अक्सर क्रोमियम जैसे अन्य कोटिंग्स के लिये 'अंडरकोट' के रूप में उपयोग किया जाता है।
- उपयोग:
- एयरोस्पेस: निकल मिश्र धातु कोटिंग्स का उपयोग विमान और एयरोस्पेस घटकों पर संक्षारण एवं घिसाव के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने के साथ-साथ पुर्जों के स्थायित्त्व तथा जीवनकाल में सुधार करने के लिये किया जाता है।
- मोटर वाहन: संक्षारण और घिसावट से बचाने के साथ-साथ उपकरणों के टिकाऊपन एवं जीवनकाल को बेहतर बनाने के लिये मोटर वाहन उपकरणों पर निकेल मिश्र धातु कोटिंग्स का उपयोग किया जाता है।
- खाद्य प्रसंस्करण: संक्षारण से बचाने और नॉन-स्टिक सतह प्रदान करने के लिये खाद्य प्रसंस्करण उपकरणों पर उपयोग किया जाता है।
स्रोत: पी.आई.बी.
Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 11 जनवरी, 2023
सड़क सुरक्षा सप्ताह
भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा 11 से 17 जनवरी, 2023 तक ‘स्वच्छता पखवाड़ा’ के तहत सड़क सुरक्षा सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य सार्वजनिक हित में सुरक्षित सड़कों की आवश्यकता का प्रचार- प्रसार करना है। एक सप्ताह के इस आयोजन के दौरान आम जनता के बीच सड़क सुरक्षा के संबंध में जागरूकता बढ़ाई जाएगी और सड़क पर चलते समय एक- दूसरे की सुरक्षा हेतु अपनी ज़िम्मेदारी को समझने हेतु प्रेरित किया जाएगा। इस अवसर पर पूरे देश में सड़क सुरक्षा से संबंधित विभिन्न अभियानों एवं कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इन गतिविधियों में सड़क दुर्घटनाओं के कारणों को समझने और उनके समाधान के उपायों से संबंधित विभिन्न जागरूकता अभियान शामिल हैं।
गोल्डन ग्लोब पुरस्कार
भारतीय फिल्म RRR के सुपरहिट गीत “नाटु नाटु” को सर्वश्रेष्ठ मौलिक गीत के लिये प्रतिष्ठित गोल्डन ग्लोब पुरस्कार मिला है। फिल्म निर्देशक एस.एस. राजामौली की इस सुपरहिट फिल्म के गीत का संगीत निर्देशन एम.एम. कीरावणी (M. M. Keeravaani) ने किया है। गाने के गायक हैं- काला भैरवा और राहुल सिपलीगुंज। प्रत्येक वर्ष हॉलीवुड फॉरेन प्रेस एसोसिएशन (HFPA) मनोरंजन जगत में विशेष उपलब्धियों के लिये देशी-विदेशी कलाकारों, फिल्मों को गोल्डन ग्लोब पुरस्कार से सम्मानित करता है। 80वें गोल्डन ग्लोब पुरस्कार 2023 का आयोजन अमेरिका के लॉस एंजेलिस में किया गया है। पहला गोल्डन ग्लोब पुरस्कार जनवरी 1944 को लॉस एंजेलिस में आयोजित हुआ था। प्रत्येक वर्ष जनवरी में इस पुरस्कार को 93 अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारों के मतों (वोट) के आधार पर दिया जाता है। ये पत्रकार हॉलीवुड और अमेरिका के बाहर के मीडिया से संबंद्ध होते हैं। गोल्डन ग्लोब पुरस्कार को ऑस्कर पुरस्कार के बाद फिल्म और मनोरंजन जगत से जुड़ा सबसे बड़ा पुरस्कार माना जाता है। इसमें एक्टर, एक्ट्रेस, डायरेक्टर, फिल्म एवं टीवी से जुड़े कलाकारों को सम्मानित किया जाता है। संगीतकार ए.आर. रहमान वर्ष 2009 की फिल्म 'स्लमडॉग मिलियनेयर' के लिये सर्वश्रेष्ठ स्कोर श्रेणी में गोल्डन ग्लोब पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय थे। मेरिल स्ट्रीप हॉलीवुड की ऐसी एक्ट्रेस हैं जिन्होंने आठ बार इस पुरस्कार को जीता है।
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट
प्रवासी सम्मेलन के समापन के साथ ही इंदौर में 11 एवं 12 जनवरी को छठा ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया जा रहा है। समिट में गुयाना और सूरीनाम के राष्ट्रपति का अभिभाषण होगा तथा समिट की थीम ‘फ्यूचर रेडी मध्य प्रदेश’ रखी गई है। इस समिट का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान केंद्रित करना है और यह आयोजन पूरी तरह से कार्बन न्यूट्रल और ज़ीरो बेस पर आधारित है। इस सम्मेलन का उद्देश्य राज्य की नीतियों को बढ़ावा देना, उद्योग अनुकूल नीतियाँ बनाने के लिये औद्योगिक संगठनों के साथ परामर्श कर निवेश योग्य वातावरण तैयार करना, निर्यात क्षमता को बढ़ावा देना है। ग्लोबल इनवेस्टर समिट में 65 से अधिक देशों के प्रतिनिधिमंडल भाग ले रहे हैं। वहीं अंतर्राष्ट्रीय मंडप में 9 भागीदार देश और 14 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संगठन अपने देशों के विभिन्न पहलुओं को प्रदर्शित करेंगे। देश के 500 से अधिक प्रमुख उद्योगपति भी इस सम्मेलन में शामिल होंगे। इसके अलावा 300 से ज़्यादा डेलिगेट्स भी सम्मलेन का हिस्सा होंगे। दो दिन चलने वाले इस समिट के माध्यम से मध्य प्रदेश में करोड़ों के निवेश की संभावना है। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में कई विषयों पर 19 समानांतर सत्र होंगे। ये सत्र एग्रीकल्चर, फूड एंड डेयरी प्रोसेसिंग, फार्मास्युटिकल और हेल्थ केयर, नेचुरल गैस एंड पेट्रो केमिकल्स सेक्टर में अवसर, रिन्यूवल एनर्जी जैसे विषयों पर केंद्रित होंगे।
