दक्षिण पूर्व एशिया में टाइफून
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
जुलाई 2024 में क्लाइमेट एंड एटमॉस्फेरिक साइंस नामक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार बढ़ते वैश्विक तापमान के कारण दक्षिण पूर्व एशिया में टाइफून की आवृत्ति में वृद्धि हो रही है।
टाइफून क्या हैं?
- यह एक प्रकार का चक्रवात है जिसमें वायु की गति 119 किमी प्रति घंटा या उससे अधिक होती है तथा यह भूमध्य रेखा के पास ऊष्ण समुद्री जल में विकसित होता है।
- जब ऊष्ण एवं आर्द्र वायु समुद्र की सतह से ऊपर उठती है तो इससे निम्न दाब का क्षेत्र बनता है।
- कम दाब वाले क्षेत्र के चारो ओर से तीव्र गति से अंदर की ओर वायु के परिसंचरण से चक्रवात की स्थिति बनती है।
- इसमें उत्तरी गोलार्द्ध में वायु वामावर्त दिशा में तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त दिशा में घूमती है।
चक्रवात का प्रकार |
स्थान |
टाइफून |
चीन सागर और प्रशांत महासागर |
हरिकेन |
पश्चिमी भारतीय द्वीप, कैरेबियन सागर, अटलांटिक महासागर |
टाॅरनेडो |
पश्चिमी अफ्रीका का गिनी क्षेत्र, दक्षिणी अमेरिका |
विली-विलीज़ |
उत्तर-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया |
उष्णकटिबंधीय चक्रवात |
हिंद महासागर क्षेत्र |
हाल में दक्षिण पूर्व एशिया में आए टाइफून
- टाइफून यागी: यह सितंबर 2024 तक का एशिया का सबसे शक्तिशाली उष्णकटिबंधीय चक्रवात है और हरिकेन बेरिल (अटलांटिक महासागर) के बाद विश्व स्तर पर दूसरा सबसे शक्तिशाली है।
- इससे दक्षिण-पूर्व एशिया में काफी क्षति हुई, जिसका असर फिलीपींस, चीन, लाओस, म्यांमार, थाईलैंड और विशेष रूप से वियतनाम पर पड़ा है।
- टाइफून शानशान: इससे जापान में तेज़ वर्षा और तीव्र पवनों की स्थिति बनी।
- टाइफून बेबिन्का: इसकी आँख के पास वायु की अधिकतम गति 151 किलोमीटर प्रति घंटा (94 मील प्रति घंटा) थी तथा यह सैफिर-सिम्पसन हरिकेन विंड स्केल पर श्रेणी 1 तूफान के रूप में अंकित हुआ।
दक्षिण पूर्व एशिया में क्रमिक रूप से टाइफून आने के क्या कारण हैं?
- समुद्र के सतही तापमान में वृद्धि:
- ग्लोबल वार्मिंग के कारण प्रशांत महासागर का गर्म जल टाइफून के निर्माण और तीव्रता के लिये अधिक ऊर्जा प्रदान करता है।
- उष्णकटिबंधीय तूफानों के लिये ऊष्ण एवं आर्द्र समुद्री वायु, आदर्श स्थिति है और समुद्र की सतह के बढ़ते तापमान के कारण तूफानों की आवृति एवं तीव्रता में वृद्धि होती है।
- वायुमंडलीय परिसंचरण पैटर्न में परिवर्तन:
- वायुमंडलीय परिसंचरण पैटर्न में बदलाव, जैसे कि वॉकर परिसंचरण (जो प्रशांत महासागर को प्रभावित करता है) के कमज़ोर होने या उसमें परिवर्तन, से दक्षिण-पूर्व एशिया में तूफानों की आवृत्ति एवं प्रक्षेप पथ प्रभावित हो सकता है।
- अल नीनो और ला नीना घटनाएँ:
- अल नीनो के दौरान मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर का गर्म जल पश्चिम की ओर स्थानांतरित हो जाता है जिससे दक्षिण-पूर्व एशिया में तूफान की गतिविधि बढ़ सकती है।
- ला नीना में पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में चक्रवाती गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है।
- अल नीनो-दक्षिणी दोलन (ENSO) चक्र तूफान की आवृत्ति को व्यापक रूप से प्रभावित करता है।
- अल नीनो के दौरान मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर का गर्म जल पश्चिम की ओर स्थानांतरित हो जाता है जिससे दक्षिण-पूर्व एशिया में तूफान की गतिविधि बढ़ सकती है।
- वातावरण में आर्द्रता में वृद्धि:
- वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण महासागरों में वाष्पीकरण बढ़ने से वातावरण में आर्द्रता की मात्रा बढ़ रही है। इस आर्द्रता से अधिक तीव्र और क्रमिक रूप से टाइफून देखने को मिल रहे हैं।
