भारत की स्वच्छता पर बड़ी छलांग

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (United Nations-UN) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट में के अनुसार, भारत ने सहस्राब्दी (वर्ष 2000 से) की शुरुआत से अब तक बुनियादी आधारभूत सुविधाएँ प्रदान करने में बड़ी सफलता प्राप्त की है।

मुख्य बिंदु

  • वर्ष 2000 से 2017 के मध्य विश्व में 65 करोड़ लोगों ने खुले में शौच से मुक्ति प्राप्त की है इनमें से दो तिहाई लोग भारत से हैं।
  • सतत् विकास लक्ष्य 2030 (Sustainable Development Goals 2030) का लक्ष्य क्रमांक 6 स्वच्छता से संबंधित है। भारत में स्वच्छता की प्रगति ने विश्व स्तर पर इस लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • वर्ष 2000 से 2017 के मध्य भारत समेत दक्षिण एशिया के तीन चौथाई लोगों ने खुले में शौच जाना बंद कर दिया है।
  • 200 करोड़ से भी अधिक लोगों को विश्व में आधारभूत स्वच्छता सेवाएँ प्राप्त हुईं है इनमें से 48 करोड़ लोग भारत से हैं।
  • भारत की इस सफलता में स्वच्छ भारत मिशन का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। राजनीतिक नेतृत्व, सार्वजनिक वित्तपोषण, साझेदारी तथा लोगों की भागीदारी इस मिशन की सफलता के मुख्य स्तंभ माने जाते हैं।
  • UNICEF और WHO के संयुक्त निगरानी कार्यक्रम से यह प्रदर्शित होता है कि सुरक्षित पेयजल (जहाँ पहुँचने में 30 मिनट से अधिक समय ना लगता हो) तक भारतीय लोगों की पहुँच जो पहले वर्ष 2000 में 79 प्रतिशत थी अब बढ़कर 2017 में 93 प्रतिशत हो गई है।

चिंताएँ

  • इस रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि वर्ष 2000 से 2017 के मध्य भारत में नल द्वारा पीने के पानी की पहुँच में बिल्कुल भी प्रगति नहीं हुई है भारत में शहरी-ग्रामीण क्षेत्र के बीच बढ़ती असमानता को लेकर भी चिंता व्यक्त की गई है।
  • भारत में स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत लाखो शौचालयों का निर्माण किया गया है। इन शौचालयों से बड़ी मात्रा में तरल एवं ठोस अपशिष्ट का निकास होता है। इस अपशिष्ट का सुरक्षित रूप से निस्तारण करने की क्षमता भारत के पास नहीं है। वर्तमान में भारत केवल 30 प्रतिशत अपशिष्ट का ही उपचार करने में सक्षम है वहीं इसका वैश्विक औसत 80 प्रतिशत है।
  • स्वच्छता का अधिकार सिर्फ स्वच्छ शौचालय उपयोग करने तक ही सीमित नहीं है। यह अधिकार यह भी सुनिश्चित करने के लिये है कि किसी के द्वारा फैलाए गए अपशिष्ट से कोई अन्य व्यक्ति प्रभावित न हो। भारत जैसे राष्ट्र में इसका अधिक नकारात्मक प्रभाव गरीबों और हासिये पर स्थित लोगों पर पड़ता है, इसको लेकर भी इस रिपोर्ट में चिंता व्यक्त की गई है।

स्वच्छ भारत मिशन क्या है?

घर, समाज और देश में स्वच्छता को जीवनशैली का अंग बनाने के लिये, सार्वभौमिक साफ-सफाई का यह अभियान 2014 में शुरू किया गया। जिसे 2 अक्तूबर, 2019 (महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती) तक पूरा कर लेना है। यह 1986 के केंद्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम, 1999 के टोटल सेनिटेशन कैंपेन एवं 2012 के निर्मल भारत अभियान से परिवर्द्धित एवं सुस्पष्ट कार्यक्रम है।

मिशन का उद्देश्य

  • भारत में खुले में शौच की समस्या को समाप्त करना अर्थात् संपूर्ण देश को खुले में शौच करने से मुक्त (Open Defecation Free-ODF) घोषित करना, हर घर में शौचालय का निर्माण, जल की आपूर्ति और ठोस व तरल कचरे का उचित तरीके से प्रबंधन करना है।
  • इस अभियान में सड़कों और फुटपाथों की सफाई, अनाधिकृत क्षेत्रों से अतिक्रमण हटाना, मैला ढोने की प्रथा का उन्मूलन करना तथा स्वच्छता से जुड़ी प्रथाओं के बारे में लोगों के व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाना शामिल हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (world health organization- WHO)

विश्व स्वास्थ्य संगठन संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो अंतर्राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य से संबंधित है। इसकी स्थापना 7 अप्रैल 1948 को की गई और इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में है। WHO संयुक्त राष्ट्र विकास समूह का सदस्य है।

यूनिसेफ

(United Nations Children's Fund/United Nations International Children's Emergency Fund- UNICEF)

  • इसे संयुक्त राष्ट्र बाल कोष- यूनिसेफ (United Nations Children’s Fund) या संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष कहा जाता है।
  • यूनिसेफ का गठन वर्ष 1946 में संयुक्त राष्ट्र के एक अंग के रूप में किया गया था।
  • इसका गठन द्वितीय विश्वयुद्ध से प्रभावित हुए बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा करने तथा उन तक खाना और दवाएँ पहुँचाने के उद्देश्य से किया गया था।
  • इसका मुख्यालय जिनेवा में है।
  • ध्यातव्य है कि वर्तमान में 190 देश इसके सदस्य हैं।

स्रोत: द हिंदू