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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

एसएन 2010 केडी

  • 02 May 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये: 

सुपरनोवा

मेन्स के लिये: 

सुपरनोवा विस्फोट की प्रक्रिया

चर्चा में क्यों?

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Science and Technology -DST) के अधीन नैनीताल स्थित स्वायत्त अनुसंधान संस्थान ‘आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्ज़र्वेशनल साइंसेज़’ (Arayabhatta Research Institute of Observational Sciences- ARIES) के शोधकर्त्ताओं  द्वारा पाया गया कि एक अत्यधिक चमकदार सुपरनोवा जिसे ‘एसएन 2010 केडी’ (SN 2010kd) नाम दिया गया, जिससे विस्‍फोट के दौरान पर्याप्त‍ द्रव्यमान के साथ निकेल भी बाहर निकला है। ऐसा सामान्यत: सुपरनोवा के कोर विघटन के समय ही देखा जाता है।

Supernovae

सुपरनोवा:

  • खगोलविदों के अनुसार जब एक तारा अपना जीवन चक्र समाप्त करते हुए अपने जीवन के अंतिम चरण में होता है तो वह एक तीव्र विस्फोट के साथ समाप्त होता है जिसे सुपरनोवा कहा जाता है।
  • सुपरनोवा विस्फोट के दौरान काफी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है।
  • यह ऊर्जा बड़े पैमाने पर तारे के कोर में हुए विस्फोट के कारण उत्पन्न होती है जो कि सूर्य के द्रव्यमान से कई गुणा अधिक होती है।
  • अत्यधिक चमकदार सुपरनोवा एसएन 2010 केडी में यह विस्फोट मानक/सामान्य सुपरनोवा की तुलना में 10 गुना अधिक अथवा कही अधिक ऊर्जा पैदा करने वाला हैं।

एसएन 2010 केडी (SN 2010kd):

  • एसएन 2010 केडी लगभग 1.5 गीगा प्रकाश-वर्ष (1.5 Giga light-years ) की दूरी पर स्थित है।
  • इसकी खोज 14 नवंबर, 2010 में अमेरिका की ‘रोटसे सुपरनोवा सत्यापन परियोजना’ (ROTSE Supernova Verification Project) के तहत ‘रोबोटिक ऑप्टिकल ट्रांसिएंट सर्च एक्सपेरिमेंट’ (Robotic Optical Transient Search Experiment- ROTSE-IIIb ) दूरबीन द्वारा की गई। 
  • यह सिंह नक्षत्र की तरफ एक बौनी आकाशगंगा (Dwarf Galaxy) में स्थित था। 
  • अत्‍यधिक चमकदार सुपरनोवा एसएन 2010 केडी से उत्सर्जित द्रव्यमान से पता चलता है कि इसका विकास सामान्य कोर-विघटन सुपरनोवा के अन्य संभावित अपने पूर्व के सुपरनोवा से अलग/भिन्न हो सकता है क्योंकि इसके द्वारा विस्फोट के लिये ज़िम्मेदार विभिन्‍न अंतर्निहित भौतिक तंत्र (Underlying Physical Mechanism) के कारण द्रव्‍यमान के साथ निकेल का भी उत्‍सर्जन किया गया। 
  • यह विस्फोट एक सामान्य सुपरनोवा के विस्फोट से काफी तीव्र था लेकिन यह अन्य सुपरनोवा के समान  ही धीरे-धीरे शांत हुआ 

वैज्ञानिकों द्वारा अवलोकन:

  • इस सुपरनोवा के लिये रोस्‍टे IIIबी एवं 1.04 मीटर सम्पूर्णानंद टेलीस्कोप से प्राप्त किये गए डेटा का लाइट-कर्व मॉडलिंग विश्‍लेषण किया गया साथ ही 8-10 मीटर श्रेणी के ऑप्टिकल दूरबीन का उपयोग करते हुए डेटा का स्पेक्ट्रल मॉडलिंग विश्‍लेषण किया। 
  • प्राप्त किये डेटा की तुलना एसएन 2010 केडी के आस-पास समान दूरी पर स्थित लगभग अन्य आधा दर्जन ज्ञात सुपरनोवा के साथ की गई।
  • वैज्ञानिक निरीक्षण से पता चलता है कि घूर्णन और धत्त्विकता जैसे मानदंड तारकीय विस्फोटों में एक महत्त्वपूर्ण  भूमिका निभाते हैं।
  • इसके अलावा यह बात भी सामने आई कि पहले से ज्ञात सुपरनोवा की तुलना में एसएन 2010 केडी की मेज़बान आकाशगंगाओं में विभिन्न प्रकार के अन्य संभावित पूर्वज मौजूद रहे हैं।

आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्ज़र्वेशनल साइंसेस-

  • 20 अप्रैल, 1954 में नैनीताल में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अधीन एक स्वायत्त संस्थान के रूप में स्थापित किया गया। 
  • यह देश में खगोल भौतिकी और वायुमंडलीय विज्ञान से संबंधित एक अग्रणी अनुसंधान संस्थान है।
  • इस संस्थान द्वारा तीन दूरबीनों 104 सेमी, 130 सेमी और 3.6-mDOT की मेज़बानी की जाती है। इनके अलावा संस्थान के पास सौर अवलोकन के लिये समर्पित एक अन्य 15 सेमी. की दूरबीन भी है।

स्रोत: पी.आई.बी

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