- दक्षिण पूर्व एशिया की भौगोलिक स्थिति:
- यह क्षेत्र प्रशांत महासागर की गर्म धाराओं के मार्ग में स्थित है और टाइफून निर्माण के लिये एक आदर्श केंद्र है।
- दक्षिण-पूर्व एशिया की भौगोलिक स्थिति (इसकी लंबी तटरेखा और पश्चिमी प्रशांत महासागर से निकटता) इसे उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील बनाती है।
- सागरीय हीट वेव:
- जलवायु परिवर्तन के कारण सागरीय हीट वेव में वृद्धि से सागर में तापमान वृद्धि की अधिक घटनाएँ देखने को मिल रही हैं।
- भूमि-समुद्र के तापमान में कम अंतराल:
- जलवायु परिवर्तन से भूमि और समुद्र के बीच तापमान प्रवणता में भी बदलाव आ रहा है।
- भूमि और समुद्र के बीच तापमान में कम अंतराल के कारण टाइफून लंबे समय तक बना रहने के साथ इससे संबंधित क्षेत्रों पर अधिक गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
- शहरीकरण और पर्यावरण क्षरण:
- तीव्र शहरीकरण, वनोन्मूलन तथा तटीय पारिस्थितिकी तंत्रों (जैसे मैंग्रोव) के विनाश से टाइफून के प्रभाव में वृद्धि हो सकती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं ? (a) केवल 1 उत्तर: (c) प्रश्न. निम्नलिखित में से किसके संदर्भ में कुछ वैज्ञानिक पक्षाभ मेघ विरलन तकनीक तथा समतापमंडल में सल्फेट वायुविलय अंतःक्षेपण के उपयोग का सुझाव देते हैं? (2019) (a) कुछ क्षेत्रों में कृत्रिम वर्षा करवाने के लिये उत्तर: (d) |
हीराकुंड बाँध नहर प्रणाली का जीर्णोद्धार
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
ओडिशा के हीराकुंड बाँध से संबंधित छह दशक पुरानी नहर प्रणाली का व्यापक स्तर पर जीर्णोद्धार किया जाएगा।
- इस पहल का उद्देश्य सिंचाई संबंधी बुनियादी ढाँचे का आधुनिकीकरण करना, जल की बर्बादी को कम करना और कृषि उत्पादकता को बढ़ाना है, जिससे क्षेत्र के किसानों को आवश्यक सहायता मिल सके।
जीर्णोद्धार के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
- जीर्णोद्धार की आवश्यकता: बरगढ़ और सासन मुख्य नहरों समेत विभिन्न नहर अवसंरचनाएँ जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं।
- मौज़ूदा मृदायुक्त नहरों के कारण जल की काफी हानि होती है, जिससे सिंचाई दक्षता कम हो जाती है।
- जल रिसाव के कारण कुछ कृषि भूमि खेती के लिये अनुपयुक्त हो जाती है, जिससे स्थानीय किसानों के लिये चुनौतियाँ जटिल हो जाती हैं।
- जीर्णोद्धार की मुख्य विशेषताएँ: बेहतर जल वितरण और प्रबंधन के लिये समस्त मृदा के जल मार्गों को कंक्रीट पथों में परिवर्तित करना।
- इस परियोजना से किसानों की बेहतर पहुँच के लिये अंतिम छोर के क्षेत्रों में जल की उपलब्धता बढ़ेगी।
- स्थानीय किसानों पर प्रभाव: सिंचाई क्षमता और वास्तविक उपयोग के बीच अंतर को कम करना इसका उद्देश्य है। सिंचाई क्षमता में वृद्धि से किसानों को लाभ होगा और फसल की उपज़ बढ़ेगी।
हीराकुंड बाँध के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- परिचय: यह एक बहुउद्देशीय योजना है, जिसकी परिकल्पना महानदी में विनाशकारी बाढ़ की पुनरावृत्ति के बाद वर्ष 1937 में इंजी. एम. विश्वेश्वरैया ने की थी।
- वर्ष 1952-53 के आसपास निर्मित हीराकुंड बाँध स्वतंत्रता के पश्चात् भारत की पहली प्रमुख बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं में से एक है।
- यह विश्व में सबसे लंबे प्रमुख मिट्टी के बाँध के रूप में जाना जाता है, जो महानदी पर 25.8 किमी तक फैला है।
- इसका उद्घाटन वर्ष 1957 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने किया था।
