स्वच्छ भारत मिशन के 10 वर्ष
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल ही में 2 अक्तूबर, 2024 को स्वच्छ भारत मिशन (SBM) की 10वीं वर्षगाँठ मनाई गई।
- परिचय:
- इसे 2 अक्तूबर, 2014 को पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय तथा आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा लॉन्च किया गया था।
- इसे ग्रामीण क्षेत्रों के लिये SBM-ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों के लिये SBM-शहरी में भी विभाजित किया गया।
- उद्देश्य:
- किसी क्षेत्र को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा सकता है, यदि दिन के किसी भी समय वहाँ एक भी व्यक्ति खुले में शौच करते हुए न पाया जाए।
- इसका उद्देश्य व्यक्तिगत एवं सामुदायिक शौचालयों का निर्माण करके भारत को खुले में शौच मुक्त (ODF) का निर्माण तथा स्कूल और आँगनवाड़ी के शौचालयों में अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली लागू करना था।
- उपलब्धियाँ:
- मिशन के तहत 10 करोड़ शौचालय बनाए गए और 2 अक्तूबर 2019 को लगभग 6 लाख गाँवों को ODF+ घोषित किया गया।
- वर्ष 2021 में पाँच वर्ष पूर्ण होने पर, सरकार ने SBM 2.0 लॉन्च किया, जिसमें अपशिष्ट मुक्त शहर बनाने, मल या कीचड़ का प्रबंधन करने, प्लास्टिक अपशिष्ट की समस्या का समाधान करने और ग्रेवाटर प्रबंधन में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- शहरी भारत ODF बन चुका है, सभी 4,715 शहरी स्थानीय निकाय (ULB) पूर्ण रूप से ODF हो चुके हैं।
और पढ़ें: स्वच्छ भारत मिशन की यथार्थता
भारत में शैक्षणिक स्वतंत्रता का पतन
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
स्कॉलर्स एट रिस्क (SAR) अकादमिक स्वतंत्रता निगरानी परियोजना की "फ्री टू थिंक 2024" वार्षिक रिपोर्ट से पता चलता है कि पिछले एक दशक में भारत में शैक्षणिक स्वतंत्रता में चिंताजनक गिरावट आई है।
- शैक्षणिक स्वतंत्रता से तात्पर्य बिना किसी हस्तक्षेप के ज्ञान प्राप्त करने और अनुसंधान करने के अधिकार से है, जो विचारों के खुले आदान-प्रदान का समर्थन करता है तथा शैक्षणिक अखंडता की रक्षा करता है।
नोट: SAR, 665 विश्वविद्यालयों का एक वैश्विक नेटवर्क है, जो शैक्षणिक समुदायों, विद्वानों और छात्रों की सुरक्षा बढ़ाने के साथ-साथ जागरूकता और समर्थन करने के प्रयास में उच्च शिक्षा के विरुद्ध हमलों की जाँच और रिपोर्ट करता है।
रिपोर्ट की मुख्य बातें क्या हैं?
- शैक्षणिक स्वतंत्रता में उल्लेखनीय गिरावट: रिपोर्ट के अनुसार, भारत का शैक्षणिक स्वतंत्रता सूचकांक में वर्ष 2013 और 2023 के बीच 0.6 से 0.2 अंक तक की गिरावट दर्ज की गई है।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि शैक्षणिक स्वतंत्रता सूचकांक (AFI) के अनुसार, भारत अब "पूर्णतः प्रतिबंधित (Completely Restricted)" श्रेणी में है, जो 1940 के दशक के मध्य के बाद से इसका सबसे कम स्कोर है।
- भारत में शैक्षणिक स्वतंत्रता के लिये मुख्य खतरे:
- राजनीतिक नियंत्रण: रिपोर्ट में विश्वविद्यालयों में राजनीतिक नियंत्रण स्थापित करने तथा बहुसंख्यकवादी धार्मिक एजेंडा लागू करने के बढ़ते प्रयासों का हवाला दिया गया है।
- विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिबंध: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) और दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय (SAU) जैसे विश्वविद्यालयों में नई नीतियों ने छात्र विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे छात्रों की अभिव्यक्ति और सक्रियता कमज़ोर हो रही है।
- शैक्षणिक स्वतंत्रता पर भी प्रतिबंध लगाये गए हैं, जिससे स्वतंत्र विचार और अभिव्यक्ति सीमित हो गयी है।
- केंद्र बनाम राज्य सरकार संघर्ष: उच्च शिक्षा पर नियंत्रण को लेकर केंद्र सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों के मध्य चल रहा संघर्ष स्पष्ट है, विशेष रूप से केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पंजाब जैसे राज्यों में।
