लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 10 Oct, 2023
  • 16 min read
प्रारंभिक परीक्षा

श्री रामलिंगा स्वामी

स्रोत: पी.आई.बी. 

5 अक्तूबर, 2023 को भारत में श्री रामलिंगा स्वामी, जिन्हें वल्लालर के नाम से भी जाना जाता है, की 200वीं जयंती मनाई गई।

श्री रामलिंगा स्वामी के प्रमुख योगदान:

  • परिचय: 
    • श्री रामलिंगा स्वामी 19वीं सदी के एक प्रमुख तमिल कवि और "ज्ञान सिद्धार" वंश के सदस्य थे।
      • उनका जन्म तमिलनाडु के मरुधुर गाँव में हुआ था।
  • सामाजिक सुधार का दृष्टिकोण:
    • वल्लालर का दृष्टिकोण धार्मिक, जाति और पंथ की बाधाओं से परे है, उनका मानना है कि ब्रह्मांड के प्रत्येक अंश में दिव्यता है।
      • वल्लालर जाति व्यवस्था के सख्त खिलाफ थे और उन्होंने वर्ष 1865 में 'समरसा वेद सन्मार्ग संगम' की शुरुआत की, जिसे बाद में 'समरसा शुद्ध सन्मार्ग सत्य संगम' नाम दिया गया।
    • उन्होंने वर्ष 1867 में तमिलनाडु के वडालुर में मुफ्त भोजन सुविधा 'द सत्य धर्म सलाई' की स्थापना की, जो बिना जाति भेद के सभी लोगों को सेवा प्रदान करती थी।
    • जनवरी 1872 में वल्लालर ने वडालुर में 'सत्य ज्ञान सभा' (हॉल ऑफ ट्रू नॉलेज) की स्थापना की।
  • दार्शनिक मान्यताएँ और शिक्षाएँ:
    • "जीवित प्राणियों की सेवा ही मुक्ति/मोक्ष का मार्ग है" वल्लालर की प्राथमिक शिक्षाओं में से एक थी
    • शुद्ध सन्मार्ग के अनुसार, मानव जीवन का प्रमुख पहलू धर्मदान और दैवीय अभ्यास पर आधारित प्रेम होना चाहिये, जिससे विशुद्ध ज्ञान की प्राप्ति होगी।
    • वल्लालर का मानना था कि मनुष्य के पास जो बुद्धि है, वह भ्रामक (माया) बुद्धि है तथा सटीक अथवा अंतिम नहीं है।
      • उन्होंने अंतिम बुद्धिमत्ता के मार्ग के रूप में ‘जीव करुण्यम(जीवित प्राणियों के प्रति करुणा) पर ज़ोर दिया।
    • उन्होंने भोजन के लिये जानवरों को न मारने का आह्वान किया और गरीबों को खाना खिलाना सर्वोच्च धर्म बताया।
    • उनका यह भी मानना था कि अनुग्रह के रूप में ईश्वर दया और ज्ञान का अवतार है तथा दया ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग है।

प्रारंभिक परीक्षा

गंगा नदी डॉल्फिन

स्रोत: द हिंदू 

"उत्तर प्रदेश में सिंचाई नहरों से गंगा नदी डॉल्फिन का बचाव, 2013-2020" नामक एक हालिया वैज्ञानिक प्रकाशन ने गंगा-घाघरा बेसिन की सिंचाई नहरों के अंदर अनिश्चित स्थितियों से गंगा नदी डॉल्फिन के बचाव और पुनर्वास पर केंद्रित व्यापक प्रयासों को स्पष्ट किया है।

रिपोर्ट के प्रमुख तथ्य:  

  • बाँधों और बैराजों ने डॉल्फिन के आवास को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, जिससे उन्हें सिंचाई नहरों में जाने के लिये बाध्य होना पड़ा है जहाँ उनको अघात पहुँचने या मृत्यु का खतरा है।
    • 70% से अधिक डॉल्फिनों के जाल में फँसने की सूचना या तो मानसून के बाद या अत्यधिक सर्दियों के दौरान दर्ज गई थी, जबकि शेष 30% डॉल्फिन को चरम ग्रीष्म ऋतु (जब जल स्तर गिरता है और जल प्रवाह न्यूनतम हो जाता है) के दौरान बचाया गया
  • वर्ष 2013-2020 के दौरान उत्तर प्रदेश में गंगा-घाघरा बेसिन में सिंचाई नहरों से 19 गंगा नदी डॉल्फिन को बचाया गया।

गंगा नदी डॉल्फिन से संबंधित प्रमुख बिंदु:

  • परिचय:
    • गंगा नदी डॉल्फिन (Platanista gangetica), जिसे "टाइगर ऑफ द गंगा" के नाम से भी जाना जाता है, की खोज आधिकारिक तौर पर वर्ष 1801 में की गई थी।