- हीराकुंड बाँध हीराकुंड जलाशय का निर्माण करता है, जिसे हीराकुंड झील के नाम से भी जाना जाता है, यह एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झीलों में से एक है। हीराकुंड जलाशय को वर्ष 2021 में रामसर स्थल घोषित किया गया था।
- उद्देश्य और लाभ: बाँध की जलविद्युत उत्पादन की स्थापित क्षमता 359.8 मेगावाट है, जो क्षेत्र की विद्युत आपूर्ति में योगदान देती है।
- यह जलाशय 436,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई करता है, जिससे क्षेत्र के किसानों को लाभ मिलता है।
- कैटल आईलैंड: यह हीराकुंड जलाशय के सबसे बाहरी हिस्से में स्थित है। यहाँ वनीय मवेशियों का एक बड़ा झुंड रहता है।
महानदी
- उद्गम: यह नदी छत्तीसगढ़ के धमतरी ज़िले में सिहावा पर्वत शृंखला से निकलती है।
- मुहाना: यह ओडिशा के जगतसिंहपुर में फाल्स प्वाइंट पर बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
- सहायक नदियाँ:
- वाम तट: सियोनाथ, मांड, आईबी, हसदेव और केलो (Kelo)।
- दाहिना तट: ओंग, पैरी, जोंक और तेलेन।
- बेसिन और भूगोल: महानदी बेसिन छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्यों तथा झारखंड, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के अपेक्षाकृत छोटे भागों तक फैला हुआ है।
- यह उत्तर में मध्य भारत की पहाड़ियों, दक्षिण और पूर्व में पूर्वी घाटों तथा पश्चिम में मैकाल श्रेणी से घिरा हुआ है।
- महानदी देश की प्रमुख नदियों में से एक है और प्रायद्वीपीय नदियों में जल संभाव्यता और बाढ़ उत्पादन क्षमता के मामले में यह गोदावरी के बाद दूसरे स्थान पर है।
लिटिल प्रेस्पा झील
स्रोत: द हिंदू
अल्बानियाई-ग्रीक सीमा पर स्थित लिटिल प्रेस्पा झील धीरे-धीरे सूख रही है।
- वर्तमान में यह झील दलदली क्षेत्र में तब्दील हो चुकी है, तथा इसका अधिकांश क्षेत्र अब दलदल या सूखी भूमि में तब्दील हो चुका है।
- लिटिल प्रेस्पा झील को जलवायु परिवर्तन के कारण पर्यावरणीय खतरों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें बढ़ते तापमान, न्यून हिमपात, न्यून वर्षा और वर्ष 1970 के दशक में सिंचाई के लिये डेवोल नदी के प्रवाह को मोड़ना शामिल है, जिससे पानी की महत्त्वपूर्ण हानि हुई है।
प्रेस्पा झील:
- प्रेस्पा झील यूरोप की सबसे पुरानी विवर्तनिकी झीलों में से एक है।
- यह बाल्कन प्रायद्वीप की सबसे ऊँची विवर्तनिकी झील है, जो 853 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
- बाल्कन देश दक्षिण-पूर्वी यूरोप में बाल्कन प्रायद्वीप पर स्थित देश हैं। इसमें अल्बानिया, बुल्गारिया, क्रोएशिया, ग्रीस, मॉल्डोवा, उत्तरी मैसेडोनिया, रोमानिया, सर्बिया, स्लोवेनिया, बॉस्निया और हर्ज़ेगोविना शामिल हैं
- यह दो झीलों से बना है।
- ग्रेट प्रेस्पा झील अल्बानिया, ग्रीस और उत्तरी मैसेडोनिया की सीमा पर स्थित है, जबकि
- छोटी प्रेस्पा झील ग्रीस में स्थित है।
- दो प्रेस्पा झीलें तीन अलग-अलग देशों में स्थित दो राष्ट्रीय उद्यानों के बीच स्थित हैं।
- प्रेस्पा राष्ट्रीय उद्यान ग्रीस और अल्बानिया में है,
- गैलिसिका राष्ट्रीय उद्यान मैसेडोनिया गणराज्य में है।
- गैलिसिका पर्वत प्रेस्पा झील को ओहरिड झील से अलग करते हैं, जो यूरोप की सबसे पुरानी और गहरी झीलों में से एक है।
और पढ़ें: भारत की महत्त्वपूर्ण झीलें विक्टोरिया झील
भारत का त्रिपक्षीय समझौता
स्रोत: बिजनेस स्टैण्डर्ड
हाल ही में नेपाल, भारत और बाँग्लादेश ने सीमा पार विद्युत व्यापार को सुविधाजनक बनाने के लिये एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- समझौते के तहत नेपाल प्रत्येक वर्ष 15 जून से 15 नवंबर तक अधिशेष विद्युत को बाँग्लादेश को निर्यात करेगा।
- भारत नेपाल से बाँग्लादेश तक विद्युत के संचरण को सुगम बनाएगा।