- ऐसे संघर्षों के परिणामस्वरूप प्रतिबंधात्मक नीतियाँ बनती हैं जो स्वतंत्र संस्थागत स्वायत्तता को सीमित तथा शैक्षणिक स्वतंत्रता को बाधित कर सकती हैं।
- शिक्षाविदों को खतरा: धमकी मिलने या खतरे के भय की घटनाओं के कारण महत्वपूर्ण शैक्षणिक कार्य वापस ले लिये गए या त्यागपत्र दे दिये गए, जिससे शैक्षणिक अखंडता से समझौता हुआ तथा उच्च शिक्षा के विद्वानों के बीच आत्म-सेंसरशिप को बढ़ावा मिला है।
- वैश्विक संदर्भ: रिपोर्ट में 51 देशों में उच्च शिक्षा समुदायों पर हुए 391 हमलों का दस्तावेज़ीकरण किया गया है, जो शैक्षणिक स्वतंत्रता के लिये खतरों के व्यापक वैश्विक मुद्दे पर प्रकाश डालता है।
शैक्षणिक स्वतंत्रता सूचकांक
- AFI पाँच संकेतकों के आधार पर दुनिया भर में अकादमिक स्वतंत्रता के वास्तविक स्तरों का आकलन करता है। AFI वर्तमान में 179 देशों (भारत सहित) और क्षेत्रों को कवर करता है, तथा अकादमिक स्वतंत्रता के विषय पर सबसे व्यापक डेटासेट प्रदान करता है।
- पाँच संकेतक: शोध और शिक्षा की स्वतंत्रता, अकादमिक विनिमय और प्रसार की स्वतंत्रता, संस्थागत स्वायत्तता, परिसर अखंडता, शैक्षणिक और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
- AFI परियोजना, वर्ष 2017 में कॉल्न (Cologne) में एक विशेषज्ञ परामर्श के साथ शुरू हुई थी, जिसे फ्रिट्ज़ थिसेन फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित किया गया था, जिसका पहला संस्करण वर्ष 2020 में जारी किया गया था।
- AFI किसी देश में शैक्षणिक स्वतंत्रता की डिग्री को मापने के लिये 0 (निम्न) से 1 (उच्च) तक के पैमाने का उपयोग करता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न. भारतीय संविधान के निम्नलिखित में से कौन-से प्रावधान शिक्षा पर प्रभाव डालते हैं? (2012)
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जमैका के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में जमैका के प्रधानमंत्री ने व्यापार और निवेश समेत विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करने के लिये भारत का दौरा किया। यह जमैका के प्रधानमंत्री की भारत की पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी।
इस यात्रा के प्रमुख परिणाम क्या हैं?
- भारत के राष्ट्रपति से मुलाकात:
- दोनों नेताओं ने संसदीय, शैक्षिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सहयोग समेत विभिन्न स्तरों पर साझेदारी को और अधिक मज़बूत करने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की।
- राष्ट्रपति ने वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन के तीनों संस्करणों में जमैका की भागीदारी को सराहा साथ ही L-69 जैसे समूहों के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समेत बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार के लिये दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता पर बल दिया।
विभिन्न समझौता ज्ञापनों (MOU) पर हस्ताक्षर किये गए:
- भारत और जमैका की सरकारें सफल डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम और खेल में सहयोग साझा करने के लिये सहयोग करती हैं। जिसमें इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड और ईगोव जमैका लिमिटेड के बीच समझौता ज्ञापन शामिल है।
वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन (VOGSS)
- यह भारत के नेतृत्व में एक नवीन और विशिष्ट पहल है, जिसका उद्देश्य वैश्विक दक्षिण के देशों को एक साथ लाना तथा विभिन्न मुद्दों पर एक साझा मंच पर उनके दृष्टिकोण और प्राथमिकताओं को साझा करना है।
- यह भारत के वसुधैव कुटुंबकम, या "एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य" के दर्शन और प्रधानमंत्री के सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के दृष्टिकोण को दर्शाता है।