  • पर्यावास: गंगा नदी डॉल्फिन मुख्य रूप से भारत, नेपाल और बांग्लादेश की प्रमुख नदी प्रणालियों (गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना और कर्णफुली-सांगु) में पाई जाती है।
    • हाल के अध्ययन के अनुसार, गंगा नदी बेसिन में इसकी विभिन्न प्रजातियाँ गंगा नदी की मुख्य धारा तत्पश्चात् सहायक नदियों- घाघरा, कोसी, गंडक, चंबल, रूपनारायण और यमुना से दर्ज की गई हैं।
  • विशेषताएँ:
    • गंगा नदी डॉल्फिन केवल मीठे जल स्रोतों में ही रह सकती है और मूलतः दृष्टिहीन होती है। ये अल्ट्रासोनिक ध्वनियाँ उत्सर्जित कर मछली एवं अन्य शिकार को उछालती हैं, जिससे उन्हें अपने दिमाग में एक छवि "देखने" में मदद मिलती है और इस प्रकार अपना शिकार करती हैं। 
    • वे प्रायः अकेले या छोटे समूहों में पाए जाते हैं और आमतौर पर मादा डॉल्फिन तथा शिशु डॉल्फिन एक साथ यात्रा करते हैं।
      • मादाएँ नर से आकार में बड़ी होती हैं और प्रत्येक दो से तीन वर्ष में केवल एक बार शिशु को जन्म देती हैं।
    • स्तनपायी होने के कारण गंगा नदी डॉल्फिन जल में साँस नहीं ले सकती है और उसे प्रत्येक 30-120 सेकंड में सतह पर आना पड़ता है।
      • साँस लेते समय निकलने वाली ध्वनि के कारण इस जीव को लोकप्रिय रूप से 'सोंस' अथवा सुसुक कहा जाता है।
  • महत्त्व:
    • इनका बहुत अधिक महत्त्व है क्योंकि यह संपूर्ण नदी पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य का एक विश्वसनीय संकेतक है।
      • भारत सरकार ने वर्ष 2009 में इसे राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया।
      • यह असम का राज्य जलीय पशु भी है।
  • प्रमुख खतरे:
    • मत्स्यन के जाल में उलझने से अनजाने में हत्या होना।
    • डॉल्फिन के तेल के लिये अवैध शिकार, जिसका उपयोग मछलियों को आकर्षित करने तथा औषधीय प्रयोजनों के लिये किया जाता है।
    • विकास परियोजनाओं (उदाहरण के लिये जल निकासी और बैराज, ऊँचे बाँधों तथा तटबंधों का निर्माण), प्रदूषण (औद्योगिक अपशिष्ट एवं कीटनाशक, नगरपालिका सीवेज निर्वहन व जहाज़ यातायात से शोर) के कारण आवास विनाश।
  • सुरक्षा की स्थिति:
  • संबंधित सरकारी पहल:

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा एक भारत का राष्ट्रीय जलीय प्राणी है? (2015)

(a) खारे पानी का मगरमच्छ
(b) ऑलिव रिड्ले टर्टल (कूर्म)
(c) गंगा नदी डॉल्फिन
(d) घड़ियाल

उत्तर: (C)


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 10 अक्तूबर, 2023

तीसरा इंतिफादा 

 हमास-इज़रायल संघर्ष की हालिया घटना ने तीसरे इंतिफादा के बारे में चिंताएँ बढ़ा दी हैं।

  • हमास एक उग्रवादी फिलिस्तीनी राष्ट्रवादी समूह है जिसने वर्ष 2006 से गाज़ा पर नियंत्रण कर रखा है।
  • इंतिफादा का अरबी में अर्थ है 'हिलाना' और इसका इस्तेमाल वेस्ट बैंक और गाज़ा में इज़रायली उपस्थिति के खिलाफ फिलिस्तीनी विद्रोह का वर्णन करने के लिये किया गया था।
  • पहला इंतिफादा वर्ष 1987 से 1993 तक और दूसरा इंतिफादा वर्ष 2000-2005 तक चला।
    • विद्रोह का नेतृत्व फिलिस्तीनी युवाओं ने किया था जो इज़रायली बाशिंदों के व्यवहार से तंग आ चुके थे।
    • दूसरे इंतिफादा की समाप्ति के बाद से इज़रायल और फिलिस्तीन के बीच तनाव कम नहीं हुआ है।

और पढ़ें: इज़रायल-फिलिस्तीन 

ब्रह्मांड की सबसे प्रारंभिक आकाशगंगाएँ

एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में प्रारंभिक ब्रह्मांड के तारे के निर्माण और चमक के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान की गई है।

