निवेश प्रोत्साहन नीति की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी
चर्चा में क्यों?
20 नवंबर, 2023 को अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और फार्च्यून 500 कंपनियों को आकर्षित करने के लिये बनाई गई निवेश प्रोत्साहन नीति (एफडीआई पालिसी) की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी कर दी।
प्रमुख बिंदु
- जारी एसओपी के अनुसार यह एफडीआई पालिसी एक नवंबर 2023 से 31 अक्तूबर, 2028 तक प्रभावी रहेगी।
- फार्च्यून 500 में फार्च्यून ग्लोबल 500 और फार्च्यून इंडिया 500 कंपनियों को शामिल किया गया है।
- निवेशकों को पाँच साल बिजली के बिल में सौ फीसदी छूट तथा स्टांप ड्यूटी व पंजीकरण में 50 से 100 फीसदी छूट मिलेगी। इसके अलावा ज़मीन पर भी 75 से 80 फीसदी तक सब्सिडी का प्रावधान किया गया है।
- निवेशकों को स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण में छूट गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में 50 फीसदी, मध्यांचल, पश्चिमांचल में 75 फीसदी और बुंदेलखंड व पूर्वांचल में 100 फीसदी होगी। सब्सिडी के एवज में निवेशक को उतनी ही रकम की बैंक गारंटी देनी होगी।
- विकास प्राधिकरणों से ज़मीन लेने पर स्टांप छूट के लिये शासन द्वारा निवेशक को एक पत्र दिया जाएगा। निजी डेवलपर से ज़मीन खरीदने पर इनवेस्ट यूपी द्वारा प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा। इसी के आधार पर सब्सिडी मिलेगी। औद्योगिक उत्पादन शुरू होने के बाद स्टांप व पंजीकरण शुल्क की प्रतिपूर्ति कर दी जाएगी।
- एफडीआई के तहत निवेशकों को ज़मीन पर न्यूनतम 75 फीसदी से 80 फीसदी सब्सिडी मिलेगी। कुछ मामलों में ये 80 फीसदी से भी ज्यादा हो सकती है। इसकी समीक्षा सात दिन के अंदर इनवेस्ट यूपी के सीईओ की अध्यक्षता में गठित मूल्यांकन समिति करेगी। इस रिपोर्ट को अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त के नेतृत्व में गठित प्राधिकार समिति के सामने पेश किया जाएगा।
- समिति 15 दिन में प्रस्ताव को स्वीकार या अस्वीकार कर देगी। प्राधिकार समिति द्वारा प्रस्ताव स्वीकार होने पर संबंधित विकास प्राधिकरण के लिये पत्र जारी किया जाएगा। यदि निवेशक दी गई निवेश अवधि के अंदर उत्पादन शुरू नहीं करता है तो 12 फीसदी ब्याज के साथ ज़मीन वापस ले ली जाएगी।
- सब्सिडी प्राप्त करने के लिये जरूरी लेटर आफ कम्फर्ट को निवेशकों को कंपनी से जुड़े 11 दस्तावेज़ अनिवार्य रूप से जमा करने होंगे।
- निवेश के लिये अवधि-
- 100 से 200 करोड़ रुपए के निवेश में उत्पादन अधिकतम 4 साल में शुरू करना होगा।
- 200 से 500 करोड़ रुपए के निवेश में उत्पादन अधिकतम 5 साल में शुरू करना होगा।
- 500 से 3000 करोड़ रुपए के निवेश में उत्पादन अधिकतम 7 साल में शुरू करना होगा।
- 3000 करोड़ रुपए से ज्यादा निवेश में उत्पादन अधिकतम 9 साल में शुरू करना होगा।