भारत और जमैका के बीच संबंध
- भारत जमैका की स्वतंत्रता के बाद उसे मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था, जिसने वर्ष 1962 में उसके साथ राजनयिक संबंध स्थापित किये तथा प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की यात्रा के बाद वर्ष 1976 में किंग्स्टन में एक रेजीडेंट मिशन की स्थापना की।
- जमैका ने वर्ष 2020 में भारत में अपना रेजिडेंट मिशन स्थापित किया।
- भारत और जमैका ने ऐतिहासिक रूप से सौहार्दपूर्ण और मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखे हैं, जो इतिहास, संसदीय लोकतंत्र, राष्ट्रमंडल सदस्यता और क्रिकेट के प्रति आपसी प्रेम के साझा संबंधों पर आधारित हैं।
- जमैका 70,000 की संख्या वाले भारतीय प्रवासियों का स्थान है, जो गिरमिटिया देशों में से एक है, यह दोनों देशों के बीच एक महत्त्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करता है। वर्ष 2022 जमैका में भारतीय समुदाय की उपस्थिति के 177 वर्ष पूर्ण होने का प्रतीक है।
- गिरमिटिया देश वे देश हैं, जहाँ भारतीय गिरमिटिया मज़दूर बस गए, जैसे फिज़ी, गुयाना, मॉरीशस, दक्षिण अफ्रीका, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो तथा रीयूनियन द्वीप।
- दोनों देश गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) और G-77 जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सदस्य हैं।
- विकासशील देश होने के नाते, भारत और जमैका के लक्ष्य समान हैं, जैसे आर्थिक विकास, समानता, निर्धनता उन्मूलन और नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार।
जमैका
- यह वेस्टइंडीज का एक द्वीपीय देश है, जो कैरेबियन सागर में क्यूबा और हिस्पानियोला के बाद तीसरा सबसे बड़ा द्वीप है।
- यह हैती के पश्चिम में, क्यूबा के दक्षिण में, मुख्य भूमि के निकटतम बिंदु केप ग्रेसियस-ए-डिओस के उत्तर-पूर्व में, मध्य अमेरिका के कैरीबियाई तट पर स्थित है।
- राष्ट्रीय राजधानी किंग्स्टन है।
- इसकी आबादी अफ्रीकी मूल की है, जो यूरोपीय उपनिवेशवादियों द्वारा लाए गए दासों की वंशज है।
- जमैका को वर्ष 1962 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता मिली और वह राष्ट्रमंडल का सदस्य बना हुआ है।
पोषण पर कोडेक्स समिति का 44वाँ सत्र
स्रोत: पीआईबी
भारत ने जर्मनी में पोषण एवं विशेष आहार उपयोग हेतु खाद्य पदार्थों पर कोडेक्स समिति (CCNFSDU) के 44 वें सत्र में भाग लिया, जिससे वैश्विक खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मानकों में महत्त्वपूर्ण योगदान मिला।
- CCNFSDU, कोडेक्स एलीमेंटेरियस कमीशन (CAC) की एक इकाई है, जो इन्फेंट (शिशु) फार्मूले, आहार अनुपूरक और चिकित्सा खाद्य पदार्थों जैसे विशेष आहार खाद्य पदार्थों के लिये वैश्विक मानकों को विकसित करने हेतु ज़िम्मेदार है।
- खाद्य और कृषि संगठन (FAO) और विश्व व्यापार संगठन (WTO) द्वारा 1963 में स्थापित CAC, अपने 189 कोडेक्स सदस्यों (भारत सहित) के साथ उपभोक्ता स्वास्थ्य की रक्षा और निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय खाद्य मानक निर्धारित करता है।
- CCNFSDU के 44 वें सत्र में भारत ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रोबायोटिक्स पर मौजूदा खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO)/विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के वर्ष 2001 और 2002 के दस्तावेज़ दो दशक पुराने हैं और वैज्ञानिक प्रगति के मद्देनजर उनमें संशोधन की आवश्यकता है।
- देश ने वैश्विक व्यापार को बढ़ाने के लिये सामंजस्यपूर्ण विनियमनों का आह्वान किया।
- भारत ने कहा कि 6-36 महीने के व्यक्तियों के लिये संयुक्त एनआरवी-आर मूल्य (Nutrient Reference Value-Requirement- NRV-R) दो आयु समूहों 6-12 महीने और 12-36 महीने के औसत मूल्य की गणना करके निर्धारित किया जाना चाहिये, जिस पर समिति द्वारा विचार किया गया और सहमति व्यक्त की गई।