  • वर्ष 2022 से प्रारंभ जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने ब्रह्मांड के प्रारंभिक इतिहास में एक उल्लेखनीय छवि प्रदान की है, जिसमें ब्रह्मांडीय भोर (कॉस्मिक डाॅन) से आकाशगंगाओं के संग्रह का खुलासा किया गया है।
  • शोधकर्ताओं के निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि इन आकाशगंगाओं में तारों का निर्माण क्रमिक रूप से होने के बजाय विस्फोटों के रूप में हुआ, जो उन्हें हमारी आकाशगंगा जैसी आधुनिक तथा बड़ी आकाशगंगाओं से अलग करता है।
    • इन प्रारंभिक आकाशगंगाओं में तारे के निर्माण के विस्फोट से चमक में महत्त्वपूर्ण बदलाव हुए, जिससे वे वास्तव में जितनी बड़ी थीं, उससे कहीं अधिक विशाल दिखाई देने लगीं। खगोलशास्त्री आमतौर पर किसी आकाशगंगा के आकार का आकलन उसकी चमक के आधार पर करते हैं।
    • अध्ययन से पता चलता है कि तारे के निर्माण के विस्फोट से प्रकाश की तीव्र चमक उत्पन्न हुई, जिससे ये प्रारंभिक आकाशगंगाएँ अधिक चमकीली दिखाई देने लगीं।
  • छोटी आकाशगंगाओं में बहुत बड़े तारों के निर्माण और तीव्र विस्फोट के कारण विखंडित हुए तारे का निर्माण हो सकता है, जो अंतरिक्ष में गैस उत्सर्जन करतें हैं, जिससे तारा निर्माण के बाद के विस्फोटों को बढ़ावा मिलता है।
    • मज़बूत गुरुत्त्वाकर्षण प्रभाव वाली बड़ी आकाशगंगाओं में अधिक स्थिर, निरंतर तारे का निर्माण होता है।

और पढ़ें… जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप

ऑपरेशन कच्छप

वन्यजीवों के अवैध व्यापार के विरुद्ध चल रही लड़ाई और इन अद्वितीय प्राणियों की सुरक्षा पर केंद्रित राजस्व खुफिया निदेशालय द्वारा आयोजित "कच्छप" नामक ऑपरेशन में गंगा नदी के लगभग एक हज़ार कछुओं को सफलतापूर्वक बचाया है।

  • भारत में गंगा नदी प्रणाली में कछुओं की 13 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, वर्तमान में उन्हें निवास स्थान की क्षति और प्रदूषण से उत्पन्न विभिन्न खतरों का सामना करना पड़ा है।
  • इस ऑपरेशन के परिणामस्वरूप इंडियन टेंट टर्टल, इंडियन फ्लैपशेल टर्टल, ब्लैक स्पॉटेड/पॉन्ड टर्टल और ब्राउन रूफ्ड टर्टल जैसे विभिन्न प्रजातियों के जीवित शिशु कछुओं को बरामद किया गया। प्रकृति संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय संघ (IUCN) की रेड लिस्ट में इनमें से कुछ को सुभेद्य अथवा संकटापन्न प्रजाति की श्रेणी का रखा गया है। साथ ही ये प्रजातियाँ वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित हैं।
  • DRI भारत की प्रमुख तस्करी रोधी एजेंसी के रूप में कार्य करती है, जो केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड, वित्त मंत्रालय के तहत काम करती है। यह वन्यजीवों के अवैध व्यापार सहित तस्करी के विभिन्न रूपों का पता लगाने और उनकी रोकथाम के लिये उत्तरदायी है।

स्वचालित 'अवस्था धारक' प्रमाणपत्र से भारतीय निर्यात को प्रोत्साहन

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा वस्त्र मंत्री ने निर्यात संवर्द्धन परिषदों के साथ एक बैठक में विदेश व्यापार नीति (FTP) 2023 के तहत प्रणाली आधारित स्वचालित 'अवस्था धारक' प्रमाणपत्र जारी करने वाली एक महत्त्वपूर्ण पहल की शुरुआत की। 

  • अब निर्यातक को अवस्था प्रमाणपत्र के लिये विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) के कार्यालय में आवेदन करने की आवश्यकता नहीं होगी और वाणिज्यिक खुफिया तथा सांख्यिकी महानिदेशालय (DGCIS) के पास उपलब्ध माल निर्यात इलेक्ट्रॉनिक डेटा व अन्य जोखिम मानदंडों के आधार पर आई.टी. प्रणाली द्वारा निर्यात मान्यता प्रदान की जाएगी।
  • यह बदलाव अनुपालन बोझ को कम करता है और व्यापार सुलभता को बढ़ावा देता है।

लगभग 20,000 निर्यातकों को अवस्था प्रमाणपत्र के रूप में मान्यता देने वाली यह पहल, निर्यात पारिस्थितिकी तंत्र को महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ावा देने और वर्ष 2030 तक 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के हमारे निर्यात लक्ष्य तक पहुँचने में सहायता करेगी।

वार्षिक संयुक्त HADR अभ्यास 2023 (चक्रवात 2023)

वार्षिक संयुक्त HADR अभ्यास (AJHE) का 2023 संस्करण 09 अक्तूबर, 2023 से 11 अक्तूबर, 2023 तक गोवा में भारतीय नौसेना द्वारा आयोजित किया जा रहा है।

  • वर्ष 2015 में शुरू किया गया यह अभ्यास हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में मानवीय संकटों और प्राकृतिक आपदाओं के लिये सामूहिक प्रतिक्रिया तंत्र को सशक्त करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
  • जलवायु परिवर्तन के कारण क्षेत्र की संवेदनशीलता तीव्र होने के साथ महासागरों के लिये भारत की समावेशी दृष्टि, जिसे सागर (SAGAR) के नाम से जाना जाता है, मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) कार्यों के महत्त्व को रेखांकित करती है।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2