DAC ने VSHORAD मिसाइल प्रणाली को मंज़ूरी
रक्षा अधिग्रहण परिषद (रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में) ने DRDO द्वारा डिज़ाइन और विकसित की जा रही वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम/VSHORAD (इन्फ्रारेड होमिंग) मिसाइल प्रणाली की खरीद की आवश्यकता को स्वीकार्यता (Acceptance of Necessity- AoN) प्रदान की। रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने (a) स्वदेशी उन्नत हल्के हेलीकाप्टर/ALH (सेना के लिये) हेतु हेलिना एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल, लॉन्चर और सहायक उपकरण (b) ब्रह्मोस लॉन्चर एंड फायर कंट्रोल सिस्टम तथा नेक्स्ट जेनरेशन मिसाइल वेसल्स (नौसेना के लिये) की खरीद के लिये भी मंज़ूरी दे दी है। DAP-2020 के तहत “बाय (इंडियन-IDDM) श्रेणी” की सर्वोच्च प्राथमिकता वाली खरीद है। रक्षा प्रणाली में यह प्रगति LAC पर चीन के साथ बढ़ते तनाव के मद्देनज़र की गई है।
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यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन और भोपाल गैस त्रासदी
जैसा कि केंद्र सरकार ने UCC से कुल 7,400 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान करने का अनुरोध किया है, यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (UCC) का कहना है कि वह भोपाल गैस त्रासदी के बाद वर्ष 1989 में केंद्र सरकार के साथ तय राशि से अधिक का भुगतान करने को तैयार नहीं है। 3 दिसंबर, 1989 को भोपाल में यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (UCIL) से अत्यधिक खतरनाक और ज़हरीली गैस, मिथाइल आइसोसाइनेट/MIC (रासायनिक सूत्र- CH3NCO या C2H3NO) का रिसाव हुआ था। इस त्रासदी में 5,295 लोगों की मौत हुई और लगभग 5,68,292 लोग घायल हुए, इसके अलावा पशुधन और संपत्ति का भी काफी नुकसान हुआ था।
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पैगाह मकबरों की बहाली परियोजना
अमेरिका, हैदराबाद में 18वीं-19वीं शताब्दी में निर्मित 6 पैगाह मकबरों के संरक्षण और बहाली के लिये 250,000 अमेरिकी डॅालर (सांस्कृतिक संरक्षण के लिये अमेरिकी राजदूत कोष द्वारा) की वित्तीय सहायता प्रदान करेगा। आगा खान ट्रस्ट फॉर कल्चर इस परियोजना को लागू करेगा। पैगाह मकबरा (या मकबरा शम्स अल-उमरा) हैदराबाद के निज़ाम (आसफ जाही राजवंश) की सेवा करने वाले पैगाह परिवार की कुलीनता से संबंधित एक कब्रिस्तान है। चूने, मोर्टार और संगमरमर से बने मकबरे इंडो-इस्लामिक वास्तुकला (आसफ जाही और राजपूताना शैलियों का मिश्रण) के बेहतरीन उदाहरणों में से हैं। 18वीं शताब्दी में पैगाह हैदराबाद के सबसे प्रभावशाली और शक्तिशाली परिवारों में से थे। अधिकांश शासकों की तुलना में वे अमीर थे, साथ ही क्षेत्र की सुरक्षा एवं रक्षा के लिये भी ज़िम्मेदार थे। उन्होंने इस्लाम के दूसरे खलीफा हजरत उमर बिन अल-खताब के वंशज होने का दावा किया।
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प्रदूषण और पीएम 2.5
वर्ष 2022 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम द्वारा CPCB वायु गुणवत्ता डेटा विश्लेषण के अनुसार, दिल्ली 99.7 ug/m3 की वार्षिक औसत सघनता (PM 2.5) के साथ शीर्ष प्रदूषित शहर था। यह वायु के 40 ug/m3 के CPCB मानक से बहुत अधिक है। विश्लेषण में पाया गया है कि वर्ष 2022 की शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में अधिकांश शहर भारत-गंगा के मैदान से हैं; PM 2.5 (दिल्ली, फरीदाबाद, गाज़ियाबाद, पटना, मुज़फ्फरपुर, नोएडा, मेरठ, गोबिंदगढ़, गया और जोधपुर) तथा PM 10 (गाज़ियाबाद, फरीदाबाद, दिल्ली, नोएडा, पटना, मेरठ, मुज़फ्फरपुर, दुर्गापुर, जोधपुर एवं औरंगाबाद) के लिये। वर्ष 2022 में भारत के सबसे स्वच्छ शहर की स्थिति में संयुक्त रूप से श्रीनगर और कोहिमा थे। PM 2.5 और PM 10 के लिये भारत की वर्तमान वार्षिक औसत सुरक्षित सीमा 40 ug/m3 और 60 ug/m3 है। NCAP ने शुरू में प्रमुख वायु प्रदूषकों PM 10 और PM 2.5 को वर्ष 2024 तक 20-30% और 2026 तक 40% (आधार वर्ष - 2017) तक कम करने का लक्ष्य रखा था।
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