- NRV-R वर्तमान वैज्ञानिक आँकड़ों के आधार पर पोषण सेवन के लिये सिफारिशें हैं, जो लक्ष्य समूहों या आबादी के लिये स्थापित की जाती हैं।
- भारत ने कहा कि 6-36 महीने के व्यक्तियों के लिये संयुक्त एनआरवी-आर मूल्य (Nutrient Reference Value-Requirement- NRV-R) दो आयु समूहों 6-12 महीने और 12-36 महीने के औसत मूल्य की गणना करके निर्धारित किया जाना चाहिये, जिस पर समिति द्वारा विचार किया गया और सहमति व्यक्त की गई।
और पढ़ें: कोडेक्स एलीमेंटेरियस कमीशन (CAC)
अंटार्कटिका प्रायद्वीप में ‘हरित क्षेत्र’
स्रोत: डाउन टू अर्थ
अंटार्कटिक प्रायद्वीप में वर्ष वर्ष 1986 से वर्ष 2021 के बीच वनस्पतिकीय क्षेत्र में 10 गुना वृद्धि हुई है। यह 1 वर्ग किलोमीटर से बढ़कर लगभग 12 वर्ग किलोमीटर हो गया है।
- वर्ष 2016-2021 में वनस्पतिकीय आवरण में वार्षिक 0.424 वर्ग किमी की दर से परिवर्तन हुआ, जबकि 35 वर्ष की अध्ययन अवधि में यह दर 0.317 वर्ग किमी वार्षिक थी।
- मॉस पारिस्थितिकी तंत्र के विकास से जैविक मृदा निर्माण और पौधों की अधिक संख्या में उपस्थिति हो सकती है।
- इससे गैर-स्थानिक और आक्रामक प्रजातियों के संभावित प्रवेश के बारे में भी चिंता उत्पन्न होती है।
- काई (मॉसेस) अग्रणी प्रजातियाँ हैं जो पारिस्थितिक अनुक्रम की शुरुआत करती हैं।
- पारिस्थितिक अनुक्रम, बदलते पर्यावरण के संबंध में किसी दिये गए क्षेत्र की प्रजातियों में होने वाला स्थिर और क्रमिक परिवर्तन है।
- यह हरियाली संभवतः क्षेत्र में तीव्र तापमान वृद्धि के कारण है, जो वैश्विक औसत से पाँच गुना अधिक तेज़ी से बढ़ रहा है।
- अंटार्कटिक प्रायद्वीप की बर्फ की चादर अपने छोटे आकार और उत्तरी स्थान के कारण जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील है। वर्ष 1950 के बाद से इसके तापमान में लगभग 3 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो गई है।
- ग्लेशियरों के पिघलते के साथ पौधों के लिये अधिक भूमि उपलब्ध होती जाती है, जिससे हरियाली की प्रक्रिया में और तेज़ी आती है।
और पढ़ें: अंटार्कटिका और भारत
अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता हब
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘आशय पत्र’ पर हस्ताक्षर को मंजूरी प्रदान की है, जिसकी तहत भारत ‘अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता हब’ में शामिल हो सकेगा।
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता हब (IEEH) एक वैश्विक मंच है जो विश्वभर में सहयोग को बढ़ावा और ऊर्जा दक्षता को प्रोत्साहन देने के लिये समर्पित है।
- यह हब सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और निजी क्षेत्र की संस्थाओं को ज्ञान, सर्वोत्तम पद्धतियों और नवोन्मेषी समाधानों को साझा करने के लिए एक साथ लाता है।
- इस हब में शामिल होने से भारत को विशेषज्ञों और संसाधनों के एक विशाल नेटवर्क तक पहुँच प्राप्त होगी, जिससे वह अपनी घरेलू ऊर्जा दक्षता पहलों को बढ़ाने में सक्षम हो सकेगा।
- भारत की ओर से ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) को भारत की ओर से इस हब के लिये कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में वैधानिक एजेंसी नामित किया गया है।
- जुलाई, 2024 तक, इस हब में सोलह देश (अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, डेनमार्क, यूरोपीय आयोग, फ्राँस, जर्मनी, जापान, कोरिया, लक्जमबर्ग, रूस, सऊदी अरब, अमेरिका और ब्रिटेन) शामिल हो चुके हैं।
- IEEH की स्थापना 2020 में ऊर्जा दक्षता सहयोग के लिये अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी (IPEEC) के उत्तराधिकारी के रूप में की गई थी, जिसमें भारत एक सदस्य था।
और पढ़ें: ऊर्जा दक्षता ब्यूरो