- प्रथम चरण में नेपाल भारतीय भू-क्षेत्र से होकर बाँग्लादेश को 6.4 सेंट प्रति यूनिट की दर से 40 मेगावाट की जलविद्युत का निर्यात करेगा।
- भारत, नेपाल और बाँग्लादेश विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय समूहों का हिस्सा हैं।
- दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क)
- बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन (बिम्सटेक)
- बाँग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल (BBIN)
- गुटनिरपेक्ष आंदोलन
और पढ़ें: भारत-नेपाल संबंध , भारत-बाँग्लादेश संबंध
सरकार द्वारा क्लिनिकल रिसर्च ऑर्गनाइज़ेशन का विनियमन
स्रोत: लाइव मिंट
सरकार ने नैदानिक परीक्षणों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये नैदानिक अनुसंधान संगठनों के लिये मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) स्थापित की है। ये अद्यतन नियम नवीन औषधि और नैदानिक परीक्षण (संशोधन) नियम, 2024 का हिस्सा हैं।
- इसके तहत सरकार ने पंजीकरण, लाइसेंस की स्वीकृति और नवीनीकरण, वैधता अवधि, निरीक्षण और गैर-अनुपालन पाए जाने पर लाइसेंस के निलंबन के माध्यम से निगरानी करने के लिये भूमिका, कर्त्तव्य और दायित्व परिभाषित किये हैं।
- इसका उद्देश्य उत्पाद की गुणवत्ता बनाए रखना, नवीन दवाओं और टीकों के नैदानिक परीक्षणों में तीव्रता लाने के साथ ही अधिक पारदर्शिता लाना भी है।
- इन्हें औषधि एवं तकनीकी सलाहकार समिति (DTAB) के परामर्श के पश्चात् तैयार किया गया है।
- क्लिनिकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (CRO):
- CRO एक इकाई है जो वाणिज्यिक, शैक्षणिक, व्यक्तिगत स्वामित्व वाली या कानूनी स्थिति वाली संस्था हो सकती है।
- इसे प्रायोजक द्वारा विशिष्ट कार्यों, कर्त्तव्यों या दायित्वों का प्रबंधन करने के लिये नियुक्त किया जाता है।
- ये ज़िम्मेदारियाँ नैदानिक परीक्षण, जैव-उपलब्धता या जैव-समतुल्यता अध्ययन से संबंधित हैं।
- ज़िम्मेदारियों का हस्तांतरण लिखित रूप में किया जाना चाहिये।
- औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड:
- यह औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के तहत गठित एक वैधानिक निकाय है।
- इसका कार्य औषधियों एवं सौंदर्य प्रसाधनों से संबंधित तकनीकी मामलों पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार को सलाह देना है।
और पढ़ें: औषधि एवं नैदानिक परीक्षण नियम, 2019
श्यामजी कृष्ण वर्मा की 95वीं जयंती
स्रोत: पी.आई.बी
क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी, श्यामजी कृष्ण वर्मा की 95वीं जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
- श्यामजी कृष्ण वर्मा एक भारतीय क्रांतिकारी, देशभक्त, वकील और पत्रकार थे जिनका जन्म 4 अक्टूबर 1857 को मांडवी, गुजरात में हुआ था।
- श्यामजी कृष्ण वर्मा ने बाल गंगाधर तिलक, स्वामी दयानंद सरस्वती और हर्बर्ट स्पेंसर जैसी हस्तियों से प्रेरणा ली।
- लंदन में उन्होंने वर्ष 1905 में इंडियन होम रूल सोसाइटी, इंडिया हाउस और द इंडियन सोशियोलॉजिस्ट (एक मासिक पत्रिका) की शुरुआत की, जिनका उद्देश्य युवा भारतीयों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने हेतु प्रेरित करना था।
- उन्होंने राष्ट्रवादी विचारों के लिये एक मंच के रूप में कार्य करते हुए होम रूल सोसाइटी के माध्यम से औपनिवेशिक शासन की आलोचना की।
- वह बॉम्बे आर्य समाज के प्रथम अध्यक्ष थे और उनका प्रभाव वीर सावरकर पर पड़ा था।
- ब्रिटिश आलोचना की प्रतिक्रिया में यह इंग्लैंड से पेरिस चले गए और तत्पश्चात प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जिनेवा में बस गए, जहाँ 30 मार्च 1930 को इनकी मृत्यु हो गई।