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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

विभिन्न आयु के तारों का सह-अस्तित्त्व

  • 24 Jun 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

एनजीसी 381, एनजीसी 2360 तथा बर्कले 68

मेन्स के लिये: 

खगोलविदों द्वारा किये गए इस अध्ययन का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत सरकार के ‘विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग’ (Department of Science and Technology- DST) के अंतर्गत स्थापित स्वायत्त विज्ञान संस्थान ‘आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्ज़र्वेशनल साइंसेस’ (Aryabhatta Research Institute of Observational Sciences- ARIES) के खगोलविदों द्वारा इस बात का पता लगाया गया है कि विभिन्न समूहों के तारे, खुले समूहों या क्लस्टर्स  में एक साथ रह सकते हैं। परंतु वैज्ञानिकों के समक्ष पहले यह जानना एक चुनौतीपूर्ण कार्य रहा है कि एक खुले समूह में सभी तारे की उम्र समान होती है।

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प्रमुख बिंदु:

  • वैज्ञानिकों द्वारा खुले समूहों में तारों के विकास का अध्ययन करने के लिये हिमालय स्थित देवस्थल से 1.3-M दूरबीन (M,एक खगोलीय दूरबीन की न्यूनतम आवर्धन शक्ति है) के माध्यम से तीन खुले तारों के समूहों/क्लस्टर NGC 381, NGC 2360, तथा बर्कले 68 का अध्ययन करते हुए प्रकाश की माप ली गई ।
  • वैज्ञानिकों द्वारा क्लस्टर एनजीसी, 2360 में दो अलग नक्षत्रीय विकास क्रम देखने को मिले, जो अब तक आकाशगंगा में बहुत कम खुले समूहों में देखे गए हैं। 
  • शोधकर्त्ताओं द्वारा तीन खुले समूहों NGC 381, NGC2360 और बर्कले 68 में हजारों सितारों का अवलोकन किया गया। 
  • इन तीनों तारों के क्लस्टर्स/गुच्छे अपेक्षाकृत अधिक आयु के पाए गए, जिनकी आयु 446 मिलियन वर्ष से 1778 मिलियन वर्ष तक हो सकती है।
  • नक्षत्रीय विकास के अलावा, शोधकर्त्ताओं द्वारा पहली बार इन समूहों के सक्रिय विकास का भी अध्ययन किया गया। 
  • क्लस्टर से संबंधित तारों के द्रव्यमान के फैलाव को देखते हुए यह जानकारी मिली कि क्लस्टर्स के भीतरी क्षेत्र में बड़ी मात्रा में तारों का अधिक फैलाव देखा गया, जबकि बाहरी क्षेत्र की ओर कम द्रव्यमान वाले तारे पाए गएहैं।
  • यह माना जाता है कि बहुत कम द्रव्यमान वाले तारों में से कुछ अपने मूल समूहों को छोड़ चुके हैं तथा वे सूर्य की भाँति एक स्वतंत्र तारे के रूप में घूम रहे हैं।
  • इस शोध कार्य को ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय प्रेस द्वारा प्रकाशित खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी क्षेत्र की एक प्रमुख पत्रिका ‘मंथली नोटिस ऑफ द रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी’ (Monthly Notices of the Royal Astronomical Society) में प्रकाशित किया गया है।

तारों की उत्पत्ति से संबंधित अवधारणा: 

  • हमारी आकाशगंगा  में तारों का निर्माण आकाशगंगा में मौजूद आणविक बादलों द्वारा होता  हैं।
  • यह माना जाता है कि हमारी आकाशगंगा में अधिकांश तारें क्लस्टर्स/गुच्छों  के रूप में विद्यमान हैं। 
  • यह तारों के गुच्छे तारे की उत्पत्ति की प्रक्रिया को समझने के लिये एक महत्त्वपूर्ण सूत्र प्रदान करते हैं। 
  • तारों का खुला समूह गुरुत्वाकर्षण से बंधे तारों की एक व्यवस्था है जिसमें तारों का उत्पत्ति एक ही तरह के आणविक बादलों से होती है। 

आणविक बादल:

  • खगोलशास्त्र में आणविक बादल अंतरतारकीय माध्यम/इन्टरस्टॅलर स्पेस में स्थित ऐसे अंतरतारकीय बादल/इन्टरस्टॅलर क्लाउड को कहा जाता है जिनका घनत्व एवं आकार अणुओं को बनाने के लिए पार्यप्त होता है।
  • ये बादल अधिकतर  हाइड्रोजन (H2) अणुओं  के बने होते हैं।
  • एक समूह के तारों की उत्पत्ति के समय सभी तारे अपने प्रारंभिक तारों के ही विकासवादी अनुक्रम का पालन करते हैं।
  • खुले समूह आकाशगंगा की उत्पत्ति और विकास की खोज के लिये भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि यह पूरी आकाशगंगा के सीमा क्षेत्र में फैले होते हैं।

शोध का महत्त्व:  

  • इस शोध में इन समूहों के नक्षत्रीय और गतिशील विकास के विषय में महत्त्वपूर्ण  जानकारी दी है।
  • इस शोध दल के वैज्ञानिक भविष्य में अंतरिक्ष अभियानों से प्राप्त पूरक आँकड़ों के साथ अपने संस्थान में उपलब्ध अवलोकन संबंधी सुविधाओं का उपयोग करके भविष्य में और अधिक खुले तारों के गुच्छों/क्लस्टर्स का गहन विश्लेषण करने की योजना बना रहे हैं।

स्रोत: पीआईबी

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